खंडित देवी | हिंदी कहानी

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खंडित देवी भटनागर ग्रुप ऑफ़ होटल का वह मालिक हैं। इस ग्रुप के होटल आपको हर छोटे बड़े शहर में मिल जाएंगे। लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं की दस साल

खंडित देवी

टनागर  ग्रुप ऑफ़ होटल  का वह मालिक हैं।  इस  ग्रुप के होटल आपको हर छोटे  बड़े  शहर  में  मिल  जाएंगे।  लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं की दस साल में इस ग्रुप ने इतनी तरक्की कैसे कर ली। भटनागर  ग्रुप ऑफ़ होटल गरीब ,कमजोर और शोषित लोगो को  आश्रय  भी प्रदान करता  हैं। यह सब करने की प्रेरणा उसे जिस देवी से मिली ,उसके दोबारा कभी दर्शन नहीं हुए। उसे तो उस देवी का नाम तक पता नहीं हैं। बस  उसकी तेरह चौदह साल साल पहले  की सुंदर ,मनोरम  और  मुस्कराहती  हुई तस्वीर  याद हैं ,उसके  गाल  गोल गोल थे और बहुत सुंदर थे , दूर से देखने पर चन्द्रमा जैसे प्रतीत होते थे।  उसके बाल काले और घने थे।  उसकी दो चोटी आगे की और उसके सीने से काफी नीचे तक थी। आँखें नीली नीली थी। ऐसा लग रहा था की मानो काले काले  मेघ के बीच  बिजली  चमक रही हो। 
                        
खंडित देवी | हिंदी कहानी
गरीबी ,भुखमरी  और  लाचारी भी बहुत बुरी  चीज हे। बह तब पांच साल का था।  दो साल से  गॉवँ में बारिश  नहीं हुई।  अकाल पड़ गया।  मजदूरी  मिलनी बंद हो गयी। गॉवँ में लोग भूख से मरने लगे  और त्राहि  त्राहि  मचने लगी। मजदूरी  हो नहीं पा रही थी। जवान मर्द और औरत  अपनी जिंदगी बचाने के लिए गावं  छोड़ कर भाग  रहे थे। उनेह बेसहारा बुजुर्ग  और बच्चो  की कोई चिंता नहीं थी।  बे बेचारे  भूख से तड़प तड़प  कर मर रहे थे।  ऐसे ही उसके माँ बाप जीने की चाह में उस को मरने के लिएगावं में  छोड़ कर चल दिए थे।पता नहीं बह कैसे  गावं से शहर  पहुँच गया।  भीख से और होटल के बहार झूठी  प्लेट  खा कर बह बड़ा हुआ  और दस साल की उम्र तक पहुँच गया। 
                            
उसे याद आता हे की बह लगभग दस साल का रहा होगा। एक  बड़ी सी स्वीट  की  दुकान पर खड़े हुए  दुकान में लगे हुए एक चित्र  को देख रहा था।  उस चित्र में एक भिखारिन  अपने बच्चे को  ग्राहकों द्वारा फंकी गयी झूठी  पत्तल में बचे हुए खाने को खिला रही थी।  यह अमीरजादे  भी बड़े  अजीब होते हैं।  अपने घरो और दुकानों में  गरीब और असहाय लोगो की तस्वीर लगा कर यह अमीरजादे पता नहीं  क्या सिद्ध करना चाहते हैं। 
                     
भूख की वजह से या अनजाने में उसका हाथ स्वीट की एक ट्रे में चला गया  और उसने एक स्वीट उठा ली।  बस दुकानदार  आग बबूला हो गया।  उसे बहुत पीटा और पुलिस के हवाले कर  दिया। पुलिस ने उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया और मजिस्ट्रेट ने उसे सुधार गृह में भेज दिया। 
                     
सुधार गृह में उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई जो कम उम्र के बच्चे चोरी या जेब कतरी में पकड़े जाते थे  उनको सुधारने का काम करती थी।  उस लड़की ने मुस्कराते हुए अपने पास बुलाया। सर और गालों पर अपना हाथ रखा और बोलना  शुरू किया ," मैं  जानती हूं , तुमने चोरी नहीं की  हैं। पर गरीबी अपने आप एक अपराध हैं। तुमेः मेहनत करनी हैं और सिर्फ मेहनत की रोटी  खानी हैं। जिस दिन तुम मेहनत ना कर सको ,उस दिन भूखे ही सो जायो। में में तुम्हें अपनी मेहनत के पे सो से एक हजार रुपए  दे रही हूं  और अपने मित्र का  पता दे रही  हूं।  बह कुछ काम करने में तुम्हारी मदद करेगा। 
                 
लड़की के मित्र ने उसकी काफी  मदद की।  उसे  चौराहे  पर ठेला लगाने की जगह  दिला दी। चौराहे पर बहुत भीड़ भार  रहती थी। उसने छोले  और चाट का ठेला  लगाया।  उसे बहुत लाभ  हुआ।  फिर उसने एक छोटा सा होटल खोल लिया और लोगो को काम पर रख लिया।  उसे और ज्यादा लाभ होने लगा। फिर उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।  एक होटल से दो होटल ,दो होटल से तीन होटल ,तीन होटल से चार होटल और इस तरह से दस साल में उसने सीरीज  ऑफ़  होटल  बना ली। 
                            
अपने ब्यस्तम समय में भी बह उस देवी  को भूल नहीं पाया  और हमेशा ईश्वर से प्राथना  करता रहता की बह एक बार उसे मिल जाय ताकि बह उसको बता सके की बह उसे बहुत प्यार करता हैं।  बह उससे शादी करना चाहता हैं। इसी लिए  उसने आज तक शादी नहीं की। इतना ही नहीं जब बह उससे मिल कर आया था  तभी उसने उस देवी  की मिट्टी की मूर्ति  बना ली थी।  आज भी बह उस देवी की मिट्टी की मूर्ति को अपने पास ऑफ़िस में रखता हैं  और उसकी सुबह शाम  पूजा  करता हैं। 
                        
आज फ़रबरी २०२२ का पहला  दिन हैं।  दिल्ली में भयंकर  शीत लहर चल रही हैं  और तेज बारिश के साथ ओले भी पड़ रहे हैं।  बह अपने  पांच  सितारा  होटल के ऑफ़िस के कमरे में बैठा हुआ हैं।  आज उसका मन बहुत  खिन्न हैं।  रह रह कर उस देवी की याद आ रही हैं।  ऐसा ही मौसम था जब उससे मुलाकात  हुई थी।  पता नहीं बह कंहा होगी। इस जन्म में उससे मुलाकात होगी भी या नहीं।  ऐसी उधेरबुन में बह अपनी कुर्सी पर गुम सुम सा बैठा हैं।
                        
उसके होटल का चीफ वेटर उसके कमरे में आता हैं  और कहता हैं ," सर , आधुनिक परिधान में एक महिला हैं।  उसने महंगी महंगी चीजें होटल में खाई हैं।  बड़ा बिल आया हैं।  पैसे नहीं दे  रही हैं।  कहती हैं ,अपने मालिक से बात कराए ।  उसने अनमने मन से कहा ," भेज दो । 
              
उस महिला के आते ही बह पहचान गया था की यह उसकी देवी ही हैं , किन्तु बह उसको पहचान ना सकी।  आते ही उसने अपनी साड़ी का पल्ला उतार दिया  और बोली ,"आईये , खाने की कीमत बसूल कर लीजिए । 
               
उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे आसमान से उठा कर जमीन पर पटक दिया  हो।  उसने ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था की उसकी देवी इस हाल में मिलेगी।  अब बह किसकी पूजा करेगा।  आज उसकी देवी खंडित हो गयी हैं।
                                            



- अशोक कुमार भटनागर ,
रिटायर वरिष्ठ लेखा अधिकारी ,
रक्षा लेखा विभाग , भारत सरकार 

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