एक प्रतिघटना! | हिंदी कहानी

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एक प्रतिघटना! तंकमणि चेट्टन ने नसबंदी की शल्य-क्रिया करवा ली। पूरी तरह थक चुका था, इसलिए।“कहते जाओ—पाट्टी, बेटी ही पैदा करो”—मानो यही हाल था तंकमणि

एक प्रतिघटना!

तंकमणि चेट्टन ने नसबंदी की शल्य-क्रिया करवा ली। पूरी तरह थक चुका था, इसलिए।“कहते जाओ—पाट्टी, बेटी ही पैदा करो”—मानो यही हाल था तंकमणि चेट्टन की पत्नी लीला का।पहला बच्चा लड़की हुआ तो कितनी मेहनत करके दूसरा “कावु” बनाया। कितनी रातें दिन में बदलीं। नींद खोकर काम किया। सब कुछ “झोंक दिया”।लेकिन क्या फायदा—जब प्रसव का समय आया, तो फिर लड़की ही।

एक प्रतिघटना !
फिर भी तंकमणि चेट्टन निराश नहीं हुआ। और जोश से मेहनत की। पर कहना क्या—लीला ने फिर लड़की ही जना!इस तरह ज़िंदगी भर थक जाने के बाद ही तंकमणि चेट्टन ने नसबंदी की शल्य-क्रिया करवाई।“नहीं तंकमणि, मत करो। अपने ही ‘शरीर’ को बिगाड़ने का इंतज़ाम है यह। इस काम में मत पड़ो, तंकमणि, मत पड़ो!”लोगों ने समझाया।

लेकिन तंकमणि चेट्टन ने किसी की नहीं सुनी।“अब एक और बेटी को पालने की ताकत मुझमें नहीं है। बस!”और इस तरह तंकमणि चेट्टन सफलतापूर्वक नसबंद हो गया।

आमतौर पर ऑपरेशन के लिए पैसे देने पड़ते हैं। यहाँ उलटा हुआ—नए-नए नोट हाथ में आ गए। बिना काम किए पैसे मिल गए। तंकमणि चेट्टन खुश हो गया।लेकिन असली चमत्कार तो बाद में हुआ।नसबंदी के बाद भी तंकमणि चेट्टन के घर फिर बच्चा होने वाला था।

कुछ महीनों बाद लीला गर्भवती हो गई। लोग नाक पर उँगली रखकर खड़े रह गए।उनके बीच तंकमणि चेट्टन आग-बबूला हो गया।“वैसे भी, ये एम.बी.बी.एस. डॉक्टर किसी काम के नहीं हैं।देखो, बच्चे न हों इसके लिए ऑपरेशन कराने वाले मुझसे ही बच्चा होने वाला है! हमारे अर्जुनन वैद्य को दिखा देते तो काफी था। खैर, छोड़ो। कम से कम यह लड़का ही हो जाए तो काफी है।”

और फिर लीला ने प्रसव किया।इस बार कहावत उलटी पड़ गई—लीला ने एक कोमल-सा बेटा जन्म दिया।तंकमणि चेट्टन बहुत खुश हुआ। ऊपर-नीचे कुछ देखे बिना उस “चमत्कारी” बच्चे को पाल-पोसकर बड़ा किया।

कुछ साल बीते, और आया अगला चमत्कार।नसबंदी की शल्य-क्रिया को हैरान और पराजित कर जन्मे उस बच्चे का चेहरा पड़ोस के ऑटो-रिक्शा चलाने वाले भास्कर चेट्टन से बिल्कुल मिलता-जुलता था!

लोग बुदबुदाए, लेकिन तंकमणि चेट्टन ने कुछ भी कान में नहीं डाला।मौत तक वह इसे एम.बी.बी.एस. डॉक्टरों की नाकामी ही मानता रहा।गाँव वाले आपस में कहते रहे— “अरे सहजो, सब सुन लिया न? अब बताओ—हमारा तंकमणि चेट्टन सचमुच एक प्रतिघटना ही तो है!”


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