क्रिसमस डे बड़ा दिन पर भाषण Speech On Christmas Day

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क्रिसमस डे बड़ा दिन पर भाषण Speech On Christmas Day माननीय प्रधानाचार्य जी, सम्माननीय शिक्षकगण, प्रिय सहपाठियों और उपस्थित सभी महानुभावों,नमस्कार!आज

क्रिसमस डे बड़ा दिन पर भाषण Speech On Christmas Day


माननीय प्रधानाचार्य जी, सम्माननीय शिक्षकगण, प्रिय सहपाठियों और उपस्थित सभी महानुभावों, नमस्कार! आज मैं आपके समक्ष खड़ा हूँ उस दिन की बात करने के लिए जो पूरे विश्व में खुशी, उमंग और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ 25 दिसंबर की, जिसे हम क्रिसमस डे या बड़ा दिन के नाम से जानते हैं। यह दिन सिर्फ़ एक तारीख नहीं, बल्कि एक भावना है, एक संदेश है, एक उम्मीद है जो अंधेरे में भी रोशनी की किरण दिखाती है।

सबसे पहले तो यह समझना ज़रूरी है कि क्रिसमस असल में है क्या। दो हज़ार साल से भी ज़्यादा पहले बेथलेहम नामक एक छोटे से गाँव में एक बच्चे का जन्म हुआ था। वह बच्चा कोई राजकुमार नहीं था, न ही किसी महल में पैदा हुआ। वह एक साधारण बढ़ई के घर, एक गौशाले में, घास-फूस के बिस्तर पर जन्मा। उस बच्चे का नाम था यीशु। ईसाई धर्म के लोग उन्हें परमेश्वर का पुत्र मानते हैं, जो इस धरती पर इसलिए आया ताकि मानवजाति को पाप से मुक्ति दिलाए, प्रेम का संदेश दे और बताए कि जीवन का असली मतलब है एक-दूसरे से बेझिझक प्यार करना। इसी जन्म की खुशी में हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है और इसे बड़ा दिन इसलिए कहते हैं क्योंकि यह दिन मानव इतिहास का सबसे बड़ा और पवित्र दिन माना जाता है।

क्रिसमस डे बड़ा दिन पर भाषण Speech On Christmas Day
जब हम क्रिसमस की बात करते हैं तो हमारे ज़हन में सबसे पहले आता है सैंटा क्लॉज़ का चेहरा, लाल-सफ़ेद कपड़े, लंबी सफ़ेद दाढ़ी, हिरणों वाली स्लेज और रात के अंधेरे में चिमनियों से होते हुए बच्चों के मोज़ों में तोहफ़े भरता हुआ वह बुज़ुर्ग। बच्चे पूरे साल इंतज़ार करते हैं कि सैंटा आएगा और उनकी विश पूरी करेगा। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह सैंटा क्लॉज़ असल में संत निकोलस नाम के एक सच्चे संत थे, जो चौथी सदी में तुर्की में रहते थे। वे बहुत दयालु थे, गरीबों और बच्चों की गुप्त रूप से मदद करते थे। उनकी इसी उदारता ने सदियों बाद सैंटा क्लॉज़ की कहानी को जन्म दिया। तो जब हम सैंटा की बात करते हैं तो हम दरअसल दया, उदारता और बिना नाम लिए मदद करने की भावना की बात करते हैं।क्रिसमस का एक और ख़ूबसूरत प्रतीक है क्रिसमस ट्री। हरा-भरा सदाबहार पेड़, उस पर झिलमिलाती रंग-बिरंगी लाइटें, छोटे-छोटे गिफ़्ट्स, तारे और बेल्स। यह पेड़ जीवन का प्रतीक है। ठंड की कड़ाके में भी जो पेड़ हरा रहता है, वह बताता है कि चाहे कितनी भी मुश्किल आए, जीवन की ज्योति बुझनी नहीं चाहिए। सबसे ऊपर लगा हुआ तारा वही बेथलेहम का तारा है जिसने तीन बुद्धिमानों को नवजात यीशु तक पहुँचाया था। तो क्रिसमस ट्री सिर्फ़ सजावट नहीं, एक ज़िंदा संदेश है कि अंधेरे में भी उम्मीद का तारा चमकता है।

अब ज़रा सोचिए, ठंड की उस रात में जब यीशु का जन्म हुआ, बाहर चरवाहे अपनी भेड़ों की रखवाली कर रहे थे। अचानक आकाश में प्रकाश हुआ और स्वर्गदूतों ने गीत गाया, “आकाश में ईश्वर को महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों को शांति जिनसे उसकी प्रसन्नता है।” उसी रात दूर देश में तीन विद्वान ऊँटों पर सवार होकर उस तारे के पीछे चल पड़े। यह बताता है कि सच्ची खुशी का जन्म बहुत सादगी में होता है, पर उसकी रोशनी सारी दुनिया को दिखती है। आज भी क्रिसमस की रात चर्चों में मोमबत्तियाँ जलती हैं, कैरोल गाए जाते हैं, प्रेयर होती है और लोग एक-दूसरे को गले लगाकर कहते हैं, “मेरी क्रिसमस!” यानी तुम्हारे जीवन में यीशु जैसा आनंद आए। लेकिन क्रिसमस सिर्फ़ ईसाइयों का त्योहार नहीं रह गया है। आज यह पूरी दुनिया का पर्व बन चुका है। भारत में भी हम सब मिलकर इसे मनाते हैं। घरों में केक बनता है, प्लम केक की खुशबू पूरे मोहल्ले में फैलती है, बच्चे नए कपड़े पहनते हैं, गली-गली में लाइटें लगती हैं, बाज़ार सज जाते हैं। स्कूलों में क्रिसमस पार्टी होती है, सैंटा आता है, गिफ़्ट्स बँटते हैं। यह सब देखकर लगता है कि एक दिन के लिए सारी दुनिया यह भूल जाती है कि हम अलग-अलग धर्मों, जातियों और देशों के हैं। बस एक ही बात याद रहती है, हम सब इंसान हैं और एक-दूसरे के लिए प्रेम और खुशी बाँट सकते हैं।

दोस्तों, आज की दुनिया में जब नफरत, लड़ाई-झगड़े और स्वार्थ इतना बढ़ गया है, क्रिसमस हमें फिर से याद दिलाता है कि ज़िंदगी का असली मतलब है देना, क्षमा करना, एक-दूसरे का हाथ थामना। यीशु ने कहा था, “जैसा तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।” अगर हम इस एक वाक्य को अपने जीवन में उतार लें तो दुनिया सचमुच स्वर्ग बन जाए। क्रिसमस हमें यही सिखाता है कि छोटी-छोटी खुशियाँ बाँटने से बड़ी-बड़ी खुशियाँ अपने आप आ जाती हैं। अंत में मैं बस यही कहूँगा कि इस क्रिसमस हम सब संकल्प लें कि हम अपने आस-पास के हर इंसान के चेहरे पर एक मुस्कान लाएँगे। किसी भूखे को रोटी देंगे, किसी अकेले को अपना साथ देंगे, किसी दुखी को ढाढस बँधाएँगे। क्योंकि यही सच्चा क्रिसमस है। यही बड़ा दिन है।

आइए, हम सब मिलकर कहें, मेरी क्रिसमस! हैप्पी क्रिसमस! और इस खुशी को पूरे साल अपने दिल में ज़िंदा रखें।

धन्यवाद ! जय हिंद !

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