बोसकीयाना

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यशवंत व्यास जाने-पहचाने प्रयोगशील लेखक-पत्रकार। कई मशहूर अख़बारों के साथ पत्रिकाओं का संपादन। दो उपन्यास, दोनों पुरस्कृत। क़रीब दस और किताबें—व्यंग्य-

बोसकीयाना 


नई दिल्ली : ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित गीतकार गुलज़ार की ज़िन्दगी और लेखन के जाने-अनजाने सच, उनके घर ‘बोसकीयाना’ का माहौल — एक किताब में। उनके रहन-सहन, उनके घर, उनकी पसंद-नापसंद और वे इस दुनिया को कैसे देखते हैं और कैसे देखना चाहते हैं, इस पर बातें...यह बातों का लम्बा सिलसिला है जो एक मुलायम आबोहवा में हमें समूचे गुलज़ार से रू-ब-रू कराता है। अगर आप गुलज़ार की ज़िन्दगी और उनके फ़लसफ़े को बेहद क़रीब से जानने को उत्सुक हैं तो राधाकृष्ण प्रकाशन लेकर आ रहे हैं यशवंत व्यास की नई पेशकश ‘बोसकीयाना’। यह किताब, महज एक किताब नहीं इस दिवाली दोस्तों और रिश्तेदारों को देने के लिए एक यादगार उपहार भी है। 

यह एक लिमिटेड गिफ़्ट पैक एडिशन है जिसमें गुलज़ार क़लम, आकर्षक नोट पैड, बुकमार्क और सुंदर कैनवस
बोसकीयाना
बोसकीयाना 
बैग शामिल हैं।यशवंत व्यास गुलज़ार-तत्त्व के अन्वेषी रहे हैं। वे उस लय को पकड़ पाते हैं जिसमें गुलज़ार रहते और रचते हैं। उनके ही शब्दों में कहें तो इस लम्बी बातचीत से आप 'गुलज़ार से नहाकर' निकलते हैं।
 पुस्तक के लेखक, गीतकार गुलज़ार ने बोसकीयाना के प्रकाशित होने पर कहा “ ये किताब बोसकीयाना उठाकर दिखिए ये मेरे घर का नाम है। अशोक जी हैं ना, अशोक माहेश्वरी मेरे बड़े पुराने दोस्त हैं, पुराने से मतलब .... उस ज़माने से जब मेरी पहली गानों की किताब राधाकृष्ण प्रकाशन ने प्रकाशित की थी। उन्हें मांगने  का  हक़ भी  है और छीनने का भी हक़ है । यशवंत व्यास पूरे जेबकतरे हैं,लिखने से पहले जेब काट लेते हैं, बोलने से पहले जीभ काट लेते हैं, जो सोचता हूँ  वो भांप लेते हैं। इन दोनों दोस्तों ने मिलकर मेरी पोल खोल दी है,यकीन न आये, तो किताब खोल कर देख लीजिये।

यशवंत व्यास ने इस पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा “मेरे पास 1992  के वसंत की एक दोपहर है।  उस दोपहर ने इस  सुबह की हथेली पर  सूरज मला था।  वे तब भी बरसों  पुरानी पहचान के निकले, हालाँकि अपॉइंटमेंट पहला था।  बोसकीयाना  कोई तीन दहाई  लम्बी मुलाक़ात से बीने हुए कुछ लम्हों  का दो सौ  पेजी तर्ज़ुमा  है।  इसकी अढ़ाई दिन की शक़्ल  में गुलज़ार का मक़नातीसी  जादू खुलता है... शायरी, फिल्म, ज़िन्दगी और वक़्त का जुगनू रोशन होता है।  ऐसा कि  जैसे गुलज़ार में नहा कर निकले”।

राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने इस पुस्तक के प्रकाशित होने पर कहा , “बातों बातों में गुलज़ार साहब को मैंने सुझाव दिया कि आपके इन्टरव्यू की किताब आनी चाहिए ।  और उन्होंने मान लिया ।   यह किताब इंटरव्यू का कलेक्शन नहीं है एक लंबा इंटरव्यू है जो लगातार पिछले 30 सालों में यशवंत व्यास उनसे बात करते रहे और मेरे सुझाव के बाद इस पर तेजी से काम शुरू हुआ।  उन्हें इसमें छह साल लगे इसमें ।  किताब में आप पायेंगे ‘गुलजारियत’ और गुलज़ार की जिन्दगी और काम को समझने के लिए ‘बोस्कियाना’. बोसकी सीरिज की सभी किताबें हमने छपी हैं. अब यह बोसकियाना आपके हाथों में है”।  

पुस्तक : बोसकीयाना
आईएसबीएन पीबी : 978-81-8361-979-0
प्रकाशक : राधाकृष्ण प्रकाशन 
लेखक : गुलज़ार 
भाषा : हिंदी 
मूलभाषा : हिंदी 
बाईंडिंग : हार्डबाउंड 
कीमत : 1200/-
पृष्ठ : 228
प्रकाशन वर्ष : नवम्बर, 2020 

लेखक गुलज़ार के बारे में 
बेमिसाल शख़्स, मशहूर शायर, फ़िल्म निर्देशक, लेखक-गीतकार। 18 अगस्त 1934 को दीना (अविभाजित हिंदुस्तान, अब पाकिस्तान) में जन्म। कई किताबें, साहित्य अकादेमी और पद्मभूषण से अलंकृत। फ़िल्मों के क्षेत्र में दादासाहेब फाल्के, ग्रैमी, ऑस्कर समेत कई अवार्ड।

यशवंत व्यास 
यशवंत व्यास जाने-पहचाने प्रयोगशील लेखक-पत्रकार। कई मशहूर अख़बारों के साथ पत्रिकाओं का संपादन। दो उपन्यास, दोनों पुरस्कृत। क़रीब दस और किताबें—व्यंग्य-संग्रह से लेकर फ़िल्म, मैनेजमेंट और पत्रकारिता पर रिसर्च तक। गुलज़ार की सोहबत में कोई ढाई-तीन दशक से।


खास आकर्षण :
1.‘बोसकीयाना’ का विशेष सजिल्द संस्करण आकर्षक गिफ़्ट बॉक्स में (साइज़ लगभग 7.75 x 10.25 इंच), 4 रंगों में छपाई, कई अनदेखे फ़ोटो के साथ
2. गुलज़ार क़लम
3. एक्सक्लूसिव बुकमार्क
4.आकर्षक नोट पैड (64 पृष्ठों का, साइज 13.5 X 20.5 सेमी.)
5. ‘बोस‌कीयाना’ लिमिटेड गिफ़्ट पैक कैनवास बैग (साइज 16 X 16 इंच)

यहाँ बुक उपलब्ध है - https://www.rajkamalbooks.in/shop/boskiyana-limited-deluxe-gift-pack/ 

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