धनतेरस पर भाषण आदरणीय अतिथिगण, सम्मानित शिक्षकगण, प्रिय मित्रों और मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, नमस्कार!आज मैं आप सभी के समक्ष एक ऐसे पावन अवसर पर खड़ा
धनतेरस पर भाषण
आदरणीय अतिथिगण, सम्मानित शिक्षकगण, प्रिय मित्रों और मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, नमस्कार!आज मैं आप सभी के समक्ष एक ऐसे पावन अवसर पर खड़ा हूं जो न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि हमारे जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की कामना को भी जागृत करता है।
जी हां, मैं बात कर रहा हूं धनतेरस की, जो दिवाली के पांच दिनों के इस उज्ज्वल पर्व की शुरुआत का वह स्वर्णिम क्षण है, जहां अंधकार को दूर करने के लिए हम प्रकाश की पहली किरण जलाते हैं। धनतेरस, जिसे धन्वंतरि त्रयोदशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन हमें सिखाता है कि जीवन में धन का महत्व तो है ही, लेकिन उससे भी बड़ा महत्व है स्वास्थ्य का, क्योंकि बिना स्वस्थ शरीर के कोई सुख या समृद्धि अधूरी रह जाती है।
कहानी की ओर चलें तो धनतेरस का मूल हमें पुराणों की गहराइयों में ले जाता है। एक बार समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु के अवतार धन्वंतरि जी प्रकट हुए, हाथ में अमृत कलश लिए हुए, जो स्वास्थ्य और आयुर्वेद का प्रतीक था। उसी क्षण माता लक्ष्मी भी प्रकट हुईं, जो धन और वैभव की देवी हैं। राजा हाहा और हिरण्यनक्ष नामक दो भाइयों की कथा भी इस पर्व को और भी जीवंत बनाती है। राजा हाहा को एक यक्षिणी ने श्राप दिया था कि त्रयोदशी को यदि कोई उसके महल में प्रवेश कर गया तो वह मर जाएगा। लेकिन धन्वंतरि जी की कृपा से राजा ने उस दिन चंदन की लकड़ी का द्वार बनवाया, जो धन का प्रतीक था, और यमराज के दूत को रोक लिया। इस तरह धनतेरस धन की रक्षा और स्वास्थ्य की प्राप्ति का संदेश देता है। यह कथा हमें बताती है कि विपत्तियों के बीच भी यदि हम सकारात्मकता और विश्वास रखें, तो जीवन की हर चुनौती को पार किया जा सकता है।अब बात करें इस पर्व के रीति-रिवाजों की, जो हमारी परंपराओं की जीवंतता को दर्शाते हैं। धनतेरस का दिन सुबह से ही उत्साह से भरा होता है। लोग स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और घरों को लीप-पोतकर सजाते हैं। मुख्य पूजा शाम को होती है, जब यमराज के नाम से दीप जलाए जाते हैं, ताकि मृत्यु के देवता प्रसन्न हों और परिवार को दीर्घायु का वरदान दें। लेकिन धनतेरस का विशेष आकर्षण है खरीदारी का। मान्यता है कि इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या कोई धातु का सामान खरीदने से घर में धन की बरकत आती है। क्यों न हो? क्योंकि यह दिन माता लक्ष्मी का प्रिय है, और जो वस्तु इस तिथि पर प्राप्त की जाती है, वह वर्ष भर सुख-समृद्धि लाती है। बाजारों में चमकती दुकानें, लोगों की भीड़, और हंसी-खुशी का माहौल—यह सब धनतेरस को एक उत्सव का रूप दे देता है। लेकिन याद रखें, यह खरीदारी लोभ या दिखावे के लिए नहीं, बल्कि भावना से की जाती है, ताकि हमारा जीवन संतुलित और समृद्ध बने।
आज के आधुनिक युग में धनतेरस का महत्व और भी प्रासंगिक हो गया है। जहां एक ओर हम तनावपूर्ण जीवन जी रहे हैं, वही दूसरी ओर आर्थिक अनिश्चितताएं हमें घेरे हुए हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि धन कमाना ही सब कुछ नहीं, बल्कि उसे सही उपयोग करना और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आवश्यक है। आजकल लोग योग और आयुर्वेद की ओर लौट रहे हैं, जो धन्वंतरि जी की देन है। धनतेरस हमें सिखाता है कि सच्ची समृद्धि वह है जो सभी के साथ बांटी जाए, जो परिवार को मजबूत बनाए और समाज को मजबूत करे। यदि हम इस दिन की भावना को अपनाएं, तो न केवल हमारा व्यक्तिगत जीवन उज्ज्वल होगा, बल्कि हमारा देश भी समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छू लेगा।
अंत में, मैं आप सभी को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहूंगा। आशा करता हूं कि यह पावन दिन आपके जीवन में धन्वंतरि जी की कृपा से अपार स्वास्थ्य, माता लक्ष्मी की कृपा से असीमित समृद्धि और यमराज की प्रसन्नता से दीर्घायु प्रदान करे।
जय श्री लक्ष्मी! जय धन्वंतरि!
धन्यवाद।


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