नियति - डॉ भावना शुक्ल

SHARE:

नियति - डॉ भावना शुक्ल माँ की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी. बेटा नियति क्या हुआ आज अभी तक उठी नही ? बोली- माँ उठ गई हूँ , बस आई अभी. माँ कितने बजे है अभी.

नियति - डॉ भावना शुक्ल 


माँ की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी. बेटा नियति क्या हुआ आज अभी तक उठी नही ?
बोली- माँ उठ गई हूँ , बस आई अभी. माँ कितने बजे है अभी. 
माँ ने कहा – नौ बजे है. आज क्या कॉलेज नही जाना है ? 
नियति- क्या? नौ बजे है आज तो मैं कितना सोई समय का पता ही नही चला. वैसे  माँ आज कॉलेज की छुट्टी है. तभी तो निश्चिन्तता कि नींद सोई. 
अच्छा अब तू जल्दी से फ्रेश होकर नाश्ता कर और बाबूजी के लिए दवा लेकर आ. 
अच्छा माँ! अपने सपने के बारे में नियति मन ही मन सोचने लगी. गुनगुनाने लगी. 
माँ ने कहा – क्या बात है बेटा ! आज बड़ी चहक रही हो. कोई अच्छी खबर है क्या ? तुम्हारा कोई प्रमोशन- व्रमोशन होने वाला है क्या ?
हां माँ प्रमोशन ही समझो जल्दी से अच्छी खबर सुनने को मिलेगी.
इतना बोलते ही सोचा – अरे ! ये क्या मेरे मुँह से निकल गया.
अरे माँ ऐसा कुछ भी नही....कोई न्यूज नही  . 
ये क्या बोलती हो बेटा! क्या कुछ भी नही. 
अरे मेरी प्यारी अच्छी माँ ! जल्दी से कुछ अच्चा बना दो भूख लगी है. मन ही मन भगवान का स्मरण किया, सोचा जबान पर सरस्वती का वास होता है.जो होता है अच्छे के लिए ही होता है. और जो होगा वह अच्छे के लिए होगा. ये सोचकर मन गुदगुदाने लगा. 
नियति बेटा क्या सोचने लगी ? 
नही माँ कुछ भी नही. अच्छा ये बताओ आज मासी माँ आने वाली है.
हाँ बेटा – दो बजे तक आएगी. 
माँ अपना काम करिए. मैं आज कुछ स्पेशल बनाती हू. 
अरे वाह ! आज हमें हमारी बेटू के हाथ का खाने को मिलेगा. 
बस माँ आज छुट्टी है सो सोचा आपके काम में हाथ बटन दू. 
इतने में बाबूजी की आवाज आई- देखो बेटा ! कौन आया है. 
प्रणाम जीजाजी !
जुग –जुग जियो- सब ठीक है. 
हाँ सब कुशल मंगल है. 
माँ मासी माँ आ गई है.
नियति बहुत खुश हो गई मासी से मिलकर.
मासी- दीदी कैसी हो ?
ठीक हू . 
नियति बेटा चाय नाश्ता लाओ.
जी माँ लाई .
मासी-  नियति बेटा कैसी हो ?
जी मासी, अच्छी हूँ. आप बैठिये मैं चाय नाश्ता लेकर आती हूँ. 
मासी- दीदी नियति कैसी है. उसके बारे में कुछ सोचो. यश कहाँ है, कौनसी क्लास में पढ़ रहा है ? 
क्या बताऊँ , नियति को नियति को अपनी सही मंजिल नही मिली है ,न चाहते हुए भी अकेली है. 
मासी- दीदी  ! पर इस उम्र में अकेलापन काटने को दौड़ता है. 
सही कह रही हो पर अब क्या करूं, नियति को कौन समझाये ? 
यश मिलट्री स्कूल में बारहवी कक्षा में पढ़ रहा है. बस इसी की चिंता है, कुछ पढ़ लिख जाये. इसी से उम्मीदे है. 
मासी जी आप फ्रेश हो जाइये. 
होती हूँ  बेटा पर अब मैं सीधे खाना खाऊँगी.

माँ मासी आइये खाना मेज पर लग गया.
सबने साथ बैठकर कहाँ खाया. 
पिताजी- नियति आज बेटा खाना बहुत बढ़िया बनाया है. 
नियति अपने ख्यालो में खोई हुई थी चौंककर कहा – जी पिताजी. 
नियति सब काम खत्म करके अपने कमरे में गई.और आँख बंद करके वापिस अपने सपने को याद करने लगी. वह उस सपने मैं खोना चाहती है. 
इतने में मोबाइल की रिंग बजी. नियति का ध्यान भंग हुआ. 
हैलो कौन ?
दूसरी तरफ से किसी नौजवान का स्वर – हैलो – देखिए कल 12 बजकर 10 मिनट पर इस नम्बर से कॉल आई थी. 
नियति सोच में पड़ गई , मैंने तो नहीं की थी. 
फिर अचानक याद आया, कल कॉलेज में उसकी सहेली ने किया था. 
अच्छा आपका नाम अमन त्रिपाठी है क्या ? 
जी- जी हाँ पर आपको कैसे मालूम ? 
जी आप स्मृति सिन्हा को जानते है. 
जी बहुत अच्छे से वो मेरे दोस्त की वाईफ है. 
जी उन्होंने शादी के सन्दर्भ में फ़ोन किया था. 
क्या आप शादी करना चाहते है ? 
जी- जी याद आया मेरे दोस्त ने बताया था. मेरी वाईफ की एक दोस्त है जो शादी करना चाहती है.  क्या मैं पूछ सकता हू वो आप ही है ? 
नियति कुछ संकोच में – मैं ..जी..मैं ही हूँ . 
अच्छा जी आप क्या पूछना चाहती है पूछिए ?
जी आप मुझे अपना पूर्ण विवरण एस.एम.एस. कर दीजियेगा. फिर बाद में बात करेंगे. 
ओके नमस्ते जी . 
अगले ही पल एस.एम.एस. भी आ गया. 
नियति एस.एम.एस. पढ़कर झूमने लगी. 
उसका मन हिलोरे खाने लगा. ऐसा लगा जैसे उसको अपनी मंजिल मिल गई हो. 
वह एस.एम.एस. में इतनी खो गई और खोती चली गई. उसमे उसे किसी के आने का एहसास हुआ. एक धुंधली सी आकृति नजर आई. जो मन की गहराइयों में झाँकने की कोशिश कर रही है. 
अचानक एक झटका सा लगा, जैसे वो नींद से जागी हो. सोचा अरे ! ये क्या देख रही थी. कहा खो गई थी. वो क्या सपना था एक ख्वाब.
क्या वो हकीकत में  साकार होगा ? 
क्योंकि नाम, उम्र, जाति सब कुछ उसके समकक्ष है. विचार भी मिल जाये तो बहुत अच्छा है. ये तो हमारा मानना है. हमारी सोच है, वो क्या सोचते है. यदि किस्मत साथ दे तो ईश्वर की मेहर है. 
नियति ने सोचा फोन करके उनकी राय जान लेनी चाहिए. 
फोन किया पर उठा नही. 
नियति उदास हो गई और न जाने क्या क्या सोचने लगी. पता नही फोन क्यों नही उठाया. 
ये सब भाग्य की बातें हैं मेरी किस्मत में शादी का सुख है भी या नही, जीवन का सच्चा  सुख नसीब से मिलता है. जब कभी कॉलेज की सहेलियां तरह तरह की बातें करती तो तब अच्छा नही लगता था. 
नियति - डॉ भावना शुक्ल
डॉ भावना शुक्ल

लेकिन बात तो बिल्कुल सच है. उम्र के इस मुकाम पर जो खालीपन है...अधूरापन है वो एक सच्चा साथी ही भर सकता है. वास्तव में एक सच्चे साथी की तलाश है. 
अचानक फोन की रिंग से नियति का ध्यान भंग हुआ. 
हैलो- सॉरी मैं मीटिंग में था सो फोन ना उठा सका. 
जी अच्छा कोई बात नही. 
एस.एम.एस.के विषय में क्या ख्याल है. जानकारी से आप संतुष्ट है न ? 
जी ख्याल उचित है मैं अपना संदर्भ मेरी दोस्त के माध्यम से पिताजी तक पहुँचवा दूंगी. वे आपसे बात कर लेंगे. क्योंकि मुझे स्वयं कहने में झिझक महसूस हो रही है. 
मुझे ये जानकर प्रसन्नता हुई की आप इस उम्र में भी इतना अच्छा सोचती है, लिहाज करती है. सच तो है बड़ो का फर्ज उन्हें ही निभाने दे. 
क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ ? 
जी अमन, जी मेरा नाम नियति दुबे है. मैं कॉलेज में प्रोफेसर हूँ. 
अरे वाह आपका नाम तो बहुत अच्छा  है.और आपके इस फैसले को नियति जरुर मिलेगी ऐसा मेरा मानना है. 
जी सकारात्मक सोच यदि होगी तो अवश्य सफलता मिलेगी. कहते है  व्यक्ति जैसा सोचता है उसके ही मुताबिक सब कुछ होता है. 
इसी तरह मैंने  हमेशा संघर्षो का सामना किया है. फिर भी कभी हार नहीं मानी न ही कभी नकारात्मक सोचा है. 
नियति जी एक मिनट...जैसा आपने कहा आपने संघर्षो का सामना किया है. क्या आप मुझे अपने जीवन का वह पहलू बतायेंगी, यदि एतराज ना हो तो मैं भी जान सकूँ. 
 जी जरुर आपको तो बताना मेरा फर्ज है. 
मैं जब 22 साल की थी तब मेरी शादी एक बड़े घराने के इंजीनियर लड़के से हो गई थी. घर पर सब ठीक था किसी भी चीज़ की कमी नही थी. 
मेरे माता पिता ने भी दहेज़ देकर घर भर दिया. फिर भी वहाँ रहकर मुझे अपनापन का अनुभव नही हुआ. सास ससुर कभी भी खुश नज़र नही आये. पतिदेव भी रोज़ रात देर से आते और शराब पीकर आते थे. उन्हें मैं यदि कुछ कहती तो वे आवेश में आकर हाथ भी उठाते. नई नवेली दुल्हन का सुख मुझे नसीब भी न हुआ. 
दिन बीतते गये, कितने दिन मैं ये सब सहती. मैंने सोचा सासू माँ से कहूँ शायद वो मेरा दर्द समझे और अपने बेटे को समझाएंगे. मैंने एक दिन मौका देखकर उन्हें सब बताया और वे निशान भी दिखायें जो बिना कसूर में मारे थे. इतना सुनते ही उनके क्रोध की ज्वाला धधक उठी जैसे वे इस दिन का इंतजार कर रही थी. 
कर्कश स्वर में बोली – खबरदार मेरे बेटे पर कोई इल्जाम लगाया तो- तुम औरत हो ! तुममे ताकत नहीं  की मेरे बेटे को संभाल सको. जरुर कोई कमी होगी तुममे जो तुम उसे बांध ना सकी. उसे दूसरे के दरवाजे पर जाना पड़ा. शराब का सहारा लेना पड़ा. बिचारा क्या करे. 
मैं कुछ और कहने वाली थी कि मेरा मुँह पकड लिया मैं अपने बेटे के खिलाफ एक लफ्ज भी नही सुन सकती. अगर कुछ कहा तो मुँह नोच लूंगी.
मैं चुप रही और जैसे ही आगे बढ़ी. सासू  के सर पर गुस्से का भूत सवार था, उन्होंने झटके से मेरी छोटी खींच  ली. बोली ज्यादा बोलना नही – नही तो बाल जला दूंगी.  (मेरे बाल बहुत लम्बे थे.) मैंने छुड़ाने की बहुत कोशिश की बहुत चीखी चिल्लाई..  सासू ने मोमबती से आधे बाल जला दिये. और तो और यह कहकर छोड़ा ..खबरदार..अगर किसी से कहा ..आवाज निकाली तो देख लूँगी . 
मैं रोती  रही , रोते रोते कमरे में पहुँच गई. सारी रात यूँही बीत गई. पतिदेव का अतापता नही. 
ऐसे ही दिन बीतते गए.माँ बाप के दिए संस्कारो के कारण सब कुछ सहती रही.
एक दिन पति महोदय जल्दी आ गये और बहुत प्यार जताने लगे. लेकिन मुझे अब प्यार नही उनके नजदीक आते ही घृणा की बूँ आती है. लेकिन एक अबला क्या करती. बस सोचती रही कितने सपने संजोये थे हमने अच्छे जीवन साथी के लेकिन सब ढेर हो गये. 
मन इतना भारी हो रहा था. सोचा माँ पिताजी से मिलने जाऊं लेकिन कोई जाने नही देता था. बस मन मार मार कर घर पर ही सारा समय बीत जाता. सारा दिन मौन किससे बात करूँ. कहीं आना जाना नही. किसी पिंजरे में कैद पंछी की भांति जीवन व्यतीत कर रही थी. 
एक दिन महसूस हुआ की मैं माँ बनने वाली हूँ. बहुत खुश हुई चलो कोई तो मेरी जिन्दगी में आने वाला है अपना. लेकिन अगले ही पल पतिदेव का चेहरा सामने आया, अपने आपसे घृणा होने लगी. फिर सोचा शायद इस बच्चे के दुनिया में आने से सब ठीक हो जाये. 
आज पतिदेव जब आये तब मैं उनका इंतजार कर रही थी. सोचा आज मैं उन्हें सब बातें बताऊँगी सासू जी के अत्याचार की भी. शायद बच्चे की खबर सुनकर खुश हो जाये. 
पतिदेव को मैंने जैसे ही बताया आप पापा बनने वाले हो. उनकी कोई खास प्रतिक्रिया नही हुई. मैंने धीरे धीरे सासू जी के अत्याचार का खुलासा किया. जैस ही मेरी बात खत्म हुई तुरंत अपनी जगह से उठे और आव देखा ना ताव मारना चालू किया फिर जोर से धक्का मारा. मैं जमीन पर गिर गई. 
गिडगिडाती रही मत मारो .. मैंने क्या बिगाड़ा जो माँ बेटे मिलकर मुझ पर अत्याचार कर रहे है. इतना ही था तो शादी क्यों की. मेरा जीवन नरक बना दिया. मेरे सपनो को कुचल दिया. उन्होंने कुछ जवाब न दिया और सो गये. मैं जमीन पर पड़ी सिसकती रही. 
रात अँधेरी थी मैंने  देखा सब लोग सो रहे है मैंने  धीरे धीरे उठने का प्रयास किया. 
मन ने कहा नियति अब इस घर में रुकने का कोई मतलब नही, जब पति ही अपना नही तो रुकने का क्या फायदा. 
धीरे -धीरे थोड़ा समान बैग में भगवान् का नाम  लेकर निकल पड़ी अपने माता पिता के पास. ऑटो रिक्शा किया. रात  के करीब 3.30 बजे थे मैं पहुँच गई अपने माता पिता के पास. वे भौच्चके से देखते रहे इतने बजे रात अकेली...क्या बात है..? 
मैंने रोते रोते सारी बातें बताई. उनका मन बहुत दुखी हुआ. वे बोले – बेटा मेरा चुनाव ही गलत हो गया, मुझे माफ़ कर दो बेटा .
नहीं पापा ! मेरी किस्मत में यही था तो मै क्या करूँ . 
सवेरे होते ही माँ डॉक्टर  के पास ले गई. भगवन का लाख लाख शुक्र है सब ठीक ठाक है. 
माँ ने कहा – बेटा अच्छा मन और विचार रखो. बच्चे पर माँ के मन का असर होता है. 
कुछ समय बाद मैंने  एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया, जो इस समय कक्षा बारहवी में पूना मिल्ट्री स्कूल में पढ़ रहा है. 
आसपास के रिश्तेदारों से पता चला उसकी शादी जबरदस्ती की गई थी. वह कहीं और बंधा हुआ था. बेटा फ़िक्र न करो जैसी करनी वैसी  भरनी. आजकल पता चला है. तुम्हारे पतिदेव अस्पताल में भर्ती है कैंसर से पीड़ित है. सास ससुर बिस्तर पर है. 
चची मेरे पास तलाक  का नोटिस आया था मैंने  दस्तखत करके दे दिया. 
कुछ समय बाद पता चला उनका स्वर्गवास हो गया. लेकिन  अमन जी मैंने  कभी इन सबका बुरा नही चाहा , सब ईश्वर पर छोड़ दिया. और मेरी किस्मत में जितने दुःख लिखे थे .उतने मुझे मिले.
परिवार और बेटे की जिद्द ने मैं मुझे दुबारा शादी करने के लिए बाध्य किया, नहीं  तो ऐसा कभी सोचा नही था. 
नियति प्लीज़ अब चुप हो जाओ. आगे  एक शब्द न कहना. तुम्हारा इतिहास जानकर मन भारी हो गया है. अब मैं जल्दी से जल्दी तुमसे मिलना चाहता हूँ. मैं कल तुम्हारे घर तुम्हारा रिश्ता मांगने आ रहा हू. मुझे किसी माध्यम की अवश्यकता नही. मेरा इंतजार करना. 
अगले दिन अमन नियति का रिश्ता माँगने गये. पिताजी को अपना इतिहास सुनाया. उन्होंने कहा – मेरा भी तलाक का केस चल रहा है. जल्दी ही तलाक हो जायेगा .
पिताजी ने कहा – बेटा ! तलाक मिलने पर शादी की मंजूरी दूंगा. तब तक तुम तीनो एक दूसरे  को जानो, समझो. 
दो माह बाद कोर्ट की तारीख है , सब ठीक हो जायेगा. 
इस बीच बेटा यश भी आया. यश को अमन अपना –सा लगने लगा. समय बीतता गया. कोर्ट की तारीखे आई और चली गई. फिर अगली तारीख दे दी गई.
नियति खीझ गई अमन से, कहा – जल्दी फैसला क्यों नहीं  हो रहा है. 
तब अमन ने कहा- नियति दीप्ति को पता चल चूका है हम शादी करने वाले है. अब अच्छी खासी रकम और फ्लेट की मांग कर रही है. जबकि पहले तलाक वही चाहती थी. इसने मुझे कभी सुख नही दिया और अब आसानी से पीछा भी नही छोड़ रही. मन बहुत परेशान है नियति क्या करूं ?
एक दिन कॉलेज में मैंने नियति को उदास उदास देखा –“ नियति क्या हुआ.बस नियति के आंसू है की बरखा की तरह थमने का नाम ही नही ले रहे. कुछ मत स्मृति क्या कहू पता नही सुख है भी जीवन में की यूँही भटकती रहूंगी सुख की तलाश में. 
तब मैंने सलाह दी , अमन से कहो पिताजी से बात करे की हम लोग गाँव जाकर बस जाते है. वहाँ अमन अपना तबादला करवा ले और भगवान को साक्षी मानकर मंदिर में शादी कर लो. छोडो तलाक के केस को.. जब होना होगा..तब होगा अभी अपना जीवन क्यों ख़राब कर रहे हो. 
नियति को बात जंची, उसने स्मृति को धन्यवाद दिया. 
नियति ने अमन से इस संदर्भ में बात की. यह सुनकर अमन भी खुश हुआ क्योंकि अपने गाँव में उसे आसानी से तबादला मिल सकता है. 
अमन ने तबादले के लिए पत्र लिखा और उसे प्रमोशन के साथ कमिश्नर का पद भी मिला. 
माँ पिताजी भी अमन की बात पर राजी हो गये.
कुछ समय बाद कर्नाटक के छोटे से गाँव में बस गये. वहाँ अच्छा खासा बड़ा बंगला मिला. माता पिता भी बहुत खुश थे. भगवान को साक्षी मानकर दोनों ने शादी की. 
समय बीतता गया है आज फोन आया, नियति मुम्बई आई है. कॉलेज आने वाली है. सब खुश थे. 
नियति ने आकर अपना इस्तीफा दिया. उसे देखकर हमें बहुत अच्छा लगा की वह बहुत खुश है. 
नियति अपने परिवार के साथ प्रसन्नतापूर्वक सुखी जीवन व्यतीत कर रही है. 
कोर्ट की तारीखें आती है और चली जाती है. सिलसिला यूँही चल रहा है. 

****************************************** 


डॉ. भावना शुक्ल 
c 904 प्रतीक लॉरेल
 सेक्टर 120 नोएडा दिल्ली एनसीआर 
पिन.. 201307
bhavanasharma30@gmail.com 

COMMENTS

Leave a Reply: 10
  1. हार्दिक बधाई भावना जी । बहुत बढ़िया कहानी लिखी है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया कहानी लिखी है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही भावपूर्ण और खूबसूरत कहानी 🌹🌹
    इतनी सुन्दर कहानी के लिए बधाई स्वीकारें भावना जी

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी और भावपूर्ण कहानी ��
    अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें भावना जी

    जवाब देंहटाएं
  5. Very nice story...... selection of the topic is quite thoughtful with well balanced vocabulary and emotions... very good 👍 keep it up

    जवाब देंहटाएं
  6. Very Nice Story. Truly gasps the readers. Keep up the good work !!

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका