5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य: हम कहाँ तक पहुँचे और आगे की राह

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5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य: हम कहाँ तक पहुँचे और आगे की राह भारत ने 2019 में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था: 2024-25 तक अपनी

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य: हम कहाँ तक पहुँचे और आगे की राह


भारत ने 2019 में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था: 2024-25 तक अपनी अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाना। यह लक्ष्य न केवल आर्थिक विकास का प्रतीक था, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से प्रेरित था। आज, जब हम इस लक्ष्य की समय-सीमा के करीब हैं, यह उचित है कि हम यह मूल्यांकन करें कि हम कहाँ तक पहुँचे हैं और भविष्य की राह कैसी होगी। यह लेख भारत की आर्थिक यात्रा, उपलब्धियों, चुनौतियों और आगे के रास्ते पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

आर्थिक प्रगति

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य: हम कहाँ तक पहुँचे और आगे की राह
भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1991 के आर्थिक सुधारों ने भारत को वैश्वीकरण की ओर अग्रसर किया और एक बंद अर्थव्यवस्था से एक खुली, बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था की नींव रखी। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने तेजी से आर्थिक विकास देखा और 2019 तक इसकी जीडीपी लगभग 2.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई थी। उस समय 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य, जो 2024 तक प्राप्त करना था, निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी था, लेकिन भारत की युवा आबादी, बढ़ते मध्यम वर्ग और तकनीकी प्रगति को देखते हुए इसे असंभव नहीं माना गया। सरकार ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए, जिनमें मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और बुनियादी ढाँचे के विकास पर भारी निवेश शामिल थे। इन पहलों का उद्देश्य था विनिर्माण को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन करना और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाना।

कोविड-19 का प्रभाव

2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दिया और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियाँ ठप हो गईं, आपूर्ति श्रृंखलाएँ बाधित हुईं और लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई। 2020-21 में भारत की जीडीपी में 6.6% की गिरावट दर्ज की गई, जो दशकों में पहली बार था। इस संकट ने 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया। हालांकि, भारत ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया, जिसमें स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने, छोटे और मध्यम उद्यमों को सहायता प्रदान करने और स्वास्थ्य व बुनियादी ढाँचे में निवेश पर जोर दिया गया। 2021-22 में अर्थव्यवस्था ने जोरदार वापसी की और 8.7% की वृद्धि दर्ज की। इसके बाद 2022-23 में जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई, और कुछ अनुमानों के अनुसार, 2023 में यह 4 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई। यह प्रगति निश्चित रूप से उत्साहजनक है, लेकिन 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य अभी भी कुछ दूरी पर है।

मजबूत आधार

वर्तमान में, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसने ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और अन्य वैश्विक एजेंसियों ने अनुमान लगाया है कि भारत 2027-28 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है, जो मूल लक्ष्य से कुछ साल विलंबित है। इस विलंब के पीछे कई कारण हैं। पहला, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, जैसे यूक्रेन संकट, बढ़ती महंगाई और ऊर्जा कीमतों में उतार-चढ़ाव, ने भारत के निर्यात और आयात को प्रभावित किया है। दूसरा, रुपये की विनिमय दर में कमजोरी ने डॉलर के संदर्भ में जीडीपी के आकार को कम किया है। तीसरा, घरेलू चुनौतियाँ जैसे बेरोजगारी, ग्रामीण क्षेत्रों में कम खपत और निजी निवेश में सुस्ती ने भी आर्थिक वृद्धि को प्रभावित किया है।

इन चुनौतियों के बावजूद, भारत के पास कई मजबूत आधार हैं जो इसे 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य की ओर ले जा सकते हैं। भारत की युवा और कुशल कार्यबल एक बड़ा लाभ है। डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत की प्रगति, जैसे यूपीआई, डिजिटल बैंकिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम, ने इसे वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में स्थापित किया है। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में भारत का ध्यान भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत नींव रख रहा है। सरकार ने बुनियादी ढाँचे के विकास पर भी भारी निवेश किया है, जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग, हवाई अड्डे, बंदरगाह और रेलवे, जो आर्थिक गतिविधियों को गति दे रहे हैं। उत्पादन-संबंधित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) ने इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित किया है।

वैश्विक अवसर

हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान देना आवश्यक है। सबसे पहले, शिक्षा और कौशल विकास में निवेश को बढ़ाना होगा। भारत की युवा आबादी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण जरूरी है। दूसरा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आय और खपत बढ़ाने के लिए कृषि सुधार, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और सूक्ष्म-वित्त की उपलब्धता पर जोर देना होगा। तीसरा, निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत स्थिरता और व्यापार करने में आसानी को और बेहतर करना होगा। चौथा, सामाजिक समावेश पर ध्यान देना होगा। लैंगिक असमानता, कुपोषण और गरीबी जैसी समस्याओं का समाधान किए बिना समग्र विकास संभव नहीं है। अंत में, पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देनी होगी। भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए हरित प्रौद्योगिकियों और टिकाऊ विकास मॉडल को अपनाना होगा।

भविष्य की दिशा

आगे की राह चुनौतियों और अवसरों से भरी है। वैश्विक स्तर पर, भारत को आपूर्ति श्रृंखला में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में उभरने का मौका है, खासकर जब कई कंपनियाँ चीन से बाहर निवेश के नए गंतव्य तलाश रही हैं। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) जैसे व्यापार समझौतों और क्वाड जैसे भू-राजनीतिक गठबंधनों में भारत की भूमिका इसे वैश्विक व्यापार और निवेश का केंद्र बना सकती है। घरेलू स्तर पर, सरकार को राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए आर्थिक सुधारों को गति देनी होगी। टैक्स सुधार, श्रम कानूनों में लचीलापन और विनिवेश जैसे कदम निजी क्षेत्र का विश्वास बढ़ा सकते हैं।

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य केवल एक आर्थिक आँकड़ा नहीं है; यह भारत के लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर, अधिक अवसर और वैश्विक मंच पर गौरव का प्रतीक है। भले ही इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कुछ वर्षों का विलंब हो, भारत की आर्थिक प्रगति और संभावनाएँ निर्विवाद हैं। यह यात्रा एक मैराथन है, न कि एक दौड़, और भारत के पास इसे पूरा करने की क्षमता और दृढ़ संकल्प दोनों हैं। एक समावेशी, टिकाऊ और नवाचार-प्रधान अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, भारत न केवल 5 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करेगा, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भी उभरेगा।

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