हां, यह मेरा घर है | हिंदी लघु कथा

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हां, यह मेरा घर है रीना की शादी एक ऐसे लड़के के साथ हुई थी जो शराबी था।शराब पीता था। बाहर जाकर अय्याशी करता था और रात में रीना को मारता था। घसीट-घसीट

हां, यह मेरा घर है


रीना की शादी एक ऐसे लड़के के साथ हुई थी जो शराबी था।शराब पीता था। बाहर जाकर अय्याशी करता था और रात में रीना को मारता था। घसीट-घसीट कर मारता था।लात घुसों से मारता था। जमीन पर पटक देता था। बालों को खींच कर मारता था। ऐसा था रीना का पति। जल्लाद सा हो जाता था। बेचारी रीना कुछ नही बोलती थी।

रीना पति को भगवान की तरह मानती थी। वह बेचारी सीधी सादी थी। पति को कभी कुछ नहीं कहती थी कि तुम तुम मेरे साथ बहुत गलत करते हो वह कुछ इसलिए नहीं कहती क्योंकि जब वह विरोध करती तो वह और मारता पीटता था। ज्यादा न मारे इसलिए मार खाते वक्त वह विरोध नही करती थी। इस तरह से मार खाते-खाते बहुत दुबली पतली हो गई थी।

रीना ने सोचा यही हाल रहेगा तो जीवन कैसे चलेगा। एक दिन फिर उसका पति शराब पी कर आया और रीना को मारा पीटा कहा कि तुम मेरे घर से निकल जाओ। आज उसने रात में निर्णय ले लिया। इस घर को छोड़ने को। एक झोले में अपना सारा सामान पैक कर लिया। एक-एक चीज भर रही थी। वह उस घर से रिश्ता खत्म करने जा रही है।
 
हां, यह मेरा घर है | हिंदी लघु कथा
एक तस्वीर में रीना और उसके पति की तस्वीर थी। एक बार सोचा लूं या नहीं लूं। फिर कुछ सोच कर रख ली। पूरे गहने, कपड़े कोई चीज नही छोड़ा था।

बिना बताए वह भोर में झोला उठाया और बार-बार घर के अंदर की एक-एक चीज भी निगाहों में समेटना चाह रही थी। नही-नही यह तो मेरा घर है। सामान अपने घर में रखूंगी । मैं भी जल्दी चली आऊंगी। मैं बहुत प्यार करती हूं अपने पति से। मैं चली जाऊंगी तो अकेले कैसे रहेगा। मैं जा रही हूं। कुछ दिन में चली आऊंगी। यह मेरा घर है। झोला वही रख कर बहुत दुखी मन से वह निकल गई।

सुबह जब रीना का पति उठा। रीना को उसकी निगाहें तलाशने लगी। रीना कहीं नजर नहीं आ रही थी। रीना का झोला देखा। झोला नही ले गई। खोल कर देखा। सारे गहने, सारे कपड़े कुछ नही ले गई। ये फोटो भी नही ले गई। मैं तो ऐसे ही कहा था। छोड़कर चली गई। कुछ भी नही ले गई। मैं कैसे अकेले रहूंगा। मैने बहुत दिल दुखाया है उसका। दारू पी कर उसको बहुत मारा हूं। बेचारी कितनी सीधी है। कह कर रीना का पति फफक कर रो पड़ा। दहाड़े मार कर रो पड़ा।

तुरंत रीना के पास फोन किया। रीना तुम कहां हो। चली आओ। मैने तुम्हारा दिल बहुत दुखाया है। तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता हूं। मैं तुमसे वादा करता हूं। कभी दारू नही पियूंगा। तुम कीमती जेवरात की तरह हो। तुम्हारे रहने से इस घर में रौनक है। तुम चली जा रही हो। मेरे बारे में तनिक नही सोंचा। मैं कैसे रहूंगा। यह तुम्हारा घर है। रीना बोली.. हां यह मेरा घर है। पति बोला...जल्दी आ जाओ। मैं तुम्हारे लिए चाय बना रहा हूं।

  
            
- जयचन्द प्रजापति 'जय' 
प्रयागराज

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