शैक्षिक प्रशासन की अवधारणा परिवार से लेकर राज्य तक के सभी कार्य किसी न किसी प्रशासन के माध्यम से चला करते हैं। किसी भी संस्था, समिति अथवा संगठन का कार
शैक्षिक प्रशासन की अवधारणा
परिवार से लेकर राज्य तक के सभी कार्य किसी न किसी प्रशासन के माध्यम से चला करते हैं। किसी भी संस्था, समिति अथवा संगठन का कार्य सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रशासन ही उत्तरदायी होता है। कोई भी प्रशासन किसी भी संगठन अथवा संस्था को उसके आदर्शों एवं उद्देश्यों तक पहुँचाने में सहायक होता है। जिस स्तर का प्रशासन होता है— संगठन, समिति अथवा संस्था भी उसी स्तर पर कुशलता से कार्य करती रहती है। उत्तम प्रशासन श्रेष्ठ एवं व्यवस्थित कार्य के लिए उत्तरदायी है। शिक्षा का कार्य आज काफी विस्तृत रूप से फैल चुका है। यदि शिक्षा को बालक और समाज के लिए उपयोगी बनाना है, तो हमें शिक्षा प्रशासन को सुदृढ़ बनाने की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। सुदृढ़ एवं उत्तम शिक्षा - प्रशासन ही शिक्षा-संस्थाओं में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, अन्य सम्बन्धित व्यक्तियों तथा समाज को व्यवस्थित तथा समुचित ढंग से गतिशील एवं कार्यशील बनाये रखकर विकास की ओर उन्मुख करता है।
शैक्षिक प्रशासन एक ऐसी प्रक्रिया है जो शिक्षा के क्षेत्र में संगठन, नियोजन, निर्देशन, समन्वय और नियंत्रण के माध्यम से शैक्षिक संस्थानों को प्रभावी ढंग से संचालित करने का कार्य करती है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करना, शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को सुगम बनाना, तथा विद्यार्थियों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना है। शैक्षिक प्रशासन केवल प्रशासकीय कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, संसाधनों का समुचित उपयोग करने और समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप शैक्षिक नीतियों को ढालने का दायित्व भी निभाता है।
शैक्षिक प्रशासन का दायरा व्यापक है। यह स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य शैक्षिक संस्थानों के संचालन से लेकर पाठ्यक्रम के विकास, शिक्षक प्रशिक्षण, छात्र कल्याण, और बुनियादी ढांचे के प्रबंधन तक फैला हुआ है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि शैक्षिक संस्थान न केवल दैनिक कार्यों को सुचारु रूप से चलाएं, बल्कि दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे नवाचार, समावेशी शिक्षा, और सामाजिक विकास में भी योगदान दें। शैक्षिक प्रशासन में नेतृत्व एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि एक प्रभावी प्रशासक न केवल नीतियों को लागू करता है, बल्कि शिक्षकों और छात्रों को प्रेरित भी करता है ताकि वे अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग कर सकें।
शिक्षा प्रशासन के माध्यम से विभिन्न शैक्षिक क्रियाओं को क्रमबद्ध रूप से नियोजित करके किसी विशिष्ट उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है। शिक्षा प्रशासन के माध्यम से न केवल कर्मचारियों की प्रवृत्तियों में परिवर्तन लाया जा सकता है, वरन् विद्यालय की शैक्षिक प्रगति हेतु अच्छे प्रयास भी किये जा सकते हैं। शिक्षा प्रशासन शिक्षा का वह माध्यम है, जिससे सम्पूर्ण शिक्षा प्रक्रिया में गति उत्पन्न करके वांछित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।
विद्यालय के समुचित प्रशासन में बहुत सी बातें निहित हैं, जैसे - विद्यालय बजट का निर्माण एवं उसके संचालन के लिए धन प्राप्त करना, यह देखना कि विद्यालय की सम्पूर्ण धनराशि मितव्ययी ढंग से व्यय की गयी है या नहीं। विद्यालय स्थिति का चयन एवं उसका क्रम, विद्यालय भवन की योजना एवं उसके अनुसार निर्माण, शिक्षकों एवं कर्मचारियों का चयन, उनका वेतन, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की उन्नति के लिए कार्य करना, शैक्षिक सामग्री, फर्नीचर आदि की उपयुक्त एवं आवश्यकतानुसार व्यवस्था करना, शैक्षिक कार्यक्रमों का संगठन एवं उनमें आवश्यकतानुसार व्यवस्था करना, छात्रों को निर्देशन प्रदान करना, उनका मूल्यांकन करना, स्वस्थ चारित्रिक भावना का निर्माण करना, विद्यालय के उद्देश्यों,कार्यों एवं आवश्यकताओं से जनता को अवगत कराना, विद्यालय अभिलेखों की स्थापना तथा सम्पूर्ण विद्यालय संगठन को योग्य नेतृत्व प्रदान करना आदि-आदि।
उपर्युक्त कार्यों का निर्वहन करने के लिए उत्तम गुणों से युक्त प्रशासन की आवश्यकता भी होती है, जिसे समस्त विद्यालयीय कार्यों को संचालित करना पड़ता है। शिक्षा प्रशासन सम्बन्धी समस्त बातों का अध्ययन के साथ-साथ प्रशासक के गुणों आदि का अध्ययन भी हमारे लिए आवश्यक है।


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