गुरु नानक जयंती पर भाषण Guru Nanak Jayanti Speech

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गुरु नानक जयंती पर भाषण Guru Nanak Jayanti Speech आदरणीय श्रोतागण, नमस्ते और वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह! आज हम सब इस पावन अवसर पर एक

गुरु नानक जयंती पर भाषण Guru Nanak Jayanti Speech


दरणीय श्रोतागण,
नमस्ते और वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह!  
आज हम सब इस पावन अवसर पर एकत्र हुए हैं, ताकि सिख धर्म के संस्थापक, प्रथम गुरु और मानवता के महान मार्गदर्शक, गुरु नानक देव जी की जयंती, जिसे गुरुपुरब के नाम से जाना जाता है, को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाएं। यह दिन केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो हमें उनके जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को याद करने और उन्हें अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी, जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, में हुआ था। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी विश्व भर में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो हमें सत्य, प्रेम, करुणा और समानता का मार्ग दिखाती हैं।

गुरु नानक जयंती पर भाषण Guru Nanak Jayanti Speech
गुरु नानक जयंती कार्तिक मास की पूर्णिमा को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन गुरुद्वारों में प्रभात फेरी, कीर्तन, गुरबाणी का पाठ और लंगर का आयोजन होता है। ये सभी गतिविधियां गुरु नानक देव जी के संदेश को जीवंत करती हैं, जो हमें सिखाती हैं कि जीवन का असली मकसद है सत्य की खोज, मेहनत और ईमानदारी से जीना, और अपनी खुशियां दूसरों के साथ बांटना। यह पर्व हमें न केवल उत्सव मनाने का मौका देता है, बल्कि यह भी प्रेरित करता है कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें।गुरु नानक देव जी का जीवन एक ऐसी मिसाल है, जो हमें सिखाता है कि धर्म का सच्चा अर्थ है मानवता की सेवा, सत्य की खोज और सभी के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव। उन्होंने अपने समय में समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, रूढ़ियों और असमानता के खिलाफ आवाज उठाई। उस समय समाज जाति, धर्म और सामाजिक स्थिति के आधार पर बंटा हुआ था। लोग कर्मकांडों और आडंबरों में उलझे हुए थे। ऐसे समय में गुरु नानक देव जी ने एक साधारण, सादगी भरा और सत्य पर आधारित जीवन जीने का संदेश दिया। उनका मानना था कि ईश्वर एक है, और वह हर प्राणी में समान रूप से निवास करता है। उनका सिद्धांत “इक ओंकार” – एक परम सत्य – यही बताता है कि ईश्वर सभी में है, और हमें किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।

गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों में तीन मुख्य सिद्धांतों पर विशेष जोर दिया: “नाम जपो, किरत करो, वंड छको”। पहला, “नाम जपो” – अर्थात् ईश्वर का नाम स्मरण करो। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा परमात्मा से जुड़े रहना चाहिए और अपने मन को शुद्ध रखना चाहिए। दूसरा, “किरत करो” – अर्थात् मेहनत और ईमानदारी से काम करो। यह सिद्धांत हमें अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाने और स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा देता है। तीसरा, “वंड छको” – अर्थात् अपनी कमाई को जरूरतमंदों के साथ बांटो। यह सिद्धांत हमें उदारता और सेवा का महत्व सिखाता है। ये तीनों सिद्धांत आज के युग में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। आज के भौतिकवादी और स्वार्थपूर्ण समाज में, गुरु नानक जी का यह संदेश हमें सादगी, सेवा और प्रेम की राह पर चलने के लिए प्रेरित करता है।गुरु नानक देव जी ने लंगर की परंपरा शुरू की, जो समानता और भाईचारे का प्रतीक है। लंगर में हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग या सामाजिक स्थिति का हो, एक साथ बैठकर भोजन करता है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि सभी मनुष्य बराबर हैं और हमें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सम्मान का भाव रखना चाहिए। आज भी गुरुद्वारों में लंगर की यह परंपरा जीवित है, जो गुरु नानक जी के संदेश को हर दिन जीवंत रखती है।

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवनकाल में चार लंबी यात्राएं कीं, जिन्हें “उदासियां” कहा जाता है। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने भारत, मध्य एशिया, अरब और अन्य कई क्षेत्रों का भ्रमण किया। वे जहां भी गए, उन्होंने लोगों को सत्य, प्रेम और मानवता का संदेश दिया। उन्होंने विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों के लोगों से मुलाकात की और उनके साथ अपने विचार साझा किए। उनकी शिक्षाएं केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं थीं, बल्कि वे सार्वभौमिक थीं, जो हर इंसान को जोड़ती थीं। उनकी वाणी, जो आज गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है, हमें जीवन का सही मार्ग दिखाती है। उनकी रचनाएं, जैसे जपजी साहिब, हमें सिखाती हैं कि हमें सत्य और प्रेम के साथ जीना चाहिए और अपने जीवन को ईश्वर की भक्ति में समर्पित करना चाहिए।गुरु नानक जयंती का यह पावन अवसर हमें न केवल उनके जीवन को याद करने का मौका देता है, बल्कि हमें आत्ममंथन करने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में लागू करने का भी अवसर देता है। आज के समय में, जब समाज में असहिष्णुता, विभाजन और स्वार्थ बढ़ रहा है, गुरु नानक देव जी का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि हमें अपने अंदर की अच्छाई को जागृत करना है, दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना है, और सत्य के मार्ग पर चलते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।

आज के इस पवित्र अवसर पर, आइए हम सब संकल्प लें कि हम गुरु नानक देव जी के दिखाए मार्ग पर चलेंगे। हम अपने जीवन में सत्य, प्रेम और सेवा को अपनाएंगे। हम यह प्रयास करेंगे कि हमारी सोच और हमारे कार्य समाज में एकता और भाईचारा बढ़ाने में योगदान दें। गुरु नानक जयंती का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन का असली मकसद है दूसरों के लिए जीना, प्रेम बांटना और सत्य की खोज में निरंतर आगे बढ़ना।  अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं एक ऐसी ज्योति हैं, जो हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाती हैं। 

आइए, इस गुरुपुरब को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाएं और उनके संदेश को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।  

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह!

धन्यवाद।


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