निर्मला उपन्यास नामकरण की सार्थकता | मुंशी प्रेमचंद

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निर्मला उपन्यास नामकरण की सार्थकता मुंशी प्रेमचंद Nirmala by Munshi Premchand in Hindi निर्मला नामकरण की सार्थकता शीर्षक संक्षिप्त सार्थक नारी प्रधान

निर्मला उपन्यास के नामकरण की सार्थकता


निर्मला उपन्यास के नामकरण की सार्थकता Nirmala munshi premchand nirmala upanyas by munshi premchand Nirmala by Munshi Premchand in Hindi निर्मला नामकरण की सार्थकता -  किसी भी रचना का शीर्षक या तो उस रचना के मुख्य पात्र या घटना या समस्या या व्यंग्य को लेकर दिया जाता है। शीर्षक का बड़ा महत्त्व होता है, इसलिए उपन्यास का शीर्षक संक्षिप्त, सारगर्भित और अर्थपूर्ण होना चाहिए। 

कथा का आधार निर्मला

निर्मला उपन्यास नामकरण की सार्थकता | मुंशी प्रेमचंद
निर्मला उपन्यास का शीर्षक उपन्यास की मुख्य पात्र निर्मला के आधार पर है, क्योंकि प्रमुख कथा निर्मला ही की कथा है।इसकी कथा में तीन परिवारों की कथा है- उदयभानु लाल, तोताराम, भालचन्द्र - जिनका निर्मला से सम्बन्ध है। 

निर्मला उदयभानु की बड़ी पुत्री थी जिसका विवाह लखनऊ के आबकारी के इन्सपेक्टर भालचन्द्र सिन्हा के बड़े पुत्र भुवनमोहन सिन्हा से होना निश्चित हुआ था । उदयभानुलाल की असमय मृत्यु हो जाने के कारण भालचन्द्र ने अपने पुत्र के साथ तथा स्वयं भुवनमोहन ने भी निर्मला से विवाह के लिए इन्कार कर दिया। फिर एक अधेड़ उम्र के विधुर तोताराम से, जिसके तीन पुत्र हैं, निर्मला का विवाह हो जाता है। यहीं से निर्मला के जीवन की करुण कहानी शुरू होती है। 

तोताराम से विवाह के बाद निर्मला के आन्तरिक द्वन्द्व को दर्शाया गया है। परिस्थितियों से समझौता करते-करते अंत में उसके स्वभाव में विचित्र विषमता आ जाती है। इस प्रकार प्रेमचन्द ने निर्मला को कथानक की प्रधान नायिका बनाया है। पूरा कथानक एक ही बिन्दु पर स्थित है। सारी घटनाएँ निर्मला के चारों ओर घूमती हैं। 

शीर्षक संक्षिप्त,सार्थक और नारी प्रधान

संक्षिप्तता की दृष्टि से शीर्षक संक्षिप्त है। 'निर्मला' नाम से पाठकों को स्पष्ट हो जाता है कि यह एक नारी प्रधान उपन्यास है। किसी भी रचना का शीर्षक आरम्भ से अंत तक उसकी सार्थकता का परिचायक होता है। हालाँकि प्रेमचन्द ने इसमें बेमेल विवाह और दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों को दर्शाया है पर सारी घटनाएँ निर्मला पर आधारित और उससे जुड़ी हुई होने के कारण उपन्यासकार ने व्यक्ति विशेष के नाम पर अपने उपन्यास का नामकरण किया है। उपन्यास का नाम सार्थक है। 


शीर्षक की विशेषता में सारगर्भितता का भी महत्त्व होता है। इसलिए शीर्षक भावव्यंजक होना चाहिए। 'निर्मला' उपन्यास का शीर्षक, घटना, समस्या या विचार प्रधान न होकर व्यक्ति विशेष से जुड़ा है जो चरित्र प्रधान है, इसलिए भाव, सार या प्रतीक अर्थ शीर्षक में नहीं है। इस प्रकार ‘निर्मला' उपन्यास का शीर्षक संक्षिप्त, सार्थक और नारी प्रधान है। 

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