मैं क्या बनना चाहता हूँ पर हिंदी निबंध

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मैं क्या बनना चाहता हूँ पर हिंदी निबंध मेरा उद्देश्य कवि बनना है आप भविष्य में क्या बनना चाहते हैं aap bhavishya mein kya banna chahte hai My Aim life

मैं क्या बनना चाहता हूँ पर हिंदी निबंध


मैं क्या बनना चाहता हूँ पर हिंदी निबंध आप भविष्य में क्या बनना चाहते हैं - मानव जीवन में कर्म की सबसे अधिक प्रधानता है। हमारे धर्मग्रन्थ गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म की प्रधानता बतलायी है। लेकिन कर्म या कार्य के लिये लगन की आवश्यकता है। बिना लगन के कार्य की पूर्ति होना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है ।
 
यह बात सत्य है कि लगनशील आदमी का कोई-न-कोई उद्देश्य होता है और वह उद्देश्य की पूर्ति के लिए कठिन काम को भी अपने श्रम द्वारा आसान बना लेता है।
 

मेरा उद्देश्य कवि बनना है

मैं क्या बनना चाहता हूँ पर हिंदी निबंध
यों मैं एक विद्यार्थी हूँ और मेरे जीवन का प्रधान लक्ष्य विद्याध्ययन करना है। विद्याध्ययन के सम्बन्ध में पड़ोसी आदित्य चौबे और मेरे अध्यापक दयानन्द सिंह कहा करते हैं कि मनुष्य के जीवन में सबसे बड़ी सम्पत्ति विद्या है। जिसके पास विद्या नहीं है, वह मनुष्य मनुष्य होते हुए भी पशु के तुल्य है। इसलिए कहा गया है कि राजा की पूजा उसके राज्य में होती है, मगर विद्वान की राज्य के अलावा सारे देश में या सारे विश्व में होती है। इतना ही नहीं, दुनिया की तमाम वस्तुओं में विद्या ही एक ऐसी वस्तु है जो खर्च करने पर घटने के बजाय बढ़ती जाती है। अतः मेरी इच्छा है कि मैं विद्याध्ययन के द्वारा कवि बनूँ। 

मेरी कल्पना का कवि

कवि के बारे में मेरे अध्यापक महोदय ने कहा था- " कवि साधारण मनुष्य से महान होता है।" इसलिए कहा गया है कि "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि ।" तात्पर्य यह है जहाँ सूर्य या सूर्य की किरणें नहीं पहुँच पातीं, वहाँ कवि अपने काव्य में कल्पना के माध्यम से पहुँच जाता है। इसलिए दूसरे शब्दों में कवि को समाज का निर्माता भी कहा जाता है। 

कवि समाज का सजग प्रहरी है। वह समाज की अच्छाइयों-बुराइयों को अपने काव्य के द्वारा दर्पण की तरह हमारे सामने रखता है। पाठक उस दर्पण के सामने जाता है और उसमें अपना या समाज की छाया देखना चाहता है, तो उसे साफ-साफ दिखाई देता है। 

किसी भी देश के नव-निर्माण में कवियों का हाथ होता है। बल्कि कहना तो यह चाहिए कि जिस काम को समाज के सैकड़ों नेता मिलकर पूरा नहीं कर सकते, उसको कवि अकेला ही बारीकी के साथ पूरा कर डालता है। इसका कारण यह है कि कवि जन-साधारण के बीच पलता है और उसका प्रभाव उसके हृदय पर पड़े बिना नहीं रह सकता। वह मनुष्य को विभिन्न परिस्थितियों को पार करते हुए अपने सामने देखता है और उससे जो अनुभूति मिलती है, उसी को कविता में चित्रित करता है।
 
तात्पर्य यह है कि जिस कवि में समाज की जितनी सहज और सुलभ अनुभूतियाँ होंगी, उसकी कविता उतनी प्रभावशाली और ओजपूर्ण होगी। इसीलिए कहा जाता है कि जिस कविता को सुनते ही हमारा हृदय फड़क उठे, वही सच्चे अर्थ में कविता है। 

कवि का महत्व

हिन्दी साहित्य का इतिहास बताता है कि कवि का मानव से कितना प्रत्यक्ष सम्पर्क रहता है। कवि ने अपनी कविता के द्वारा निराश और हतोत्साहित जनता के ह्रदय में आशा का प्रदीप जलाकर नयी उमंगें भर दी हैं। गोस्वामी तुलसीदास के राम और महात्मा सूरदास के कृष्ण ने निराशा में डूबी जनता को आशा का पथ दिखलाया था। चन्द्र बरदाई और भूषण की कविता ने कायरों के हृदय में वीरता का भाव भरा था। यही कारण है कि ऐसे कवि की आज भी हम हृदय से आराधना करते हैं। दूसरी ओर जिन कवियों ने शृङ्गार रस की रचनाएँ कीं, उनको हम अधिक उत्साह से नहीं पढ़ते। कारण उनकी कविता मनोरंजन का साधन भले ही बन पायी हो, उससे जनता का कल्याण नहीं हुआ। 

हाँ, आधुनिक युग के राष्ट्रीय आन्दोलन में नवयुवकों के हृदय में वीरता और उत्साह भरने का जो काम अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "भारत-भारती" द्वारा स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त ने किया, वह किसी से छिपा नहीं है।

इस प्रकार किसी भी युग के इतिहास पर अगर नजर दौड़ायी जाय तो उससे यही पता चलता है कि कवि की प्रेरणा सदैव नवीन रहती है और उसके द्वारा मनुष्य उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है।
 


इस प्रकार हम देखते हैं कि कवि का मानव-जीवन के साथ गहरा सम्पर्क है, इस बात को कोई भी अस्वीकार नहीं कर सकता। कवि हमें अपनी कविता के द्वारा अलौकिक आनन्द प्राप्त कराने के साथ-साथ 'सत्यं शिवं सुन्दरम्' की ओर भी मोड़ता है और प्रवृत्ति को अच्छाई की तरफ खींच ले जाता है। 

उपसंहार

अतः उपर्युक्त बातों के आधार पर मानना पड़ता है कि कवि के द्वारा मानव-समाज का बहुत बड़ा कल्याण होता है। वह समाज को जिस किसी दिशा की ओर चाहे मोड़ लेता है। इसलिए मेरी कामना है कि मैं भी कवि बनूँ और अपनी कविता के द्वारा देश या राष्ट्र को नया पथ दिखलाऊँ । 

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