डॉ भीमराव अम्बेडकर पर निबंध

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डॉ भीमराव अम्बेडकर पर निबंध

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डॉ .भीमराव अम्बेडकर का आरंभिक जीवन - 

डॉ. भीमराव अम्बेडकर
डॉ. भीमराव अम्बेडकर
डॉ. भीमराव अम्बेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे। १६ वर्ष की आयु में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की। बी.ए  पास करने पर उन्हें बड़ौदा के महाराजा ने छात्रवृति प्रदान की और उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेज दिया। वहां से अर्थशास्त्र,राजनीति शास्त्र ,कानून व पी.एच.डी की डिग्रियां लेकर वे वापिस भारत लौटे।  

समाज सुधार - 

भारत आने पर महाराजा बड़ौदा ने उन्हें सैनिक सचिव पद पर नियुक्त किया। वहां इन्हें छुआछूत के भेदभाव का सामना करना पड़ा. वे इस अपमान को सहन नहीं कर पाए इससे आहत होकर पद छोड़कर बम्बई में अध्यापन कार्य में लग गए। इसी बीच इन्होने छुआछूत से लड़ने की प्रतिज्ञा ली और इस कार्य में जुट गए।  

संविधान निर्माण - 

सन १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्ति  के बाद बने प्रथम मंत्रीमंडल में इन्हें सम्मिलित किया गया। देश के संविधान के निर्माण के लिए जो समिति बनायीं गई थी,डॉ. अम्बेडकर उसके अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 

लेखन कार्य - 

उन्होंने मूक शीर्षक से एक पत्रिका का प्रकाशन किया जिसमें दलितों की दशा और उद्धार के बारे में लेख लिखे। उनके लेखों का भारतीय दलित वर्ग पर गहरा प्रभाव पड़ा. अपने अंतिम दिनों में उन्होंने भगवान् बुद्ध और उनका धर्म नामक एक ग्रन्थ की भी रचना की।  डॉ. भीमराव अम्बेडकर का निधन सन १९५६ को नयी दिल्ली में हुआ। भारत सरकार में उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न  के  सर्वोच उपाधि से सम्मानित किया गया।  

बाबा साहब - 

डॉ. अम्बेडकर ऐसे महान समाजसुधारक हुए हैं जिन्होंने दलित उद्धार के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया। उन्हें हम श्रद्धावश बाबा साहब कहकर संबोधित करते हैं।  


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