शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को सुचारु, प्रभावी और लक्ष्य-उन्मुख बनाना है, ताकि शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सके। इसका
शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य
शैक्षिक प्रशासन का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को सुचारु, प्रभावी और लक्ष्य-उन्मुख बनाना है, ताकि शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सके। इसका मुख्य लक्ष्य शैक्षिक संस्थानों का प्रबंधन इस तरह करना है कि छात्रों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए। शैक्षिक प्रशासन शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित करता है, जिसमें मानव संसाधन, वित्तीय संसाधन, भौतिक संसाधन और समय शामिल हैं। यह प्रक्रिया नीति निर्माण, योजना, संगठन, निर्देशन और मूल्यांकन जैसे कार्यों के माध्यम से शिक्षा प्रणाली को दिशा प्रदान करती है।
संक्षेप मे शैक्षिक प्रशासन के प्रमुख उद्देश्य ( Aims of Educational Administration ) निम्नलिखित है -
- योग्य एवं कुशल नागरिकों को तैयार करना (Preparation of Able and efficient Citizens) - जनतान्त्रिक देश में राष्ट्र की उन्नति व प्रगति पूर्णरूपेण उसके नागरिकों पर अवलम्बित होती है। अतः विद्यालय प्रशासन द्वारा यह आशा की जाती है कि वह प्रारम्भ से ही जनतन्त्रीय भावनाओं का विकास करे और उसमें ऐसे गुण उत्पन्न करे जो जनतान्त्रिक देश के योग्य एवं कुशल नागरिक के लिए आवश्यक समझे जाते हैं। संक्षेप में योग्य एवं कुशल नागरिकों का निर्माण करना विद्यालय प्रशासन का प्रमुख उद्देश्य है।
- समानता की भावना का विकास करना (Development of Sences of Equality) - समानता जनतन्त्र का प्रमुख आधार होता है जनतान्त्रिक देश में बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व का विकास करने का अधिकार होता है। उसमें प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक आदि सभी क्षेत्रों में समानता का अवसर प्राप्त होता है। अतः विद्यालय प्रशासन का उद्देश्य समानता की भावना का विकास करना होना चाहिये, ताकि वे ऊँच-नीच की भावना से स्वयं अपने को बचा सकें और समाज में व्यास्त इन भावनाओं को समाप्त करने में योगदान दे सकें तथा प्रान्तीयता, धर्मान्धता एवं जातीयता के दोषों को समाज से दूर कर सकें।
- बालकों का सर्वांगीण विकास करना (All Round Development of the Children)—विद्यालय प्रशासन का तृतीय उद्देश्य है बालकों के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं यथा शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक, नैतिक, चारित्रिक आदि का विकास करना। अतः विद्यालय प्रशासन के अन्तर्गत ऐसी व्यवस्थाएँ करना चाहिए, ताकि बालकों का सर्वांगीण विकास हो सकता है।
- सामाजिक एवं व्यावसायिक कुशलता उत्पन्न करना (Producing Social and Vocational Efficiency) विद्यालय प्रशासन का यह भी उद्देश्य होता है कि वह बालकों में सामाजिक एवं व्यावसायिक कुशलता उत्पन्न करे, ताकि व्यावहारिक जीवन में प्रवेश करने पर वे सामाजिक नियमों एवं आदर्शों का पालन करते हुए धनोपार्जन कर सके और अपना जीवन सफल बना सकें।
- स्व- शासन की शिक्षा प्रदान करना (Educational for Self-Discipline ) - विद्यालय प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य बालकों में स्व-शासन की शिक्षा प्रदान करना भी है। विद्यालय प्रशासन व संगठन द्वारा बालकों को स्व-शासन के लिए अवसर प्रदान करना चाहिए, ताकि वे अपने जनतान्त्रिक शासन को सुचारु रूप से चलाने में अपना योगदान कर सकें।
- त्याग व बलिदान की भावना को जाग्रत करना (Awaken the Feeling of Sacrifice) - विद्यालय प्रशासन का एक प्रमुख उद्देश्य बालकों में त्याग व बलिदान की भावना को जागृत करना भी है, ताकि वे अपने राष्ट्र, समाज एवं मानवता के कल्याण के लिए तन, मन, धन से योगदान कर सकें।
- कर्त्तव्यों के प्रति उदात्त भावना का विकास करना (Development of Liberal Feeling with the duties) विद्यालय प्रशासन व संगठन का अन्तिम, किन्तु अति महत्त्वपूर्ण उद्देश्य बालकों में कर्त्तव्यों के प्रति उदात्त भावना का विकास करना है, ताकि वे जनतन्त्र को सुरक्षित रख सकें और राष्ट्र के कल्याण में हाथ बँटा सकें।
शैक्षिक प्रशासन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य शिक्षण संस्थानों में अनुशासन, सहयोग और नवाचार का वातावरण बनाना है, ताकि शिक्षक अपनी पूरी क्षमता के साथ पढ़ा सकें और छात्र अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार सीख सकें। यह सुनिश्चित करता है कि पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियां और मूल्यांकन प्रणाली समाज की बदलती जरूरतों और वैश्विक मानकों के अनुरूप हों। इसके अतिरिक्त, शैक्षिक प्रशासन शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण और विकास के अवसर प्रदान करता है, ताकि वे अपनी व्यावसायिक क्षमताओं को बढ़ा सकें और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार ला सकें। यह प्रणाली समाज में समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने का भी कार्य करती है, ताकि प्रत्येक छात्र, चाहे वह किसी भी सामाजिक, आर्थिक या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हो, उसे शिक्षा का समान अवसर प्राप्त हो।
शैक्षिक प्रशासन शिक्षा नीतियों को लागू करने, सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित करने और शैक्षिक लक्ष्यों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरेखित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह, यह न केवल व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के समग्र विकास में भी योगदान देता है।


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