बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध essay on my experience on a rainy day in hindi Barish par nibandh hindi me barsat ka ek din varsha ka pahla din वर्षा
बरसात का एक दिन पर निबंध इन हिंदी
बरसात का एक दिन पर हिंदी निबंध बरसात का एक दिन पर निबंध हिंदी में बरसात का एक दिन पर निबंध इन हिंदी Barish par nibandh hindi me barsat ka ek din par paragraph varsha ka pahla din par anuched barish par hindi nibandh essay on my experience on a rainy day in hindi भारत देश को प्रकृति ने उपहार प्रदान किये है। इन्ही में से एक अनुपम उपहार है यहाँ की ऋतुएँ। ये ऋतुएँ समय समय पर आकर अपनी खुशबू से मन मोह लेती है। इन्ही छ: ऋतुओं में एक वर्षा ऋतु है, जिसका इंतजार पृथ्वी का हर प्राणी करता है।
वर्षा का आगमन
गर्मी की ऋतु में सूर्य की अत्यधिक गर्मी से जब पशु, पक्षी, मानव बेहाल हो जाते और धरती में दरारें पड़ने लगती है, तब भारतीय किसान आकाश को निहारता रहता है कि कब वर्षा की बूंदें धरती पर पड़ें और किसान उसका स्वागत करे। किसान, मयूर और मेढ़क का मन सदैव वर्षा के लिए आकाश की ओर लगा रहता है। इस समय नाले, तालाब पोखर में कहीं भी पानी का नामोनिशान नहीं रह जाता है। सभी की आँखें आकाश की ओर लगी रहती हैं तब पृथ्वी पर वर्षा का आगमन होता है।
मझे याद है कि दस जुलाई का उमस भरा दिन था। मैं अपने मित्रों के साथ विद्यालय जाने के लिए तैयार हो रहा था कि आसमान में काले-काले बादल छाने लगे। पुरवाई हवा चलना शुरू हो गई। थोड़ी देर बाद ही हल्की-हल्की बूंदें पड़ने लगीं। मेरे घर से निकलने से पहले ही तेज बरसात शुरू हो गई थी। मैं स्कूल नहीं गया। बरसात के रुकने का इंतजार करता रहा और देखते-देखते तेज बरसात शुरू हो गई। ऐसा लगा कि बरसात कई दिन से बरसना चाह रही थी, पर उसे मौका आज मिला।
नहाने का आनन्द
अब वर्षा थोड़ी कम हो रही थी। कुछ लोग बरसाती लेकर तो कुछ लोग छाता लेकर घर से निकल आए। वर्षा के कारण रास्ते में जो लोग दुकानों, मकानों या बाजारों में खड़े थे वे भी अपनी मंजिल पर पहुँचने के लिए निकल आए। छोटे-छोटे बच्चे कागज की नाव बनाकर पानी में तैराने लगे।
अचानक बिजली कड़की और पूरब की तरफ से तेज हवाएँ चलने लगीं। इसी के साथ वर्षा एक बार फिर शुरू हो गई। वर्षा से बचने के लिए आदमी फिर किसी सुरक्षित स्थान की खोज में भागने लगे। मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी और दूसरे जीव भी इधर-उधर भागने लगे। इस बार वर्षा और तेज थी।
गलियों में पानी तेजी से बहने लगा। कुछ जगह तो घुटनों तक पानी भर आया। दो आदमी वर्षा में भीगते हुए घर की ओर तेजी से भागे जा रहे थे कि उनमें से एक पानी भरे गड्ढे में जा गिरा। वह फिसल गया था।
एक घंटे बाद वर्षा जब थम गई तो लोग घरों से बाहर निकल आए। तालाबों में पीले-पीले मेंढक निकल आए और अपनी खुशी प्रकट करने लगे। जंगल में मोर की आवाजें गूंजने लगीं।
इंद्रधनुष का रहस्य
उस दिन देर होने के कारण तथा रास्ते में पानी भर जाने के कारण मैं और मेरा मित्र दोनों ही विद्यालय नहीं गए। हम दोनों ही कागज की नावें बनाकर तालाव की ओर निकल गए .सारे पेड़-पौधे धले हए नजर आ रहे थे। थोड़ी देर में पूर्व की दिशा में इंद्रधनुष दिखा. जिस देखकर हम सभी प्रसन्न हो गए।
वर्षा के कारण हमारी छुट्टी हो गई थी, इस कारण मन वह दिन खूब खेलकर मौजमस्ती करते हुए बिताया। इस प्रकार वह वर्षा का पहला दिन हमारे लिए काफी अच्छा रहा।
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