चीफ की दावत कहानी की समीक्षा पात्रों का चरित्र चित्रण शामनाथ मां का चरित्र कहानी के प्रश्न उत्तर कहानी का उद्देश्य शीर्षक की सार्थकता भीष्म साहनी
चीफ की दावत कहानी की समीक्षा
चीफ की दावत कहानी का सारांश - चीफ की दावत भीष्म साहनी द्वारा लिखित एक सामाजिक एवं पारिवारिक कहानी है।चीफ की दावत का प्रकाशन 1956 में हुआ ।कहानी के अनुसार, मिस्टर शामनाथ अपनी मां और पत्नी के साथ रहते हैं जिनके यहाँ उनके चीफ एवं कुछ मित्र दावत पर आने वाले हैं। शामनाथ और उसकी पत्नी दावत की पूरी तैयारी में लग जाते हैं और घर की व्यवस्था ठीक कर शाम पाँच बजे तक पूरी तैयारी कर लेते हैं। तभी शामनाथ को ध्यान आता है कि बूढ़ी अनपढ़ मां को सबके बीच कैसे लाया जा सकता है जिसे बड़ी मुश्किल से उन्होंने घर में बंद करके रखा है। उसकी पत्नी शामनाथ को मां को सहेली के घर भेज देने को कहती है लेकिन शामनाथ को यह सुझाव पसंद नहीं आता। वे निर्णय लेते हैं कि मां को जल्दी भोजन करवा कर कमरे में सुला दिया जाएगा और कमरे में ताला लगा दिया जाएगा। इसी समस्या को लेकर दोनो मे विवाद चल ही रहा था कि तभी शामनाथ मां की कोठरी देख वहाँ जाते हैं जिसका दरवाजा बरामदे में खुलता था वह मां के पास जाकर उन्हे आदेश देता है कि वे आज जल्दी खाना खा ले क्योंकि मेहमान साढ़े सात बजे तक आ जाएँगे। तब तक वे अपना सारा काम निपटा लें । जब तक हम लोग बैठक में होंगे तब तक तुम बरामदे में बैठना और उसके बाद गुसलखाने के रास्ते अपने कमरे मे चले जाना। मां अवाक् रहकर सब कुछ सुनती रहती है। साथ ही आदेश दिया गया कि वे जोर से खर्राटे न मारे । यह सुन मां लज्जित हो जाती है।
शामनाथ पूरा इंतजाम तो कर देता है लेकिन फिर भी उसे चिंता सताती रहती है। अंततः वह निर्णय लेकर एक कुर्सी को बरामदे से कोठरी के बाहर रखते हुए मां को उस पर बिठा देता है और उनसे कहता है कि आप अपना पाँव न घुमाना और न ही खड़ाऊँ पहनना। घर का सारा संचालन तो उनके ही हाथ में है अतः मां के संबंध में भी उचित व्यवस्था कर वह मां को सफेद कमीज़ और सफेद सलवार पहनाता है। तथा जब चुड़ियाँ पहनने की बात कहता है तो मां कहती है कि सारे जेवर तुम्हारी पढ़ाई में बिक गए थे । यह सुन शामनाथ तुनककर मां को उल्टा जवाब देता है तथा खर्चे से दुगुना देने की बात कहता है इससे उसकी मां दुखी हो जाती है। इसी प्रकार समय बीतता है और सब नहा-धोकर तैयार होते हैं। शामनाथ अपनी मां से कहता है कि यदि मेरे चीफ तुमसे कुछ बात पूछे तो ठीक से उसका जवाब देना आज की पार्टी से ही मेरी नौकरी आगे बढ़ सकेगी। मां अपनी असमर्थता एवं अज्ञानता प्रकट करती है। मां का मन चुपचाप अपनी विधवा सहेली के यहाँ जाने का था लेकिन बेटे की बात वह टाल नहीं सकती थी, इसी कारण वह चुपचाप बैठी रहती है।
शामनाथ की पार्टी अपने नियत समय पर शुरू हुई। पार्टी अच्छी चल रही थी तथा सभी को घर की सजावट और पार्टी का माहौल पसंद आ रहा था। चीफ का रौब दफ्तर के समान ही यहाँ पर भी विद्यमान था। इसी प्रकार दस बज गए। सभी बैठक से उठकर खाना खाने के लिए बरामदे में पहुँचते हैं, तभी बरामदे में प्रवेश कर सभी शामनाथ की मां को कुर्सी पर खर्राटे मारती पाते हैं । यह देख शामनाथ मन ही मन क्रुध हो उठता है तो दूसरी ओर चीफ के मुँह से धीरे-से 'पुअर डियर' निकल जाता हैं मां हड़बड़ा कर बैठ जाती है और झट से सिर पर पल्ला रखते हुए खड़ी हो जाती है। मां को शामनाथ कमरे में जाकर सोने के लिए कहता है। चीफ मुस्कराते हुए खड़े होकर मां को 'नमस्ते' कहते हैं। मां के हाथ में माला होने के कारण वह ठीक से नमस्ते नहीं कर पाती। चीफ अपना सीधा हाथ मां के सामने बढ़ाते हैं जिससे अफसरों की स्त्रियाँ खिलखिलाकर हँस पड़ती हैं। मां हड़बड़ा जाती है । कुछ देर बाद वातावरण हल्का होने लगता है क्योंकि साहब ने स्थिति संभाल ली थी, वे अंग्रेजी में बोलते हैं कि मेरी मां गांव की रहने वाली है । उम्र भर गांव में रही है इसलिए आपसे लजाती है । साहब मां की हाथ पकड़े हुए ही कहते हैं कि मुझे भी गांव के लोग बहुत पसंद हैं और तुम्हारी मां नाचना और गाना तो जानती ही होगी।
चीफ़ की बात सुन शामनाथ मां पर दबाव डालता हुआ उसे गाना गाने को कहता है। पहले तो मां अपनी असमर्थता व्यक्त करती है लेकिन बेटे का दबाव देख वह पुराने विवाह गीत की तीन पंक्तियाँ गाती हैं। यह गीत सुन बरामदा तालियों से गूँज जाता है। साहब तालियाँ पीटते रह जाते हैं, यह देख शामनाथ के चेहरे का क्रोध गर्व में बदल जाता है। तालियाँ थमने पर साहब पंजाब के गांवों की दस्तकारी के बारे में पूछते हैं। शामनाथ उन्हें गुड़ियों, फुलकारियों के संबंध में बताता है। फुलकारी के संबंध में जिज्ञासा प्रकट करते ही शामनाथ अपनी मां से कोई पुरानी फुलकारी मंगवाता है। चीफ साहब को फुलकारी बहुत पसंद आती है। यह देख शामनाथ कहता है कि यह फटी पुरानी फुलकारी है हम आपको नई फुलकारी बना देंगे। मां अपनी कमजोर नज़र का हवाला देकर बनाने की असमर्थता प्रकट करती है। लेकिन तभी शामनाथ मां की बात काटकर मां द्वारा नई फुलकारी बनाने का वचन दे देता है। कुछ देर बाद मां चुपचाप अपनी नजर हटाकर वहाँ से अपने कमरे में आ जाती हैं।
मां अपनी कोठरी में आकर रोने लगती है। वे बहुत कोशिश करने के बाद भी आँसुओं की धारा को रोक नहीं पाती। इसी प्रकार आधी रात हो जाती है, सभी मेहमान चले गये थे। घर के वातावरण का तनाव ढीला पड़ चुका था। तभी शामनाथ मां के पास आता है। मां डर के मारे चुपचाप बैठ जाती है। उसे बेटे से डर लगने लगता हैं वह कांपते हाथों से दरवाजा खोलती हैं। दरवाजा खोलते ही शामनाथ झूमते हुए आता है और मां को गले लगाकर कहता है कि तुमने ऐसा रंग जमाया कि साहब बहुत खुश हो गए।
उनके खुश होने से मेरी नौकरी में तरक्की पक्की है। मां शामनाथ से कहती है कि वह उसे हरिद्वार छोड़ आए ताकि तुम पति-पत्नी आराम से रह सको और वह भी अपने ढंग से जीवन जी सके। लेकिन शामनाथ अपनी नौकरी का वास्ता देकर कहता है कि तुमने यदि फुलकारी न बनायी तो उसकी नौकरी को खतरा हो जाएगा। यह सुन उसकी मां तुरंत बोली कि यदि ऐसा है तो वह फुलकारी अवश्य तैयार करेगी। मां बेटे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती रह जाती है जबकि स्वार्थी बेटा अपने कमरे की ओर रूख करता है।
चीफ की दावत कहानी मे प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण
शामनाथ का चरित्र चित्रण
शामनाथ 'चीफ की दावत' शीर्षक कहानी का मुख्य पात्र है। वह आधुनिक विचारधारा वाला एक ऐसा विवाहित युवक है जो कि स्वार्थ की साक्षात मूर्ति कहा जा सकता है । अपने घर का संचालन अपने हाथ में लेकर वह हर वस्तु को उत्कृष्टता के रूप में रखना चाहता है उसके लिए चाहे बाहरी दिखावा ही क्यों न करना पड़े। उसमें मां के प्रति न तो आदर का भाव है और न ही वह मां के ऋण को मानता है। बल्कि समय समय पर मां का अपमान कर वह अपने कृतघ्न रूप को प्रकट करता है। शामनाथ में क्रोध का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है लेकिन बाय आडंबर करते हुए वह प्रायः स्वयं को मितभाषी ही दिखाता है। शामनाथ के चरित्र का सबसे दुर्बल पक्ष चापलूसी में निहित है। वह अपने चीफ को प्रसन्न करने के लिए खूब चापलूसी करता है तथा इस चापलूसी के बल पर नौकरी में तरक्की करवाना चाहता है। इस प्रकार लेखक ने शामनाथ चरित्र के माध्यम से एक कृतघ्न, चापलूस, निर्दयी एवं क्रोधी स्वभाव वाले आधुनिक युवा का चित्र उतारा है।
चीफ की दावत कहानी में मां का चरित्र
'चीफ की दावत' का दूसरा मुख्य पात्र शामनाथ की मां है। वह एक साधारण घरेलु अनपढ़ भारतीय नारी है। साधारण वेशभूषा मे वे रहती थीं तथा हर समय प्रभु के ध्यान में लीन रहती थी।ग्रामीणों-सा सादा जीवन उसके चत्रि की प्रमुख विशेषता थी जिसके कारण उसका पुत्र उसे अपनी पार्टी का कलंक मानता था। शामनाथ की मां के चरित्र का सबसे उज्ज्वल पक्ष उसके पुत्र प्रेम में निहित था लेकिन यही पक्ष उसका सबसे बड़ा दुर्गुण बन गया। क्योंकि पुत्र-प्रेम में अंधी होकर न केवल वह बार-बार पुत्र द्वारा प्रताड़ित होती है बल्कि कई कष्टों कासामना भी करती है। कष्ट सहने के बाद भी वह अपने पुत्र का भला ही चाहती है, उसकी लंबी उम्र की दुआ करती है तथा पुत्र को प्रसन्न देख स्वयं शामनाथ की मां मे इतनी सादगी और अपनापन का चीफ साहब भी बड़े प्रभावित होते हैं और बात-बात भी खिल उठती है। भाव था कि उससे पर उनकी प्रशंसा करते हैं।
चीफ की दावत कहानी में चीफ का चरित्र
चीफ 'चीफ की दावत' एक सामाजिक घटना प्रधान कहानी है। इस कहनी में चीफ एक आला अधिकारी के रूप में प्रकट होता है। चीफ रौबदार व्यक्तित्व का स्वामी है। वह अपना वर्चस्व कार्यालय में ही नहीं बल्कि शामनाथ के यहाँ भी रखता है। वह सादगी पर विश्वास करने वाला सहृदयी अधिकारी है। इसी सहृदयता के कारण वह शामनाथ की मां से प्रभावित ही नहीं होता बल्कि उनसे ग्रामीण गीत भी सुनता है और उनके हाथ से बनी हुई फुलकारी को भी पाना चाहता है। इस प्रकार लेखक ने चीफ़ के रूप में एक साधारण विचारों वाले सीधे-सादे अधिकारी की परिकल्पना की है।
चीफ की दावत कहानी के प्रश्न उत्तर
प्र. माँ के साथ क्या असुविधा समझी जा रही है?
उत्तर शामनाथ घर की व्यवस्था तो ठीक रख सकता है तथा उन्हें मनमाने ढंग से सजा सकता है लेकिन मां कोई वस्तु नहीं । साथ ही मां अनपढ़ और पुराने ख्यालात वाली हैं जो साधारण कपड़ों में ही रहती हैं। अतः इनके बारे में विचार करते हुए शामनाथ सोचता है कि यदि मां यहाँ रहेगी तो उनकी इज्जत को धब्बा लग सकता है।
प्र. माँ के प्रसंग का मुख्य कारण है?
उत्तर माँ के प्रसंग का मुख्य कारण यह है कि शामनाथ अपने चीफ़ को खुश करना चाहता है जिससे कि उसकी तरक्की हो सके। लेकिन उसे साथ ही यह डर भी सता रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि मां के कारण उसके बाँस नाराज हो जाएँ और उसकी तरक्की रूक जाए। अतः मां का प्रसंग छिड़ता है और दोनों पति-पत्नी मां की ठीक व्यवस्था के संबंध में विचार करते हैं।
प्र. आने वाले अतिथि तथा उसे बुलाने का उद्देश्य क्या है?
उत्तर शामनाथ के घर आने वाला अतिथि उसका चीफ है। शामनाथ बहुत बड़ा चापलूस है जो इस दावत के माध्यम से अपने चीफ को उकसाना चाहता है जिससे उसके चीफ़ प्रसन्न होकर उसकी तरक्की कर दें। इस प्रकार शामनाथ तरक्की पाने के उद्देश्य अपने अतिथि चीफ़ को घर बुलाता है और उनका खूब आदर-सत्कार करता है।
प्र. संवाद को सुनकर मां क्या उत्तर देती है?
उत्तर शामनाथ के संवाद को सुनकर मां को बहुत लज्जा आती है। वह लज्जित हो अपना सर झुका लेती है और कहती है कि मैं क्या करूँ बेटा मेरे बस की कोई बात नहीं जब से बीमारी से उठी हूँ नाक से सांस ही नहीं लिया जाता।
प्र.किसे, किससे हाथ मिलाने का ढंग सिखाया जा रहा है और क्यों?
उत्तर चीफ शामनाथ के यहाँ दावत पर आया है। वह शामनाथ की मां को देखकर आदर से पहले नमस्ते करता है और तत्पश्चात उनसे हाथ मिलाने के लिए अपना दांया हाथ बढ़ाता है। शामनाथ की मां के दांये हाथ में माला थी जिसे उसने पल्लू से ढका हुआ था .अतः वह सीधे हाथ की जगह उल्टा हाथ चीफ के हाथ पर रख देती है जिससे सब लोग हंसने लगते हैं। अपने घर का मजाक उड़ता देख शामनाथ अपनी मां को चीफ़ से ठीक से हाथ मिलाना सिखाता है।
प्र. आगंतुक के आगमन का उद्देश्य क्या है?
उत्तर आगंतुक चीफ शामनाथ के आमंत्रण पर उसके घर दावत पर आया है।असल में शामनाथ ने अपनी तरक्की के लिए और चीफ़ को प्रसन्न करने के लिए उसे घर पर दावत पर बुलाया है।
प्र. शामनाथ और उसकी मां के बीच चूड़ियों को लेकर क्या बातचीत होती है?
उत्तर शामनाथ अपनी मां से चूड़ियाँ डालने को कहता है। यह सुन उसकी मां कहती है कि चूड़ियाँ तो पहले ही उसकी पढ़ाई के कारण बिक चुकी है। इस पर शामनाथ तिनककर कहता है कि मां तुम सीधा कहो न कि तुम्हारे पास चूड़ियाँ नहीं हैं, इसका पढ़ाई से क्या तअल्लुक। जेवर अगर बिका है तो कुछ बनकर भी आया हूँ। जितना खर्च किया है उससे दुगना ले लेना। यह सुन मां व्याकुल हो कहती है कि मेरी जीभ जल जाए जो तुम्हारे जेवर लूँ। यूँ ही मुँह से निकल गया था।
प्र. शामनाथ अपनी मां को क्या-क्या निर्देश देता है और क्यों?
उत्तर शामनाथ के यहाँ उसके चीफ़ दावत पर आने वाले हैं। वह घर की व्यवस्था ठीक करने के बाद मां के संबंध में सोचता है क्योंकि उसे डर है कि उसकी अनपढ़ और सीधी-सादी मां चीफ के सामने आई तो उसकी इज्जत खराब हो जाएगी और वह तरक्की भी नहीं पा सकेगा। अतः वह मां को पहले निर्देश देता है कि वह अपना काम सारा निपटा ले और जब हमारे चीफ़ बैठक से आंगन की ओर आए तो वह बाथरूम के रास्ते अपने कमरे में जाकर सो जाए और जोर से खर्राटे न मारे। कुछ देर बाद वह विचार कर बरामदे पर एक कुर्सी रखता है और मां को आदेश देता है कि पैर नीचे कर वे चुपचाप यहीं बैठी रहें और जो कुछ भी चीफ पूछे उसका ठीक-ठीक उत्तर दें।
प्र. मां ने दावत में कैसे रंग भर दिया। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर शामनाथ की मां अनपढ़ एवं सीधी-सादी नारी है जिनमें अपने परिवार के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव है । चीफ़ से पहली मुलाकात तो फीकी रहती है लेकिन चीफ उनकी सादगी से बहुत प्रभावित होता है। शामनाथ चीफ को बताता है कि उसकी मां गांव की रहने वाली अनपढ़ नारी है। यह सुन चीफ़ गीत सुनने की इच्छा रखता है । रामनाथ के दबाव डालने पर उसकी माँ विवाह गीत की तीन पंक्तियाँ गाती है जिससे दावत में एक नया रंग भर जाता है। बाद मे मां के हाथ के बनी फुलकारी चीफ को और अधिक प्रसन्न कर देती है।
प्र. शामनाथ अपनी मां को क्या आदेश देता है?
उत्तर शामनाथ अपनी मां को बरामदे की एक कुर्सी में बैठा देता है और उससे कहता है कि तुम इसी पर बैठे-बैठे सबसे मिलना और जो तुमसे पूछे उसका जवाब देना। वह अपनी मां को अपने हिसाब से कपड़े पहनाता है और साथ ही आदेश देता है कि वह कुर्सी पर तमीज से पैर नीचे करके बैठे और सबके साथ सलीके से पेश आए।
प्र. शामनाथ के क्रोधित होने का क्या कारण था ?
उत्तर शामनाथ की पार्टी जोर-शोर से सफलता की ओर बढ़ रही थी। चीफ़ बैठक में थे और शामनाथ की व्यवस्था एवं दावत से माहौल शामनाथ के पक्ष में था। तभी सहसा सभी बैठक से बरामदे की ओर खाना खाने जाते हैं लेकिन एक दृश्य देख सब ठिठक जाते हैं। उस बरामदे में कोठरी के बाहर शामनाथ की मां कुर्सी पर दोनों पांव रखे बैठी सोयी खर्राटे मार रही थी। वह दाये से बाये होती झूल रही थी। उसका पल्ला खिसक गया था। तथा मां के झड़े हुए बाल आधे गंजे सिर पर अस्त व्यस्त बिखर रहे थे। । यह दृश्य देखते ही शामनाथ क्रुध हो उठा।
प्र.पार्टी में आए लोगों को देख शामनाथ की मां कैसा महसूस करती है?
उत्तर पार्टी में आए लोग सहसा बरामदे में शामनाथ की मां को कुर्सी पर सोया देखते हैं। यह देख चीफ के मुँह से निकलता है-पूअर डियर। कुछ क्षणों के बाद शामनाथ की मां की नींद खुलती है और वह अपने सामने खड़े लोगों को देख घबरा जाती है। उसे बहुत शर्म महसूस होती है तथा इस शर्म के कारण उसका पांव लड़खड़ाने लगता है और हाथों की अगुलियाँ थर-थर काँपने लगती हैं।
प्र. शामनाथ की मां और चीफ के बीच पहली मुलाकात का वर्णन कीजिए ?
उत्तर शामनाथ की मां जब अपने आप को इतने लोगों के बीच पाती है तो सहसा वह घबरा जाती है। लेकिन वहीं दूसरी ओर चीफ शामनाथ की मां को बड़े आश्चर्य के साथ देखते हैं। वे मुस्कुराते हुए शामनाथ की मां को नमस्ते करता है। शामनाथ की मां झिझकते हुए ठीक से उन्हे नमस्ते भी नहीं कर पाती क्योंकि उसके हाथ में माला थी जो कि सीधे हाथ मे थी और उसे पल्लू में छिपा रखा था। तत्पश्चात चीफ शामनाथ की मां के आगे हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाते हैं। यह देख शामनाथ की मां अपना उल्टा हाथ उनके हाथ पर रख देती है जिससे सभी लोग हँसने लगते हैं। अंततः शामनाथ के कहने पर उसकी मां चीफ़ से हाथ मिलाती है। इस प्रकार दोनों की पहली मुलाकात बहुत हास्यास्पद रहती है।
प्र. पार्टी मे आयी विपदा को कौन दूर करता है और कैसे ?
उत्तर पार्टी शामनाथ की देखरेख मे बहुत बढ़िया चल रही थी। लेकिन शामनाथ की मां और चीफ़ की पहली मुलाकात से पार्टी के रंग में भंग पड़ जाता है। शामनाथ की मां भी यह सोच घबरा जाती है। तभी शामनाथ बात को संभालते हुए चीफ को बताता है कि उसकी मां गांव की रहने वाली है । । इस पर चीफ कहता कि गांव लोग तो भोले होते हैं और बहुत सुंदर गीत गाते हैं। चीफ के आग्रह करने पर और शामनाथ के निर्देश देने पर शामनाथ की मां विवाह-गीत की कुछ पंक्तियाँ गाती है और कुछ देर बाद उसके हाथ की बनी फुलकारी चीफ़ को अधिक पसंद आती है। इस प्रकार शामनाथ की मां के कारण पार्टी का रंग दुबारा जम जाता है और चीफ़ बहुत प्रसन्न होकर वहाँ से जाते हैं।
उत्तर शामनाथ की मां को दावत में अपनी बेइज्जती महसूस होती है। वह उस दावत में स्वयं को बड़ा असहाय महसूस करती है । साथ ही बेटे के समझाने के बाद भी वह कुर्सी पर पैर रख कर बैठती है और उसे चीफ़ के सामने हास्य का पात्र भी बनना पड़ा। इन सब बातों पर विचार करते हुए उसके आँखों से आँसू निकलने लगते हैं और उसके चेहरे का रंग भी फीका पड़ जाता है।
प्र. मां के चेहरे का रंग अब क्यों बदलने लगा ?
उत्तर दावत समाप्त होने के बाद शामनाथ बड़ी प्रसन्नता के साथ मां के पास आया और उसने बताया कि “उसका चीफ आपसे बहुत प्रसन्न है। वह आपकी बहुत तारीफ कर रहा था और इस तारीफ का मतलब है कि अब उसकी भी तरक्की हो ही जाएगी।" अपने पुत्र को इस तरह प्रसन्न देख मां का सहृदय मन प्रसन्न हो गया जिससे उसके चेहरे का भी रंग बदलने लगा ।
प्र. चीफ की दावत कहानी के आधार पर शामनाथ के चरित्र की कौन - सी प्रवृति प्रकट होती है?
उत्तर प्रस्तुत अंश के आधार पर कहा जा सकता है कि शामनाथ की मां सीधी- सादी सहृदय मां है जिसे अपना पुत्र प्राणों से अधिक प्यारा है। वह मां पुत्र को दुखी देख दुखी हो जाती है जबकि पुत्र के द्वारा सताये जाने के बाद भी पुत्र के मुख पर थोड़ी खुशी देख प्रसन्नता से खिल उठती है। उसके आँखों में उस समय एक ऐसी चमक आने लगती है कि मानो वह संसार की सबसे सुखी स्त्री हो ।
चीफ की दावत कहानी का उद्देश्य
चीफ की दावत कहानी के माध्यम से लेखक भीष्म साहनी ने समाज की सही तस्वीर निकाली है। लेखक ने इस कहानी द्वारा चीफ जैसे सहृदयों, शामनाथ जैसे धूर्त, स्वार्थी, चापलूस; शामनाथ की मां जैसी असहाय मां का चरित्र प्रकट कर यह बताया कि जो मां अपने पुत्र के लिए सर्वस्व समर्पित कर देती है उसी का बेटा उसके सर्वस्व समर्पण रूप का लाभ उठा अपने स्वार्थ पूर्ती मे लगा रहता है। ऐसा कृतघ्नी बेटा मां के कर्त्तव्य को लाभ उठा केवल अपने बारे में सोचता है, उसे मां के भावनाओं, इच्छाओं से कोई लेना देना नहीं।
चीफ की दावत कहानी शीर्षक की सार्थकता
कहानी का शीर्षक 'चीफ की दावत' अपने आप में स्पष्ट एवं घटना प्रधान है। इसी दावत के कारण प्रत्येक पात्र उभर कर पाठक के सम्मुख प्रकट होता है। यही दावत शामनाथ के स्वार्थी रूप, मां की सरल हृदया, चीफ़ की सादगी एवं रौबदार व्यक्तित्व को उद्घारित करता है। लेखक का मूल उद्देश्य आज के समाज की तस्वीर पेश करना है जो कि इस शीर्षक से चित्रित हो रही है। अतः प्रस्तुत शीर्षक सटीक एवं उपयुक्त बन पड़ा है।
चीफ कहानी भीष्म कहानी के शब्दार्थ
मुकम्मल - पूरी
अवाक - हैरान
तअल्लुक - संबंध
निस्तब्धता - जड़ के समान निष्वेष्ट
निरा - पूरी तरह
आलिंगन - गले लगाना
दुर्बल - कमजोर
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