मन जीता जग जीता विषय पर निबंध

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मन जीता जग जीता विषय पर निबंध मन जीता जग जीता एक प्रसिद्ध कहावत है जो यह बताती है कि यदि हम अपने मन पर विजय प्राप्त कर लें तो पूरी दुनिया हमारे कदमों

मन जीता जग जीता विषय पर निबंध


न जीता जग जीता एक प्रसिद्ध कहावत है जो यह बताती है कि यदि हम अपने मन पर विजय प्राप्त कर लें तो पूरी दुनिया हमारे कदमों में होगी। मनुष्य का मन बहुत चंचल और अशांत होता है। यह कभी एक जगह टिकता नहीं है और निरंतर भटकता रहता है। यदि हम इस चंचल मन को नियंत्रित कर लें, तो हम जीवन में किसी भी लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। मन की शक्ति असीम है। यदि मन में सकारात्मक विचार हों और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है।

मन जीता जग जीता विषय पर निबंध
मनुष्य के समस्त कर्म आत्मबल पर निर्भर करते हैं। अगर मनुष्य मन से टूट जाता है या निराश हो जाता है तो लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सांत्वना उसके अंदर आत्मविश्वास और साहस नहीं ला सकती। यदि उसका मनोबल ऊँचा है तो वह कठिन से कठिन कार्य भी सरलता और सहजता से कर लेता है। थोड़े साधनों में बड़ी-से-बड़ी योजना बनाना और उसे मूर्तरूप देकर क्रियान्वित करना केवल दृढ़प्रतिज्ञ व्यक्ति ही कर सकता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करना दृढ़ इच्छाशक्ति से ही संभव है। 

साहसी व्यक्ति को शक्ति उधार नहीं माँगनी पड़ती है। उनकी प्रबल इच्छाशक्ति ही बल प्रदान करती है। हमें चाहिए कि हम अपने सामने फैले अनाचार से लड़ें, अज्ञान और अंधविश्वास से लड़ें। पर इन सबसे पहले ज़रूरी है कि हम दृढ़प्रतिज्ञ मन की शक्ति अर्जित करें। दृढ़ इच्छाशक्ति से किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता।

महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़ने पर मन में यह विचार आता है कि उनमें कौन-सी ऐसी असाधारण शक्ति थी जिससे उन्होंने कल्पनातीत कार्य करके दिखलाए। विचार करने पर ज्ञात होता है कि वह और कुछ नहीं उनकी प्रबल इच्छाशक्ति तथा मनोबल का ही परिणाम था। अन्यथा थोड़े से वीर मराठों को लेकर शिवाजी लड़ नहीं पाते।
 
ऊँचा मनोबल मानव उन्नति का मूलमंत्र है। इतिहास साक्षी है, अंग्रेज़ों के विशाल सैन्य बल के सामने जब भारतीयों ने स्वतंत्रता का शंखनाद किया तब उनके पास बाँस की एक लाठी भी नहीं थी। केवल मनोबल ही था जिसने अंग्रेज़ों की अजेय शक्ति को देश से उखाड़ फेंका।

मनोबल युग का गिरे नहीं, मनोबल चलो उठाते चलें, 
इसी से करें सृजन युग का, धरा को स्वर्ग बनाते चलें ।
 
उपलब्धि के अंतिम चरण पर पहुँचने में मन में यदि ज़रा-सा भी संशय आया, ज़रा-सी भी निराशा उपजी तो आप अपने-आप ही ऊँचाई से नीचे गिरते हुए नज़र आएँगे। मन की जीत तभी संभव है जब वह व्यक्ति के वश में हो ।
 
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। 
कहे कबीर पिऊ पाइए मन ही के परतीत ॥
 
भगवान बुद्ध ने भी सूत्र दिया 'अप्प दीपो भव' अर्थात् अपना दीपक आप बनो। दूसरों के दीपक के प्रकाश में चलने की कोशिश मत करो क्योंकि कोई भी दूर तक तुम्हारा साथ नहीं दे पाएगा।
 
यदि हम सोचें तो पाएँगे कि कोई भी विचार पहले मन में आता है फिर धीरे-धीरे बढ़ता है। यदि उसे हमारे मनोबल का सहारा मिलता है तो वह पूर्णता प्राप्त कर लेता है। हमारा मन और हमारी आत्मिक शक्ति हमारे शरीर रूपी रथ के घोड़े हैं। इन्हीं से हमारा जीवन चलता है। इन्हीं से मानव जल, थल व आकाश पर विजय पाई है।
 
असंभव से संभव बनाने वाली संकल्प शक्ति का जनक 'मन' मानव से सब कुछ करवा सकता है। संस्कृत में एक श्लोक है जिसका अर्थ है- तीव्र आँधी केवल वृक्षों को ही उखाड़ने में समर्थ होती है, लेकिन पर्वत को हिला भी नहीं पाती। सबल मन वाला मानव स्वयं अपने भाग्य का निर्माता होता है। उसे अपनी मानसिक शक्ति व भुजाओं के बल पर विश्वास होता है। इसी के बल पर आज मानव चाँद पर जा पहुँचा है।
 
एक नहीं, दो नहीं, ऐसे अनेक व्यक्तियों के उदाहरणों से इतिहास के पन्ने भरे पड़े हैं जिन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और संकल्पशक्ति के द्वारा अपनी हार को जीत में बदल दिया।मन ही जीत की सफलता की जननी है। मन की निराशा उन्नति और सफलता के सारे रास्ते बंद कर देती है। इसलिए यह उक्ति उतनी ही सटीक है जैसे आकाश में सूर्य-
 
तुम उठो धरती उठे नभ सिर उठाए 
तुम चलो गति में, नई गति झनझनाए 
विपथ होकर मैं तुम्हें झुकने न दूँगा 
प्रगति के पथ पर बढ़ाने आ रहा हूँ । 

आज के समय में मन को जीतना और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि हमारे चारों ओर नकारात्मकता और तनाव का माहौल है। सोशल मीडिया, प्रतिस्पर्धा और भागदौड़ भरी जिंदगी में मन शांत रहना मुश्किल हो गया है। लेकिन यदि हम अपने मन को शांत और स्थिर रख सकें, तो हम जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।



मन को जीतने के लिए ध्यान, योग और आत्मचिंतन जैसे उपाय बहुत मददगार होते हैं। इनके माध्यम से हम अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं और उसे सही दिशा में ले जा सकते हैं। जब मन शांत होगा, तो हमारे विचार सकारात्मक होंगे और सकारात्मक विचारों से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।इस प्रकार, मन जीता जग जीता का अर्थ है कि यदि हम अपने मन को जीत लें, तो पूरी दुनिया हमारे वश में होगी। मन की शक्ति को पहचानकर और उसे सही दिशा में लगाकर हम जीवन में ऊँचाइयों को छू सकते हैं। इसलिए, हमें हमेशा अपने मन को मजबूत और स्थिर बनाने का प्रयास करना चाहिए।

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