पत्रकारिता का अर्थ उद्देश्य महत्व और कर्तव्य

SHARE:

पत्रकारिता का अर्थ उद्देश्य महत्व और कर्तव्य पत्रकारिता समाज का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। यह सूचनाओं का संग्रह, विश्लेषण, सम्पादन और प्रसार

पत्रकारिता का अर्थ उद्देश्य महत्व और कर्तव्य


त्रकारिता समाज का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। यह सूचनाओं का संग्रह, विश्लेषण, सम्पादन और प्रसारण करके लोगों को घटनाओं, विचारों और मुद्दों से अवगत कराने का काम करता है।

पत्रकारिता का उद्देश्य

पत्रकारिता में जन-सेवा को विशेष महत्त्व दिया गया है। महात्मा गाँधी ने कहा है कि "मानव-सेवा ही पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य है।" पत्रकारिता का प्रमुख उद्देश्य है- सम्पूर्ण समाज में नव-संचार, सजीवता, जागरण, नवस्फूर्ति, सक्रियता और गतिमयता के संदेश का प्रचार और प्रसार करना। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इण्डिया, नयी दिल्ली के भवन शिलान्यास के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने कहा था- "पत्रकारिता एक उद्योग से कहीं ज्यादा जनसेवा है। इसका परम उद्देश्य खबरों को एकत्र करना, उन्हें छापना और प्रसारित करना है। यह काम उसे पूरा, सही-सही और जहाँ तक संभव हो, निःस्वार्थ भावना से करना चाहिए। उसका लक्ष्य होना चाहिए कि वह लोगों को अधिक जानकारी देकर उन्हें अधिक अच्छे तरीके से जाँचने और निर्णय लेने में सहायता प्रदान करे।"
 
पत्रकारिता के उद्देश्यों के सम्बन्ध में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये थे- "पत्रकारिता का पहला उद्देश्य जनता की इच्छाओं और विचारों को समझना और उन्हें व्यक्त करना है। दूसरा उद्देश्य जनता में वांछनीय भावनाओं को जाग्रत करना तथा तीसरा उद्देश्य सार्वजनिक दोषों को निर्भीकतापूर्वक प्रकट करना है।" समाज को बदलना पत्रकारिता का ही उत्तरदायित्व है।
 
पत्रकारिता के प्रमुख चार उद्देश्य माने गये हैं- 
  • सूचना देना - पत्रकारिता द्वारा विभिन्न, सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक, व्यापारिक, पारिवारिक, विज्ञान, खेल-कूद आदि अनेक क्षेत्रों की नव्यतम सूचनाओं से पाठकों को अवगत कराया जाता है।
  • व्याख्या करना- सामान्य पाठकों को सूचना के गूढ़ रहस्यों की जानकारी देने के लिए समाचार-पत्रों तथा पत्रिकाओं में विभिन्न समाचारों एवं घटनाओं की व्याख्या की जाती है। 
  • मार्गदर्शन करना- आज पत्रकारिता जन-शिक्षा का एक प्रभावशाली व सशक्त माध्यम बन चुका है। यह विविध-क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ग के पाठक को पूरक शिक्षा प्रदान करता है। अनेक प्रकार के लेख पाठकों का मार्गदर्शन करते हैं। 
  • मनोरंजन करना - समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में फ़िल्मी दुनिया, हास्य-व्यंग्य आदि के नियमित कॉलम बने होते हैं, जो पाक के मनोरंजन की आवश्यकता को भी पूरा करते हैं।अच्छे और स्वस्थ समाज की परिकल्पना करते हुए पत्रकारिता इन उद्देश्यों को करती है।
 

पत्रकारिता की उपयोगिता

एक पत्रकार के लिए उसकी आत्मा ही सच्चे अर्थों में उसकी पथ-प्रदर्शिका होती है। सुश्री महादेवी वर्मा ने पत्रकारिता की उपयोगिता को समझाते हुए अपनी मान्यता इस प्रकार व्यक्त की है- "पत्रकारिता एक रचनाशील विधा है। इसके बगैर समाज को बदलना असम्भव है। अतः पत्रकारों को अपने दायित्व और कर्तव्यों का निर्वाह निष्ठापूर्वक करना चाहिए, क्योंकि उन्हीं के पैरों के छालों से इतिहास लिखा जायेगा।"
 
पत्रकारिता का अर्थ उद्देश्य महत्व और कर्तव्य
समाज में पत्रकारिता का स्थान पत्रकारिता का समाज में क्या स्थान है? इसका मूल्यांकन करने के लिए निम्नलिखित मानदण्ड निर्धारित किये जा सकते हैं-

1. पत्रकारिता की सार्थकता, 
2. सामाजिक जनमत को प्रतिबिम्बित करना, 
3. समाज को उचित दिशा-निर्देश देना, 
4. समाज को मनोरंजन-सामग्री देना।

उपर्युक्त मानदण्डों की कसौटी पर खरी उतरने वाली पत्रकारिता निश्चित ही एक नये समाज का निर्माण करती है। वस्तुतः पत्रकारिता सच्ची घटनाओं या वास्तविक तथ्यों-कथ्यों पर इस प्रकार प्रकाश डालती है कि अन्त में वह कल्याणकारी समाज के निर्माण में सहायक सिद्ध होती है- अथच 'बहुजन हिताय' की भावना का साधन बन जाती है। पत्र-पत्रिकाओं के लेखों और टिप्पणियों में सच्चाई एवं वास्तविक तथ्य होने के कारण उनका प्रभाव समाज पर अवश्य पड़ता है। पत्रकारिता समाज को सचेत, सावधान और जागरूक बनाती है। पत्र-पत्रिकाएँ आज के युग की लोक-गुरु हैं। पत्र-पत्रिकाएँ मानव-समाज को उसके कर्तव्यों का बोध कराती हैं और शासक वर्ग को सतर्क करती हैं। इस प्रकार, पत्रकारिता की समाज को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। अस्तु, पत्रकारिता के आदर्श का संवहन करने वाली पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका समाज के अग्रदूत रूप में प्रशंसनीय श्लाघनीय है।

पत्रकारिता का कर्त्तव्य

समाज को प्रभावित करने के लिए पत्र-पत्रिकाओं, विशेषकर दैनिक पत्रों में स्थानीय समाचार को भी स्थान देना चाहिए। साथ ही देशी-विदेशी समाचारों के अतिरिक्त व्यापार, वाणिज्य, जनपदीय, प्रान्तीय, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय खेल-कूद के समाचारों को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।
 
सांस्कृतिक समारोहों, सम्मेलनों, संगोष्ठियाँ, कवि-सम्मेलनों, मुशायरों तथा साहित्यिक समारोहों को भी पत्रकारिता में स्थान अवश्य देना चाहिए। इनके अतिरिक्त, पत्रकारिता को खेती-बारी, खेती-किसानी सम्बन्धी समस्याओं की ओर भी ध्यान देना चाहिए।
 
वास्तव में आज पत्रकारिता ही सम्पूर्ण विश्व का दर्पण बनकर हमारे समक्ष सही और वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करती है। वस्तुतः, "पत्रकारिता ने ही मानवता के ज्ञान और चेतना में अभिवृद्धि की है, मूक विचारों को वाणी दी है और मानव के स्वप्निल भावों में रंग भरा है।" पत्रकारिता ने ही "साहित्यिकों की ऊँची उड़ान, धर्म-गुरुओं का दिव्यज्ञान, वैज्ञानिकों की महत खोज और प्रयोग को आकाश से उतार कर सर्वसाधारण के लाभ के लिए धरती पर ला दिया।"
 
किसी लेखक का कहना है कि "पत्रकारिता जनता की सेवक है। यह न मालिकों के प्रति उत्तरदायी है और न किसी सरकार या अधिकारी के प्रति सिर झुकाने को बाध्य है। उसे जनता के सामने जवाब देना है।"
 

पत्रकारिता का दायित्व

पत्रकारिता को समाज के प्रति गुरुतर दायित्व का निर्वाह करना पड़ता है। समाज के विस्तृत व व्यापक क्षेत्र को देखने पर यह ज्ञात होता है कि उसका हर एक क्षेत्र पत्रकारिता के अन्तर्गत आ सकता है। अतः पत्रकारिता के निम्नलिखित दायित्व हो सकते हैं :
  1. समाज को उचित दिशा-निर्देश देना। 
  2. गरीबी उन्मूलन अभियान चलाना। 
  3. नव्यतम आर्थिक योजनाओं का परिचय देना।
  4. सामाजिक बुराइयों व कुरीतियों को उद्घाटित और विश्लेषित करना। 
  5. धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर विचार करना। 
  6. राजनीतिक अधिकारों के सम्बन्ध में आम जनता को सावधान और सचेत करना। 
  7. सरकारी नीतियों का प्रचार-प्रसार करना। 
  8. नयी-नयी शिक्षा नीतियों तथा उपलब्धियों को सामान्य जनता के मध्य ले जाना।
  9. महिला वर्ग से सम्बन्धित समस्याओं का गुण-दोष-परक विवेचन करना। 
  10. बाल-कल्याण-कार्यक्रम की जानकारी कराना। 
  11. विज्ञापन के माध्यम से परिवार नियोजन की महत्ता की जानकारी आम जनता को देना । 
  12. मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना करना । 
  13. विज्ञान की नयी-नयी उपलब्धियों को जनता तक पहुँचाना। 
  14. दलितोत्थान-समस्या एवं मानवाधिकार का विवेचन-विश्लेषण करना। 
  15. राष्ट्र की अखण्डता की सुरक्षा और राष्ट्रीय अस्मिता का बोध कराना। 

पत्रकारिता के उपर्युक्त दायित्वों के अतिरिक्त और भी दायित्व हैं, यथा- हिन्दू कोड बिल, किशोर-किशोरियों का मुक्त मिलन, सेक्स-शिक्षा, जात-पाँत के बन्धन को तोड़ने के लिए, अन्तर्जातीय विवाह, स्त्री-पुरुष के समान अधिकार, विवाह-विच्छेद के प्रश्न, शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार, युवक-युवतियों में बढ़ते नशीले एवं मादक पदार्थों का प्रयोग, विधवाओं की दयनीय दशा, भ्रष्टाचार-कदाचार दुराचार आदि। 

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका