हिन्दी रेखाचित्र का उद्भव और विकास | Rekhachitra Ka Udbhav aur Vikas

SHARE:

हिन्दी रेखाचित्र का उद्भव और विकास rekhachitra Ka Udbhav aur Vikas हिंदी साहित्य में रेखाचित्र एक महत्वपूर्ण विधा है जो 20वीं शताब्दी के आरंभ में विकस

हिन्दी रेखाचित्र का उद्भव और विकास


हिंदी साहित्य में रेखाचित्र एक महत्वपूर्ण विधा है जो 20वीं शताब्दी के आरंभ में विकसित हुई।  यह विधा पाठकों को किसी व्यक्ति, स्थान, घटना या वस्तु का सजीव और प्रभावशाली चित्रण प्रदान करती है।  रेखाचित्र में कल्पना और यथार्थ का मिश्रण होता है, और लेखक अपनी लेखनी के माध्यम से अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करता है।

रेखाचित्र का अर्थ

रेखाचित्र अँग्रेजी स्केच (sketch) के पर्याय के रूप में प्रचलित एक आधुनिक गद्य विधा है। इसमें शब्दों के माध्यम से व्यक्ति अथवा वस्तु-विशेष का ऐसा जीवन्त चित्रांकन किया जाता है कि पाठकों के सम्मुख सांकेतिक रूप में उसका सम्यक् स्वरूप उद्घाटित हो सके। इसीलिए इसे 'शब्द-चित्र' भी कहा जाता है। 'इसमें लेखक और चित्रकार दोनों का व्यक्तित्व एक साथ समन्वित रूप में प्रकट होता है । 

हिन्दी - साहित्य कोष में बताया गया है कि रेखाचित्र किसी वस्तु, व्यक्ति, घटना या भाव का कम-से-कम शब्दों में मर्मस्पर्शी भावपूर्ण एवं संजीव अंकन है। इससे स्पष्ट है कि रेखाचित्र में किसी भी व्यक्ति, घटना एवं भाव का चित्रण कम-से-कम शब्दों में कलात्मक ढंग से किया जाता है जिससे वह सजीव, भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी हो । रेखाचित्र के अंकन में संक्षिप्तता एवं लाघवता का होना आवश्यक है। जिस प्रकार चित्रकार अपनी तूलिका के कलामय स्पर्श से 
चित्रपटल पर अंकित विशृंखल रेखाओं में से कुछ अधिक उभरी हुई रेखाओं को सँवार कर एक सजीव रूप प्रदान कर देता है उसी प्रकार रेखाचित्रकार मन पटल पर विशृंखल रूप में बिखरी हुई शतशत रेखाओं से उभरी हुई स्मरणीय रेखाओं को अपनी कला की तूलिका से स्वानुभूति के रंग में रंजित कर जीते जागते शब्द चित्र में परिणत कर देता है। यही शब्द चित्र रेखाचित्र कहलाता है।

रेखाचित्र की विशेषताएं

रेखाचित्र का विषय कोई भी व्यक्ति, घटना अथवा वस्तु हो सकती है। व्यक्तियों में विशिष्ट और साधारण दोनों तरह के लोग आते हैं, परन्तु यह आवश्यक है कि जिस भी व्यक्ति का रेखाचित्र लिखा जा रहा है, उसमें कुछ ऐसे विशिष्ट गुण हों जिनसे लेखक अत्यंत प्रभावित हुआ हो। घटना और वस्तु के संदर्भ में भी यही बात कही जा सकती है। रेखाचित्र का विषय अनुभूत्यात्मक होने के कारण अधिक वास्तविक और सत्याधृत होता है। वस्तुतः ऐसा ही रेखाचित्र सफल भी माना जाता है। रेखाचित्र का वर्ण्य-विषय वास्तविकता, स्पष्टता, रोचकता और संक्षिप्तता के गुणों से युक्त होना चाहिए तभी उसकी अभिव्यक्ति में यथेष्ट प्रभावोत्पदकता एवं जीवन्तता आ पाती है।
 
रेखाचित्र में चरित्र का विश्लेषण न होकर चरित्रोद्घाटन होता है। रेखा चित्रकार का कार्य तो प्रभावित व्यक्ति के जीवन से सम्बन्धित प्रमुख घटनाओं का वर्णन करना ही है, उसी से पाठक को उसके व्यक्तित्व का अनुमान हो जाता है। पाठक को प्रभावित करने के लिये वह नायक के व्यक्तित्व से सम्बन्धित घटनाओं का ऐसा चित्रण करता है कि वह उसके चरित्र को स्वयं स्पष्ट कर देती है। उसका कारण यह है कि रेखाचित्र में प्रधानता संकेतों की होती है, इसमें खुलकर बात बहुत कम की जाती है। इस प्रकार थोड़ी-सी रेखाओं द्वारा एक सजीव चित्र बना देना किसी कुशल कलाकार का ही काम हो सकता है। थोड़े से शब्दों में किसी घटना को चित्रित कर देना अथवा किसी व्यक्ति का सजीव चित्र उपस्थित कर देना अत्यन्त कठिन कार्य है। इसके लिये लेखक को कठोर साधना की जरूरत होती है। जहाँ रंग के थोड़े गहरे से किंचित हल्के होने से ही तस्वीर बिगड़ सकती है, वहाँ तूलिका को कितनी सफाई, कितने चातुर्य के साथ चलाना चाहिए, इसका अंदाज किसी विशेषज्ञ चित्रकार को ही हो सकता है, इसके लिये सरस्वती मन्दिर की आराधना तो अनिवार्य है ही, साथ ही साथ अपने व्यक्तित्व को सजीव और उन्मुक्त बनाये रखना भी अत्यन्त आवश्यक है।

रेखाचित्र चरित्र - विशेष के बाहय और आभ्यान्तर दोनों पक्षों के मार्मिक एवं संवेदनशील तत्वों को उभार कर पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत कर देता है।
 
रेखाचित्र की भाषा विषयानुकूल, लक्षणा व्यंजना शक्तियों से पूर्णतया कलात्मक किन्तु सहज होनी चाहिए। भाषा की ध्वन्यात्मकता रेखाचित्र के अंकन में विशेष सहायक सिद्ध होती है। शैली में चित्रात्मकता आवश्यक है। परन्तु इस चित्रात्मकता में प्रभावोत्पादकता और रोचकता का योग नितांत अपेक्षित है।
 

रेखाचित्रों का वर्गीकरण

विषय और स्वरूप के आधार पर रेखाचित्र के कई भेद संभाव्य हैं। लेखक के भाव, विचार और अभिरुचि यथा भाषा शैली व अभिव्यक्ति के अनुसार रेखाचित्र अपना स्वरूप ग्रहण करता है। सामान्यतः इसकी निम्न कोटियाँ निर्धारित की जा सकती हैं - 

1. मनोवैज्ञानिक रेखाचित्र । 
2. ऐतिहासिक रेखाचित्र । 
3. तथ्य तथा घटना-प्रधान रेखाचित्र । 
4. वातावरण प्रधान रेखाचित्र । 
5. प्रभाववादी रेखाचित्र । 
6. व्यंग्य प्रधान रेखाचित्र | 
7. व्यक्ति प्रधान रेखाचित्र । 
8. आत्मपरक रेखाचित्र ।
 

हिंदी रेखाचित्र का इतिहास

आज मनोविज्ञान का प्रयोग साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में होने लगा है, अतः रेखाचित्रकारों ने भी इसका उपयोग किया है। इससे पात्रों के राग-विराग, घृणा-द्वेष और आशा-निराशा के चित्रण में विशेष सहायता मिलती है। ऐसे रेखाचित्रों के रचयिताओं में पं0 बनारसीदास चतुर्वेदी, श्रीराम शर्मा, रामवृक्ष बेनीपुरी, वृन्दावन लाल वर्मा, प्रकाश चन्द्र गुप्त, महादेवी वर्मा, देवेन्द्र सत्यार्थी और कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' का नाम विशेष उल्लेखनीय है। ऐतिहासिक रेखाचित्रकारों में प्रो० प्रकाशचन्द्र गुप्त अधिक लोकप्रिय हैं। 'शेरशाह की सड़क' तथा 'देहली दरवाजा' उनके विशेष प्रसिद्ध रेखाचित्र हैं। तथ्य और घटना-प्रधान रेखाचित्रों में बेनीपुरी, प्रकाशचन्द्र गुप्त और प्रेमनारायण टंडन प्रसिद्ध हैं। बेनीपुरी का 'हँसिया और हथौड़ा' गेहूँ और गुलाब' 'नई संस्कृति की ओर' तथा गुप्त जी का 'इक्केवाला', 'नया नगर', 'मिट्टी के पुतले' और टंडन जी के 'हिन्दी लेखक, 'पत्रकार तथा अफसर' विशेष उल्लेखनीय हैं।
हिन्दी रेखाचित्र का उद्भव और विकास | Rekhachitra Ka Udbhav aur Vikas 
वातावरण प्रधान रेखाचित्रों में पं० बनारसीदास चतुर्वेदी और बेनीपुरी जी अधिक लोकप्रिय हैं। चतुर्वेदी जी का 'बंधुवर नवीन जी' तथा बेनीपुरी का 'बलदेव सिंह' महत्त्वपूर्ण रेखाचित्र हैं। 

प्रभाववादी रेखाचित्रों में बेनीपुरी का 'गेहूँ और गुलाब' विशेष रूप से उल्लेखनीय है। व्यंग्यप्रधान रेखाचित्रों में पं० हरिशंकर शर्मा, बेढब बनारसी, अमृतलाल नागर, कृपाचन्द्र, डॉ० संसारचन्द्र और महावीर अधिकारी आदि प्रसिद्ध हैं।
 
व्यक्ति-प्रधान रेखाचित्रकारों की कोटि में श्रीराम शर्मा, बनारसीदास चतुर्वेदी, विनय मोहन शर्मा, जयनाथ 'नलिन', जगदीशचन्द्र माथुर और डॉ० नगेन्द्र और कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' आदि विशेष ख्यातिप्राप्त लेखक हैं।
 
आत्मपरक रेखाचित्र लिखने वालों में महादेवी वर्मा, डॉ० नगेन्द्र और बाबू भगवतीचरण वर्मा अधिक लोकप्रिय हैं। 

इस प्रकार रेखाचित्र को अनेक साहित्यकारों का योग प्राप्त है और विधा उत्तरोत्तर विकास के पथ पर द्रुतगति से बढ़ती चली जा रही हैं। 

रेखाचित्र हिंदी साहित्य की एक समृद्ध और गतिशील विधा है। इसने सामाजिक यथार्थ, व्यक्तिगत अनुभवों, और मानवीय भावनाओं का सजीव चित्रण करते हुए, हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। रेखाचित्र पाठकों को मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ, उन्हें समाज के प्रति जागरूक भी करते हैं।

हिंदी का पहला रेखाचित्र कौन सा है?

हिंदी में पहला रेखाचित्र निश्चित रूप से कहना मुश्किल है, क्योंकि रेखाचित्रों के तत्व प्राचीन काल से ही विभिन्न विधाओं में मौजूद थे।

हालांकि, "स्वतंत्र विधा" के रूप में रेखाचित्र का उद्भव 20वीं शताब्दी के आरंभ में हुआ।  इस दौर में, "पद्मपराग" (1929) नामक रेखाचित्र संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसे अक्सर पद्मसिंह शर्मा द्वारा लिखित हिंदी का पहला रेखाचित्र संग्रह माना जाता है।यह संग्रह 17 रेखाचित्रों का समावेश करता है, जो विभिन्न विषयों पर आधारित हैं, जैसे कि व्यक्तित्व चित्रण, सामाजिक जीवन, और प्रकृति।  शर्मा जी की भाषा सरल और प्रभावी है, और उनके रेखाचित्रों में हास्य, व्यंग्य, और मार्मिकता का मिश्रण पाया जाता है।

हालांकि, "पद्मपराग" से पहले भी कुछ रचनाएं प्रकाशित हुई थीं जिनमें रेखाचित्र के तत्व मौजूद थे।  उदाहरण के लिए, जगन्नाथ प्रसाद "बजरंगी" का "गुलाब के फूल" (1927) और शिवप्रसाद "सितारे हिंद" का "विचित्र विनोद" (1928)  का उल्लेख किया जा सकता है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि साहित्यिक विधाओं की उत्पत्ति और विकास एक क्रमिक प्रक्रिया होती है।  "पद्मपराग" को "पहला रेखाचित्र संग्रह" मानने के पीछे मुख्य कारण यह है कि इसने हिंदी साहित्य में रेखाचित्र विधा को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका