छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबंध हिंदी में | Essay on Small Family Happy Family

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छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबंध हिंदी में


छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबंध हिंदी में Essay on Small Family Happy Family - भोजन ,वस्त्र तथा मकान को सदैव ही आवश्यकता रही है। सभ्यता के आदिकाल से ही मानव सुरक्षा के दृष्टिकोण से वृक्ष की डालियों पर या गुफाओं में रहता था। जैसे जैसे सभ्यता का विकास हुआ ,मानव के लिए घर की आवश्यकता और महत्व बढ़ता गया। 

घर की आवश्यकता 

घर की आवश्यकता मानव को विपरीत मौसम ,शत्रु तथा खतरनाक पशुओं से सुरक्षा के लिए रही है। इसके अतिरिक्त घर से मानव का सदैव से रागात्मक सम्बन्ध रहा है। घर - इन दो अक्षरों में कुछ ऐसा आकर्षण छिपा हुआ है कि जीवन के संघर्ष से उबकर शाम के समय वह ही तीव्रता से घर की ओर भागता है ,जैसे पशु अपने स्थान तथा पक्षी अपने घोंसले की ओर भागते हैं। घर शब्द का अर्थ ईंट ,पत्थर ,चूने या सीमेंट से घिरे चार दीवारों के घेरे से नहीं है। सामान्य रूप में घर से यही अर्थ किया जाता है ,किन्तु घर का अर्थ है वह स्थान जहाँ सेवा ,त्याग ,सहयोग ,सहनशीलता एवं स्नेह आदि का वातावरण देखने को मिलता है। किसी विचारक ने कहा है कि - 

ईंट और चूने से बन जाते हैं ,मकान। 
किन्तु घर तो बनता है ,सेवा और प्यार से। 

घर में सामान्य अवस्था में माता -पिता ,पति -पत्नी तथा बच्चे होते हैं। घर को घर बनाने के लिए मजबूत चारदिवारी ,छोटा बगीचा ,जीवन के सुख और आराम के साधन आदि की उतनी आवश्यकता नहीं है। इसका कारण है कि उपयुक्त वर्णित साधन तो ब्राह्य दिखावे के प्रतीक है। 

घर को घर बनाने के लिए टीबी ,फ्रीज ,कूलर तथा एयर कंडीशन या धन का भी अधिक महत्व नहीं ,क्योंकि इससे भौतिक समृद्धि का परिचय मिलता है। 

नारी के विशेष गुण

छोटा परिवार सुखी परिवार पर निबंध हिंदी में | Essay on Small Family Happy Family
एक आदर्श घर में हर दिन का आरम्भ आह्लाद और उमंग से होता है। पति - पत्नी की मधुर मुस्कान ,वातावरण को मधुर एवं आकर्षक बना देती है। वृद्धों के प्रति उचित सम्मान तथा परिजनों की भावनाओं को महत्व देने से परिवार का वातावरण भी सुन्दर हो जाता है। 

नारी को गृहस्थी तथा गृहलक्ष्मी जैसे विशेषणों से संबोधित किया जाता है। एक आदर्श घर में नारी का सक्रीय सहयोग आवश्यक है। किसी विद्वान ने सत्य ही कहा है - 

बिन घरनी ,घर भूत का डेरा। 

पत्नी ,अपनी मधुर वाणी ,मादक अंदाज ,प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं हँसमुख स्वभाव से घर को स्वर्ग के समान सुन्दर बना सकती है। पत्नी के रूप में रम्भा के समान वह पति को प्रेम एवं आनंद के सागर में आकंठ मग्न कर देती है। माँ के रूप में वह अपनी संतान में शिवाजी ,महाराजा प्रताप तथा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के गुणों को जागृत कर उन्हें समाज का उपयोगी सदस्य बना देती है। अपने स्नेहपूर्ण व्यवहार से वह परिवार में ममता ,वात्सल्य ,आज्ञापालन ,सेवा ,त्याग और सहनशीलता का भाव जाग्रत कर सकती है। 




परिवार ही नागरिकता की प्रथम पाठशाला

परिवार ही नागरिकता की प्रथम पाठशाला है। जहाँ बालक भविष्य की तैयारी करता है। गृहलक्ष्मी के रुप मे वह मंत्री,महारानी ,बहन और बेटी के कर्तव्यों का पालन कर सकती है। सास ,बहू तथा ननद भावज के संबंधों पर भी परिवार की मधुरता और आनंद निर्भर करता है। आइए हम एक आदर्श घर में समाज तथा राष्ट्र की कल्पना को साकार बनाने का संकल्प लें। 

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