पुरानी दोस्ती की मिठास | हिंदी कहानी

SHARE:

पुरानी दोस्ती की मिठास हिंदी कहानी मोबाइल की रिंग से देवयानी की तंद्रा टूटी, हड़बड़ाकर उठते हुए उसने घड़ी देखी, शाम के 6 बज रहे थे। पुराने एलबम को देख

अनकही


मोबाइल की रिंग से देवयानी की तंद्रा टूटी, हड़बड़ाकर उठते हुए उसने घड़ी देखी, शाम के 6 बज रहे थे। पुराने एलबम को देखते हुए जाने कब उसकी आँख लग गई थी, पता ही नहीं चला था। साँझ घिरने लगी थी। थका हुआ सूरज किरणों की गठरी समेटकर, लालिमा बिखेरते हुए, क्षितिज की सीढियाँ उतरने लगा था। दो मिनिट उसने फोन पर श्रीकांत से बात की फिर संध्या-आरती के लिए उठ गई। इतने बड़े घर में आज देवयानी अकेली थी। पति श्रीकांत ऑफिस के काम से शहर से बाहर थे और दोनों बच्चे अपने-अपने हॉस्टल। माँ-बाबूजी भी इन दिनों अपनी मित्र मंडली के साथ गंगासागर की यात्रा पर थे। अकेलापन उसे काटने को दौड़ रहा था। पहले का समय होता तो बड़े अधिकार से अरुणिमा को बुला लेती। लेकिन अब...अब शायद ऐसा कभी संभव नहीं हो पाएगा, सोचते सोचते देवयानी का मन कसैला सा हो गया, लेकिन पलकों की कोरें जाने क्यों नम होने लगी थी। अरुणिमा के संग बचपन से लेकर अब तक बिताए सारे पल किसी चलचित्र के दृश्यों की भांति एक-एक करके अनजाने ही उसकी आँखों सामने से होकर गुजरने लगे।

देवयानी और अरुणिमा बचपन से ही दोस्त थे। दोनों ने संग-संग ही बचपन और कैशोर्य की दहलीज़ पार करके यौवन का स्वागत किया था। कितनी सारी बातें, कितनी सारी यादें...दोनों ने इतना समय साथ बिताया था कि वे एक दूसरे की नस-नस से वाकिफ थी। एक-दूसरे में उनकी जान बसती थी। साथ-साथ कॉलेज जाना, एक-दूसरे के घर जाना, मॉल, सिनेमा घूमना उनका प्रिय शगल था। दोनों एक-दूसरे से सारी बातें साझा करते...बस एक बात देवयानी ने अरुणिमा से छुपाकर रखी थी। शर्मीली देवयानी चाहकर भी अरुणिमा से नहीं कह पाई थी कि, अरुणिमा का भाई श्रीकांत उसे पसंद करता है। और वो भी तो श्रीकांत को अपना मान चुकी थी। प्यार कभी अकेला नहीं आता, वो अपने साथ ढेर सारी मासूम सौगातें लेकर आता है, जैसे झुकी पलकों से झाँकती आँखों की चमक और लबों पर ठहरी हुई मुस्कुराहट। सागर में ज्वार के आने पर लहरें कितनी भी उमंगित-उत्साहित हो जाएँ, मोती को तलहटी में ही छुपाएँ रखती हैं। देवयानी और श्रीकांत ने भी अपना प्यार सहेजकर छुपा रखा था। लेकिन दोनों के परिवार वालों की पारखी नज़र ने उन्हें परिणय सूत्र में बाँधकर सदा के लिए एक कर ही दिया था।

पुरानी दोस्ती की मिठास | हिंदी कहानी
अब अरुणिमा, देवयानी की ननद बन चुकी थी। देवयानी अपनी किस्मत पर इठलाने लगी थी, कि उसकी सबसे अच्छी सखी अब उसकी ननद भी है। देवयानी अपने मधुर स्वभाव से ससुराल में भी सबके दिलों पर राज करने लगी थी। माँ-बाबूजी भी उसे हाथों हाथ लेने लगे, उसकी पसंद नापसंद का ध्यान भी रखने लगे थे। अरुणिमा को कभी कभी लगता, उसकी जगह छिनती जा रही है। उस दिन जब माँ ने अरुणिमा से कहा, "बेटा तुझे भी अपनी ससुराल में अपनी भाभी की तरह सबसे मिलजुल रहना होगा और सबके साथ निभाकर चलना होगा।" तो अरुणिमा की आँखों में एक अजीब सी ईर्ष्या की झलक देखकर देवयानी का हृदय बैठने सा लगा था। "कहीं रिश्तों की उलझन में कसमसाकर हमारी वर्षों पुरानी दोस्ती दम न तोड़ दे", देवयानी ने सोचा था।

लेकिन इतनी पुरानी, इतनी प्रगाढ़ मित्रता की जड़ें इतनी भी कमज़ोर नहीं थी। अरुणिमा को अपनी प्रिय दोस्त, अपनी प्यारी भाभी पर बहुत नाज़ था। देवयानी और अरुणिमा बहुत अच्छा समय साथ गुज़ारने लगे थे। देखते ही देखते सात साल बीत गए। देवयानी दो बच्चों की माँ बन गई। देवयानी के विवाह के सात साल बाद उसी शहर में अरुणिमा का भी विवाह हो गया।

विवाह के एक वर्ष बाद अरुणिमा उन दिनों मायके आई हुई थी। उस दिन श्रीकांत की चचेरी बहन का ब्याह था। सब लोगों को उस विवाह में सम्मिलित होना था। देवयानी और अरुणिमा खूब मन से तैयार हो रही थी। लेकिन जैसे ही देवयानी ने अपना हार पहना वो जाने कैसे टूट गया। "अब क्या करूँ? मैंने तो आज पहनने के लिए लॉकर से यही हार निकाला था।", रुआँसी होकर देवयानी ने कहा। "ले ये हार पहन ले", सास ने तुरंत एक दूसरा हार लाकर देवयानी को दिया था। हार को देखते ही देवयानी और अरुणिमा दोनों की आँखें चुँधिया गईं। बारीक काम का रत्न जड़ित सोने का हार अपनी नायाब कारीगरी का अनूठा नमूना था। "माँ, ये कौन सा हार है? मैंने इसे पहले तो कभी देखा नहीं!" आश्चर्य से अरुणिमा ने कहा था। "ये मेरा बहुत पुराना हार है, मुझे मेरे मायके से मिला था, इसे बहुत संभालकर रखा था, कभी निकाला ही नहीं, आज ही ध्यान आया।" माँ ने मुस्कुराकर कहा था। उस हार को पहनते ही सुंदर देवयानी का रूप और भी निखर उठा था। विवाह समारोह में देवयानी और उस हार की खूब तारीफ हुई। "मैं भी इसे पहनकर देखूँगी" अरुणिमा ने ललचाकर देवयानी से कहा था।

घर आकर जब सब लोग आराम से बैठकर गपियाने लगे तो अरुणिमा ने देवयानी से कहा, "देवयानी, ज़रा हार निकाल दे, मुझे पहनकर देखना है।" देवयानी हार लेने गई तो उसका दिल धक से रह गया, हार तो वहाँ था ही नहीं। "मुझे अच्छी तरह याद है, मैंने यहीं तो रखा था और अभी-अभी तो रखा था कहाँ गायब हो गया? अब माँ क्या कहेंगी?" देवयानी ने बहुत ढूँढा मगर हार नहीं मिला। घबराकर उसने घर में बताया तो सब सन्न रह गए सबने बहुत ढूँढा लेकिन हार तो ऐसे गायब हो गया मानो कभी था ही नहीं। रात भर देवयानी को बार बार ये ख्याल आता रहा, "हो न हो अरुणिमा ने ही हार को गायब कर दिया" और अरुणिमा रात भर सोचती रही, "देवयानी ने ही हार को कहीं छुपा दिया, कहीं मैं न माँग लूँ।"

उस रात के बाद देवयानी और अरुणिमा की दोस्ती में दरार पड़ गई, मानो उनकी दोस्ती को खुद उनकी ही नज़र लग गई हो। इतने सालों की गहरी दोस्ती पल भर में ही औपचारिक रिश्ते में बदल गई। हाँलाकि उसके बाद न तो देवयानी ने, न ही अरुणिमा ने और न ही किसी और ने, हार के बारे में कोई चर्चा की। देवयानी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतनी मँहगी चीज़ खोने के बावजूद भी माँ-बाबूजी ने उसे बिल्कुल भी नहीं डाँटा। उस दिन की घटना ने दोनों को झकझोर कर रख दिया था। शक के घुन ने उनकी दोस्ती की नींव को खोखला कर दिया था।

अरुणिमा कई बार मायके आती रही और देवयानी अधूरे मन से उसके प्रति अपने सारे कर्तव्य पूरे करती रही। समय बीतता रहा लेकिन उन दोनों रिश्ते से दोस्ती का माधुर्य रूठकर जाने कहाँ खो गया था।

सूने घर में आज रह रहकर देवयानी को अरुणिमा की बहुत याद आने लगी। वो सोचती "क्या वो हार हमारी अनमोल दोस्ती से भी बढ़कर था। अगर माँ ने वो हार हमें दिखाया ही नहीं होता, तो आज मेरी बचपन की सहेली, मेरी अपनी ननद मुझसे दूर नहीं हुई होती। आखिर ऐसा हुआ ही क्यों...." सोचते सोचते देवयानी को घबराहट होने लगी, रोना आने लगा। "तुम कब आओगे श्रीकांत? मुझे बहुत घबराहट हो रही है, मन नहीं लग रहा, सिर में तेज दर्द भी हो रहा है, बहुत अकेलापन लग रहा है।" देवयानी ने श्रीकांत को फोन किया। "अरे ! क्या हुआ? थोड़ी देर पहले तक तो ठीक थी। मुझे तो दो दिन और लगेंगे। तबियत खराब हो रही है क्या?" श्रीकांत को चिंता होने लगी।

रात के 8 बजे अचानक डोरबेल बज उठी,"कौन होगा इतनी रात को?" सोचते हुए देवयानी ने दरवाजा खोला तो सामने अरुणिमा को देखकर चौंक गई। "कैसी है तू? भैया का फोन आया था, कहा तेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं सारे काम छोड़कर जल्दी से आ गई।" अरुणिमा ने फिक्रमंद स्वर में पूछा। "घबराहट और सिरदर्द" कहते-कहते देवयानी के गले में कुछ अटकने सा लगा। "भैया ने माँ को भी फोन किया था, माँ ने कहा है कि उनकी अलमारी में बाम रखा है और दवाई भी रखी है। मैं ले आती हूँ।" देवयानी, अरुणिमा को देखती ही रह गई, उसे लगा अभी भी कुछ नहीं बदला, ये वही उसकी बचपन की सहेली ही तो है, जो उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहती थी। देवयानी भी सम्मोहित सी अरुणिमा के पीछे-पीछे माँ के कमरे में चली गई। माँ की बड़ी सी अलमारी खोलकर दोनों दवा का बक्सा ढूँढने लगे। तभी कपड़ों के बीच रखा हुआ एक बक्सा नजर आया, "यही होगा, अरुणिमा ने कहा।" बक्से के खुलते ही दोनों की आँखें खुली की खुली ही रह गईं। उसमें वही हार सहेजकर रखा हुआ था और साथ में एक चिट्ठी भी थी। "देवयानी और अरुणिमा, तुम दोनों मेरी दो आँखें हो और मुझे समान रुप से प्रिय हो। मुझे पता है कि ये हार तुम दोनों को ही बेहद पसंद है। मैंने ही यह हार तुम दोनों की नज़रों से दूर कर दिया था, ताकि इस हार के कारण तुम दोनों की दोस्ती और प्रेम में खटास न आए। इतने बारीक काम का इसी के जैसा दूसरा हार मिलना या बनवाना भी संभव नहीं है। मेरे मायके से मिले हुए इस हार के साथ मेरी भावनाएँ जुड़ी हुई हैं, इसलिए मैं अपने जीते-जी इसे बेच नहीं सकती। लेकिन मेरी मृत्यु के उपरांत तुम दोनों इसे बेचकर इससे मिलने वाली रकम को आधा-आधा बाँट लेना और अपने लिए कुछ ले लेना, लेकिन याद रखना कि रिश्तों की गरिमा, दोस्ती और प्यार की अहमियत भौतिक वस्तुओं की तुलना में कहीं अधिक होती है।"

खत को पढ़ते ही दोनों सहेलियाँ स्तब्ध रह गईं। अपनी कलुषित मानसिकता को धिक्कारती हुई दोनों अपनी आँखों को पश्चाताप के आँसुओं से धोने लगी, एक दूसरे के हाथों को थामकर देर तक निःशब्द ही बैठी रही। कहने को कुछ बचा ही नहीं था। पुरानी दोस्ती की मिठास ने अनकहे ही दोनों के उज्जवल मुखड़ों पर मुस्कुराहट की सुंदर आभा बिखेर दी थी।



- डॉ. सुकृति घोष (Dr. Sukriti Ghosh)
प्राध्यापक, भौतिक शास्त्र
शा. के. आर. जी. कॉलेज
ग्वालियर, मध्यप्रदेश

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. बेहतरीन और शिक्षाप्रद कहानी।
    हार्दिक बधाई और ढेरों शुभकामनाएं।
    👍👍👍👍

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,35,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,7,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1438,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,27,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,138,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,33,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,74,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,26,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,38,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,192,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,134,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,86,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,139,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,13,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,7,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,12,मैला आँचल,4,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,20,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,122,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,54,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,30,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,39,समसामयिक हिंदी लेख,242,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,18,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,76,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,10,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,403,हिंदी लेख,514,हिंदी व्यंग्य लेख,12,हिंदी समाचार,170,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,87,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,6,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,395,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,104,hindi stories,668,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,36,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,17,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,5,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,43,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: पुरानी दोस्ती की मिठास | हिंदी कहानी
पुरानी दोस्ती की मिठास | हिंदी कहानी
पुरानी दोस्ती की मिठास हिंदी कहानी मोबाइल की रिंग से देवयानी की तंद्रा टूटी, हड़बड़ाकर उठते हुए उसने घड़ी देखी, शाम के 6 बज रहे थे। पुराने एलबम को देख
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSuWLDDGODYB6ZAtLa3TCIEfeAPk8B77xNG0H3QV_ffkXesj-L-sIRz1S0Z13G_zCR0AeBctYCTLkumva2JfNLahUf67fQvlHL8RNZSDU-e6pRAhdlCroKF_NR1JZdQAhXCxknnHHPXbOy-ZvxgO8I2VZz3xqhw9ho1XZku98NAeYcz0Z84tjl_sP1Ne8B/w236-h320/sukriti.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSuWLDDGODYB6ZAtLa3TCIEfeAPk8B77xNG0H3QV_ffkXesj-L-sIRz1S0Z13G_zCR0AeBctYCTLkumva2JfNLahUf67fQvlHL8RNZSDU-e6pRAhdlCroKF_NR1JZdQAhXCxknnHHPXbOy-ZvxgO8I2VZz3xqhw9ho1XZku98NAeYcz0Z84tjl_sP1Ne8B/s72-w236-c-h320/sukriti.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2023/08/purani-dosti-ki-mithas-hindi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2023/08/purani-dosti-ki-mithas-hindi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका