आत्मकथा किसे कहते हैं उदाहरण उद्देश्य सहित

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आत्मकथा किसे कहते हैं उदाहरण उद्देश्य सहित आत्मकथा एक महत्वपूर्ण साहित्यिक विधा है आत्मकथा एक गद्य रचना है जिसमें लेखक अपने जीवन का वर्णन स्वयं करता

आत्मकथा किसी ख्यात लेखक या व्यक्ति के जीवन की आत्माभिव्यक्ति है


त्मकथा एक गद्य रचना है जिसमें लेखक अपने जीवन का वर्णन स्वयं करता है। यह लेखक के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं, अनुभवों, विचारों और भावनाओं का एक क्रमबद्ध विवरण होता है। आत्मकथा में लेखक अपने जीवन के सभी पहलुओं को उजागर करता है, जिसमें उसकी सफलताएं और असफलताएं, खुशियां और दुख, और उपलब्धियां और हार सभी शामिल होते हैं।

आत्मकथा किसी ख्यात लेखक या व्यक्ति के जीवन की आत्माभिव्यक्ति है। इसमें विगत जीवन के महत्त्वपूर्ण, तलस्पर्शी और उपदेशात्मक प्रसंगों का सम्बद्ध वर्णन होता है। यह लेखक की आपबीती और जगबीती है। 

आत्मकथा किसे कहते हैं उदाहरण उद्देश्य सहित
स्वरूप डायरी, संस्मरण, व्यक्तिगत निबंध - ये सभी आत्मकथा के स्फुट रूप हैं, किन्तु आत्मकथा में एक व्यापक पृष्ठभूमि में जीवन के अनुभवों और अनुभूतियों का क्रमिक निरूपण होता है। हिन्दी में आत्मकथा आत्मचरित और आत्मचरित्र नाम से भी प्रचलित है। वास्तव में, ये पर्यायवाची शब्द हैं और इन शब्द-रूपों में कोई तात्विक अन्तर नहीं है। फिर भी, इनमें सूक्ष्म अंतर बताया गया है। वह यह है कि आत्मचरित कहलाने वाली रचना विश्लेषणात्मक और विवेकप्रधान होती थी और अब आत्मकथा कही जाने वाली कृति अपेक्षया अधिक रोचक और सुग्राह्य होती है। आत्मकथा भी एक प्रकार की जीवनी है। किन्तु, जीवनी आत्मकथा से भिन्न है। चरित्रनायक की जीवन कथा दूसरा व्यक्ति लिखता है और आत्मकथा की रचना सम्बद्ध व्यक्ति या लेखक स्वयं करता है। आत्मकथा प्रथम पुरुष में लिखी जाती है। यह जीवनी या पत्र-शैली में भी लिखी जा सकती है। साहित्य में आत्मकथा स्वतंत्र विधा के रूप में स्थान बना चुकी है।

आत्मकथा के उदाहरण

  • जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा: यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई आत्मकथा है। इसमें उन्होंने अपने बचपन, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी, और प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का वर्णन किया है।
  • महात्मा गांधी की आत्मकथा: यह महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई आत्मकथा है। इसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया है, जिसमें उनके बचपन, शिक्षा, दक्षिण अफ्रीका में उनका जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका, और उनके विचारों और दर्शन का वर्णन शामिल है।
  • अमृता प्रीतम की आत्मकथा: यह अमृता प्रीतम द्वारा लिखी गई आत्मकथा है। इसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया है, जिसमें उनके बचपन, शिक्षा, साहित्यिक जीवन, और उनके विचारों और दर्शन का वर्णन शामिल है।

आत्मकथा लेखन का उद्देश्य

आत्मकथा लिखने के पीछे कौन-कौन सी प्रेरणाएँ कार्य करती हैं- इन्हें जान लेने पर आत्मकथा का स्वरूप और स्पष्ट हो जाएगा। मुख्यरूप से इसकी तीन प्रेरक भावनाएँ हैं-
  • आत्मनिर्माण, आत्मपरीक्षण या आत्मसर्पण, अतीत की स्मृतियों को पुनर्जीवित करने का मोह या जटिल विश्व के उलझावों में अपने-आपकों अन्वेषित करने का सात्त्विक मोह। इस प्रकार के आत्मकथात्मक साहित्य के पाठकों में सर्वप्रमुख स्वतः लेखक होता है, जो आत्मांकन द्वारा आत्मपरिष्कार एवं आत्मोन्नति करना चाहता है।
  • दूसरा उद्देश्य यह है कि लेखक के अनुभवों का लाभ अन्य लोग भी उठा सकें। यदि धर्म, राजनीति अथवा साहित्य के इतिहास-निर्माण में किसी व्यक्ति का महत्त्वपूर्ण हाथ रहा हो, तो अवश्य ही पाठक उस व्यक्ति के बारे में स्वयं उसकी लिखी बातों को पढ़ना पसन्द करेंगे। 
  • आत्मकथा-लेखन के मूल में कलात्मक अभिव्यक्ति की प्रेरणा भी हो सकती है। इन्हीं प्रेरक उद्देश्यों से प्रभावित होकर आत्मकथा की रचना होगी है। 

आत्माभिव्यक्ति मनुष्य की सहज दुर्बलता है। जीवन में रहते हुए उसने जो कटु-मधु अनुभव प्राप्त किए, उनसे जो शिक्षा मिली और उसके जीवन-निर्माण में जो सहायता मिली, सुख-दुःख की अनुभूतियाँ हुईं, उन्हें वह अपने तक सीमित रखने में असमर्थ पाता है। वह उन्हें दूसरों तक पहुँचाकर अशान्ति के भार को हलका करना चाहता है आत्मकथा में आत्माभिव्यक्ति ही उसकी आत्मा है। यहाँ वह आत्मगोपन नहीं करता, बल्कि दर्पण की तरह सब कुछ खोलकर पाठकों के सामने रख देने का प्रयास करता है। यही कारण है कि आत्मकथा में केवल गुणों का बखान नहीं होता, बल्कि उसमें ह्रास और पतन के सभी प्रसंगों का उल्लेख रहता है। उच्चकोटि की आत्मकथा में ये दोनों बातें पाई जाती हैं। 

हिन्दी में जैन कवि बनारसीदास की 'अर्धकथा' हिन्दी की पहली आत्मकथा मानी जाती है। साहित्य की इस विधा का भविष्य उज्जवल है। जीवनी की तरह यह भी विकसित हो रही है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 'आत्मकथा' में इस विधा के सभी गुण पाए जाते हैं। 

आत्मकथा एक महत्वपूर्ण साहित्यिक विधा है। यह लेखक को अपने जीवन का दस्तावेजीकरण करने, अपने अनुभवों और विचारों को साझा करने, और आत्म-अनुभूति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। आत्मकथा पाठकों को भी प्रेरित कर सकती है और उन्हें जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकती है.

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