अब सीता अग्नि परीक्षा नहीं देगी

SHARE:

अब सीता अग्नि परीक्षा नहीं देगी राम देगा यह जो पुरुष बाप बनने के अधिकारों का ढिंढोरा पीट ते हैं अगर उनसे नोः महीने एक बच्चे को पेट में रखने को कहा

अब सीता अग्नि परीक्षा नहीं देगी - राम देगा

                                      
ज वोह बहुत अच्छा  महसूस  कर रही हैं।  उसने अपनी नाम पट्टिका से श्रीमती  शब्द  हटबा दिया हैं।  वास्तव में उसे सुश्री  और  श्री मति दोनों  ही शव्दो से  नफरत हैं। सुश्री  शब्द आपको अधूरा बनाता हैं और  श्री मति शब्द आपको किसी पर निर्भर  बनाता  हैं। यह शब्द आपके  व्यक्तित्व को छिपा देते हैं।अब  उसका नाम डॉ  स्मिता  भटनागर  एमएससी  पीएचडी और बोह एक डिग्री कॉलेज में मैथमैटिक्स  की  एसोशिएट  प्रोफेसर हैं। साथ में एक बेटी की माँ हैं जो चार बरस की हैं।  
                         
अभी अभी बोह कोर्ट से अपनी तलाक  का केस जीत गयी हैं और साथ में  बोह अपनी बेटी की  गार्डियन  पूर्ण  रूप से बन गयी हैं। अब उसकी  बेटी का पिता उसकी  मर्जी पर महीने में सिर्फ एक बार एक घंटे के लिए उससे मिलने आ सकता हैं।  बोह कोर्ट को यह समझाने में पूरी तरह कामयाब रही कि बायोलॉजिकल  बाप  बनने के  अतिरिक्त उसकी  बेटी की परवरिश  में इसके पिता का कोई योगदान नहीं हैं |बोह  कोर्ट को समझा पाई कि उसकी बेटी का पिता एक गैर जिम्मेदारा ना ,आलसी व्यक्ति हैं ,उसकी माली हालात भी ठीक नहीं हैं।  उसका आचरण  और व्यवहार  एक सभ्य समाज के लिए घातक हैं |
                        
यह जो पुरुष  बाप बनने  के अधिकारों का ढिंढोरा पीट ते हैं अगर उनसे नोः महीने एक बच्चे को पेट में रखने को कहा जाय तो निन्यानवे प्रतिशत पुरुष बाप बनने से मना कर देंगे।  जो चीज आपको बिना दर्द के मजे में प्राप्त हो जाए आप उसकी कदर नहीं करते हैं। 
                     
अब सीता अग्नि परीक्षा नहीं देगी
ऐसा समाज जो पुरुषों को ज्यादा अधिकार देता हैं , उसे कभी भी  पसंद नहीं आया।  शुरू शुरू  में बोह बहार  भाई के साथ खेलने जाना  चाहती  थी लेकिन  परिवार  इसकी इजाजत  नहीं देता था।  किन्तु उसने किसी की भी ना सुनी।  बोह तैकंडो की , कुश्ती और फुटबॉल  की बेहतरीन खिलाड़ी  रही हैं  और राइफल शूटिंग में स्टेट चैम्पियन रही हैं उसने उन लड़ को जो उसे बुरी नजर से देखते थे उनका पिछवारा इस तरह से सुजाया हैं की कम से कम दस  पंद्रह  दिन उनेह हास्पिटल में रहना पड़ा।  यही कारण था की जब बोह सड़क  पर निकलती थी ,लड़के आँखें नीची कर लेते थे। 
                     
जब उसने इन्टर की परीक्षा फ़र्स्ट डिवीज़न से पास की , परिवार उसे पढ़ाई छोड़ कर शादी करने का दबाब बनाने लगा।  उसने किसी  की भी ना सुनी।  उसने परिवार से कह दिया की जब उसे स्कौलरशिप  मिलता हैं तो बोह पढ़ाई  क्यों  ना करे । या तो बोह मर जायेगी  या पढ़ाई  करेगी  और उसने अपने हाथ की नस काट ली थी।  मजबूरन  परिवार  को उसकी बात मान नी पड़ी और आज उसकी एक हस्ती हैं।  अब बह बो कमजोर  सीता नहीं हैं  जो राम के कहने से बार बार अग्नि परीक्षा  देती रह गी। उसने डिग्री कॉलेज के बदमाश गुण्डे लड़ को को ठीक कर दिया।  उसने उनको बताया की एक बार समझा रही हूं दूसरी बार पिछवाड़ा में अपने रिवाल्वर की नोक कर दूंगी और किसी काम के नहीं रहोगे .                            
                   
शादी के महत्व को समझाने के लिए मेरी एक दूर की बुआ आयी , जो मेरी नजर में दुनिया की सबसे कमजोर औरत थी।  उसके पति ने  बुआ के साथ साथ एक दूसरी  औरत भी रख ली थी।   पंद्रह दिन एक के पास और पंद्रह दिन दूसरी के पास उसका पति रहता था और कभी कभी तो दोनों को एक साथ रखता था  और बोह  बुआ उसकी प्रौपर्टी को अपनी बता कर बड़ी खुश होती थी  जैसे उसका पति बहुत अच्छा काम कर रहा हो।  अब आप बताये  ऐसे लोगो को में क्या कहकर संबोधित  करू। मेंने उस दूर की बुआ से पूछा की बोह भी किसी  को फाँस ले  पंद्रह दिन उसके पास रहे और पंद्रह दिन फूफा के पास और कभी कभी दोनों के पास सोया करो  तब  उसके  पति  को के सा लगेगा। मेरी बात सुनकर बोह तिलमिला  कर चली गयी।  
                   
बोह शादी नहीं करना चाहती थी  लेकिन  पापा की  परेशानी को देख कर उसे शादी करने का बिचार करना पड़ा  और उसका रिश्ता अमित से तय हो गया। पापा शादी से पहले अमित और उसके परिवार की बहुत तारीफ़ करते थे।  पापा को पता ही नहीं था की बोह अपने खोटे सिक्के को चला रहे  और  शरीफ  होने का नाटक कर रहे हैं।  
                   
उसे याद आता हैं की उसकी शादी को  एक  सप्ताह रह गया था  ।  परिवार में सब लोग खुश   थे   लेकिन उसकी एक जिद ने सबको   परेशान  कर दिया था  और सबसे ज्यादा  उसके पापा  दुखी थे  | बोह ही एक मात्र  व्यक्ति हैं जिनसे बोह सबसे ज्यादा प्यार करती हैं  और सबसे ज्यादा उन्हीं से लड़ती हैं।  बास्तब में बोह इस पुरुष प्रधान समाज  जो की सड़ी गली परम्पराओं  , गंदगी से भरी ,रूरीबादी व्यवस्था के प्रतीक  हैं  और बह इस समाज के सख्त  खिलाफ हैं।  इसी वजह से उसकी उसके पापा से लड़ाई  होती रहती हैं। 
              
अभी अभी उसकी होने बाली ससुराल से पैगाम आया हैं की बहू  की नाक छिडी नहीं हैं।  बहू की नाक छिदवा दो और एक बड़ी सी नथनी  पहेनबा  देना।  उनके परिवार  और लड़के को यह पसंद आएगा  जैसे बहू घर सजाने और उनके लड़के के दिल बह लाने  की कोई वस्तुः  हो। उसने साफ़ मना कर दिया था किन्तु उसके पापा फिर अपनी इज्जत का बास्ता  लेकर आ जाते हैं  और उसे मजबूरन  नाक छिदवाने के लिए तैयार होना पड़ता हैं।  एक बार फिर सीता को अग्निपरीक्षा  देनी पड़ती हैं।  
               
शादी होने के बाद बोह ससुराल आ जाती हैं।  बेकार की रस्म के पूरा होने के बाद बोह खुद को से टल करने की कोशिश करती हैं।  बोह घर  ससुराल कम अजायबघर ज्यादा लगता था और बोह बांह एक दासी या नौकरानी थी। 
                
सुबह उठो सब के लिए चाय बनाओ।  बाकी सब लॉट साहब की तरह सोते रहे।  जल्दी जल्दी तैयार हो कर कॉलेज भा गो और फिर शाम के खाने की तैयारी करो। सास महोदया कोई काम नहीं करती थी मानो एक नाकारा लड़का पैदा कर  और उसकी शादी एक नौकरीपेशा लड़की से करा कर उन्हों ने जग जीत लिया हैं और अब बोह बैठ कर हराम की खायेंगी। उनका लड़का महा झूठा आदमी।  कहता था की बोह आयोग से सेलेक्ट होकर लेक्चरर बना हैं जबकि बोह कांट्रैक्ट पर था  और शादी के एक साल बाद उस को निकाल दिया गया था। अब बोह पूरे दिन सोता हैं। शाम को अपने दोस्त के साथ मटरगश्ती करने निकल जाता हैं। खिला ने के लिए उसकी बीबी हैं।   प्रौपर्टी के नाम पर दो कमरों का एक पुराना मकान था।  बोह सब बहू के कमाए पे सो पर गुजारा करतेहैं। और साथ में बहू का खून पीते रहते हैं।।  जब तक बोह समझ पाती कि उसका भयंकर शोषण हो रहा हे  और इस परिस्थिति से स्वयं को निकालने की तैयारी कर पाती तब तक बोह एक बेटी की माँ बन चुकी  थी । 
                         
जब उसने तलाक लेने का फैसला किया ,ससुराल और मैके में भूचाल आ गया। सब ने अपनी अपनी तरह समझाने की कोशिश की। इज्जत की दुहाई दी गयी। औरत के कर्तव्य की याद दिलाई गयी। उसे बताया गया की एक पत्नी मरने पर ही अपने पति का घर छोड़ती। लेकिन उस पर इन  चीजों  का कोई असर नहीं हुआ। उसने साफ़ कह दिया की उसके कमाए पे सो पर सिर्फ उसका और उसकी बेटी का हक हैं और बोह किसी और को इसका फ़ायदा उठाने नही दे गी। बोह  बह सीता नहीं हैं जो राम के बन बास जाने पर स्वंय उसके पीछे पीछे  जंगल  चली जायेगी  और बेमतलब के अग्नि परीक्षा देती फिरेगी। बोह हर हालात में अपने निकम्मे पति को तलाक दे गी |
                              
अब राम अग्नि परीक्षा देगा ,सीता नहीं।  सदीओ से सीता रूपी औरत का शोषण होता रहा हैं।  अब बोह कमजोर नहीं हैं। अब उसका शोषण  कोई नहीं कर पाएगा। अब सीता अग्नि परीक्षा नहीं दे गी ,अग्नि परीक्षा नहीं दे गी।  राम अग्नि परीक्षा  देगा। राम अग्नि परीक्षा  देगा। 

                                               


- अशोक कुमार भटनागर 
रिटायर वरिष्ठ लेखा अधिकारी 
रक्षा लेखा विभाग , भारत सरकार

COMMENTS

Leave a Reply: 1
  1. कहानी का प्लॉट बहुत अच्छा है। बहुत अच्छी बुनाई क्षभी है । पर आपकी हिन्दी बहुत कमजोर है। यदि व्याकरणिक कमियां सुधार दी जाएँ तो एक बेहतर नए विचार की कहानी बन सकती है जो समाज में विचारों का उफान भर सकता है। नए समाज का सृजन कर सकती है।

    जवाब देंहटाएं
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका