अचूक ओलंपियन अभिनव

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अचूक ओलंपियन अभिनव भारतीय निशानेबाज अभिनव की जीत की कहानी है, जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया था पाठ के प्रश्न उत्तर

अचूक ओलंपियन अभिनव 


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अचूक ओलंपियन अभिनव पाठ का सारांश

प्रस्तुत पाठ अचूक ओलंपियन अभिनव खेल जगत से संबंध है । इस पाठ में भारतीय निशानेबाज अभिनव की जीत की कहानी है, जिन्होंने बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया था । भारत ने 108 वर्षों के अपने ओलंपिक इतिहास का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बीजिंग ओलंपिक में किया, जिसमें भारतीय खिलाड़ियों की झोली में एक स्वर्ण और दो कांस्य सहित कुल तीन पदक आए । यह पहला मौका था, जब भारत ने एक ओलंपिक में तीन पदक जीता था । निशानेबाजी में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक हासिल करने का कारनामा किया था, कुश्ती में पहलवान सुशील कुमार ने और बॉक्सिंग में मुक्केबाज विजेंद्र कुमार ने कांस्य पदक अपने नाम किया था । इसी दौरान बैडमिंटन के महिला एकल मुकाबलों में सायना नेहवाल क्वार्टर फाइनल तक पहुँची । तीरंदाजी में महिला टीम ने क्वार्टर फाइनल तक का सफ़र तय किया । मुक्केबाजी में अखिल कुमार और जीतेन्द्र कुमार भी अपने-अपने प्रतिद्वंदियों को पछाड़ते हुए क्वार्टर फाइनल तक पहुँचे थे। 

ओलंपिक खेलों में हिस्सेदारी की शुरूआत से ही हर भारतीय चाहता था कि हमारा भी कोई खिलाड़ी विक्ट्री-स्टैंड पर सबसे ऊपर खड़ा हो, राष्ट्रगान की धुन पर तिरंगा हवा में लहरा रहा हो और खिलाड़ी के गले में सोने का तमगा पहनाया जा रहा हो । ओलंपिक के व्यक्तिगत मुकाबलों में 25 वर्षीय अभिनव बिंद्रा का स्वर्ण पदक जीतना उस एक सपने का सच होना है, जो करोड़ों भारतीय पीढ़ियों से देखते चले आ रहे थे । यूरोप के एक छोटे-से देश लिचटेनस्टीन की राजकुमारी ने अभिनव के गले में जब स्वर्ण पदक पहनाया, तब खेलों के महाकुंभ के इस संस्करण में भारत के राष्ट्रगान की धुन बजाई जा रही थी और विक्ट्री-स्टैंड के सबसे ऊँचे पायदान के ठीक पीछे अपना तिरंगा परचम लहरा रहा था । 
अचूक ओलंपियन अभिनव

अभिनव का जन्म 28 सितम्बर, 1982 में देहरादून में हुआ था । अभिनव के पिता का नाम ए. एस. बिंद्रा और माता का नाम बबली बिंद्रा था । जब वह पाँच साल का था तब एक दिन पिता ने घर लौटने पर देखा कि वह अपनी आया के सिर पर गुब्बारे रखवाकर बंदूक से निशाना साध रहा है । पिता को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि अभिनव निशाना साधने में ज़रा भी चूक नहीं कर रहा है । पिता ने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया तथा बेटे को निशानेबाज़ी के लिए प्रेरित करने के अलावा सभी सुविधाएँ देने का मन बना लिया । पिता ए.एस. बिंद्रा ने अपने फॉर्म हाउस में एक शूटिंग रेंज बनवाई ताकि अभिनव अभ्यास कर सके । यह व्यवस्था होते ही अभिनव पर तो जैसे अभ्यास की धुन सवार हो गई । वह प्रतिदिन घंटो अभ्यास करने लगा । परिवार ने उसकी मेहनत और लगन को देखते हुए उसे जर्मनी भेजकर शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने की कमांडो ट्रेनिंग दिलवाई । 

अभिनव की पढ़ाई चंडीगढ़ के सेंट स्टीफेंस स्कूल में हुई थी । निशानेबाज़ी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के बावजूद उसने कभी अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया । उसके स्कूल ने भी हमेशा उसका साथ निभाया । यहाँ तक कि एक बार उसके प्रधानाध्यापक ने शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों को समझा-बुझाकर कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षाएँ तक दुबारा आयोजित करवाई थीं ताकि वह सिडनी में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में भाग ले सके । अभिनव ने पूरी एकाग्रता के साथ एम.बी.ए. की परीक्षा भी पूरी की । 

अभिनव ने 12 बरस की उम्र में ही रोहतक ज़िला निशानेबाज़ी चैंपियन बनकर अपनी प्रतिभा की बानगी दे दी थी । उसने 1996 में पंजाब राज्य निशानेबाज़ी चैंपियनशिप में जूनियर और सीनियर स्तर पर छह स्वर्ण पदक जीते । अगले वर्ष राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया और 1998 में सीनियर स्तर पर राष्ट्रीय चैंपियन बना । 1999 में जूनियर चैंपियनशिप का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया और सैफ़ खेलों में स्वर्ण पदक जीता । सिडनी ओलंपिक 2000 में सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी के रूप में हिस्सा लिया । 2001 में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में छह स्वर्ण पदक जीते । इस उपलब्धि के बाद अभिनव को 2001 का राष्ट्रीय राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया । 2002 में मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में युगल वर्ग में स्वर्ण और व्यक्तिगत वर्ग में रजत पदक जीता । एथेंस ओलंपिक 2004 में ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ा।
 
तत्पश्चात् कमर की चोट अभिनव के करियर पर सबसे बड़े संकट के रूप में उभरी । उसे दोहा एशियाड से अपना नाम वापस लेना पड़ा था । लगा कि इस प्रतिभाशाली निशानेबाज़ का करियर खत्म हो जाएगा, पर अभिनव ने अदम्य जिजीविषा, दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य का परिचय दिया । उसे इलाज़ के लिए म्यूनिख भेजा गया । आख़िरकार, अभिनव एक साल बाद ही रेंज पर धमाकेदार वापसी की और 2006 में क्रोएशिया के जगरेब में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में खिताबी जीत हासिल कर बीजिंग ओलंपिक के लिए पात्रता अर्जित की । उसके बाद जो हुआ, वह सब इतिहास के रूप में पूरी दुनिया के सामने है । दुनिया के 17वें नंबर के खिलाड़ी अभिनव ने धैर्य और संयम से काम लेते हुए बीजिंग शूटिंग रेंज में वह कारनामा कर दिखाया जिसकी चाहत हर भारतवासी को पिछले आठ दशक से थी । 10 मीटर एयर राइफल सपर्धा में अभिनव का मुकाबला था, चीन के झूकिनान और फ़िनलैंड के हेनरी हैकिनेने से । इन दोनों को ही ख़िताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा था । परन्तु, अंतिम शॉट में अभिनव ने 10.8 अंक जुटाकर खिताबी मुक़ाबला को अपने नाम किया, जबकि झूकिनान 10.5 और हैकिनेने 9.7 अंक ही हासिल कर सके । इस तरह 11 अगस्त 2008 को अभिनव द्वारा जीता गया स्वर्ण पदक किसी भारतीय द्वारा किसी भी ओलंपिक में जीता गया पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक था... ।। 



अचूक ओलंपियन अभिनव पाठ के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1- बीजिंग ओलंपिक में भारत ने कुल कितने और कौन-कौन से मैडल जीते ? 
उत्तर- बीजिंग ओलंपिक में भारत ने कुल तीन पदक जीते, जिसमें एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक शामिल है । 

प्रश्न-2- बीजिंग ओलंपिक में अभिनव के अतिरिक्त और किन्हें पदक मिले ? 
उत्तर- बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाज़ अभिनव के अतिरिक्त कुश्ती में पहलवान सुशिल कुमार और बॉक्सिंग में मुक्केबाज़ विजेंद्र कुमार को पदक मिले ।   

प्रश्न-3- अभिनव एक दिन में कितना अभ्यास करता था ? 
उत्तर- अभिनव एक दिन में 12-14 घंटे अभ्यास करता था । 

प्रश्न-4- अभिनव के करियर पर क्या संकट आया था ? 
उत्तर- अभिनव के कमर में चोट लगने के कारण उसे राइफल उठाना भी मुश्किल हो गया था । उसे दोहा एशियाड से अपना नाम वापस लेना पड़ा था । इसी वक़्त लगा कि अभिनव का करियर खत्म हो जाएगा । 

प्रश्न-5- पिता ने बेटे की प्रतिभा को कैसे पहचाना ? 
उत्तर- एक रोज़ पिता ने घर लौटने पर देखा कि अभिनव अपनी आया के सिर पर गुब्बारे रखवाकर बंदूक से निशाना साध रहा है और अभिनव निशाना साधने में ज़रा भी चूक नहीं कर रहा है । इसी वक़्त पिता ने बेटे की प्रतिभा को पहचान लिया । 

प्रश्न-6- अभिनव ने अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं किया – यह बात कैसे सिद्ध होती है ? 
उत्तर- अभिनव खेल में भाग लेने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान लगाता था। 12वीं कक्षा में वाणिज्य संकाय में प्रथम स्थान भी हासिल किया था तथा एकाग्रचित होकर एम.बी.ए. तक की शिक्षा भी पूरी की थी । इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अभिनव ने अपनी पढ़ाई से कभी समझौता नहीं किया । 

प्रश्न-7- पाठ के आधार पर अभिनव की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए । 
उत्तर- अभिनव के अंदर अदम्य जिजीविषा, दृढ़ इच्छाशक्ति और धैर्य का मिश्रित गुण है । वह एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य के प्रति हमेशा समर्पित रहता और मुश्किल परिस्थितयों के सामने कभी घुटने नहीं टेका । 

प्रश्न-8- अभिनव ने बीजिंग ओलंपिक की पात्रता कैसे हासिल की ? 
उत्तर- अभिनव ने 2006 में क्रोएशिया के जगरेब में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में खिताबी जीत हासिल कर बीजिंग ओलंपिक के लिए पात्रता अर्जित की । 

प्रश्न-9- अभिनव का गोल्ड मैडल जीतना किन मायनों में महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- वास्तव में देखा जाए तो 11 अगस्त 2008 को अभिनव द्वारा जीता गया गोल्ड मैडल, किसी भारतीय द्वारा किसी भी ओलंपिक में जीता गया पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक था । इस तरह अभिनव ने पूरे भारतवासियों को गौरव का एहसास कराया और खेल जगत का महानायक बनकर उभरा । 


व्याकरण-बोध 
प्रश्न-10- दिए गए शब्दों में से शुद्ध शब्द छाँटकर लिखिए - 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
विरुद्ध 
बड़ाई 
श्रीमती 
जैसा 
व्याख्या 
प्रसंग 
विद्यालय 
विशेष 

प्रश्न-11- लिंग बदलकर उचित शब्द छाँटकर लिखिए - 
उत्तर- निम्नलिखित उत्तर है - 
तपस्विनी – तपस्वी 
दासी – दास 
पुत्री – पुत्र 
शहज़ादी – शहज़ादा 
वृद्ध – वृद्धा 
बुड्ढा – बुढ़िया 


अचूक ओलंपियन अभिनव पाठ से संबंधित शब्दार्थ  

सटीक – बिलकुल ठीक 
बेरोकटोक – बिना किसी रुकावट के 
पीढ़ियाँ – कुल या परिवार की वंश परंपरा 
घुट्टी – नवजात शिशु को पिलाई जानेवाली एक दवा 
एकाग्रचित – लक्ष्य की ओर मन होना 
अंतर्मुखी – जिसका स्वभाव भीतर की ओर हो 
वाणिज्य – व्यापार से संबंधित 
संकाय – शिक्षा संबंधी कोई विभाग 
स्पर्धा – प्रतियोगिता 
प्रतिबद्धता – किसी ख़ास उद्देश्य के प्रति संकल्प 
जिजीविषा – जीने की इच्छा । 

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