मिर्जा नुकता कहानी कन्हैयालाल कपूर

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मिर्जा नुकता कहानी कन्हैयालाल कपूर


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मिर्जा नुक्ता कहानी का सारांश

प्रस्तुत पाठ या हास्य व्यंग्य मिर्ज़ा नुकता , लेखक कन्हैयालाल कपूर जी के द्वारा लिखित है । दरअसल मिर्ज़ा का नाम या उपनाम ‘नुकता’ नहीं है । बल्कि यह इनकी उपाधि है, जो किसी हँसोड़ ने इनकी तत्वदर्शिता की दाद देते हुए इन्हें प्रदान की थी । लेखक कन्हैयालाल जी कहते हैं कि मिर्ज़ा नुकता में विशेषता यह है कि वह हर बात में नुकता पैदा करते हैं । मिर्ज़ा से मेरी पहली मुलाक़ात एक सभा के दौरान हुई । वे वहाँ श्रोतागण को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि सुबह-सवेरे उठना अव्वल दरजे की मुर्खता है । इसी सन्दर्भ में उन्हें एक युक्ति भी सूझी, उन्होंने कहा कि मेडिकल दृष्टिकोण से दस घंटे आराम करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । इसके अतिरिक्त प्रातःकाल जो ठंडी हवा चलती है वह एक तरह की लोरी है, जो प्रकृति अपने बच्चों को सुलाने के लिए गाती है ।अब श्रोताओं में से किसी ने तत्काल मिर्ज़ा से सवाल पूछ दिया – मिर्ज़ा, हज़ारों लोग प्रातःकाल सैर को जाते हैं । उनके बारे में क्या विचार है ?  तभी मिर्ज़ा ने भी बड़ी गंभीरतापूर्वक जवाब दिया – प्रायः ये लोग अनिद्रा के रोग से ग्रस्त होते हैं । जब प्रयत्न के बावजूद उन्हें नींद नहीं आती, तो उठकर सैर को चल देते हैं । 


लेखक कन्हैयालाल जी कहते हैं कि मैं मिर्ज़ा की हाज़िर-जवाबी से बहुत प्रभावित हुआ । वास्तव में मिर्ज़ा का अपना अभिमत प्रकट करने का ढंग निराला था, जिस वजह से मैंने इनसे जान-पहचान बढ़ाने का निश्चय कर लिया । हमारी मित्रता तो हो गई, पर शायद मैंने मिर्ज़ा से मित्रता करके एक बड़ी मुसीबत मोल ले ली । दरअसल, विरोध इनकी घुट्टी में मिला है । इधर मैंने कोई बात की, उधर झट उन्होंने उसका खंडन करते हुए कहा – आपका विचार शत-पतिशत गलत है । वास्तव में आप भी बहुत-से पढ़े-लिखों की तरह वज्र मुर्ख हैं ।  एक रोज़ मैंने बातों-बातों में ही कहा कि गर्मी के मौसम में हर रोज़ स्नान करना चाहिए । फिर क्या था, मिर्ज़ा तो मेरे पीछे ही पड़ गए । कहने लगे – दैनिक स्नान से भला क्या फ़ायदा ? क्या आपका शरीर केवल चौबीस घंटों में इतना मलिन हो जाता है कि आप स्नान की आवश्यकता अनुभव करते हैं ? आपको शायद नहीं पता है कि स्नान निहायत अप्राकृतिक विधान है । आपने कभी कीड़े-मकोड़ों, पशुओं या पक्षियों को स्नान करते देखा है ?  बड़ी हिम्मत से मैंने कहा कि चिड़ियों और भैंसों को नहाते तो आपने भी देखा होगा ।  इस मिर्ज़ा ने बड़ी चतुराई से जवाब दिया कि यह सब मनुष्य की कुसंगति का फल है । मेरा दावा है कि यदि मनुष्य नहाना छोड़ दे तो चिड़ियों और भैंसों को भी इस निरर्थक वहम से छुटकारा मिल सकता है ।

 

मिर्जा नुकता कहानी कन्हैयालाल कपूर
वैसे तो हर बात पर विरोध का पहलू तलाश लेना मिर्ज़ा की ख़ास विशेषता है, परन्तु विवाद ऋतु से संबंधित हो तो उस समय इनका परिसंवाद सुनने योग्य होता है । दुर्भाग्यवश इन्हें हर ऋतु से अकारण बैर है । मुझे याद है कि एक मैंने वसंत ऋतु की प्रशंसा कर दी । मिर्ज़ा ने मुझे आड़े हाथों लिया और बोले – मियाँ, अक्ल के मखाने लो, भला यह भी कोई मौसम है ।  इसके पश्चात् मैंने सोचा कि शायद इनको बरसात का मौसम पसंद हो तो मैंने उसका जिक्र किया, इस पर मिर्ज़ा पहले से अधिक बौखलाकर कहा – बरसात से अधिक वाहियात मौसम शायद ही कोई होगा । बाढें आती हैं तो इस मौसम में, हैज़ा फैलता है, घर टपकता है । बल्कि इसे मौसम कहने की बजाय ईश्वर का अभिशाप कहें तो बेहतर होगा । 


लेखक कन्हैयालाल जी कहते हैं कि एक दिन मैंने इरादा किया कि कोई ऐसी बात करूँ, जिसमें मिर्ज़ा कोई नुकता पैदा न कर सकें । मैंने कहा – हर व्यक्ति यह मानता है कि सूर्य पूर्व में उदय होता है और पश्चिम में अस्त होता है, इसपर आपका क्या विचार है ?  तब मेरी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने इस सार्वभौमिक सत्य में भी नुकता पैदा कर दिया । कहने लगे – भाई, जो कुछ लोग कहते हैं या जो पुस्तकों में लिखा है उसपर तुरंत विश्वास मत कर लिया करो । मेरी खोज के अनुसार तो सूर्य पूर्व की बजाय उत्तर-पूर्व में उदय होता है और दक्षिण-पश्चिम में अस्त होता है । विश्वास न आए तो कम्पास लेकर ख़ुद प्रयोग कर देख लो ।  अब इनकी ज्यादा परीक्षा लेना व्यर्थ था । 


एक रोज़ मिर्ज़ा के साथ एक अजीब हादसा हुआ, जिसके परिणामस्वरुप उनका हर एक बात पर नुकता करने की आदत चली गई । पंद्रह जनवरी की शाम को जब कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी, तो अचानक आकाश में अँधेरा छा गया तथा कुछ देर में बड़े-बड़े ओले पड़ने लगे । मिर्ज़ा और मैं बरामदे में ही खड़े थे और ये सारे दृश्य देख रहे थे । तभी मैंने कहा – अगर कोई व्यक्ति इन ओलों में घिर जाए तो उसका परमात्मा ही रक्षक है । वे मेरी बातों से सहमत नहीं हुए और मेरे बहुत मना करने के बावजूद भी वे अपने आँगन में जा खड़े हुए । जब दस-बारह ओले इनकी गंजी चंदियाँ पर पड़े तो चकराकर पृथ्वी पर गिर पड़े । उन्हें उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया गया । रात के ग्यारह बजे जब उन्हें होश आया तो हमें लगा जैसी हमारी मुलाक़ात एक नए मिर्ज़ा से हो रही है । आश्चर्य था, पर वे एक साधारण मनुष्य की तरह बातें करने लगे । जो कुछ भी हम कहते उससे वे सहमत हो जाते । सभी हैरान थे कि यह बदलाव मिर्ज़ा में कहाँ से आई । जब मिर्ज़ा से पूछा गया तो उन्होंने हँसकर जवाब दिया – मालूम होता है कि यह ओलों का चमत्कार है । ओलों ने मेरे मस्तिष्क की ढीली चूलों को कुछ इस तरह कस दिया है कि भविष्य में किसी बात में नुकता पैदा न कर सकूँगा...।।  




मिर्जा नुक्ता कहानी के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1- मिर्ज़ा को नुकता की उपाधि क्यों मिली ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, मिर्ज़ा को नुकता की उपाधि इसलिए मिली क्योंकि वे हर बात पर कुछ न कुछ दोष निकाल ही देते थे ।  


प्रश्न-2- नुकता पैदा करने का क्या अर्थ है ? 

उत्तर- नुकता पैदा करने का सीधा अर्थ यह है कि जानबूझकर किसी भी बात में गलतियाँ निकालना । 


प्रश्न-3- ओलों ने क्या चमत्कार कर दिखाया था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, ओलों ने मिर्ज़ा के मस्तिष्क की ढीली चूलों को कस दिया था, जिसकी वजह से उन्होंने भविष्य में किसी भी बात पर नुकता पैदा न करने की प्रतिज्ञा ली ।  


प्रश्न-4- “चिड़िया और भैंसों को नहाते तो आपने भी देखा होगा ?” – किसने किससे कहा ? 

उत्तर- लेखक ने मिर्ज़ा से कहा । 


प्रश्न-5- “कौन नहाने से सहमत नहीं था और क्यों ?” 

उत्तर- मिर्ज़ा नहाने से सहमत नहीं थे । क्योंकि वे इसे निरर्थक समझते थे । 


प्रश्न-6- प्रातःकाल सैर को जानेवाले लोगों के विषय में मिर्ज़ा के क्या विचार थे ?  

उत्तर- प्रातःकाल सैर को जानेवाले लोगों के विषय में मिर्ज़ा के यह विचार थे कि प्रायः ये लोग अनिद्रा के रोग से ग्रस्त होते हैं । जब प्रयत्न के बावजूद उन्हें नींद नहीं आती, तो उठकर सैर को चल देते हैं । 


प्रश्न-7- बरसात के मौसम के बारे में मिर्ज़ा ने क्या नुकता लगाया ? 

उत्तर- बरसात के मौसम के बारे में मिर्ज़ा ने यह नुकता लगाया कि बरसात से अधिक वाहियात मौसम शायद ही कोई होगा । बाढें आती हैं तो इस मौसम में, हैज़ा फैलता है, घर टपकता है । बल्कि इसे मौसम कहने की बजाय ईश्वर का अभिशाप कहें तो बेहतर होगा । 


प्रश्न-8- ओलों के बीच खड़े होकर वे क्या साबित करना चाहते थे ? 

उत्तर- मिर्ज़ा ओलों के बीच खड़े होकर यह साबित करना चाहते थे कि ओलों का सामना करने पर भी उन्हें कुछ नुकसान नहीं होगा । 



व्याकरण-बोध 


प्रश्न-9- विकल्पों में से मुहावरे का उचित अर्थ छाँटकर लिखिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • बाल भी बाँका न होना - हानि न पहुँचना 

  • सिर मुंड़ाते ही ओले पड़ना – कार्य के शुरू में ही बाधा आना 

  • हथेली पर सरसों जमाना – असंभव को संभव कर देना 

  • छाती पर मूँग दलना – पास रहकर दुःख देना 


प्रश्न-10- मंजूषा में दिए गए शब्दों को छाँटकर तालिका में लिखिए -  

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -


तत्सम 

तद्भव 

देशी 

विदेशी 

प्रातःकाल 

सच 

गंजी 

वहम 

श्रोतागण 

नींद 

चंदिया 

वाहियात 

ऋतु 

गर्मी 

लोरी 

ज़िक्र 

कुसंगति 

छुट्टी 

कंपास 

मेडिकल 



प्रश्न-11- निम्नलिखित वाक्यों में क्रियाविशेषण रेखांकित कर भेद लिखिए - 

उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है -

  • पहले मुझे जाने दो बाद में तुम आना । (रीतिवाचक क्रियाविशेषण)

  • हम कब तक उनका इंतज़ार करते रहेंगे । (कालवाचक क्रियाविशेषण)

  • जल्दी लिखो, बहुत धीरे लिखते हो । (रीतिवाचक क्रियाविशेषण)

  • मैं इधर जाऊँ या उधर जाऊँ । (स्थानवाचक क्रियाविशेषण)

  • थोड़ा खाया करो, तुम्हारा वज़न बढ़ रहा है । (परिमाणवाचक क्रियाविशेषण)




मिर्जा नुक्ता कहानी के शब्दार्थ हिंदी


  • तत्वदर्शिता – यथार्थ देखना 

  • उपाधि – योग्यता, पदवी 

  • हँसोड़ – हँसनेवाला 

  • अवश्यमेव – निश्चित रूप से 

  • नुकता पैदा करना – मीन-मेख निकालना 

  • लिहाज़ – ध्यान रखना, अदब 

  • युक्ति – विचार, उपाय 

  • श्रोतागण – सुननेवाले 

  • अनिद्रा – नींद न आना 

  • बेतकल्लुफ़ – बिना औपचारिकता के 

  • अभिमत – विचार, राय, इच्छा 

  • निहायत – बहुत ज्यादा, बिलकुल 

  • अक्ल के मखाने खाना – बौद्धिक क्षमता बढ़ाना 

  • अप्राकृतिक – प्रकृति से विपरीत, असामान्य 

  • वाहियात – बेहूदा, बदमाशी 

  • छिद्रान्वेषी – कमियाँ निकालनेवाला  । 

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