अस्पताल का दृश्य पर हिंदी में निबंध | Essay On Hospital In Hindi

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अस्पताल का दृश्य पर हिंदी में निबंध Essay On Hospital In Hindi अस्पताल का वातावरण Paragraph on A Visit to a Hospital in Hindi चिकित्सा की सुविधा जीवन

अस्पताल का दृश्य पर हिंदी में निबंध

स्पताल का दृश्य पर हिंदी में निबंध Essay On Hospital In Hindi Paragraph on A Visit to a Hospital in Hindi - अस्पताल की दुनिया भी निराली होती है। यहाँ मनुष्य-जीवन की पीड़ा, करुणा और नश्वरता के दर्शन होते हैं और यह आभास मिलता है कि यह शरीर कितना कमजोर और दुर्बल है। बीमारी का एक झोंका आया नहीं कि यह मौत के नजदीक पहुँच जाता है और जीने के लिए संघर्ष करने लगता है। अस्पताल में पहुँचकर प्रत्येक मनुष्य कुछ समय के लिए दार्शनिक अवश्य बन जाता है और जीवन की क्षणभंगुरता पर सोचने पर विवश हो जाता है।

अस्पताल का वातावरण

अस्पताल का दृश्य पर हिंदी में निबंध | Essay On Hospital In Hindi
कुछ दिन पहले हमारे एक सम्बन्धी मोटर-दुर्घटना में घायल हो गये । उन्हें गाँधी अस्पताल में भर्ती कराया गया। समाचार पाते ही हम तुरन्त उन्हें देखने पहुँचे । अस्पताल के प्रवेश-द्वार से अन्दर घुसते ही मेरा मन करुणा से भर गया और गुरु नानकदेव के वे शब्द मेरे मन में घूमने लगे- “नानक दुखिया सब संसार ।" वहाँ चारों ओर सब दुःखी ही दिखाई दिये । कोई कराह रहा था तो कोई पीड़ा से बेसुध था, किसी की आँखें आँसुओं से गीली थीं, तो कोई भगवान् का नाम लेकर चिल्ला रहा था। सारा दृश्य बड़ा ही हृदय विदारक था। मेरे मुँह से अनायास निकल पड़ा-

 “भगवान् ! क्या यही तेरी दुनिया है ?" 

अस्पताल के बाह्य विभाग में पीड़ितों की अत्यधिक भीड़ थी। अस्पताल का शल्य-कक्ष (ऑपरेशन थियेटर) देखकर मेरा दिल काँपने लगा । वहाँ चिकित्सा के समस्त आधुनिक साधन और प्रयोगशालाएँ थीं। शरीर के हर अंग का विभाग अलग था । तरह-तरह के उपकरण, रसायन पदार्थ और दवाइयाँ थीं। अनुसंधान विभाग समस्त वैज्ञानिक कल-पुर्जों और मशीनों से भरा था ।
 

अस्पताल में चिकित्सा की सुविधा

अस्पताल में हर एक बीमारी की चिकित्सा का अलग विभाग था। हर एक विभाग में चिकित्सक, कुशल नर्से, परिचारिकाएँ और सेवक गण बड़ी गम्भीरता से अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे। रोगियों से मिलने आने वाले शुभचिन्तकों की भीड़ थी । सबके सब सहानुभूति, दवा, कपड़े, भोजन, फल-फूल, मिठाइयाँ और शुभकामनाएँ लेकर आए थे। कुछ मरीजों के पास बैठे उनको धीरज बँधा रहे थे, उनका मन बहला रहे थे। कुछ के चेहरों पर आशा और निराशा के भाव झलक रहे थे। कुछ चेहरे आँसुओं से गीले थे । इस प्रकार यहाँ चारों ओर दुःख और शोक का साम्राज्य था ।
 


हम शीघ्रता से अपने सम्बन्धी के पास पहुँचे। भगवान् की कृपा से उनकी केवल एक टाँग पर ही चोट आई थी। वे पट्टियों से लिपटी टाँग को बिस्तर पर लिटाए हुए थे। वे हमें देखते ही मुस्कराए। हमने कुछ देर बातचीत की। थोड़ी देर पश्चात् हमने उनसे विदा ली । 

अस्पताल नव जीवन केन्द्र

जब मैं बाहर आ रहा था तो मेरा मन फिर अनेक विचारों में डूब गया, कि भगवान् ने यह शरीर ऐसी मिट्टी से बनाया है जो रोगों का घर है । किसी को भी कभी भी कोई भी बीमारी हो सकती है तथा उसे अस्पताल जाना पड़ सकता है।अस्पताल में दवा और सेवा पाकर वह प्राय: फिर नवजीवन पा जाता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ आशा, प्यार, सांत्वना और सेवा के वातावरण में मनुष्य मृत्यु से संघर्ष करता हुआ पुनः उसके मुँह में से बाहर आ जाता है 
अस्पताल यथार्थ में नव-जीवन केन्द्र है, जहाँ दयापूर्वक मानव-कल्याण और सेवा का कार्य होता है। डॉक्टर और नर्से अपना पूरा जीवन ही रोगियों की सेवा में लगा देते हैं। मेरे मन में भी डॉक्टर बनने की तीव्र इच्छा उत्पन्न हुई और मैंने यह संकल्प किया कि मैं अवश्य ही डॉक्टर बनूँगा ।
 

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