Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12

SHARE:

Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12 summary important questions notes class 12 hindi surdas ki jhopdi summary in hindi

सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद



सूरदास की झोंपड़ी अंतराल Antral NCERT कक्षा १२ हिंदी ऐच्छिक rangbhumi novel surdas ki jhopdi class 12 hindi surdas ki jhopdi summary in hindi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद surdas ki jhopdi kahani surdas ki jhopdi class 12 summary surdas ki jhopdi summary important questions and notes on surdas ki jhopdi surdas ki jhopdi class 12 hindi summary surdas ki jhopdi class 12 class 12 antral surdas Surdas Ki Jhopdi Summary premchand ki kahaniya in hindi सूरदास की झोपड़ी प्रेमचंद 


                      

सूरदास की झोपड़ी पाठ का सारांश 

प्रस्तुत पाठ सूरदास की झोंपड़ी लेखक प्रेमचंद जी के द्वारा लिखित है | यह पाठ प्रेमचंद के उपन्यास रंगभूमि का एक अंश है | सूरदास की झोपड़ी, प्रेमचंद की कालजई रचना है | यह कहानी एक अंधे भिखारी सूरदास तथा उसके पुत्र मिठुआ को केंद्र में रखकर लिखी गई है तथा यह कहानी प्रेमचंद के विचारों में गांधीवादी विचारधारा को प्रदर्शित भी करती है | एक दृष्टिहीन व्यक्ति जितना बेबस और लाचार जीवन जीने को अभिशप्त होता है, सूरदास का चरित्र ठीक इससे विपरीत है | सूरदास अपनी परिस्थितियों से जितना दुखी व आहत है, उससे कहीं अधिक आहत है भैरों और जगधर द्वारा किए जा रहे अपमान से, उनकी ईर्ष्या से | 

सूरदास ने भिक्षा मांग-मांग कर कुछ पैसे जमा किए हैं, जिससे वह अपनी तीन अभिलाषा पूरी करना चाहता है | संचित धन से पितरों का पिंडदान करना, अपने पुत्र मिठुआ का विवाह करना और गाँव के लिए एक कुआँ बनवाना | उसी गाँव के जगधर और भैरों भी रहते हैं, जो इस कथा के खलनायक और उप-खलनायक के पात्रों के रूप में जाने जाते हैं | 

Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12
सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद

दरअसल, भैरौं की पत्नी सुभागी अपने पति की रोज-रोज के मार से बचने के लिए सूरदास की झोपड़ी में आसरा ले लेती है | इसी ईर्ष्या भाव से भैरौं सूरदास को अपना दुश्मन समझ उससे किसी भी प्रकार बदला लेने की ठान लेता है | एक दिन जब भैरों की पत्नी सुभागी भैरों की मार के डर से सूरदास की झोंपड़ी में छीप जाती है और सुभागी को मारने भैरों सूरदास की झोंपड़ी में घुस जाता है, किन्तु सूरदास के हस्तक्षेप से वह उसे मार नहीं पाता | इस घटना को लेकर पूरे मुहल्ले में सूरदास की बदनामी होती है | जगधर और भैरों तथा अन्य लोग उसके चरित्र पर प्रश्न उठाते हैं | इस घटना से उसे इतनी आत्मग्लानि हुई कि वह फूट-फूटकर रोया | भैरों को उकसाने और भड़काने में जगधर की प्रमुख भूमिका रही | उसे ईर्ष्या इस बात की थी कि सूरदास चैन से रहता है, खाता-पीता है, उसके चेहरे पर निराशा नहीं झलकती, जबकि जगधर को खाने-कमाने के लाले पड़े हुए हैं | 


भैरों की बहुरिया सुभागी पर जगधर नज़र भी रखता था | सूरदास और सुभागी के संबंधों की चर्चा पूरे मुहल्ले में इतनी हुई कि भैरों अपने अपमान और बदनामी का बदला लेने की सोच बैठा | उसने गाँठ बाँध ली कि जब तक सूरे को रुलाएगा, तड़पाएगा नहीं तब तक उसे चैन नहीं मिलेगा | उसे लगा समाज में इतनी बदनामी तो हो ही गई, भोज-भात बिरादरी को कहाँ से देगा ? भैरों सूरदास पर नज़र रखने लगा | अंतत: भैरों सूरदास के रुपयों की थैली उठा लेता है और सूरदास की झोंपड़ी में आग लगा देता है | 

तत्पश्चात्, आग बुझाने के लिए पूरा गांव इकट्ठा हो जाता है | सोचने पर भी आग लगाने वाले अपराधी का नाम सामने नहीं आ पा रहा था | उस समय सूरदास की मनःस्थिति निराशा से भरी थी | सूरदास के मन में केवल एक ही बात थी कि वह किसी प्रकार झोंपड़ी में जाकर अपनी पोटली निकाल लाए | परन्तु, कहीं न कहीं उसे अपनी तीनों अभिलाषा पोटली के साथ जलती हुई नज़र आ रही थी | तत्पश्चात्, झोंपड़ी के जल जाने पर सूरदास झोंपड़ी में अपनी पोटली की तलाश में जाता है | किन्तु, वहाँ चारों तरफ़ राख नज़र आ रही थी, उसे लगा कि आग में केवल फुस ही नहीं, बल्कि उसकी तीनों अभिलाषाएँ भी जल गई | बहुत तलाशने पर भी सूरदास को पोटली नहीं मिलती है |

जगधर यह सोचकर भैरों के पास जाता है कि सूरदास की झोपड़ी जलाने के पीछे उसी का हाथ होगा | भैरों के पास जाने के बाद जगधर को पता चलता है कि उसने सूरदास की पोटली भी चुरा ली थी | जगधर के मन में पैसों को देखकर ईर्ष्या का भाव जगता है और भैरों को धमकी देते हुए कहता है कि यदि उसने आधे पैसे न दिए तो वह सूरदास को इस राज के बारे में बता देगा | लेकिन भैरों जगधर को पैसे देने से इंकार कर देता है | इसके बाद ईर्ष्या की भावना में आकर जगधर, सूरदास को भैरों की चोरी के बारे में बता देता है | किंतु सूरदास अपनी इस आर्थिक नुकसान को जगधर से गुप्त रखता है, क्योंकि वह एक गरीब व्यक्ति था और उसके पास इतने पैसे होना उसके लिए लज्जा की बात थी | सुभागी, जो सूरदास और जगधर की बातें सुन रही थी | वह सूरदास से सहानुभूति रखती है तथा मन ही मन पोटली वापस लाने का संकल्प लेती है | 

सूरदास के चरित्र की विशेषता यह है कि झोंपड़ी के जला दिए जाने के बावजूद वह किसी से प्रतिशोध लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि पुनर्निर्माण में विश्वास करता है | इसलिए वह मिठुआ के सवाल --- "जो कोई सौ लाख बार झोंपड़ी को आग लगा दे तो" के जवाब में दृढ़ता के साथ जवाब देता है --- "तो हम भी सौ लाख बार बनाएँगे" | इससे पता चलता है कि सूरदास इस जीवन को एक खेल मानता है | वह एक खिलाड़ी की तरह उत्साह और आत्मविश्वास से भरा है | जो अगला खेल खेलने को बिल्कुल तत्पर है...|| 

---------------------------------------------------------

प्रेमचंद का जीवन परिचय 

प्रस्तुत पाठ के लेखक प्रेमचंद जी हैं | इनका जन्म 1880 में वाराणसी ज़िले के लमही ग्राम में हुआ था | इनका मूल नाम धनपतराय था | इनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में मुकम्मल हुई | मैट्रिक के पश्चात् वे अध्यापन कार्य में जुट गए | स्वाध्याय के रूप में प्रेमचंद जी बी.ए. तक शिक्षा ग्रहण किए | लेखनी को लेकर उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट तब आया, जब वे असहयोग आंदोलन के दौरान सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर पूर्णतः लेखन-कार्य के लिए समर्पित हो गए | 

प्रेमचंद
प्रेमचंद

वास्तव में देखा जाए तो प्रेमचंद जी ने अपने लेखन की शुरुआत पहले उर्दू में 'नवाबराय' के नाम से किया तथा बाद में हिन्दी में लिखने लगे | प्रेमचंद जी साहित्य को स्वांतः सुखाय न मानकर सामाजिक परिवर्तन का एक सशक्त माध्यम मानते थे | इनके साहित्य में किसानों, दलितों, नारियों की व्यथा, पीड़ा और वर्ण-व्यवस्था की कुरीतियों का बेहद मार्मिक चित्रण मिलता है | प्रेमचंद जी ने समाज-सुधार और राष्ट्रीय-भावना से ओत-प्रोत अनेक उपन्यासों एवं कहानियों की रचना की है | वे एक ऐसे साहित्यकार या कथाकार थे, जो समाज की वास्तविक स्थिति को पैनी दृष्टि से देखने की शक्ति रखते थे | उनकी भाषा बेहद सरल, सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल की भाषा है | हिन्दी भाषा को जन-जन तक पहुँचाने और उसे लोकप्रिय बनाने में प्रेमचंद जी का विशेष योगदान है | संस्कृत के प्रचलित शब्दों के साथ-साथ उर्दू की रवानी इसकी विशेषता है, जिसने हिन्दी कथा भाषा को नया आयाम दिया है | 

प्रेमचंद जी की प्रमुख कृतियाँ हैं --- निर्मला, सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन, गोदान (उपन्यास); मानसरोवर (आठ भाग), गुप्त धन (दो भाग) (कहानी संग्रह); कर्बला, संग्राम, प्रेम की वेदी (नाटक); विविध प्रसंग (तीन खंडों में, साहित्यिक और राजनीतिक निबंधों का संग्रह); कुछ विचार (साहित्यिक निबंध) | उन्होंने माधुरी, हंस, मर्यादा, जागरण आदि पत्रिकाओं का संपादन भी किया है...|| 


सूरदास की झोपड़ी पाठ के प्रश्न उत्तर


प्रश्न-1 'चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता ?' नायकराम के इस कथन में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए | 

उत्तर- 'चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता ?' ---  नायकराम के इस कथन में निहित भाव यह है कि सूरदास के जल रहे घर से उसके दुश्मनों को ख़ुशी मिल रही होगी | जब जगधर ने नायकराम से पूछा कि आज चूल्हा ठंडा नहीं किया था ? इसके उत्तर में नायकराम ने कहा कि चूल्हा ठंडा किया होता, तो दुश्मनों का कलेजा कैसे ठंडा होता | अपने इस कथन के माध्यम से नायकराम कहना चाहता है कि इस घटना से उसके दुश्मनों को खुश होने का अवसर मिल रहा है | लोगों ने यह सोचा कि सूरदास के चूल्हे में जो अंगारे शेष थे, उनकी हवा से ही शायद यह आग लगी होगी | परन्तु, हकीकत इससे अलग थी। भैरों ने सूरदास के झोपड़े में जान बूझकर आग लगाई थी। नायकराम जानता था कि आग चूल्हे की वजह से नहीं लगी है, जरूर कोई दूसरे व्यक्ति का हाथ है | 

प्रश्न-2 भैरों ने सूरदास की झोपड़ी क्यों जलाई ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, भैरों सूरदास से बहुत ईर्ष्या करता था। दरअसल, भैरौं की पत्नी सुभागी अपने पति की रोज-रोज के मार से बचने के लिए सूरदास की झोपड़ी में आसरा ले लेती है | इसी ईर्ष्या भाव से भैरौं सूरदास को अपना दुश्मन समझ उससे किसी भी प्रकार बदला लेने की ठान लेता है सूरदास हताश सुभागी को बेसहारा नहीं करना चाहता था। अतः वह उसे मना नहीं कर पाया और उसे अपने घर में रहने दिया। भैरों को सूरदास का ऐसे करने से बहुत बुरा लगा तथा वह खुद को अपमानित महसूस किया | भैरों सूरदास को सबक सिखाने के मक़सद से एक रोज सूरदास की झोपड़ी में आग लगा दी और इस प्रकार अपने अपमान का बदला ले लिया | 

प्रश्न-3 'यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी |' संदर्भ सहित विवेचन कीजिए | 

उत्तर- 'यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी |' --- ऐसा इसलिए कहा गया, क्योंकि वास्तव में देखा जाए तो उस आग में उसकी जीवनभर की जमापूँजी जलकर राख हो गई थी | साथ में पूँजी के रूप में उसकी वो अभिलाषाएँ ख़त्म हो गई थीं, जिससे वह गाँववालों के लिए कुँआ बनवाना चाहता था, अपने बेटे की शादी करवाना चाहता था तथा अपने पितरों का पिंडदान करवाना चाहता था | 

प्रश्न-4 जगधर के मन में किस तरह का ईर्ष्या-भाव जगा और क्यों ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सूरदास के घर आग लगने के कारण का पता करने जब जगधर भैरों के घर पहुँचा, तो उसे मालूम पड़ा कि भैरों ने ही सूरदास के घर आग लगवाई थी और भैरों ने ही सूरदास के पूरे जीवनभर की जमापूँजी भी ले लिया था | यह जानकर जगधर भी लालच से भर जाता है | वह भैरों से यह कहकर पूरे पैसे में आधा हिस्सा माँगता है कि वह आधा हिस्सा यदि उसे नहीं दिया तो वह सूरदास को बता देगा | भैरों की खुशी उसके लिए दुख की वजह बन जाती है | यही कारण है कि जगधर के मन में भैरों के पास खूब पैसे होने का ईर्ष्या-भाव जाग जाता है | 

प्रश्न-5 सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त क्यों रखना चाहता था ? 

उत्तर- सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त इसलिए रखना चाहता था, क्योंकि क्योंकि वह एक गरीब व्यक्ति था और उसके पास इतने पैसे होना उसके लिए लज्जा की बात थी |

प्रश्न-6 'सूरदास उठ खड़ा हुआ और विजय-गर्व की तरंग में राख के ढेर को दोनों हाथों से उड़ाने लगा।' इस कथन के संदर्भ में सूरदास की मनोदशा का वर्णन कीजिए | 

उत्तर - सूरदास के चरित्र की विशेषता यह है कि झोंपड़ी के जला दिए जाने के बावजूद वह किसी से प्रतिशोध लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि पुनर्निर्माण में विश्वास करता है | इसलिए वह मिठुआ के सवाल --- "जो कोई सौ लाख बार झोंपड़ी को आग लगा दे तो" के जवाब में दृढ़ता के साथ जवाब देता है --- "तो हम भी सौ लाख बार बनाएँगे" | इससे पता चलता है कि सूरदास इस जीवन को एक खेल मानता है | वह एक खिलाड़ी की तरह उत्साह और आत्मविश्वास से भरा है | जो अगला खेल खेलने को बिल्कुल तत्पर है | सूरदास अपने रुपए की चोरी की बात से दुखी था। उसे लग रहा था कि उसके जीवन में अब सब कुछ ख़त्म हो चुका है | जब अचानक सूरदास ने घीसू द्वारा मिठुआ को यह कहते हुए सुना कि खेल में क्यूँ रोते हो, तो उसकी मनोदशा पर चमत्कारी परिवर्तन होता है | दुखी सूरदास को आभास हुआ कि जीवन संघर्षों का नाम है | इंसान को चोट तथा धक्कों से डरना नहीं चाहिए | बल्कि जीवन में कष्टों का डटकर मुकाबला करना चाहिए | जीवन में में हार-जीत तो लगी ही रहती है | इसलिए यह कथन सामने आया कि --- "सूरदास उठ खड़ा हुआ और विजय-गर्व की तरंग में राख के ढेर को दोनों हाथों से उड़ाने लगा |" 

---------------------------------------------------------


सूरदास की झोपड़ी पाठ से संबंधित शब्दार्थ 


• अग्निदाह - आग का दहन, आग की लपटें 
• उपचेतना - नींद में जागते रहने का एहसास 
• चिताग्नि - चिता में लगी अग्नि 
• खुटाई - खोट 
• तस्कीन - तसल्ली, दिलासा 
• भूबल - ऊपर राख नीचे आग 
• अदावत - दुश्मनी 
• जरीबाना - दंड, जुर्माना 
• नाहक - बेमतलब, अकारण 
• रुपयों की गरमी - धन का घमंड 
• बल्लमटेर - गुंडे-बदमाश, लुटेरे 
• मसक्कत - मेहनत, मशक्कत, परिश्रम 
• हसद - ईर्ष्या, डाह 
• टेनी मारना - कम तौलना 
• बाट खोटे रखना - तौल सही नहीं रखना 
• ईमान गँवाना - बेईमानी करना 
• गुनाह बेलज्जत नहीं करना - बिना किसी लाभ के गुनाह नहीं करना 
• झिझकी - संकोच किया 
• झाँसा देना - धोखा देना, भ्रमित करना 
• पेट की थाह लेना - अंदर की बात जानना 
गोते खोना - इधर-उधर डूबना- उतरना 
• विजय-गर्व की तरंग - विजय की खुशी 
• उद्दिष्ट - निश्चित, निर्धारित   | 


COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,36,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,3,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,8,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,2,एकांकी संचय,7,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,1,कबीरदास,19,कमलेश्वर,6,कविता,1466,कहानी लेखन हिंदी,17,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,31,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,2,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,52,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,139,गजानन माधव "मुक्तिबोध",15,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,2,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,34,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,75,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,5,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,28,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,7,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,6,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,39,निर्मल वर्मा,2,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,198,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,138,प्रयोजनमूलक हिंदी,37,प्रेमचंद,41,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,87,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,7,भक्ति साहित्य,143,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,15,भीष्म साहनी,7,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,5,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,20,महावीरप्रसाद द्विवेदी,2,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,14,मैला आँचल,7,मोहन राकेश,13,यशपाल,14,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,21,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,124,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,34,विद्यापति,7,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,1,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,7,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,56,शैलेश मटियानी,2,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,1,संयुक्त राष्ट्र संघ,1,संस्मरण,32,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,42,समसामयिक हिंदी लेख,257,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,19,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,82,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,23,सूरदास,16,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,415,हिंदी लेख,526,हिंदी व्यंग्य लेख,13,हिंदी समाचार,179,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,10,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,19,hindi essay,407,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,105,hindi stories,674,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,19,hindi-notes-university-exams,43,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jyotish-astrology,21,kavyagat-visheshta,25,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,10,naya raasta icse,9,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,19,quizzes,8,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,6,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,16,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,5,sponsored news,10,Syllabus,7,top-classic-hindi-stories,44,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12
Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12
Surdas Ki Jhopdi सूरदास की झोंपड़ी प्रेमचंद Antral NCERT Class 12 summary important questions notes class 12 hindi surdas ki jhopdi summary in hindi
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8dxtRPtMVcr0TDLmRsq0gYmIi497PXfHNCFFJbZSlurqxbFfWAp-bzruV_6jvTcvbK_vBaVmCZUXwzveMugo4yiUd79GE2QZ2HA_83r0Z4M9TNm_UsA-QmaiX1_shUby0SWz-UxctwTi7/s320/soordas+ki+jhopadi.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj8dxtRPtMVcr0TDLmRsq0gYmIi497PXfHNCFFJbZSlurqxbFfWAp-bzruV_6jvTcvbK_vBaVmCZUXwzveMugo4yiUd79GE2QZ2HA_83r0Z4M9TNm_UsA-QmaiX1_shUby0SWz-UxctwTi7/s72-c/soordas+ki+jhopadi.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2021/03/surdas-ki-jhopdi-antral-ncert-class-12.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2021/03/surdas-ki-jhopdi-antral-ncert-class-12.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका