शून्य से शून्य तक एक नये आस्वाद से तरोताजा करती कवितायें

SHARE:

सुरेश चौधरी इंदु की शून्य से शून्य तक की इन कविताओं से गुजरते हुए पाठक जीवन के विविध रंगों के दृश्यों को अपने सामने रूबरू होते हुए अनुभव करेंगे और आज

शून्य से शून्य तक एक नये आस्वाद से तरोताजा करती कवितायें  


अंग्रेजी के महान लेखक विलियम शेक्सपियर ने कभी कहा था- शून्य से शून्य ही मिलेगा और फ्रांसीसी गणितज्ञ और लेखक ब्लेज पास्कल का कहना था कि - मनुष्य ना तो उस शून्य को देखने में सक्षम है जहां से वह उभरा है और ना ही उस अनंत को देखने में जिसमें वह समा जाता है

शून्य को अनुभव करने के अपने-अपने अनुभव हो सकते हैं और शून्य के उसी अनुसार अपने-अपने अर्थ भी हो सकते हैं । बौद्ध मत के अनुसार अपने अहं को समझने के लिए हमें शून्यता की अहं रहित अवस्था को जानना, समझना होगा। वैसे शून्यता को हम एक सापेक्षिक अवधारणा के रूप में भी मान सकते हैं - जैसे खुशी की बात मायूसी के बगैर संभव नहीं, भरे पेट का एहसास खाली पेट के सापेक्ष ही हो सकता है। शून्य से शून्य तक की यात्रा उसकी पूर्णता या फिर निस्सारता में भी हो सकती है।

सुरेश चौधरी "इंदु" जो अधिकतर छंदों में कविताएं लिखने में सिद्धहस्त हैं,लेकिन समय-समय पर उन्होंने छंद रहित या जिन्हें उर्दू में आजाद नज़्में भी कहते हैं,वे भी लिखते रहे हैं। शून्य से शून्य तक काव्य संकलन के अन्तर्गत उनकी कुल जमा 63 कविताओं का यह संकलन प्रकाशित हो रहा है जिसे उन्होंने दृश्य कविताओं की संज्ञा से नवाजा है।उनकी इसी शीर्षक कविता भी जीवन की निस्सारता की ओर  इशारा करती है- 

आरंभ से अंत तक 
कभी चला धूल भरी राह पर 
तो कभी सोया फूलों की सेज पर भी

….
लंबी डगर की यह यात्रा
कितनी टेढ़ी-मेढ़ी
और उपलब्धियों के नाम पर शून्य से आरम्भ और शून्य पर ही समाप्त! 


कवि जीवन के विविध रंगों को अपनी कविताओं में उकेरता है और जीवन यात्रा में कहीं अपने बचपन की स्मृतियों को संजोता है और कहीं बुढ़ापे के अनुभवों और शिथिलता से भी दो-चार होता है।  बचपन के दिन में कवि लिखता है - 

एक घर सा मोहल्ला था 
लोग थे अपने सारे के सारे 
अब तो घर भी बेगाना हुआ 
क्या क्या बतलाऊं 
बचपन के वो दिन 
भुलाए ना भुला पाऊं! 

और बुढ़ापे का चित्र कुछ यूं खींचता है- 


अस्ताचलगामी 
भुवन भास्कर की अरुणिमा देख
सांध्य अर्घ्य को कदम
जब अपने आप चलने लगें
नई भोर में नव दुकूल
पहनने को मन मचलने लगे
चित्त शांत और 
तन जब अर्चन को कहने लगे
तब मोक्ष की अनुभूति
बहुत पुरानी होती है 
हां,हां यही तो बुढ़ापे की निशानी होती है


कवि प्रेम को भी कई संदर्भों में परिभाषित करता है मसलन मां, बहन, पत्नी और युद्धभूमि में गये पति की वीरांगना नारी और फिर उपसंहार करते हुए कहता है- 

शून्य से शून्य तक एक नये आस्वाद से तरोताजा करती कवितायें
मेरा प्रेम 
भारतीय संस्कृति की धरोहर सा
सच्चा वंदनीय है
सीता राम,राधा कृष्ण,
उमा शंकर सा पूजनीय है 
यह नहीं अश्लीलता से भरा
न वासना से भरा
और न कलंकित है
बल्कि मेरा प्रेम 
शुद्ध सात्विक मानस पर अंकित है! 

कवि उन दिनों के प्रेम के इज़हार को भी याद करता है,जब खतों पर दर्दे-दिल बयान किये जाते थे और इंतजार होता था -

ख़त का मिलना
हाथों का थरथराना
दिल की धड़कनों की तीव्रता
गुलाबी नशा कैसे चढ़ता है
कैसे उतरता है
क्या जानें अब लोग
अब तो
बटन की क्लिक पर संवाद होते हैं
न तो एहसास होते हैं
न छुवन भरे अल्फ़ाज़ होते हैं! 

कवि जहां विजयादशमी कविता में दुर्गा के नौ रूपों को आज के संदर्भ में व्याख्यायित करता है, वहीं दशहरा में पूरे विश्व को रावण द्वारा समेटा हुआ बताता है- 

रावण ने अपने आगोश में
समेट लिया पूरा विश्व
सब तरफ़ रावण ही रावण दिखने लगे
एक अकेला राम
किसी एक कोने में
सिकुड़ा सा देखता रहा ये करतब
कलियुगी जनता को
सूनी सूनी आंखों से
निहारता रहा वो अब तक 

कवि प्रेम के प्रतीक कहे जाने वाले ताजमहल को देखकर लोगों के दृष्टि परिवर्तन की मांग करता है- 

हमारी संस्कृति के रक्षकों
कह देते इमारत सुंदर है 
नजारे सुन्दर हैं
कला का अनूठा नमूना है
प्यार की तौहीन करने को 
क्यों इसे ही चुना है 
 
सुरेश चौधरी इंदु की शून्य से शून्य तक की इन कविताओं से गुजरते हुए पाठक जीवन के विविध रंगों के दृश्यों को अपने सामने रूबरू होते हुए अनुभव करेंगे और आज के दौर में लिखी जा रही कविताओं से हटकर एक नये आस्वाद से अवश्य ही तरोताजा हो उठेंगे।

—------—----—------------------

शून्य से शून्य तक
दृश्य कविताएं
कवि: सुरेश चौधरी "इंदु"
मूल्य: रू 300/-
प्रकाशक: शुक्तिका प्रकाशन
143/डी,शरत बोस रोड
कोलकाता -700038.
—------------------------------------



- रावेल पुष्प
नेताजी टावर,278/ए, एन एस सी बोस रोड
कोलकाता - 700047.मो. 9434198898
ईमेल: rawelpushp@gmail.com

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका