क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ?

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क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ? भारत देश शांतिप्रिय है सम्पूर्ण विश्व में भारत को एक शांतिप्रिय देश के रूप में जाना जाता है।शांति-संदेश, सुखी होते दे

क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ?

भारत देश शांतिप्रिय है सम्पूर्ण विश्व में भारत को एक शांतिप्रिय देश के रूप में जाना जाता है। यहाँ बुद्ध ,महावीर ,नानक ,महात्मा गाँधी जैसे महान पुरुषों ने जन्म लिया। उनके शांति संदेशों की ध्वनि भारतवासियों की नस नस में व्याप्त हैं। यहाँ का प्रत्येक शुभ कार्य विश्व की कल्याण कामना से प्रारंभ होता है और ॐ शांति शांति की कामना से पूर्ण होता है। शांति की यह इच्छा केवल दिखावा भर नहीं है ,बल्कि यह भारतवासियों के व्यवहार में हैं। इतिहास गवाह है कि हमने कभी दूसरे देश को जीतने का कोई प्रयत्न नहीं किया। बल्कि जहाँ तक हो सका ,दूसरों को आनंद देकर सुख अनुभव करते रहे। यदि कहीं व्यवहार में हिंसा थी ,तो हमारे महापुरुषों ने उसे समाप्त किया। जयशंकर प्रसाद जी के शब्दों में - 

धर्म का ले लेकर जो नाम, हुआ करती बलि कर दी बंद 
हमी ने दिया शांति-संदेश, सुखी होते देकर आनंद 
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम । 

भारत का यह दृढ़ विश्वास है कि हिंसा को हिंसा से समाप्त नहीं किया जा सकता है। कीचड को कीचड से नहीं धोया जा सकता है। इसीलिए हमने अपनी आजादी की लडाई अहिंसा के अस्त्र से लड़कर जीती। 

अहिंसक भारत का दुर्भाग्य

क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ?
दुर्भाग्य से अहिंसक भारत का दुर्भाग्य हिंसा बनकर हमारे शीश पर मंडरा रहा है। यह आज की बात नहीं है। प्रारंभ से ही ऐसा होता आया है। क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ? इसी देश की छाती पर सैकड़ों युद्ध हुए ,रावण ने हिंसा लीला की। कंस ने अत्याचार किये। हिरनकश्यप ,विदेशी आक्रमणकारी ,अंग्रेज सरकार - किस किसने देश को हिंसा की आग में नहीं झोंका ? यह सब होते हुए भी आज तक भारत की जबान पर शान्ति का स्वर गुंजरित होता रहा। कभी जन - जीवन इतना भयभीत नहीं रहा ,जितना की आज है। 

आज देश का लगभग हर होना हिंसा से जल रहा है। कश्मीर ,पंजाब ,आसाम ,तमिलनाडु ,बिहार ,नागालैंड - आज कोई भी प्रदेश सुरक्षित नहीं है। काश्मीर में तो लोगों का जीवन इतना असुरक्षित है कि किसी को भी अगले पल का भरोसा नहीं हैं। कश्मीरी मुसलमान पाकिस्तान के ईशारे पर लड़ मरने को तैयार हैं। वहाँ के लाखों हिन्दू पलायन करके देश के अन्य इलाकों में जा बसे हैं। वहां नित्य असहायों की माँ -बेटियों का अपमान हुआ है। कितने पुलिस अधिकारी मारे गए हैं ,बेकसूर लोग मौत की गोद में सो चुके हैं। भटके हुए कश्मीरी युवकों का भी जीवन सुरक्षित नहीं हैं। 

असाम का बोडों आन्दोलन ,तमिलनाडु और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में व्याप्त नक्सलवाद ,गली -गली में फैली दूषित राजनीति ,चुनावों के दौर में होने वाली नर हत्याएँ आदि ऐसी असंख्य समस्याएं हैं जो भारत के भाल पर कलंक का टीका बनी हुई है। इन समस्याओं को देखकर हर भारतीय नागरिक यह सोचने को विवश है कि क्या यही गाँधी का देश है ,क्या यहीं बुद्ध ने अहिंसा का उपदेश दिया था। 

हिंसा के नए प्रकार 

अलगाववाद ,आतंकवाद और जातीय अहंकार के अतिरिक्त आजकल भारत में दो नए उन्माद उठ खड़े हुए हैं। वे हैं - आरक्षण और साम्प्रदायिकता। क्या भारत एक शांतिप्रिय देश है ? आरक्षण को हवा देने में पिछले वर्षों में भारत का जनजीवन बुरी तरह ध्वस्त हुआ। लगभग २५० छात्रों ने आत्मदाह करके रोष प्रकट किया। 

उधर अयोध्या में राममंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर देश में दंगों का जूनून उठ खड़ा हुआ। लगभग एक सप्ताह में एक हज़ार से अधिक बेकसूर हिन्दू मुसलमान मारे गए। दुर्भाग्य की बात यह है कि दोनों समस्यायों को दुष्ट राजनेताओं ने भड़काया और बेकसूर जनता मारी गयी। 

हिंसा का समाधान 

हिंसा के दौर का समाधान निश्चित रूप से होना चाहिए। परन्तु यह समाधान प्रतिहिंसा ,बदले की भावना या द्वेष के पास नहीं हैं। इसका एकमात्र समाधान यही है कि शांति से बीच बचाव करके भटके हुए लोगों को बातचीत के लिए बुलाया जाए और सबको समान जीवन जीने का अवसर प्रदान किया जाए। 


विडियो के रूप में देखें - 



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