दीपावली पर निबंध Deepavali Hindi Essay on Diwali दीपावली, जिसे हम दीवाली या दिवाली के नाम से भी जानते हैं, भारतीय संस्कृति का एक ऐसा त्योहार है जो
दीपावली पर निबंध Deepavali Hindi Essay on Diwali
दीपावली, जिसे हम दीवाली या दिवाली के नाम से भी जानते हैं, भारतीय संस्कृति का एक ऐसा त्योहार है जो प्रकाश की विजय, अंधकार पर अच्छाई की प्रबलता और समृद्धि के आगमन का प्रतीक है। यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को मनाया जाता है, जब आकाश पूर्णतः काला हो जाता है और घर-घर में दीयों की ज्योति चमक उठती है। दीपावली का अर्थ ही है दीपों का त्योहार, जहां लाखों दीपक जलाकर हम न केवल अंधेरे को दूर भगाते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी नई आशा और उजाले की किरणें भर लेते हैं। यह पांच दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जो धनतेरस से आरंभ होकर भाई दूज तक समाप्त होता है, और हर दिन इसमें एक नई ऊर्जा और खुशी का संचार होता है। भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया और फिजी जैसे देशों में भी यह त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत की व्यापकता को दर्शाता है।
दीपावली की पृष्ठभूमि
दीपावली की पृष्ठभूमि पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है, जो हमें नैतिकता और धार्मिकता के गहन संदेश प्रदान करती हैं। रामायण के अनुसार, यह वह रात्रि है जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण लंका से चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर पूरे नगर को आलोकमय कर दिया था, ताकि उनके राजा का अभिनंदन हो सके। यह घटना हमें सिखाती है कि सत्य, धर्म और न्याय की हमेशा विजय होती है, भले ही कितनी भी विपत्तियां क्यों न आएं। एक अन्य कथा नरकासुर नामक राक्षस से संबंधित है, जिसे भगवान कृष्ण ने पराजित किया था। इस राक्षस के अत्याचारों से मुक्ति पाकर लोगों ने दीप जलाकर आनंद मनाया, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया। इसी प्रकार, दक्षिण भारत में यह त्योहार लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है, जहां धन की देवी माता लक्ष्मी का आह्वान कर समृद्धि और वैभव की कामना की जाती है। ये कथाएं न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती हैं, बल्कि हमें जीवन के मूल्यों—जैसे धैर्य, साहस और करुणा—की याद दिलाती हैं।
दीपावली की तैयारी
दीपावली की तैयारी महीनों पहले से ही प्रारंभ हो जाती है, जो उत्सव की भव्यता को और भी निखार देती है। घरों की सफाई एक महत्वपूर्ण रस्म है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी स्वच्छ और सुंदर स्थान पर ही वास करती हैं। लोग पुरानी वस्तुओं को त्याग देते हैं, दीवारों को रंगवाते हैं और फर्श पर रंगोली बनाते हैं, जो रंग-बिरंगे फूलों और चावल के आटे से सजाई जाती है। बाजारों में खरीदारी का दौर चरम पर होता है—सोने-चांदी के आभूषण, नई वस्त्र, मिठाइयां, पटाखे और दीपक सब कुछ खरीदा जाता है। धनतेरस के दिन बर्तन और धातु के बर्तनों की खरीदारी शुभ मानी जाती है, जो आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है। महिलाएं विशेष रूप से सक्रिय होती हैं; वे घर सजाती हैं, मंगल गीत गाती हैं और परिवार के साथ मिलकर पूजा की तैयारियां करती हैं। यह समय न केवल भौतिक सजावट का है, बल्कि आंतरिक शुद्धिकरण का भी, जहां हम पुरानी कटुताओं को भूलकर नए रिश्तों को मजबूत बनाने का संकल्प लेते हैं।उत्सव का आयोजन
उत्सव के मुख्य दिन, अमावस्या की रात्रि, पूरे देश में एक जादुई वातावरण छा जाता है। सायंकाल में लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है, जहां थाली में दीपक, फूल, चंदन और मिठाई सजाकर आरती उतारी जाती है। घर के हर कोने में दीये जलाए जाते हैं—मिट्टी के, कांच के, रंगीन के—जो बाहर से देखने पर एक समुद्र की भांति चमकते हैं। बच्चे पटाखे फोड़ते हैं, जिनकी गर्जना आकाश को गुंजायमान कर देती है, हालांकि आजकल पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के कारण कम प्रदूषण वाले पटाखों का उपयोग बढ़ रहा है। मिठाइयों का आदान-प्रदान एक प्रमुख परंपरा है; लड्डू, बर्फी, जलेबी और करन जैसे व्यंजन हर घर में बनते हैं, और पड़ोसियों व रिश्तेदारों के बीच बांटे जाते हैं। परिवार के सदस्य एकत्रित होकर भोजन करते हैं, पुरानी यादें ताजा करते हैं और भविष्य की योजनाएं बनाते हैं। यह त्योहार हमें एकजुटता का पाठ पढ़ाता है, जहां जाति, धर्म या वर्ग की सीमाएं मिट जाती हैं और सब मिलकर आनंद में डूब जाते हैं।
आधुनिक युग में दीपावली
आधुनिक युग में दीपावली का स्वरूप कुछ बदला है, लेकिन इसका मूल भाव वही है—प्रकाश और आशावाद। शहरी क्षेत्रों में लेजर शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ऑनलाइन शॉपिंग ने इसे और भी जीवंत बना दिया है, जबकि ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक रीति-रिवाज अभी भी जीवित हैं। हालांकि, पटाखों से होने वाले प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम कैसे इस त्योहार को पर्यावरण-अनुकूल बना सकते हैं। दीपावली हमें सिखाती है कि सच्ची खुशी बाहरी चमक में नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और दूसरों के प्रति उदारता में निहित है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और आर्थिक उन्नति को भी प्रोत्साहित करता है।
अंत में, दीपावली एक ऐसा संदेश है जो हमें हर अंधेरे के बाद उजाले की आशा देता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में आने वाली चुनौतियां क्षणिक हैं, और यदि हम सत्य के मार्ग पर चलें तो विजय निश्चित है। आइए, इस दीपावली पर हम सब मिलकर न केवल अपने घरों को रोशन करें, बल्कि समाज के हर कोने में प्रकाश फैलाएं—शिक्षा, स्वास्थ्य और समानता के माध्यम से। दीपावली की शुभकामनाओं के साथ, यह त्योहार हमें एक नई शुरुआत का अवसर प्रदान करता है, जहां हम पुरानी गलतियों को पीछे छोड़कर एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर हों।


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