फीचर लेखन | फीचर कैसे लिखें | फीचर का उदाहरण | Feature Writing

SHARE:

फीचर लेखन फीचर कैसे लिखें फीचर का उदाहरण Feature Writing how to write fechar lekhan in hindi फीचर लेखन करते समय बरती जाने वाली सावधानी फीचर उद्देश्य

फीचर लेखन


फीचर लेखन फीचर लेखन के उदाहरण फीचर लेखन क्या है फीचर लेखन की विशेषताएँ लिखिए फीचर लेखन किसे कहते हैं how to write fechar lekhan in hindi fechar lekhan class 11 फीचर में क्या लिखें, फीचर का अर्थ फीचर के प्रकार, फीचर के उद्देश्य feature lekhan class 12 hindi grammar hindi vyakaran feature lekhan फ़ीचर लेखन कक्षा 11 एवं 12, feature writing 

फीचर लेखन क्या है ?

फीचर एक अत्याधुनिक लेखन विधा है ,जो पत्रकारिता के क्षेत्र में विकसित ,पल्लवित और समृद्ध हुई है। स्वाधीनता के पश्चात हिंदी पत्रकारिता में रूपक लेखन की नयी विधा का विकास हुआ है। मानवीय अभिरुचि की मनोरंजक सामग्री को अब सचित्र रूप में प्रकाशित करके आम जनता तक प्रस्तुत किया जाता है। आधुनिक हिंदी गद्य के स्मारक साहित्य में फीचर रूपक का विशेष महत्व है। अंग्रेजी फीचर को हिंदी में रूपक कहते हैं। डान डंकन का कहना है कि फीचर जीवन के प्रति नवीन दृष्टिकोण ,दैनिक जीवन की करुणा ,उसके नाटक और हास्य को उसके मूल में ग्रहण कर उसका चित्रण करने की एक विधि है। फीचर एक सैंडविच के समान है ,जिसके दोनों ओर शक्कर की पर्त् से ढके हुए के टुकड़े तथा बीच में मसालेदार मॉस और आलू रहते हैं। कहने का आशय यह है कि रूपक पाठक के ह्रदय में आनंद और संतुष्टि की भावना पैदा करता है। 

डॉ.अर्जुन तिवारी के अनुसार - समसामायिक घटनाओं एवं विविध क्षेत्र के अद्यतन परिवर्तन के सचित्र और मनोरम विवरण को फीचर कहा जा सकता है। 

डॉ.ए.आर.डंगवाल के अनुसार - किसी घटना का मनोरम और विशद प्रस्तुतिकरण ही फीचर है। 

उपयुक्त परिभाषाओं से स्पष्ट हो जाता है कि किसी घटना ,प्रकरण ,तथ्य या रोचक विषय का मनोरम एवं विषद प्रस्तुतिकरण ही फीचर है। इसमें दैनिक समाचार ,सामायिक विषय अथवा बहुसंख्यक पाठकों की अभिरुचि वाले विषय की चर्चा होती है। इसके माध्यम से लेखक व्यक्ति तथा परिवेश के व्यक्तित्व और समग्र रूप को उद्घाटित करता है। इतना ही नहीं ,अपितु फीचर लेखक स्थान के विवरण के द्वारा एक दूसरी कहानी भी प्रस्तुत करता है। 

फीचर लेखन के विभिन्न अंग

वस्तुतः फीचर का स्वरुप विवरणात्मक होता है। इसीलिए कुछ हद तक फीचर समाचार और लेख के समान ही होता है। फीचर के तीन प्रमुख अंग होते हैं - 

फीचर लेखन | फीचर कैसे लिखें | फीचर का उदाहरण | Feature Writing
प्रस्तावना
- अंग्रेजी में प्रस्तावना को इंट्रोडक्शन कहते हैं। इंट्रोडक्शन का संक्षिप्त रूप इंट्रो हैं। हिंदी और उर्दू में पत्रकार इसे आमुख या मुखड़ा भी कहते हैं,किन्तु प्रस्तावना शब्द ही अधिक प्रचलित है। प्रस्तावना के माध्यम से फीचर के विवरण का सार तत्व प्रस्तुत कर शेष विवरण को जानने की जिज्ञासा पैदा की जाती है। श्रेष्ठ ,अच्छी और उत्तम प्रस्तावना प्रथम वाक्य से संदर्भित विषय वस्तु के प्रति पाठक का ध्यान आकर्षित करती है। इस प्रकार मूल विषय की नव्यतम और महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तावना में दी जाती है। 

विषयवस्तु की विभिन्नता के अनुसार प्रस्तावना लेखन में विविधता वस्तुतः लेखक की शैली पर निर्भर होती है। प्रस्तुतिकरण के तरीकें में छूट होने पर भी यह अपेक्षित है कि उसमें सारगर्भित तथ्य और विचार समाहित हों। इसके अतिरिक्त प्रस्तावना में तथ्य का निष्कर्ष और महत्वपूर्ण अंश पाठक की संतुष्टि हेतु प्रभावशाली रूप में आना चाहिए। फीचर का आरम्भ और अंत रोचक एवं आलंकारिक शैली में अच्छा एवं उपयुक्त माना जाता है। यही कारण है कि कुछ फीचर लेखक प्रस्तावना का प्रारंभ लघु कथा प्रविधि के अनुरूप करते हैं। कुछ नाटकीय पुट देकर अथवा किसी मनोरंजक तरीके से प्रारंभ करते हैं और उसे सजाते - सँवारते हैं। 

वस्तुतः प्रस्तावना के विविध रूप प्रचलित हैं। जैसे - 
  • सारयुक्त अग्रांश 
  • विशिष्ट घटनात्मक अग्रांश 
  • दृष्तान्वित अग्रांश 
  • लघु वाक्य अग्रांश 
  • प्रश्नात्मक अग्रांश 
  • विरोधात्मक अग्रांश 
  • सादृश्य अग्रांश 
  • चित्रात्मक अग्रांश 
  • प्रत्यक्ष भावान्वित अग्रांश 
  • नाट्यात्मक अग्रांश 

विवरण - प्रस्तावना के बाद फीचर का दूसरा अंग विवरण होता है। प्रस्तावना में फीचर के विषय का जो संकेत अथवा महत्वपूर्ण सार तथ्य दिया जाता है ,उसे विवरण से संपुष्ट किया जाता है। विषय का प्रस्तुतिकरण करते समय इसमें फीचरकार को इस बात का ध्यान रखना पड़ता है कि पृथक पृथक अनुच्छेदों के भावों की शृंखलाबद्धता में एक्य बना रहे। 

उपसंहार - यह फीचर का तीसरा और अंतिम अंग हैं। इसमें फीचर के मुख्य तथ्यों का समीक्षात्मक सारांश दिया रहता है। 

फीचर लेखन की विशेषताएं

रोचकता तथा आकर्षण फीचर का सर्वप्रमुख गुण होता है। फीचर को आकर्षक तथा रोचक बनाने के लिए निम्नलिखित तत्वों की आवश्यकता पड़ती है - 
  1. फीचर लेखक को निश्चतता और उपयुक्तता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। किसी भी तथ्य को घुमा - फिराकर अथवा किसी बात को बार बार लिखने से फीचर का महत्व और उसकी उपयोगिता खत्म हो जाती है। 
  2. फीचर लिखते समय लेखक को आरम्भ से अंत तक विषय की सीमा के अन्दर रहना जरुरी होता है। ऐसा न होने पर फीचर का धारा प्रवाह रूप और क्रमबद्धता नष्ट हो जाती है। फीचर लेखक को सदैव पाठकों को सतर्क रखने की कोशिश करनी चाहिए ,ताकि पाठक आगे आने वाली बातों को पढ़ने हेतु उत्सुकता दिखाएँ। 
  3. फीचर रचना को रोचक और आकर्षक बनाने के लिए उसमें प्रतिक्रियाओं एवं घटनाओं का उचित प्रयोग अति आवश्यक होता है। 
  4. हास्य परिहास जीवन की अनमोल निधि है ,जो जीवन को रसमय बनाती है। अतः फीचर लेखक को अपने द्वारा लिखित फीचर में सम्यक हास्य परिहास का पुट देकर रचना को सुन्दर बनाने का प्रयास करना चाहिए। 
  5. फीचर का निर्माण करते समय लेखक को भूमिका इस तरह लिखनी चाहिए कि पाठक के मन में उसके सम्बन्ध में उत्सुकता और अभिरुचि पैदा हो जाए। 
  6. फीचर लेखक की सफलता का महत्वपूर्ण तत्व सुन्दर प्रारंभ और आनंदमय अंत होता है। 
  7. फीचर रोचक और धमाकेदार होना चाहिए ,न की लम्बा ,नीरस और गंभीर। 
  8. फीचर लिखते समय हास्य परिहास तथा कल्पना का विशिष्ट योग रहता है। 
  9. लेखक का अनुभव और अनुमान भी एक महत्वपूर्ण तत्व हैं ,जिसमें फीचर का जन्म होता है। 
  10. पुराने पत्र एवं पत्रिकाओं के माध्यम से एक अच्छे फीचर की रचना की जा सकती है। 

फीचर लेखन करते समय बरती जाने वाली सावधानी

फीचर लेखकों ने प्रायः सादगीपूर्ण लेखन पर विशेष बल दिया है। वस्तुतः सादगी उत्कृष्ट लेखन का एक अनिवार्य तत्व हैं ,जो शब्द ,वाक्य ,परिच्छेद  आदि सभी को संस्पर्श करती है। पाठक की यह अभिरुचि रहती है कि तथ्य या समाचार की सही जानकारी उसके सम्मुख आकर्षक शैली में हों। यही कारण है कि जहाँ एक ओर फीचर लेखक को समाचार बोध का ध्यान रखना पड़ता है ,वहाँ दूसरी ओर पर्याप्त साहित्यिक अभिव्यक्ति पर भी दृष्टि रखनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त फीचर लेखन शैली की अग्रलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए - 
  1. परिच्छेद छोटे छोटे होने चाहिए,जिससे पाठकों को पढ़ने में सुविधा हो। 
  2. फीचर की शैली में क्लिष्ट भाषा और लम्बे लम्बे वाक्यों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। ऐसा न होने से फीचर के प्रति पाठकों के मन में अरुचि का भाव जाग्रत हो जाता है। 
  3. फीचर की वाक्य योजना सुगठित होनी चाहिए। 
  4. वाक्य योजना में आकर्षक तत्वों का समावेश अपेक्षित है। 
  5. फीचर में गति व उत्तेजना लाने हेतु सीधे सादे वाक्यों का प्रयोग प्रवाही होता है। 
  6. फीचर का प्रारंभिक वाक्य यदि रुचिकर नहीं है ,तो वह पाठकों को आकर्षित नहीं कर सकेगा। 
  7. फीचर की शैली नीरस नहीं होनी चाहिए। 
  8. फीचर की शैली में सामान्यतः प्रचलित शब्दों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। 

फीचर तथ्यों की गवेषणा है ,जिसका लक्ष्य प्रशिक्षण ,निर्देशन और सूचना देना है। इसीलिए फीचर मनोरंजक ,अनौपचारिक एवं घुल मिलकर की जाने वाली वार्तालाप शैली में लिखा जाता है ,जिससे वह पाठकों को आकर्षित कर सके और अपने महत्व को बनाये रखे। 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका