नदी कविता श्याम नारायण पाण्डेय | Nadi Poem Explanation Question Answer

SHARE:

नदी कविता श्याम नारायण पाण्डेय गुंजन हिंदी पाठ्यपुस्तक Nadi Poem Explanation Nadi Kavita Ka Sarlarth Nadi Kavita Bhavarth Nadi kavita ke Prashnottar

नदी कविता श्याम नारायण पाण्डेय


श्याम नारायण पाण्डेय की कविता नदी नदी कविता का सारांश गुंजन हिंदी पाठ्यपुस्तक Nadi Poem Explanation Shayam Narayan pandey Nadi Kavita Ka Sarlarth Nadi Kavita Ka Bhavarth Nadi kavita ke Prashnottar vilom shabd paryayvachi shabd mulyaparak prashn Question Answer of Nadi Poem Shyam Narayan Pandey Gunjan Hindi Paathmala


नदी कविता का सारांश

प्रस्तुत पाठ या कविता नदी , श्यामनारायण पांडेय जी के द्वारा रचित है | कवि ने इस कविता के माध्यम से नदी के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को बताने का प्रयास किया है | नदी को एक जीवन दायिनी के रूप में बताया गया है | पर्वतों-चट्टानों से लड़ती हुई नदी अपने किनारे बसे शहरों-गाँवों को जीवन देती है | कभी माँ की तरह प्यार करती है और दुलारती भी है तो कभी-कभार रौद्र रूप धारण करके डराती भी है | देश की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है | इस प्रकार अपने लक्ष्य की प्रतीक्षा में बहती हुई नदी अंतत: सागर में विलीन हो जाती है...|| 

---------------------------------------------------------

नदी कविता का भावार्थ व्याख्या 

क्षणभर रुककर विश्राम करो, 
क्यूँ नदी निरन्तर बहती हो ?
जब-जब मैंने देखा पाया, 
तुम दौड़-धूप में रहती हो | 
नदी कविता श्याम नारायण पाण्डेय Nadi Poem Explanation Question Answer
नदी

लहरों पर लहर उठाती हो, 
तट-बंधों से टकराती हो | 
संघर्ष स्रोत है जीवन का, 
तुम हँस-हँसकर बतलाती हो | 

भूधराकार चट्टानों को, 
लड़-लड़कर तोड़ दिया तुमने |
पर्वत समरस मैदान बने,
रुख अपना मोड़ दिया तुमने | 

ताकत को ताकत से काटा, 
कमज़ोरों को पुचकार दिया | 
ऊँचे शिखरों पर वार किया, 
फसलों को चूमा, प्यार दिया | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  श्यामनारायण पांडेय  जी के द्वारा रचित कविता  नदी  से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि नदी के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को बताने का प्रयास किया है | कवि नदी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम्हें जब भी मैं देखता हूँ तुम दौड़-धूप में लगी रहती हो, निरन्तर बहती रहती हो, जरा कुछ देर ठहर कर आराम भी कर लो | तुम लहरों पर लहर उठाती हो और बेख़ौफ होकर तट-बंधों से टकराती हो | तुम हँस-हँसकर ये बतलाती हो कि संघर्ष ही स्रोत है जीवन का | कवि नदी से कहते हैं कि तुमने रास्ते में आने वाले बड़े-बड़े चट्टानों को भी चीर दिया और जब पर्वत समरस मैदान बन गया तो तुमने अपना रुख मोड़ दिया अर्थात् नदी बड़े-बड़े पहाड़ों व चट्टानों को काटकर उसे उपजाऊ मैदान में बदल देती है | इसलिए नदी को पर्वत से भी महान कहा गया है | कवि नदी से कहते हैं कि तुम्हारे रास्ते में जिस तरह की चुनौती आई, तुमने उसके साथ वैसा ही व्यवहार किया | ताकत को ताकत से काटा और कमज़ोरों को पुचकार दिया | एक तरफ़ ऊँचे-ऊँचे शिखरों पर वार किया, तो दूसरी तरफ़ फसलों को चूमा और ख़ूब प्यार दिया | 


(2)- हे क्रांति-शांति की पयस्विनी, 
तुमको मैं केवल नदी कहूँ | 
या स्वतंत्रता-संघर्ष कहूँ, 
या फसलों की ज़िंदगी कहूँ | 

तुम शहरों को भी प्यारी हो, 
तुम गाँवों को भी प्यारी हो | 
दोनों को दूध पिलाती हो, 
तुम दोनों की महतारी हो | 

नंगल-भाखड़ा-रिहंद आदि, 
तेरे जाये हैं, छौने हैं | 
तेरी महानता के आगे, 
पर्वत भी लगते बौने हैं | 

घर-घर में बिजली बन करके, 
रोशनी बाँटने जलती हो | 
कर और कारखानों में तुम, 
धड़कन भरती हो, चलती हो | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  श्यामनारायण पांडेय  जी के द्वारा रचित कविता  नदी  से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि नदी के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को बताने का प्रयास किया है | कवि नदी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि तुम्हें मैं केवल नदी कहूँ या क्रांति और शांति का प्रतीक, या फिर तुम्हारे निरन्तर सफ़र को स्वतंत्रता-संघर्ष का नाम दूँ या फिर कह दूँ कि तुम फसलों की ज़िंदगी हो | तुम शहर और गाँव दोनों को प्यारी हो, दोनों की महतारी (माँ) बनकर दोनों को दूध पिलाती हो अर्थात् तुम जीवन दायिनी का फ़र्ज़ भी निभाती हो | कवि नदी से कहते हैं कि ये जो नंगल-भाखड़ा-रिहंद आदि नदियाँ हैं, ये सभी तुम्हारे जन्म दिए हुए हैं अर्थात् तुम्हारे ही बच्चे के समान हैं | मुझे तो तेरी महानता के आगे पर्वत भी बौने लगते हैं | आखिर तुमसे ही तो बिजली बनी और घर-घर रौशन हुआ, जिसकी वजह से कल और कारखानों में काम होता है | 


(3)- तेरी लहरों में अंकित है, 
संस्कृतियों का उत्थान-पतन | 
तुमको देखा ज़िंदगी हँसी, 
तुम रूठ गईं, रूठा जीवन | 

जिन देशों ने तुमको पाया, 
वे ऊँचे उठे, महान बने | 
सब मिला मगर तुम नहीं मिली, 
तो उजड़े रेगिस्तान बने | 

सैलाब रूप धारण कर तुम,
उफनाती हो जब लहर-लहर | 
पुल, सड़क, रेल बह जाते हैं, 
थर-थर करते हैं गाँव-शहर | 

फिर सागर की व्यापकता में, 
मिल जाती हो, खो जाती हो | 
जो लक्ष्य खोजने निकली थी 
वह लक्ष्य स्वयं हो जाती हो | 

भावार्थ - प्रस्तुत पंक्तियाँ  श्यामनारायण पांडेय  जी के द्वारा रचित कविता  नदी  से उद्धृत हैं | इस कविता के माध्यम से कवि नदी के संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को बताने का प्रयास किया है | कवि नदी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ये जो तुम्हारे लहर हैं, इसमें संस्कृतियों का उत्थान-पतन का इतिहास निहित है | कभी तुम माँ बनकर जीवन दायिनी का फ़र्ज निभाती हो, तो कभी रूठ कर या रौद्र रूप धारण करके पल भर में हजारों ज़िंदगियाँ तबाह भी कर देती हो | परन्तु, ये भी सत्य है कि जिन देशों ने तुम्हें पाया है, वे ऊँचे उठे और जिन देशों में तुम्हारा अस्तित्व नहीं, वह रेगिस्तान बन गए | इससे तुम्हारी महत्ता सिद्ध होती है | कवि नदी से कहते हैं कि तुम कभी सैलाब (बाढ़) बनकर पुल, सड़क, रेल सब बहा ले जाती हो, जिससे सारा गाँव-शहर तुम्हारे रौद्र रूप से थर-थर काँपने लगते हैं | अंतत: अनंत सागर की गहराई में तुम मिल जाती हो तथा खो जाती हो | इस प्रकार जो लक्ष्य तुम खोजने निकली थी, वह लक्ष्य ख़ुद हो जाती हो | 

---------------------------------------------------------


नदी कविता श्याम नारायण पाण्डेय के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 नदी हँस-हँसकर क्या बतलाती है ? 

उत्तर- नदी हँस-हँसकर यह बतलाती है कि संघर्ष ही जीवन का स्रोत है | 

प्रश्न-2 नदी के छौने किन्हें कहा गया है ? 

उत्तर- नदी पर बने बाँधों को नदी के छौने कहा गया है | 

प्रश्न-3 नदी में उठती लहरें किसका प्रतीक हैं ? 

उत्तर- नदी में उठती लहरें संघर्षमय जीवन में आने वाली दुःखों के उत्थान-पतन का प्रतीक हैं | 

प्रश्न-4 नदी को पर्वत से भी महान क्यूँ कहा गया है ? 

उत्तर- नदी के जल से हर प्राणी को जीवन मिलता है | नदी बड़े-बड़े पहाड़ों व चट्टानों को काटकर उसे उपजाऊ मैदान में बदल देती है | इसलिए नदी को पर्वत से भी महान कहा गया है | 

प्रश्न-5 देश की उन्नति और अवनति नदियों पर कैसे निर्भर है ? 

उत्तर- पीने का पानी, कृषि संबंधी, वन संपदा, कल-कारखानों इत्यादि में नदी सहायक सिद्ध होती है | जिन देशों में नदियों का अस्तित्व होता है, वे देश आर्थिक रूप से समृद्ध और आत्मनिर्भर होते हैं | अभाग्यवश जिन देशों में नदियाँ नहीं होती उन देशों को दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है | इस प्रकार वे कहीं न कहीं उन्नति की दौड़ में पिछड़े नज़र आते हैं | 

---------------------------------------------------------

प्रश्न-6 सही उत्तर पर √ लगाइए --- 

श्याम नारायण पाण्डेय
(क)- जीवन का स्रोत क्या है ? 

उत्तर- संघर्ष 

(ख)- नदी की लहरों में क्या अंकित है ? 

उत्तर- संस्कृतियों का उत्थान-पतन 

(ग)- जिन देशों ने नदी को पाया, वे क्या बन गए ? 

उत्तर- विकसित और महान 

(घ)- नदी किसमें धड़कन भरती है ? 

उत्तर- कल-कारखानों में 

---------------------------------------------------------

भाषा से 
प्रश्न-7 दिए गए शब्दों को पंचम अक्षर का प्रयोग करके लिखिए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 
• निरंतर - निरन्तर 
• क्रांति - क्रान्ति 
• स्वतंत्रता - स्वतन्त्रता 
• अंकित - अङ्कित 
• ज़िंदगी - ज़िन्दगी 
• रिहंद - रिहन्द 

प्रश्न-8 दिए शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची लिखिए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 
• नदी -- सरिता, तटिनी, तरणी 
• जीवन -- आयु, प्राण, ज़िंदगी 
• पर्वत -- नग, गिरि, पहाड़ 
• रोशनी -- ज्योति, प्रकाश, उजाला 
• सागर -- जलधि, समुद्र, पयोधि 
• दूध -- दुग्ध, अमृत, क्षीर 

प्रश्न-9 दिए गए शब्दों में से तत्सम और तद्भव शब्द छाँटकर लिखिए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 
• गाँव -- तद्भव 
• स्रोत -- तत्सम 
• विश्राम -- तत्सम 
• उत्थान -- तत्सम 
• लक्ष्य -- तत्सम 
• दूध -- तद्भव 
• पर्वत -- तत्सम 
• रात -- तद्भव 
• जीवन -- तत्सम 
• प्यार -- तद्भव 
• ऊँचा -- तद्भव 

प्रश्न-10 पाँच विदेशी और पाँच देशज शब्द सोचकर लिखिए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 

• विदेशी --- कंप्यूटर, किताब, तूफ़ान, ट्रेन, स्कूल 
• देशज --- फुनगी, लोटा, डिबिया, पगड़ी, धोती 


प्रश्न-11 कविता में आए तुकांत शब्द चुनकर लिखिए --- 

उ. निम्नलिखित उत्तर है - 

• बहती-रहती 
• वार-प्यार 
• छौने- बौने 
• महान-रेगिस्तान 
• टकराती-बतलाती 
• प्यारी-महतारी 
• जलती-चलती 
• लहर-शहर 

---------------------------------------------------------


नदी कविता के शब्दार्थ 


• तट-बंध -- नदी के किनारे की सीमा 
• स्रोत -- माध्यम या ज़रिया 
• भूधराकार -- पर्वत के आकार की 
• समरस -- एक से 
• पयस्विनी -- दूध देने वाली 
• महतारी -- माता 
• जाये -- जन्म दिए हुए 
• छौने -- बालक 
• कल -- यंत्र / मशीन आदि 
• सैलाब -- बाढ़ 
• व्यापकता -- फैलाव, विस्तार 


                                

© मनव्वर अशरफ़ी 

COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका