शाम एक किसान कविता

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शाम एक किसान कविता Shaam Ek Kisan


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शाम एक किसान कविता की व्याख्या


आकाश का साफ़ा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाड़,
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्‍ले-सा।

व्याख्या - प्रस्तुत पक्तियों में कवि ने विभिन्न रूपकों का परिचय देते हुए प्राकृतिक उपादानों का वर्णन किया है। कवि को पहाड़ किसी किसान की तरह लगता है, जो की आकाश का साफा बांधकर बैठा है। वह सूरज को चिलम की तरह पी रहा है। पर्वत रूपी चादर किसान के घुटनों के पास नदी चादर सी बह रही है। पास के पलास के जंगलों को अंगीठी जल रही है। अन्धकार पूर्व दिशा में छा रहा है ,वे सब इकठ्ठा हो रहे हैं ,मानों भेड़ों का समूह हो। 
शाम एक किसान कविता
शाम एक किसान कविता

अचानक- बोला मोर।
जैसे किसी ने आवाज़ दी-
'सुनते हो'।
चिलम औंधी
धुआँ उठा-
सूरज डूबा
अंधेरा छा गया।

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहता है कि अचानक मोर ने आवाज दी ,मानों किसी ने किसान को आवाज दी कि सुनते हो।किसान के हाथ से चिलम गिर जाती है। धुंवा उठा है। सूरज डूब जाता है और आकाश में अँधेरा छा जाता है। 

शाम एक किसान कविता का सारांश summary of shaam ek kisan 

कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना जी ने किसान के रूप में जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण किया है .इस प्राकृतिक दृश्य में पहाड़ - बैठे हुए एक किसान की तरह दिखाई दे रहा है ,आकाश  उसके सिर पर बंधे साफे के समान, पहाड़ के नीचे बहती हुई नदी -घुटनों पर रखी चादर सी ,पलाश के पेड़ों पर खिले लाल -लाल फूल -जलती अंगीठी के समान ,पूर्व क्षितिज पर घाना होता अन्धकार -झुण्ड में बैठी भेड़ों जैसा और पश्चिम दिशा में डूबता सूरज -चिलम पर सुलगती आग की भाँती दिख रहा है .यह पूरा दृश्य शांत है .अचानक मोर बोल उठता है .मानों किसी ने आवाज लगायी -सुनते हो .इसके बाद यह दृश्य घटना में बदल जाता है - चिलम उलट जाती है ,आग बूझ जाती है ,धुआं उठने लगता है ,सूरज डूब जाता है ,शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है .


शाम एक किसान के प्रश्न उत्तर कविता से shaam ek kisan question answer


प्र.१. इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एकरूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और साफ़े में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफ़ा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानो नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।

उ. कविता के आधार पर दूसरी रुपकता के रूप में - सूरज को चिलम के रूप में। तीसरी रुपकता के रूप में - पलाश के जंगल को अंगीठी के रूप में। पांचवी रुपकता के रूप में - अन्धकार भेड़ों के जंगल सा. 

प्र.२. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए-
(क) शाम कब से शुरू हुई?
(ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?
(ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उ. शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखने पर ज्ञात हुआ है कि - 

  • शाम सर्दी के समय शाय: ५ बजे से शुरू हुई। 
  • सूरज को डूबने में आधे घंटे का समय लगा। 
  • संध्या समय सूरज डूबने लगा। पश्चिम दिशा में लालिमा छा गयी। पक्षी कलरव करते हुए अपने घरों की तरफ जाने लगे। गृहणियाँ भोजन बनाने के लिए चूल्हे जलाने लगती ,जिससे घरों से धूँआ फैलने लगता है। तारे भी आकाश में दृष्टिगोचर होने लगे हैं। 

प्र.३. मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो-‘सुनते हो’। नीचे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए-

कबूतर      कौआ       मैना
तोता         चील        हंस


उ. बोलियाँ निम्नलिखित है - 
  • कबूतर - प्रियजनों का सन्देश लाता है। 
  • कौआ - भोजन मिलने की सुचना देता है। 
  • मैना - गाना सुनाती है। 
  • तोता - प्रभु भक्ति का सन्देश देता है। 
  • चील - दुश्मनों की सुचना देता है। 
  • हँस - जीवन में श्रेष्ठतम कार्य करने की प्रेरणा देता है। 

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