दीपावली पर भाषण दिवाली पर भाषण Speech on Diwali In Hindi नमस्ते, आदरणीय अतिथियों, शिक्षकों, मित्रों और मेरे प्यारे साथियों। आज हम सभी यहाँ एकत्र हुए
दीपावली पर भाषण दिवाली पर भाषण Speech on Diwali In Hindi
नमस्ते, आदरणीय अतिथियों, शिक्षकों, मित्रों और मेरे प्यारे साथियों।
आज हम सभी यहाँ एकत्र हुए हैं उस पर्व को मनाने के लिए जो भारत की संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक है—दीपावली, जिसे हम दीवाली या दीपों का त्योहार भी कहते हैं। यह अवसर केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में प्रकाश, आनंद और एकता का संदेश लेकर आता है। दीपावली का नाम सुनते ही मन में एक विशेष उमंग और उत्साह जाग उठता है। यह वह समय है जब हम अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और अपनों के साथ खुशियाँ साझा करते हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि इस त्योहार का असली महत्व क्या है? यह सिर्फ़ पटाखों, मिठाइयों और नए कपड़ों तक सीमित नहीं है। इसका अर्थ इससे कहीं गहरे और व्यापक है।
दीपावली का त्योहार हमें अंधेरे पर प्रकाश की विजय की याद दिलाता है। यह वह पर्व है जो हमें सिखाता है कि चाहे जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, कितना भी अंधेरा छाए, सत्य और अच्छाई का प्रकाश हमेशा जीतता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनकी वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने घरों को दीपों से सजाया था। यह दीप जलाने की परंपरा आज भी हमारे बीच जीवित है, जो हमें यह विश्वास दिलाती है कि सच्चाई और प्रेम का मार्ग कभी नष्ट नहीं होता। इसके अलावा, दीपावली का संबंध माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से भी है। हम माँ लक्ष्मी से धन-समृद्धि और भगवान गणेश से बुद्धि और सौभाग्य की प्रार्थना करते हैं। यह पूजा केवल भौतिक समृद्धि के लिए नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और सद्गुणों की प्राप्ति के लिए भी की जाती है।
दीपावली का एक और खूबसूरत पहलू है इसका सामाजिक महत्व। यह वह समय है जब हम अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ एकजुट होते हैं। हम एक-दूसरे के घर जाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और प्यार भरे क्षणों को साझा करते हैं। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि खुशियाँ बाँटने से बढ़ती हैं। एक छोटा सा दीया, जो अकेले जलता है, उतना प्रभाव नहीं डालता, लेकिन जब सैकड़ों दीये एक साथ जलते हैं, तो वे पूरे वातावरण को रोशन कर देते हैं। ठीक उसी तरह, जब हम अपने मन के अहंकार, द्वेष और नकारात्मकता को त्यागकर दूसरों के साथ प्रेम और सद्भावना से जुड़ते हैं, तो हमारा समाज और हमारा जीवन और अधिक सुंदर बन जाता है।
आज के समय में, दीपावली का उत्सव नई चुनौतियों के साथ भी आता है। हम देखते हैं कि कुछ लोग इस पर्व को केवल दिखावे और खर्चे तक सीमित कर देते हैं। पटाखों का अंधाधुंध उपयोग न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि हमारे आसपास के जीव-जंतुओं और बुजुर्गों के लिए भी परेशानी का कारण बनता है। हमें यह समझना होगा कि दीपावली का असली आनंद शोर में नहीं, बल्कि शांति और सादगी में है। हमें पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी याद रखना चाहिए। हम दीपावली को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मना सकते हैं—जैसे कि मिट्टी के दीये जलाकर, प्राकृतिक रंगोली बनाकर और अनावश्यक पटाखों से बचकर।
दीपावली हमें आत्ममंथन का भी अवसर देती है। यह वह समय है जब हमें अपने अंदर की बुराइयों—जैसे क्रोध, लालच, और ईर्ष्या—को जलाकर अपने मन को शुद्ध करना चाहिए। जैसे हम अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, वैसे ही हमें अपने मन और विचारों की भी सफाई करनी चाहिए। एक सच्चा दीया वही है जो न केवल बाहर के अंधेरे को मिटाए, बल्कि हमारे अंतर्मन के अंधेरे को भी दूर करे।
अंत में, मैं यही कहना चाहूँगा कि दीपावली केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक जीवनशैली है। यह हमें हर दिन अपने जीवन में प्रकाश फैलाने की प्रेरणा देता है। आइए, इस दीपावली पर हम संकल्प लें कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी खुशियाँ बाँटेंगे। हम अपने समाज में प्रेम, एकता और सकारात्मकता का दीया जलाएँगे। आइए, इस दीपावली को हम सच्चे अर्थों में एक उज्ज्वल, शांतिपूर्ण और पर्यावरण के प्रति जागरूक पर्व के रूप में मनाएँ।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
धन्यवाद!


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