Class 9 Hindi Dharm Ki Aad धर्म की आड़ गणेशशंकर विद्यार्थी

SHARE:

धर्म की आड़ ncert solutions धर्म की आड़ extra questions धर्म की आड़ summary धर्म की आड़ question answer धर्म की आड़ प्रश्न उत्तर Hindi CBSE Sparsh 9

धर्म की आड़ गणेशशंकर विद्यार्थी


र्म की आड़ ncert solutions धर्म की आड़ extra questions धर्म की आड़ धर्म की आड़ summary धर्म की आड़ question answer धर्म की आड़ प्रश्न उत्तर धर्म की आड़ पाठ के लेखक कौन है dharm ki aad class 9 animation class 9 dharm ki aad question answers class 9 hindi chapter dharm ki aad धर्म की आड़ mcq धर्म की आड़ explanation धर्म की आड़ class 9 NCERT class 9 Hindi Chapter 5 class 9 Hindi Sparsh CBSE class 9 Hindi Sparsh Class 9 Hindi Chapter 5 प्रश्न उत्तर धर्म की आड़ class 9 Class 9 Dharam ki aad Dharam ki Aad explanation dharm ki aad class 9 NCERT ncert CBSE धर्म की आड़ कक्षा 9 धर्म की आड़ सीबीएसई गणेशशंकर विद्यार्थी 
                 


धर्म की आड़ पाठ का सार   

प्रस्तुत पाठ धर्म की आड़ लेखक गणेशशंकर विद्यार्थी जी के द्वारा लिखित है | इस पाठ के माध्यम से विद्‍यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है, जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्‍ध करते हुए नज़र आते हैं | 

Ncert Class 9 Hindi Dharm Ki Aad धर्म की आड़ गणेशशंकर विद्यार्थी
गणेशशंकर विद्यार्थी
आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिल या चालाक लोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेते हैं या आरक्षित कर लेते हैं और फिर धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाकर या उलझाकर अपना व्यापार चलाते रहते हैं | पाश्चत्य देशों में भी धन के द्वारा लोगों को वश में किया जाता है, मन चाहा या मन के अनुसार काम करवाया जाता है | आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि इस भीषण और समाज के लिए ख़तरनाक व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ सामने आना चाहिए | अगर किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी के धर्म में टांग अड़ाते हुए दिखाई देते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझकर उसकी रोकथाम का प्रयास करना चाहिए | 


आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नहीं है | शुद्धाचरण और सदाचरण धर्म के चिन्ह या सच्चे प्रतीक हैं | आप ईश्वर को रिश्वत दे देने के बाद दिन भर बेईमानी करने के लिए स्वतंत्र नही हैं | ऐसे धर्म को कभी क्षमा नहीं किया जा सकता | लेखक कहते हैं कि इनसे अच्छे वे लोग हैं, जो नास्तिक हैं | 

आगे प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि राष्ट्र की स्वाधीनता आंदोलन में जिस दिन ख़िलाफत, मुल्ला तथा धर्माचार्यों को जगह दिया गया था, वह दिन सबसे बुरा या काला था, जिसके पाप का फल हमें आज भी कहीं न कहीं भोगना पड़ रहा है...|| 



गणेश शंकर विद्यार्थी का जीवन परिचय

प्रस्तुत पाठ के लेखक गणेशशंकर विद्यार्थी जी हैं | इनका जन्म 1891 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था | एंट्रेंस पास करने के पश्चात् लेखक कानपूर दफ़तर में मुलाज़िम हो गए | तत्पश्चात्, इन्होंने 1921 में 'प्रताप' साप्ताहिक अख़बार निकालना आरम्भ किया | लेखक आचार्य महावीर प्रसाद दिवेदी जी को अपना साहित्यिक गुरु मानते थे | उन्हीं की प्रेरणाओं से गणेशशंकर विद्यार्थी ने आजादी की अलख जगाने वाली रचनाओं का सृजन और अनुवाद किया | श्री विद्यार्थी का ज्यादा समय जेल में ही बिता है | कानपुर में 1931 में मचे सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाने के प्रयास में इनकी मृत्यु हो गयी थी | श्री विद्यार्थी अपने जीवन और लेखन दोनों में गरीबों, किसानों, मजलूमों, मजदूरों आदि के प्रति सच्ची हमदर्दी का इज़हार करते थे | उनकी भाषा सरल, सहज, किन्तु बेहद मारक और सीधा प्रहार करने वाली थी...|| 


धर्म की आड़ पाठ के प्रश्न उत्तर 


प्रश्न-1 आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, आज धर्म के नाम पर दंगे-फ़साद व हर तरह के साम्प्रदायिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है | 

प्रश्न-2 लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन सा दिन बुरा था ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था, जिस दिन स्वतंत्रता के क्षेत्र में ख़िलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना ज़रूरी समझा गया | जिसके पाप का फल हमें आज भी कहीं न कहीं भोगना पड़ रहा है | 

प्रश्न-3 साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान की हिफाजत के लिए प्राण तक गंवा देना वाजिब है | 

प्रश्न-4 चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं | ऐसे लोग दूसरों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं | 

प्रश्न-5 चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म की रक्षा के लिए जान लेने और देने वाले विचार का भावात्मक रूप में इस्तेमाल करके लाभ उठाते हैं | साथ ही साथ साधारण लोगों की अज्ञानता ही उन्हें चालाक लोगों के द्वारा ठगी का शिकार बना देती है | 

प्रश्न-6 आने वाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, यदि बैठकर दो घंटे पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज़ अदा कीजिए, किन्तु ईश्वर को इस प्रकार के रिश्वत दे चुकने के बाद भी आप दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुंचाने के लिए आजाद हैं तो इस धर्म को आने वाला समय नहीं टिकने देगा | 

प्रश्न-7 पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, पाश्चात्य देशो में धनी और निर्धन लोगों के बीच एक गहरी खाई नज़र आती है | धनी लोग गरीबों को धन दिखाकर अपने वश में करते हैं | तत्पश्चात् मनमाना धन पैदा करने के लिए उन्हें जोत देते हैं | गरीबों की कमाई से वे और अमीर बनते जा रहे हैं और गरीब निरन्तर चूसे जा रहे हैं | 

प्रश्न-8 कौन-से लोग धार्मिक लोगों से ज्यादा अच्छे हैं ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, धार्मिक लोगों से वे ला-मज़हबी और नास्तिक लोग ज्यादा अच्छे हैं, जिनका आचरण अच्छा है, जो दूसरों के सुख-दुख का पूरा ख़्याल रखते हैं | 

प्रश्न-9 धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है ? 

उत्तर- 
प्रस्तुत पाठ के अनुसार, लेखक कहते हैं कि हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिल या चालाक लोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेते हैं या आरक्षित कर लेते हैं और फिर धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाकर या उलझाकर अपना व्यापार चलाते रहते हैं | लेखक कहते हैं कि इस भीषण और समाज के लिए ख़तरनाक व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ सामने आना चाहिए | अगर किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी के धर्म में टांग अड़ाते हुए दिखाई देते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझकर उसकी रोकथाम का प्रयास करना चाहिए | 

प्रश्न-10 'बुद्धि पर मार' के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं ? 

उत्तर- 
लेखक के अनुसार, 'बुद्धि पर मार' से तात्पर्य है कि बुद्धि पर पर्दा डालकर पहले आत्मा और ईश्वर का स्थान अपने लिए ले लेना | तत्पश्चात् साधारण लोगों को आपस में लड़वाना या साम्प्रदायिक दंगों जैसी स्थिति उत्पन्न करना | यही बात साधारण लोग नहीं समझ पाते हैं और धर्म के नाम पर जान लेने और देने को भी वाजिब मान लेते हैं | 

प्रश्न-11 सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है ? 

उत्तर- प्रस्तुत पाठ के अनुसार, सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब तक हम स्वयं को नहीं सुधारेंगे या स्वयं में बदलाव नहीं लाएँगे, तब तक दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रख पाएँगे | 

---------------------------------------------------------

भाषा अध्ययन
प्रश्न-12 उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए --- 
• सुगम                दुर्गम
• धर्म                .............
• ईमान             .............
• साधारण.        .............
• स्वार्थ             .............
• दुरूपयोग.      ............
• नियंत्रित.        ............
• स्वाधीनता.     .............

उत्तर- 
शब्दों के विपरीतार्थक - 

• सुगम --- दुर्गम
• धर्म --- अधर्म
• ईमान --- बेईमान
• साधारण --- असाधारण
• स्वार्थ --- नि:स्वार्थ
• दुरूपयोग --- सदुपयोग
• नियंत्रित --- अनियंत्रित
• स्वाधीनता --- पराधीनता

प्रश्न-13 निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए ---  ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

उत्तर- 
उपसर्गों का प्रयोग - 
• ला --- लाजवाब, लापरवाह
• बिला --- बिला वजह, बिला आख़िर 
• बे --- बेहिसाब, बेवजह 
• बद --- बदमिज़ाज़, बदतमीज 
• ना --- नाकामयाब, नासमझ 
• खुश --- खुशमिजाज़, खुशनसीब, 
• हर --- हरदम, हरदिन 
• गैर --- गैर कानूनी, गैर मज़हब 

प्रश्न-14 'भी' का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए − 
उदाहरण --- आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है | 

उत्तर- 
 पाँच वाक्य - 
(1)- मुझे छुट्टी के बाद दुकान भी जाना है | 
(2)- मोहन को भी साथ लेना है | 
(3)- अमायरा भी डॉक्टर बनेगी | 
(4)- कल वो भी मेरे साथ आए थे | 
(5)- मुझे भी वहाँ जाना है | 

---------------------------------------------------------


धर्म की आड़ पाठ के शब्दार्थ 


• बेज़ा – अनुचित
• धूर्त – छली 
• खिलाफ़़त – खलीफ़ा का पद 
• प्रपंच – छल 
• कसौटी – परख 
• ला-मज़हब – जिसका कोई धर्म , मज़हब न हो या नास्तिक | 
• उत्पात – उपद्रव
• ईमान – नीयत 
• ज़ाहिलों – मूर्ख या गँवार 
• वाज़िब – उचित
 • अट्टालिकाएँ – ऊँचे मकान
• साम्यवाद - कार्ल-मार्क्स द्वारा प्रतिपादित राजनितिक सिद्धांत जिसका उद्देश्य विश्व में वर्गहीन समाज की स्थापना
                  करना है | 
• बोलेश्विज्म - सोवियत क्रान्ति के बाद लेनिन के नेतृत्व में स्थापित व्यवस्था  | 


COMMENTS

Leave a Reply: 1
आपकी मूल्यवान टिप्पणियाँ हमें उत्साह और सबल प्रदान करती हैं, आपके विचारों और मार्गदर्शन का सदैव स्वागत है !
टिप्पणी के सामान्य नियम -
१. अपनी टिप्पणी में सभ्य भाषा का प्रयोग करें .
२. किसी की भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी न करें .
३. अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका