नचिकेता की कहानी इन हिंदी | Nachiketa Story in Hindi

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नचिकेता की कहानी


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नचिकेता की कहानी का सारांश

चिकेता की कहानी प्राचीन काल की बहुत प्रसिद्ध कहानी है। इस कथा कठोपनिषद् से ली गयी है। इसमें बालक नचिकेता के माध्यम से एक ऐसा चरित्र प्रस्तुत किया है कि जिसमें अटूट सत्यनिष्ठा तथा दृढ पितृ भक्ति है। साथ ही उसमें अनुचित कार्य करने पर पिता का विरोध करने का और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए सांस्कारिक सुखों के प्रलोभनों को ठुकरा देने का सहारा भी है। 

नचिकेता की कहानी इन हिंदी | Nachiketa Story in Hindi
एक राजा था। उसका नाम था वार्श्रावा। उसने एक बार एक विशाल यज्ञ करवाया। यज्ञ की समाप्ति पर वह ब्राह्मणों  को बूढी और मरियल गाएँ दान देने लगा। उसके नौ वर्षीय पुत्र नचिकेता ने भारी मन से अपने पिता से पूछा - पिताजी आज मुझे किसको देंगे ? उत्तर न मिलने पर उसने यही प्रश्न दूसरी और तीसरी बार भी पूछा। पिता ने रूष्ट होकर उत्त्तर दिया - जा ,मैं तुझे यमराज को देता हूँ। नचिकेता तुरंत यमलोक पहुँच गया। यमराज को न पाकर वह उसके द्वार पर भूखा प्यासा बैठा रहा। तीन दिन बाद जब यमराज आये तो उन्होंने नचिकेता से तीनों रातों के लिए एक एक वरदान माँग लेने को कहा। 

नचिकेता ने पहले वरदान में पिता का क्रोध शांत होने तथा दूसरे में स्वर्ग लोक की प्राप्ति कराने वाले यज्ञ की विधि पूछी। यमराज ने नचिकेता को वे सब विधियाँ समझाई ,जिनसे मनुष्य स्वर्ग प्राप्त कर सकता है। तीसरे वरदान में नचिकेता ने यमराज से आत्मा के रहस्यों की जानकारी माँगी। यमराज आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने नचिकेता को अनेक भय और लोभ दिखाए। नचिकेता उसी वरदान के लिए हठ करता रहा। अंत में नचिकेता की उसी वरदान के प्रति दृढ आस्था को देखकर यमराज ने उसे आत्मा का रहस्य बता दिया - आत्मा न तो कभी पैदा होती है , न मरती है। वह अज़र -अमर है और शरीर के नष्ट हो जाने पर भी विद्यमान रहती है। जो सांस्कारिक आकर्षणों को ठुकराता है ,उसे ही इसका रहस्य मालूम हो सकता है। इसीलिए पुत्र , तुम उठो ,जागो और श्रेष्ठ व्यक्तियों के पास जाकर उनसे सच्चा ज्ञान प्राप्त करो। 

बालक नचिकेता ने यम के आदेश पर आचरण किया। वह बड़ा होकर धर्मात्मा और विद्वान बना। 

नचिकेता की कहानी के प्रश्न उत्तर

प्र. वाजश्रवा नचिकेता को मृत्यु को देने की बात को वापस क्यों न ले सका ?
उ. वाजश्रवा ने क्रोध में आकर अपने बेटे नचिकेता को मृत्यु को देने की बात कह रही थी। वाजश्रवा यद्यपि अनुभव करने लगा था कि उसने नचिकेता को मृत्यु को देने की अनुचित बात कह दी थी ,पर वह अब उसे वापस लेने का कोई उपाय न था। जिस प्रकार धनुष से छूटा हुआ बाण वापस नहीं आ सकता है ,उसी तरह मुंह से निकली हुई बात भी लौटाई नहीं जा सकती है। इस कारण वाजश्रवा अपने पुत्र नचिकेता को मृत्यु को देने की बात को वापस नहीं ले सका। 

प्र. यमराज को नचिकेता अन्य बालकों से भिन्न क्यों लगा ?
उ. यमराज को नचिकेता अन्य बालकों से भिन्न लगा क्योंकि नचिकेता के चेहरे पर तेज़ था और मुख पर दृढ़ता झलक रही थी। यमराज का नाम सुनकर सभी मनुष्य थर -थर काँपते थे ,पर नचिकेता यमराज के सामने बिना किसी भय के स्वाभिमान के साथ खड़ा था। इसीलिए यमराज को अन्य बालकों से भिन्न लगा। 

प्र. नचिकेता ने यमराज से कौन से तीन वर माँगे ?
उ. नचिकेता ने यमराज से जो पहला वर माँगा वह था कि - जब मैं आपके पास से वापस जाऊं तो मेरे पिता मुझे पहचान लें और उनका क्रोध मुझ पर कम हो जाए। दूसरे वर में नचिकेता ने यमराज से कहा कि वह उसे बताएं कि आनंदपूर्ण स्वर्ग को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है। तीसरे वर के रूप में नचिकेता ने यमराज से आत्मा का रहस्य जानना चाहा। 

प्र. अनेक प्रलोभनों के बाद भी नचिकेता आत्मा और मृत्यु के रहस्य को समझने का आग्रह क्यों करता रहा ?
उ. यमराज ने नचिकेता को अनेक प्रलोभनों दिए पर नचिकेता अपने निश्चय पर दृढ रहा। उसका कहना था कि यमराज द्वारा दिए गए वरदानों में से किसी से भी मनुष्य को सच्चा सुख नहीं मिल सकता है। संसार के सुख शरीर और इन्द्रियों को क्षीण कर देते हैं। धन से भी मनुष्य की तृप्ति संभव नहीं होती है। इसीलिए वह आत्मा और मृत्यु के रहस्य को समझने का आग्रह करता रहा। 

प्र. यमराज ने शरीर आत्मा ,इन्द्रिया ,मन और बुद्धि को किस किस के समान बताया है ?
उ. यमराज ने शरीर को रथ के समान ,आत्मा को रथ पर बैठकर यात्रा करने वाले यात्री के समान इन्द्रियां को रथ के घोड़े के समान बताया है। मन घोड़ों की लगाम के समान है और बुद्धि सारथी के समान है। 

प्र. यमराज को किस बात का दुःख हुआ और उन्होंने उसके लिए प्रायश्चित क्यों किया ?
उ. जब नचिकेता यमराज के घर पहुँचा तब यमराज यमपुरी में नहीं थे। इस कारण नचिकेता को तीन दिन तक यमराज के घर के बाहर दरवाजे पर भूखा -प्यासा रहना पड़ा। एक ब्राह्मण कुमार को अपने घर इस दशा में देखकर यमराज बहुत दुखी हुए। उन्हें इस बात का दुःख था कि उन्हें के कारण ब्राह्मण कुमार की यह दशा हुई है। अतः ब्राह्मण कुमार नचिकेता के उनके दरवाजे पर तीन दिन तक भूखा - प्यासा पड़े रहने के लिए उन्होंने प्रायश्चितकिया। 


नचिकेता की कहानी के कठिन शब्द अर्थ

प्रज्वलित - जलना 
आहुति - यज्ञ 
पूर्णाहूति - यज्ञ में डाली जाने वाले अंतिम आहुति 
कृपणता - कंजूसी 
प्रयोजन - उदास 
प्रयोजन - उद्देश्य 
प्रायश्चित - बुरे काम के फल से बचने के लिए किया जाना वाला कार्य 
जिज्ञासा - जानने की इच्छा 
विधियाँ - तरीके 
प्रलोभन - लालच 
तीव्र - तेज़ 
तृप्ति - संतुष्टि 
दुर्दशा - बुरी दशा 
सारथी - रथ को चलाने वाला

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