नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया - चपला देवी नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Nana Sahab Ki Beti नाना साहब की बेटी NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Nana Sahab ki putri Maina नाना साहब की पुत्री देवी मैना Kshitij 1 NCERT Class 9 Hindi CBSE Class 9 HINDI Chapter 5 क्षितिज भाग 1 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रश्न और उत्तर NCERT Nana Saheb Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya Gaya Class 9 Hindi
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया - चपला देवी
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Nana Sahab Ki Beti नाना साहब की बेटी NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Nana Sahab ki putri Maina नाना साहब की पुत्री देवी मैना Kshitij 1 NCERT Class 9 Hindi CBSE Class 9 HINDI Chapter 5 क्षितिज भाग 1 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया Class 9 Hindi नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया प्रश्न और उत्तर NCERT Nana Saheb Ki Putri Devi Maina Ko Bhasm Kar Diya Gaya Class 9 Hindi
नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ का सारांश
नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ लेखिका चपला देवी के द्वारा लिखित एक 'रिपोर्ताज' है | सन् 1857 की क्रांति के विद्रोही नेता "धुंधूपंत नाना साहब" की पुत्री बालिका मैना आज़ादी की नन्हीं सिपाही थी, जो अंग्रेजों के हाथों जला दी गई थी |
जब 1857 ई. की क्रांति के दौरान कानपुर में नाना साहब असफल होने के पश्चात् भाग खड़े हुए, तो जल्दी में अपनी पुत्री मैना को साथ न ले जा सके |अंग्रेज कानपूर में विद्रोह को कुचलने के बाद बिठूर में नाना साहब के महल में जा पहुँचे और सारा राजमहल लूट लिया | तत्पश्चात्, अंग्रेजों ने तोप से नाना साहब का महल जलाकर राख कर देने का निश्चय किया | जब अंग्रेज़ों ने नाना साहब के महल को उड़ाने के लिए तोपें सामने रखीं, तो उसी समय अचानक महल के बरामदे में एक बहुत सुन्दर बालिका आ जाती है | बालिका को देख सेनापति को आश्चर्य होता है, क्योंकि जब महल को लूटा जा रहा था, तब बालिका वहाँ कहीं दिखाई नहीं दी थी |
नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया |
बालिका सेनापति को गोले बरसाने से मना करती है | बालिका का करूणामय चेहरा देखकर सेनापति को उस पर दया आ गई | जब सेनापति ने उससे पूछा कि तुम क्या चाहती हो ? तभी बालिका ने जवाब दिया कि क्या आप मुझपर कृपा करके इस महल की रक्षा करेंगे ? इसपर सेनापति ने बालिका से पूछा कि तुम्हारा क्या उद्देश्य है ? तभी बालिका भी सेनापति से पूछती है कि मकान गिराने में आपका क्या उद्देश्य है | तत्पश्चात्, सेनापति ने जवाब में बोला --- " यह मकान विद्रोहियों के नेता नाना साहब का है | सरकार ने इसे गिरा देने का आदेश दिया है...|" इस पर बालिका ने सेनापति से कहा कि जो दोषी है, आपको उसे सजा देना चाहिए | इस निर्जिव मकान का कोई कसूर नहीं, मुझे यह मकान बहुत प्रिय है, मैं आप से विनती करती हूँ कि इस मकान की रक्षा कीजिए |
तत्पश्चात्, वह बालिका सेनापति से विनम्र स्वभाव में कहती है कि मैं आपकी पुत्री 'मेरी' की सहेली हूँ |बालिका की बात सुनते ही सेनापति को ज्ञात हुआ कि वह नाना साहेब की पुत्री है | बालिका के द्वारा परिचय देने पर सेनापति 'हे' ने उसे पहचान लिया | परन्तु, सेनापति ने कहा कि वह सरकारी नौकर है और सरकार की आज्ञा को नहीं टाल सकता |
तभी 'जनरल अउटरम' वहाँ आ पहुँचे और गुस्सा होकर बोले --- " अबतक महल को क्यूँ नहीं उड़ाया गया ?" सेनापति 'हे' ने महल और मैना को छोड़ने का अनुरोध किए, परन्तु अउटरम ने उसे अस्वीकार कर दिया, जिससे दुखी होकर सेनापति 'हे' वहाँ से चले गए | तत्पश्चात्, अउटरम ने महल को चारों तरफ से घेर लिया | सिपाही महल का फाटक तोड़कर अंदर चले गए और बालिका मैना को तलाशने लगे, पर आश्चर्य है कि मैना सिपाहियों के हाथ न लगी | शाम में गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग का तार आया, जिसके अनुसार नाना साहब के स्मृति चिन्ह तक मिटा देने की बात कही गई थी |लगभग घंटे भर में महल को खाक में मिला दिया गया |
उस समय लंदन के एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित अख़बार 'टाइम्स' ने छ सितम्बर को नाना साहब के बारे में ख़बर छापी कि --- " बड़े दुःख का विषय है, भारत सरकार अभी तक अंग्रेज़ों के हत्याकांड के दोषी नाना साहब को नहीं पकड़ सकी है |" उस दिन पार्लियामेंट हाउस में सेनापति 'हे' के उस रिपोर्ट पर उपहास किया गया, जिसमें उसने बालिका के लिए क्षमा-याचना की मांग की थी | अंग्रेज़ों ने नाना साहब के सगे-संबंधी को मार डालने का आदेश दे दिया था |
सन् 1857 सितम्बर मास में अर्द्ध रात्रि के चाँदनी में एक बालिका सादा स्वच्छ वस्त्र पहनकर अपने महल के अवशेषों पर बैठकर रो रही थी | जब जनरल अउटरम वहाँ पहुँचते हैं, तो उसे पहचान कर कहते हैं --- " ये तो नाना साहब की लड़की मैना है...|" तत्पश्चात्, जनरल अउटरम के सैनिक बालिका को चारों ओर से घेरकर गिरफ्तार कर लेते हैं | बाद में उसे कानपूर के किले में कैद कर दिया जाता है | उस समय महाराष्ट्रीय इतिहासवेत्ता महादेव चिटनवीस के 'बाखर' पत्र में छपा था कि --- " कल कानपुर के किले में एक भीषण हत्याकांड हो गया | नाना साहब की इकलौती पुत्री मैना धधकती हुई आग में जलाकर भस्म कर दी गई | भीषण अग्नि में शांत और सरल मूर्ति उस अनुपमा बालिका को जलती देख, सबने उसे देवी समझ कर प्रणाम किया...|" इस तरह लोगों ने उसे सच्ची श्रद्धांजलि दिया...||
नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ?
उत्तर- बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को निम्नलिखित तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ---
• आपके विरुद्ध जिसने शस्त्र उठाए, वे दोषी हैं | परन्तु, इस जड़ पदार्थ मकान ने क्या अपराध किया है ?
• तत्पश्चात्, बालिका मैना ने कहा कि यह स्थान मुझे बहुत प्रिय है, इसलिए मैं आपसे विनती करती हूँ कि इस महल की रक्षा कीजिए |
• उसके बाद बालिका मैना ने अपना परिचय देते हुए सेनापति 'हे' से कहा कि वो उनकी पुत्री 'मेरी' की सहेली है |
प्रश्न-2 सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे ?
उत्तर- बालिका मैना सेनापति टामस 'हे' से करूणामयी रूप लिए स्वयं पर दया करने के लिए विनती कर रही थी | वह सेनापति 'हे' की पुत्री 'मेरी' की सहचरी भी थी | बालिका मैना के कहे अनुसार सेनापति 'हे' भी उसके महल में पहले आना-जाना किया करते थे | इस प्रकार वे आपस में पूर्व परिचित भी थे | इसलिए सर टामस 'हे' ने मैना पर दया-भाव जताया |
प्रश्न-3 ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था --- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी’ | इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से क्या आशय है ?
उत्तर- ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था --- ‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दांत नाना साहब को नहीं पकड़ सकी’ | इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ से आशय 'अँग्रेज़ों की सरकार' से है | क्योंकि भारत पर तात्कालीन हुकूमत अँग्रेज़ों की थी |
प्रश्न-4 स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी ?
उत्तर- आरम्भिक काल से ही लेखन कला के माध्यम से समाज में जागरुकता लाने का प्रयास जारी है | यह संचार का एक सशक्त माध्यम भी है | मैना जैसी छोटी बालिका पर अपनी क्रूरता का हद पार करने वाली अँग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध लोगों में रोष पैदा हुआ होगा | फलस्वरूप, लोगों में देशभक्ति का भाव जागा होगा तथा वे भारत को स्वाधीन बनाने के सपने को और भी सक्रीयता के साथ अंजाम देने में जुट गए होंगे |
प्रश्न-5 मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे | क्यों ?
उत्तर- वह मकान बालिका मैना के लिए एक मात्र सहारा और पैतृक धरोहर के रूप में था | जबकि नाना साहब पहले ही अँग्रेज़ी सरकार और अंग्रेज़ लोगों को जान-माल का नुकसान पहुँचा चुके थे | इसलिए अंग्रेज़ नाना साहब से जुड़ी हर निशानी को मिटा देना चाहते थे | ताकि उन्हें आने वाले समय में फिर से कोई बड़ा नुकसान न उठाना पड़े |
जिसके फलस्वरूप, मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी, पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे |
प्रश्न-6 मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ?
उत्तर- मैना की अंतिम इच्छा व्यक्त करने पर भी पाषाण अर्थात् कठोर हृदय वाले जनरल ने इस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी कि नाना साहब पूर्व में अँग्रेज़ी सरकार और अँग्रेज़ों के जान-माल का बहुत क्षति पहुँचा चुके थे | उनके किसी भी सगे-संबंधियों को जीवित छोड़ना भविष्य के लिए खतरा था | इसी भय से अँग्रेज़ों ने मैना की अंतिम इच्छा पूरी नहीं होने दी |
नाना साहब की पुत्री मैना को भस्म कर दिया गया पाठ के शब्दार्थ
• पाषाण हृदय - पत्थर के समान कठोर हृदय
• भीषण - भयावह, भयानक, डरावना
• शस्त्र - हथियार
• निरपराध - बिना अपराध के
• वासस्थान - निवास स्थान
• अल्पवयस्क - कम उम्र, छोटी उम्र
• विध्वंस - विनाश करना, नाश करना
• फाटक - दरवाजा,
• भग्नावशिष्ट - अवशेष, खंडहर
• प्रासाद - महल
• इतिहासवेत्ता - इतिहास का जानकार |
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