भारतीय आम चुनाव, 2014

SHARE:

भारतीय आम चुनाव, 2014 भा.ज.पा. की कांग्रेस से जिन चुनाव क्षेत्रों में सीधी भिड़ंत हुई, वहाँ पर तो मानो इन दोनों दलों के बीच उनके राष्ट्रीय एजेंडे को

लोकसभा चुनाव: 2014 के चुनाव में भाजपा को मिला था प्रचंड बहुमत, टूटा था 30 सालों का रिकॉर्ड


16वें लोकसभा चुनाव में 'मोदी लहर' की बदौलत भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला था। लोकसभा चुनाव में भा.ज.पा. ने 30 सालों का रिकॉर्ड तोड़ 282 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में भा.ज.पा. गठबंधन ने कुल 336 सीटें जीती थीं। 1984 में कांग्रेस के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भा.ज.पा. पहली ऐसी पार्टी बनी थी जिसने अपने दम पर सरकार बनाने लायक सीटें जीती थीं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को इस कदर प्रचंड बहुमत मिला था। उस वक्त कांग्रेस ने अपने दम पर 404 सीटें जीती थीं। 2014 के चुनाव में राजस्थान और गुजरात में भा.ज.पा. ने लोकसभा की पूरी की पूरी सीटें जीती थीं। 2014 में 543 सीटों पर लोकसभा चुनाव हुआ था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 336 सीटें मिली थी जबकि भा.ज.पा. ने 282 सीटें जीती थीं। इस चुनाव में कांग्रेस के खाते में कुल 44 सीटें आई थीं। जबकि कांग्रेस गठबंधन ने कुल 60 सीटें जीती थीं। शिवसेना ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीती थी जबकि एन.सी.पी. के खाते में 6 सीटें गई थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी वडोदरा और वाराणसी सीटे से चुनाव जीते थे। वडोदरा में मोदी ने कांग्रेस उम्मीदवार मधुसूदन मिस्त्री और वाराणसी में केजरीवाल को हराया था।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की 80 सीटों में से 71 पर जीत दर्ज की थी। वहां कांग्रेस के खाते में सिर्फ दो सीटें आई थी। जबकि दो सीटें 'अपना दल' ने जीती थीं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 5 सीटें जीती थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि राजस्थान की सभी 25 सीटें भा.ज.पा. की झोली में गई थीं। मध्यप्रदेश में भा.ज.पा. ने 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसी तरह, झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटें भा.ज.पा. के खाते में गई थी। 16वें लोकसभा चुनाव परिणाम बाद भा.ज.पा. वर्ष 1984 के बाद लोकसभा में पूर्ण बहुमत पाने वाली पहली पार्टी बन गई थी। इसके पहले 1984 में कांग्रेस ने 417 लोकसभा सीटें जीती थी। 2014 में हुए इस चुनाव में नरेंद्र दामोदरदास मोदी की लहर साफ दिखाई दी। सं.प्र.ग.-2 को भ्रष्टाचार पर घेरते हुए भा.ज.पा. की 1984 के बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। जहां भा.ज.पा. ने 31.34 फीसद वोट के साथ 282 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस 19.52 फीसद वोट के साथ 44 सीटों पर सिमट कर रह गई। कई क्षेत्रीय पार्टियां खाता भी नहीं खोल सकीं। कांग्रेस को 1984 में पूर्ण बहुमत मिलने के तीस साल बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भा.ज.पा. ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। बीच के अंतराल में गठबंधन सरकारों का दौर रहा जिनमें कई अस्थिरता का शिकार भी रहीं। वोट देने के प्रति लोग जागरूक हुए। लिहाजा इस चुनाव में वोट फीसद में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और यह पिछले सभी चुनावों से सबसे ज्यादा 64.4 फीसद रही। इससे पहले 1984 के आम चुनाव में सबसे ज्यादा वोटिंग 64.1 फीसद रही थी। सोशल मीडिया, चुनाव आयोग और चुनाव सुधार में जुटी संस्थाओं के सामूहिक सहयोग से लोगों में वोट करने के प्रति ललक में इजाफा दिखाई दिया। 2014 के चुनाव में 3,426 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो 2009 में हुए 1,483 करोड़ रुपये के खर्च से 131 फीसद ज्यादा था। पहले लोकसभा चुनाव में महज 10.45 करोड़ रुपये का खर्च आया था।

खेल, फिल्म और संगीत के क्षेत्र से जुड़ी कई हस्तियों ने इस चुनाव में अपना भाग्य आजमाया। जैसे फिल्म अभिनेता राज बब्बर, फुटबाल खिलाड़ी भाईचुंग भूटिया, अभिनेता बिस्वजीत चटर्जी, अभिनेत्री स्मृति ईरानी, अभिनेता जावेद जाफरी, फिल्म निर्देशक प्रकाश झा, क्रिकेट खिलाड़ी मुहम्मद कैफ, भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन , अभिनेता अनुपम खेर की अभिनेत्री पत्नी किरण खेर , संगीत निर्देशक बप्पी लहरी, फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर, हास्य अभिनेता भगवंत मान, आइटी विशेषज्ञ नंदन नीलेकणि, अभिनेत्री गुल पनाग, निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर, अभिनेता परेश रावल, अभिनेत्री राखी सावंत और मुनमुन सेन, गायक बाबुल सुप्रियो, गायक मनोज तिवारी और अभिनेत्री नगमा शामिल रहे। 81.45 करोड़ मतदाताओं में से 2.31 करोड़ ने पहली बार अपने मत का इस्तेमाल किया। कुल 9,30,000 मतदान केंद्रों में 14 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें थीं।

*आँकड़ों का खेल : 2014 के आम चुनाव का एक विश्लेषण :-

2014 के आम चुनाव का अगर शव-परीक्षण किया जाए तो यह तथ्य उभरकर सामने आता है कि भा.ज.पा. ने इस चुनावी मुकाबले में 282 (अर्थात् 52 प्रतिशत) सीटें जीती हैं और उनका वोट शेयर मात्र 31 प्रतिशत रहा है | यदि इस चुनाव से सन् 2009 के चुनाव की तुलना की जाए हो हम पाएँगे कि उस समय कांग्रेस ने उस चुनावी मुकाबले में  206 अर्थात् 38 प्रतिशत सीटें जीती थीं और उनका वोट शेयर मात्र 29 प्रतिशत रहा था | समान वोट शेयर के बावजूद जीती गई सीटों की संख्या में इतना अधिक अंतर क्यों है ? इससे क्या अर्थ निकलता है ? शुरू में ही हम यह बात साफ़ कर लें कि वोट शेयर और सीट के शेयर में बहुदलीय प्रथम 'पास्ट और पोस्ट' प्रणाली में जो अंतर होता है, वह आम बात है, कोई अपवाद नहीं है | उ.प्र. के विधान सभा के पिछले चुनाव में स.पा. ने 224  सीटें जीती थीं जबकि उनका वोट प्रतिशत 29.15 था | इसी प्रकार ब.स.पा. ने जब मात्र  80 सीटें जीती थीं तो भी उनका वोट प्रतिशत 25.91 था | चुनावी आँकड़ों को ध्यान से देखने से ही पता चल पाता है कि भा.ज.पा. ने किस तरह से वोट प्रतिशत को जीत की सीटों में बदलने में कामयाबी हासिल की है | इससे भारतीय मतदाता के रुझान का भी पता चलता है |  

*भा.ज.पा. ने अपनी ये सीटें कहाँ-कहाँ जीती हैं ?

इस विश्लेषण में दो संकल्पनाओं का उपयोग किया गया है जिनसे चुनावी परिणामों की छान-बीन में मदद मिलती है : स्ट्राइक रेट और प्रतियोगी पार्टी | किसी भी पार्टी का स्ट्राइक रेट  उसके चुनाव क्षेत्रों का वह अनुपात है जिससे पार्टी किन्हीं चुनाव क्षेत्रों में जीत हासिल करती है और पार्टी को उस चुनाव क्षेत्र में प्रतियोगी मान लिया जाता है अगर वह उस चुनाव क्षेत्र में सर्वाधिक वोट पाने वाली दो पार्टियों में से एक है | भा.ज.पा. ने कुल मिलाकर 428 चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और 282 में जीत हासिल की | इस प्रकार उनका स्ट्राइक रेट 66 प्रतिशत रहा | लेकिन स्ट्राइक रेट  में क्षेत्र की दृष्टि से और प्रतिपक्षी पार्टी की दृष्टि से काफ़ी अंतर है | भा.ज.पा. की सीटें क्षेत्रीय दृष्टि से बहुत ही अधिक केंद्रित हैं | सिर्फ़ छह राज्यों – बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश– में ही भा.ज.पा. की 194 सीटें हैं अर्थात् भा.ज.पा. ने इन राज्यों में 69 प्रतिशत सीटें जीती हैं | इन राज्यों में भा.ज.पा. का शानदार स्ट्राइक रेट 91 प्रतिशत केवल उन सीटों पर है, जिन पर उन्होंने चुनाव लड़ा था | (चुनाव-पूर्व तालमेल के कारण भा.ज.पा. ने बिहार और महाराष्ट्र में सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ा था), लेकिन आम चुनाव में लड़ी जा सकने वाली इन सीटों पर उनका प्रतिशत केवल 39 ही था |   भा.ज.पा. खास तौर पर उन मोर्चों पर अधिक सफल रही जहाँ उसका सीधा मुकाबला कांग्रेस से हुआ | उन चुनाव क्षेत्रों के बारे में सोचें जहाँ भा.ज.पा. और कांग्रेस दोनों सबसे अधिक वोट पाने वाली पार्टियाँ थीं | ऐसे चुनाव क्षेत्रों की संख्या 189 थी, जिनमें भा.ज.पा. ने 166 सीटें जीती हैं और उनका शानदार  स्ट्राइक रेट 88 प्रतिशत रहा | इसकी तुलना में उन तमाम शेष चुनाव क्षेत्रों में भी जहाँ से भा.ज.पा. ने चुनाव लड़ा, स्ट्राइक रेट 49 प्रतिशत रहा | कुल मिलाकर देखें तो चुनावी मुकाबले वाले 35 प्रतिशत चुनाव क्षेत्रों में भा.ज.पा. और कांग्रेस का सीधा मुकाबला हुआ,लेकिन इन चुनाव क्षेत्रों में भा.ज.पा. द्वारा जीती गई सीटों की कुल संख्या का प्रतिशत 59 रहा | कांग्रेस के साथ हुए सीधे मुकाबले को छोड़कर और बिहार और उत्तर प्रदेश (जहाँ स्ट्राइक रेट 85 प्रतिशत था) को भी छोड़कर जहाँ भा.ज.पा. ने 144 चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ा और इनमें से केवल 56 सीटें ही प्रतियोगी थीं और जब ये सीटें प्रतियोगी थीं तो भी भा.ज.पा. का स्ट्राइक रेट कम से कम 63 प्रतिशत था | संक्षेप में इन आँकड़ों से पता चलता है कि इस चुनाव में भा.ज.पा. की सफलता का कारण कांग्रेस के खिलाफ़ शानदार स्ट्राइक रेट और बिहार और उत्तर प्रदेश में इसका शानदार प्रदर्शन था | इन दो कारणों से भा.ज.पा. ने इस चुनाव में 282 सीटों में से 247 सीटों पर जीत हासिल की | इससे यह कैसे पता चलता है कि वोट शेयर को सीटों में बदलने की भा.ज.पा. की क्षमता कैसी थी ? इसका उत्तर भी उपर्युक्त विश्लेषण में दर्शाये गये स्ट्राइक रेट में ही निहित है | जब भा.ज.पा. कांग्रेस के साथ सीधा मुकाबला कर रही थी या फिर बिहार और उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ रही थी तो भी इसका स्ट्राइक रेट बहुत ही अधिक था | लेकिन इनके बाहर भा.ज.पा. खास तौर पर प्रतियोगी नहीं थी | दूसरे शब्दों में भा.ज.पा. के “बेकार वोट” बहुत ही कम थे | जब भी लोगों ने भा.ज.पा. के पक्ष में वोट डाले हैं तो संभावना इस बात की रही है कि ये वोट उन्हीं चुनाव क्षेत्रों में डाले गये जहाँ भाजपा ने जीत हासिल की है |

*वे कौन-से इलाके हैं जहाँ भा.ज.पा. ने अपनी सीटें नहीं जीती हैं ?

भले ही भा.ज.पा. ने इन चुनावों में भारी जीत हासिल की हो, लेकिन कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ क्षेत्रीय पार्टियाँ और क्षेत्रीय व्यक्तित्व बहुत मज़बूत हैं और भा.ज.पा. को उनके दुर्ग में सेंध लगाने में कतई सफलता नहीं मिली | यह पुरानी बात है जब लोग कहा करते थे कि भा.ज.पा. ने बिहार और उत्तर प्रदेश में इसी कारण से सफलता पाई क्योंकि इन राज्यों में उनका आधार पहले से ही मज़बूत था, लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं मानते कि इन राज्यों में भा.ज.पा. का आधार मज़बूत था | बिहार में भा.ज.पा. जून, 2013  तक सत्ताधारी गठबंधन का ही एक भाग थी और 1999 के उत्तर प्रदेश के लोक सभा के चुनावों (और तब से इसकी  संख्या दोहरे आँकड़े में ही रही है) में यह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी | इस अर्थ में इन राज्यों में भा.ज.पा. ने “सेंध” नहीं लगाई है |

इस बात को समझने के लिए पश्चिम बंगाल पर विचार करना होगा | यह वह राज्य है जिसमें भा.ज.पा. का सर्वाधिक वोट शेयर 17 प्रतिशत है | इस राज्य में भा.ज.पा. ने सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे मिलीं केवल 2 सीटें ही (एक सीट तो वे 2009 में ही जीत चुके थे) | मात्र  3 और चुनाव क्षेत्रों में भा.ज.पा. प्रतियोगी पार्टी रही | इन चुनाव क्षेत्रों में भा.ज.पा. न केवल अपने वोट शेयर को सीटों में बदलने में विफल रही, बल्कि उसके आसपास भी नहीं रही | बहरहाल यह ज़रूर माना जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में भविष्य में मा.क.पा. के कमज़ोर पड़ने के कारण भा.ज.पा. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के प्रमुख विरोधी दल के रूप में अपनी जगह बना सकती है | मज़बूत क्षेत्रीय व्यक्तित्व वाले अन्य अनेक राज्यों में इसी प्रकार की स्थिति देखी गई है | आंध्र प्रदेश में भा.ज.पा. ने 12 चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ा लेकिन केवल 3  सीटों पर ही जीत हासिल की | तमिलनाडु में 8 चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ा लेकिन केवल 1 सीट पर ही जीत हासिल की | ओड़िशा में 21 में से केवल 1 सीट पर ही जीत हासिल की और केरल में 18 में से एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं की | इन पाँच राज्यों में भा.ज.पा. का स्ट्राइक रेट मात्र 7 प्रतिशत ही रहा |

*आँकड़ों की व्याख्या :-

लोक फ़ाउंडेशन द्वारा किये गये सर्वेक्षण के आधार पर उच्च भारतीय अध्ययन केंद्र (कैसी) द्वारा किये गये चुनाव-पूर्व विश्लेषण में हमने यह तर्क दिया है कि मतदाता के सामने महत्वपूर्ण सरोकार हैं, बृहत्तर व्यापक अर्थव्यवस्था के इर्द-गिर्द आर्थिक विकास, भ्रष्टाचार और मुद्रास्फीति | इन सरोकारों की पैकेजिंग नरेंद्र मोदी ने अपने करिश्मे से की और राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावशाली अभियान चलाया | दूसरी ओर कांग्रेस के पास कोई शख्सियत ही नहीं थी | वे कोई ठोस राष्ट्रीय व्यक्तित्व भी नहीं खोज पाए और ऐसी चुनौती का सामना करने के लिए किसी मज़बूत क्षेत्रीय व्यक्तित्व के अभाव में भारत के अनेक हिस्सों में वे बहुत कमज़ोर साबित हुए | हालाँकि कांग्रेस ने अपने-आपको एक कल्याणकारी दल के रूप में पेश करने की कोशिश ज़रूर की, लेकिन उनके इस अभियान की शुरू में ही हवा निकल गई | मतदाता इस बात को भलीभाँति समझ चुके थे कि कोई भी कल्याणकारी कार्यक्रम तभी सफल हो सकता है, जब  नौकरशाहों के माध्यम से उसे समन्वित किया जाए और उसका कार्यान्वयन भी राज्य स्तर ही किया जाए | भ्रष्टाचार के अनेक घोटालों के कारण कांग्रेस की विश्वसनीयता इतनी कम हो चुकी थी कि लोगों को यह भी भरोसा नहीं रह गया था कि कांग्रेस के माध्यम से लागू की गई इन कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को कोई लाभ मिल भी पाएगा या नहीं |

भारतीय आम चुनाव, 2014
भा.ज.पा. की कांग्रेस से जिन चुनाव क्षेत्रों में सीधी भिड़ंत हुई, वहाँ पर तो मानो इन दोनों दलों के बीच उनके राष्ट्रीय एजेंडे को लेकर जनमत संग्रह ही हो गया | इन चुनाव क्षेत्रों में भा.ज.पा. के शानदार स्ट्राइक रेट को देखकर तो लगता है कि कांग्रेस में अभी परिपक्वता ही नहीं आई है | अब तो इस बात पर भी चिंतन करना दिलचस्प होगा कि यहाँ से अब ये पार्टियाँ किस दिशा में आगे बढ़ेंगी | आँकड़ों को देखकर तो लगता है कि भा.ज.पा. के लिए उन राज्यों में सेंध लगाना सचमुच बहुत ही मुश्किल होगा जहाँ के क्षेत्रीय व्यक्तित्व बहुत सबल हैं | क्या भा.ज.पा. अपने महत्वपूर्ण संसाधनों का उपयोग इन राज्यों में घुसपैठ के लिए करेगी या फिर अपने आधार को उन क्षेत्रों में मज़बूत बनाएगी जहाँ उसे पहले ही सफलता मिल चुकी है | कांग्रेस पार्टी को तो अपने-आपको पूरी तरह से फिर से खड़ा करना होगा, नेतृत्व के उलझे प्रश्न को सुलझाना होगा और अधिक प्रभावी राष्ट्रीय दृष्टि विकसित करनी होगी |

इस चुनाव में भा.ज.पा. एकमात्र पार्टी है जो अपनी प्रभावी राष्ट्रीय दृष्टि के साथ उभरी है, लेकिन इसके वोट शेयर को देखकर लगता है कि यह पूरे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करती | भारत के मुस्लिम समुदाय की आशंका के अलावा भारत के और भी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ “मोदी लहर”  का कोई प्रभाव नहीं था | नई सरकार के सामने यह भी चुनौती होगी कि वह क्षेत्रीय ध्रुवीकरण से उत्पन्न विषमताओं से कैसे निपटे | बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि प्रधानमंत्री किस तरह से क्षेत्रीय नेतृत्व के साथ व्यक्तिगत समीकरण बनाते हैं | तमिलनाडु के साथ तो अपेक्षाकृत आसान होगा, ओड़िशा के साथ कुछ मुश्किल होगा, लेकिन प. बंगाल के साथ तो शायद बहुत ही कठिन होगा |

*चुनावी नारे, जिनके बिना अधूरी होगी भारतीय राजनीति की चर्चा :-

नारों के जिक्र के बिना भारतीय चुनाव की चर्चा अधूरी सी लगती है। चुनावों के दौरान ‘गरीबी हटाओ’ से लेकर ‘इंदिरा हटाओ, देश बचाओ’ जैसे नारे खासे चर्चित रहे हैं। इसके अलावा भूरे बाल साफ करो और तिलक, तराजू और तलवार....जैसे उत्तेजक नारे भी चर्चित रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव किसी महा उत्सव से कम नहीं होते। चुनावी फिजा और उत्साह को बढ़ाने में नारों की भूमिका बहुत अहम होती हैं। इतनी अहम कि नारों के बिना भारतीय राजनीति और चुनाव की कल्पना तक बेमानी है। नारे न सिर्फ समर्थकों में जोश भरते हैं, बल्कि मुद्दों को चुनाव में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए, नजर डालते हैं देश के कुछ चर्चित चुनावी नारों और उनके प्रभाव पर।

*जय जवान, जय किसान :-

शुरुआती आम चुनावों के दौरान पूरी तरह कांग्रेस का ही दबदबा रहा। हो भी क्यों न, देश नया-नया आजाद हुआ था और आजादी की लड़ाई में प्रमुख भूमिका निभाने वाली कांग्रेस से उनका भावनात्मक लगाव था। वैसे भी, एकतरफा मुकाबलों में नारों का शोर ज्यादा नहीं सुनाई देता। यही वजह रही कि शुरुआत के कुछ आम चुनावों में कोई नारा खास चर्चित नहीं हुआ। आजादी के बाद पहला चर्चित नारा था- "जय जवान, जय किसान।" मूल रूप से यह चुनावी नारा नहीं था। 1965 में पाकिस्तान युद्ध के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने यह नारा दिया था। इसका उद्देश्य युद्ध और खाद्य संकट के दौर में देश का मनोबल बढ़ाना और एकजुट करना था। शास्त्रीजी की 1966 में ताशकंद में मौत हो गई। अगले साल यानी 1967 में आम चुनाव थे और कांग्रेस ने उसमें शास्त्रीजी के नारे 'जय जवान, जय किसान' को भूनाया। पूरा देश कांग्रेस के साथ खड़ा हुआ और पार्टी एक बार फिर सत्ता में आई।

*गरीबी हटाओ :-

1967 के आम चुनाव में कांग्रेस लगातार चौथी बार सत्ता में आई। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। इसी के साथ कांग्रेस में अंदरूनी घमासान तेज हो गया। इतना तेज कि 1969 में पार्टी 2 भागों में टूट गई- कांग्रेस (आर) इंदिरा के नेतृत्व में और कांग्रेस (ओ) मोरारजी देसाई के नेतृत्व में। कांग्रेस के विघटन के साथ ही विपक्षी एकजुटता भी बढ़ने लगी। पार्टी के अंदर और बाहर से बढ़ती चुनौतियों के बीच इंदिरा ने 1971 के आम चुनाव से पहले 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया। वह हर चुनावी सभा में यह नारा लगाती थीं और कहती थीं, 'वे (विरोधी) कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ, अब फैसला आपके हाथों में है'। चुनाव में यह नारा चल निकला और इंदिरा गांधी 1971 में फिर प्रधानमंत्री बनीं। यह बात दीगर है कि 'गरीबी हटाओ' सिर्फ नारे तक सिमटकर रह गया और गरीबी उन्मूलन नहीं हुआ। इसे विडंबना ही कहेंगे कि इंदिरा के इस नारे का बाद में उनके बेटे राजीव गांधी और पोते राहुल गांधी ने भी इस्तेमाल किया।

*इंदिरा हटाओ, देश बचाओ :-

1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रायबरेली से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। कोर्ट के इस फैसले के बाद इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश पर इमर्जेंसी थोप दिया। विरोधी नेताओं को चुन-चुनकर जेल में ठूस दिया गया। नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। आखिरकार, 21 मार्च 1977 को इंदिरा ने इमर्जेंसी हटाने का ऐलान किया। इंदिरा गांधी द्वारा लोकतंत्र को बंधक बनाने के खिलाफ लोगों में जबरदस्त आक्रोश था। समाजवादी पुरोधा जय प्रकाश नारायण ने “इंदिरा हटाओ, देश बचाओ” का नारा दिया। जे.पी. के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने अभूतपूर्व एकता दिखाई और जनता पार्टी नाम से एक होकर 1977 के चुनाव में कांग्रेस को धूल चटा दी। चुनाव बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में देश में पहली गैरकांग्रेसी सरकार बनी। हालांकि, जनता पार्टी बाद में खुद ही बिखर गई। 

*राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है :-

1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में बोफोर्स तोप खरीद में कथित भ्रष्टाचार ने मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव की छवि धूमिल कर दी। उन्हीं के कैबिनेट में रहे वी. पी. सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर राजीव गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनके समर्थकों ने नारा दिया- “राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है।“ चूंकि राजा मांडा के नाम से मशहूर सिंह शाही परिवार से आते थे, लिहाजा इस नारे के जरिए उन्हें आम भारतीय और देश के भविष्य के रूप में दर्शाने की कोशिश हुई। 1989 के चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और वी. पी. सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की गठबंधन सरकार सत्ता में आई। 

*भूरा बाल साफ करो :-

90 के दशक की भारतीय राजनीति को अगर कोई 2 शब्द पारिभाषित कर सकते हैं तो वे हैं- कट्टर जातिवाद और सांप्रदायिकता, मंडल और कमंडल की राजनीति। स्वार्थी नेताओं ने समाजवादी राजनीति, सामाजिक न्याय को जातिवाद और जातिगत नफरत का पर्याय बना दिया। 90 के दशक के शुरुआती दौर में बिहार में नफरत की राजनीति को दर्शाता एक नारा काफी चर्चित हुआ था, जो था- 'भूरा बाल साफ करो।' यहां भूरा का मतलब था- भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला। इस नारे को कथित तौर पर लालू प्रसाद यादव ने दिया था। खास बात यह है कि 90 के पूरे दशक में बिहार में लालू प्रसाद यादव की तूती बोलती थी।

*मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय सिया राम :-

90 के दशक की शुरुआत में यू.पी. में यह नारा खूब चला। राममंदिर आंदोलन के बाद बी.जे.पी. की लहर को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और बी.एस.पी. के संस्थापक कांशीराम ने 1993 में हाथ मिला लिया। दोनों ने 'मिले मुलायम-कांशीराम, हवा हो गए जय सिया राम' का चर्चित नारा दिया। उस साल के यूपी विधानसभा चुनाव में एस.पी.-बी.एस.पी. गठबंधन ने जीत हासिल की। 1995 में बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड के बाद यह गठबंधन टूट गया था। हालांकि, 25 साल बाद एस.पी.-बी.एस.पी. एक बार फिर साथ हैं।

*तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार :-

90 के दशक में बिहार में जहां लालू ने 'भूरा बाल साफ करो' का नारा दिया था, वहीं यू.पी. में तकरीब उसी वक्त बी.एस.पी. सुप्रीमो मायावती ने 'तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार' जैसा उत्तेजक नारा दिया था। यहां तिलक का मतलब ब्राह्मण, तराजू का मतलब बनिया और तलवार का मतलब राजपूत से था। हालांकि, 2007 के यू.पी. विधानसभा चुनाव में बी.एस.पी. ने सतीश चंद्र मिश्रा को पार्टी में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर स्थापित कर 'हाथी नहीं गणेश हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं' का नारा दिया और पहली बार मायावती के नेतृत्व में बी.एस.पी. की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।

*सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी :-

1989 के बाद से देश में असल मायने में गठबंधन की राजनीति का दौर शुरू हुआ और इसी के साथ शुरू हुआ मध्यावधि चुनावों का सिलसिला। अंतर्विरोधों की वजह से गठबंधन सरकारें गिरने लगीं। सियासत में आया राम, गया राम का दौर शुरू हो गया। उसी दौर में 1996 में बी.जे.पी. ने अटल बिहारी वाजपेयी को केंद्र में रखकर नारा दिया- “सबको देखा बारी-बारी, अबकी बार अटल बिहारी।“ चुनाव में बी.जे.पी. सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी, वाजपेयी प्रधानमंत्री बने लेकिन सिर्फ 13 दिन के लिए।

*इंडिया शाइनिंग  vs कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ :-

2003 के आखिर में हिंदी पट्टी के बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बी.जे.पी. की सरकार बनी। आत्मविश्वास से लबरेज तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने समय से करीब 6 महीने पहले ही आम चुनाव कराने का फैसला किया। देशभर में खासकर ग्रामीण इलाकों में सड़कों के जाल, इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास और अर्थव्यवस्था की चमकती तस्वीर के बीच बी.जे.पी. ने इंडिया शाइनिंग का नारा दिया। जवाब में कांग्रेस ने नारा दिया- “कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ।“ जब नतीजे आए तो बी.जे.पी. का 'इंडिया शाइनिंग' हवा हो चुका था और कांग्रेस की अगुआई में यू.पी.ए. की सरकार बनी।

*मां-माटी-मानुष :-

ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस द्वारा दिया यह नारा 2009 के लोकसभा चुनाव और 2011 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में खूब चला। यह नारा इतना हिट हुआ कि ममता ने अपनी कविताओं की किताब का शीर्षक ही यही रखा। इतना ही नहीं, इसी नाम से टी.एम.सी. की पत्रिका भी निकाली गई। आखिरकार, 2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में वाम दलों के 34 सालों से चले आ रहे अभेद्य आ रहे किले को धव्स्त कर दिया। 


*अबकी बार मोदी सरकार' और 'अच्छे दिन आने वाले हैं' :-

2014 का लोकसभा चुनाव यू.पी.ए.-2 सरकार के दौर में भ्रष्टाचार के नए-नए मामलों की पृष्ठभूमि में लड़ा गया। बी.जे.पी. के भीतर काफी जद्दोजहद के बाद सितंबर 2013 में आखिरकार गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया गया। बी.जे.पी. की तरफ से पी.एम. कैंडिडेट बनने के बाद मोदी ने अपने अंदाज में धुआंधार चुनाव-प्रचार शुरू किया। उनकी टीम ने अबकी बार मोदी सरकार का नारा दिया। खुद नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभाओं में भ्रष्टाचार को लेकर यू.पी.ए. सरकार पर तीखे वार किए और 'अच्छे दिन आने वाले हैं', 'सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया। इस चुनाव में बी.जे.पी. को जबरदस्त जीत हासिल हुई और पार्टी ने 282 सीटों पर परचम लहराया। करीब 3 दशक बाद देश में किसी एक पार्टी को बहुमत मिला।

*मोदी है तो मुमकिन है vs कट्टर सोच नहीं, युवा जोश :-

2019 के चुनाव में बी.जे.पी. ने 'एक बार फिर मोदी सरकार' के साथ-साथ 'मोदी है तो मुमकिन है' का नारा दिया है। दूसरी तरफ, राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस ने 'कट्टर सोच नहीं, युवा जोश' का नारा दिया है। 'इंदिरा हटाओ, देश बचाओ' की तर्ज पर ममता बनर्जी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने 'मोदी हटाओ, देश बचाओ' का भी नारा दिया है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कौन किस पर भारी पड़ता है।

*चुनाव की मुख्य बातें :-

*१६वी लोकसभा के लिए जब चुनाव हुए तब साल था २०१४ का ।  ये चुनाव १० दिन तक चले। ०७ एप्रिल से १२ मई तक मतदान हुए। १६वी लोकसभा के लिए उस समय २८ राज्यों और ०७ केंद्रशासित प्रदेशों में ५४३ सीटों के लिए चुनाव हुए ।

*देश की १६वी लोकसभा १८ मई २०१४ को अस्तित्व में आई ।

*१६वी लोकसभा के चुनाव हेतु ९,२७,५५३ चुनाव केंद्र स्थापित किए गए थे । 

*उस समय मतदाताओं की कुल संख्या ८३.४० करोड़ थी । 

*उस समय ६६.४४ % मतदान हुए थे । 

*१६वी लोकसभा के लिए ५४३ सीटों के लिए हुए चुनाव में कुल ८२५१ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे जिन में से ७००० उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी। 

*इस चुनाव में कुल ६६८ महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थी जिन में से ६२ महिला उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुई । 

*५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ८४ सीटे अनुसूचित जाती के लिए और ४७ सीटे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित रखी गई थी । 

*१६वी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में ४६४ राजनीतिक दलों ने भाग लिया था जिन में से राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संख्या ०६ और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की संख्या ३९ थी जबकि ४१९ पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दल भी इस चुनाव में अपनी किस्मत आज़मा रहे थे     । 

*राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुल १५१९ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे, जिन में से ८०७ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के ३४२ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे । इस चुनाव में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को कुल वोटों में से ६०.७० % वोट मिले थे ।

*इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों ने कुल ५२९ उम्मीदवार खड़े किए थे।  रिकॉर्ड के अनुसार इन ५२९ प्रत्याशीयों में से १५३    प्रत्याशीयों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी और १७६ प्रत्याशी लोकसभा में पहुंचे थे।  इस चुनाव में राजयस्तरीय राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से १५.२० % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने ३२३४ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे। इन ३२३४ उम्मीदवारों में से २८२२ उम्मीदवार अपनी ज़मानत बचाने में भी विफल रहे जबकि केवल २२ उम्मीदवार लोकसभा तक पहुँचने में सफल हुए । इस चुनाव में पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों को कुल वोटो में से २१.०४ % वोट मिले थे। 

*इस चुनाव में कुल ३२३४ निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन ३२३४ निर्दलीय उम्मीदवारों में से केवल ०३ उम्मीदवार जीत दर्ज कराने में सफल हुए थे।  कुल वोटो में से ३.०६ % वोट निर्दलीय उम्मीदवारों ने प्राप्त किए थे जबकि ३२१८ निर्दलीय उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का रिकॉर्ड मौजूद है।

*इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सब से बड़े दल के रूप में सामने आई। ५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ४२८ उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।  इन में से २८२ उम्मीदवार जीत दर्ज करा कर लोकसभा पहुँचने में सफल हुए तो वही ६२ उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त होने का उल्लेख भी रिकॉर्ड में मौजूद है। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कुल वोटो में से ३१.३४ % वोट मिले थे।

*कांग्रेस दूसरा सब से बड़ा दल बन कर उभरा था। कांग्रेस ने कुल ४६४ उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे थे।  इन ४६४ उम्मीदवारों में से १७८ उम्मीदवारों की ज़मानत जब्त हुई थी जबकि ४४ उम्मीदवार लोकसभा पहुँचने में सफल हुए थे। कांग्रेस को कुल वोटों में से १९.५२ % वोट मिले थे।  

*सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि १६वी लोकसभा के लिए हुए इस चुनाव में ३८,७०,३४,५६,०२४ (३८ अरब, ७० करोड़, ३४ लाख, ५६ हज़ार २४ रुपये) रुपये की राशि खर्च हुई थी ।  

*उस समय श्री वी. एस. संपथ भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त हुआ करते थे, जिन्होंने ये चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।  

*इस चुनाव के बाद १६वी लोकसभा के लिए ०५ से ११ जून २०१४ के दौरान शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया था।  

*१६वी लोकसभा के सभापती पद हेतु ०६ जून २०१४ को चुनाव हुए और श्रीमाती सुमित्रा महाजन को सभापती और थंबीदुरै को उपसभापती के रूप में चुना गया।  

*१६वी लोकसभा के कुल १५ अधिवेशन हुए।  

*१६वी लोकसभा की पहली बैठक ०४ जून २०१४ को हुई थी।

*१६वी लोकसभा की ५४३ सीटों के लिए हुए इस चुनाव में ३४२ सीटों पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने, १७६ सीटों पर राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों ने, २२ सीटों पर पंजीकृत अनधिकृत राजनीतिक दलों ने जबकि ०३ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।




- प्रा. शेख मोईन शेख नईम 
डॉ. उल्हास पाटील लॉ कॉलेज, जलगाव
7776878784

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,37,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,7,कविता,1477,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,39,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,76,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,7,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,202,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,139,प्रयोजनमूलक हिंदी,38,प्रेमचंद,49,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,88,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,18,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,125,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,8,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,57,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,34,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,44,समसामयिक हिंदी लेख,270,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,20,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,86,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,433,हिंदी लेख,535,हिंदी व्यंग्य लेख,14,हिंदी समाचार,183,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,11,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,425,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,681,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,75,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,23,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,12,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,3,top-classic-hindi-stories,58,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: भारतीय आम चुनाव, 2014
भारतीय आम चुनाव, 2014
भारतीय आम चुनाव, 2014 भा.ज.पा. की कांग्रेस से जिन चुनाव क्षेत्रों में सीधी भिड़ंत हुई, वहाँ पर तो मानो इन दोनों दलों के बीच उनके राष्ट्रीय एजेंडे को
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhb22r0vlJVLYYMuATSJAEqSVkM5cqVwfP6GtI26P21hbjwuGv5ZU1JrWs-7kRPr-FZ9OOZ_XHm5XnKLiUPj108J3EWMN7RUhYFFdRUBcyaww9obI_aonIoVbcJ_xK57wANOvfx4NUVdOge/s320/Modi_manmohan.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhb22r0vlJVLYYMuATSJAEqSVkM5cqVwfP6GtI26P21hbjwuGv5ZU1JrWs-7kRPr-FZ9OOZ_XHm5XnKLiUPj108J3EWMN7RUhYFFdRUBcyaww9obI_aonIoVbcJ_xK57wANOvfx4NUVdOge/s72-c/Modi_manmohan.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/07/bharatiya-aam-chunav-2014.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/07/bharatiya-aam-chunav-2014.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका