स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर भाषण independence Day 2025 Speech in Hindi आदरणीय मुख्य अतिथि, सम्माननीय शिक्षकगण, प्रिय मित्रों और उपस्थित सभी देशवासि
स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर भाषण | Independence Day 2025 Speech in Hindi
आदरणीय मुख्य अतिथि, सम्माननीय शिक्षकगण, प्रिय मित्रों और उपस्थित सभी देशवासियों,
सबसे पहले, मैं आप सभी को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आज का दिन, 15 अगस्त, हमारे लिए सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं है, बल्कि यह उस स्वर्णिम इतिहास का प्रतीक है, जब हमारे देश ने सैकड़ों वर्षों की गुलामी की ज़ंजीरों को तोड़कर स्वतंत्रता की साँस ली थी। यह दिन हमें उन अनगिनत वीरों और वीरांगनाओं के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ादी का यह अनमोल तोहफ़ा दिया। यह दिन गर्व का है, प्रेरणा का है, और सबसे बढ़कर, यह दिन हमें हमारी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराता है।
15 अगस्त 1947 को जब हमारा तिरंगा लाल किले की प्राचीर पर पहली बार लहराया था, तब वह सिर्फ़ एक झंडा नहीं था, बल्कि वह उन लाखों सपनों का प्रतीक था, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने ऐतिहासिक भाषण 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' में कहा था कि यह आज़ादी केवल एक शुरुआत है, एक ऐसे भारत की शुरुआत, जो अपने लोगों के सपनों को साकार करेगा। आज, जब हम 2025 में अपने 79वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं, यह समय है कि हम पीछे मुड़कर देखें और विचार करें कि हमने कितना सफ़र तय किया है और कितना अभी बाकी है।
हमारी आज़ादी की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं है। यह एक ऐसी गाथा है, जिसमें साहस, त्याग, और एकजुटता की मिसालें भरी पड़ी हैं। जब हम 1857 की क्रांति की बात करते हैं, तो मंगल पांडे का नाम हमारे सामने आता है, जिन्होंने पहली चिंगारी जलाई। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए लड़ते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, आज भी हमें प्रेरित करती है। महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर पूरी दुनिया को दिखा दिया कि बिना हथियार उठाए भी एक साम्राज्य को घुटने टेकने पर मजबूर किया जा सकता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा" आज भी हमारे रोंगटे खड़े कर देता है। भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु जैसे युवाओं ने हँसते-हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया, ताकि हम आज खुली हवा में साँस ले सकें। सरदार वल्लभभाई पटेल ने बिखरी हुई रियासतों को एकजुट कर अखंड भारत का निर्माण किया। इनके अलावा, लाखों गुमनाम नायकों ने भी अपने छोटे-छोटे प्रयासों से इस स्वतंत्रता संग्राम को मज़बूत किया। यह दिन उन सभी को नमन करने का दिन है।
आज़ादी के बाद का हमारा सफ़र भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। जब हम आज़ाद हुए, तो हमारे सामने कई मुश्किलें थीं। देश का विभाजन, जिसने लाखों लोगों को बेघर कर दिया, एक ऐसी त्रासदी थी, जिसका दर्द आज भी हमारे इतिहास के पन्नों में दर्ज है। गरीबी, अशिक्षा, और बेरोज़गारी ने उस समय हमारे देश को जकड़ रखा था। लेकिन, हमारे नेताओं और देशवासियों ने हार नहीं मानी। हमने एक ऐसा संविधान बनाया, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव बना। हरित क्रांति ने हमें खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशनों के ज़रिए दुनिया को हमारी ताकत दिखाई। आज हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियान हमें नई ऊँचाइयों की ओर ले जा रहे हैं। यह सब हमारी सामूहिक मेहनत और एकता का परिणाम है।
लेकिन दोस्तों, स्वतंत्रता का मतलब सिर्फ़ राजनीतिक आज़ादी नहीं है। सच्ची स्वतंत्रता तब है, जब हमारा समाज गरीबी, अशिक्षा, भेदभाव, और भ्रष्टाचार से मुक्त हो। आज भी हमारे सामने कई चुनौतियाँ हैं। जलवायु परिवर्तन, सामाजिक असमानता, और बेरोज़गारी जैसी समस्याएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इन चुनौतियों का सामना करें। हमें अपने देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक को समान अवसर मिले, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, या क्षेत्र से हो। हमारी विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है, और इसे हमें संजोकर रखना है।
मेरे युवा मित्रों, आप इस देश का भविष्य हैं। आज भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, और आपकी ऊर्जा, आपके सपने, और आपकी रचनात्मकता इस देश को नई दिशा दे सकती है। हमें न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समाज और देश के लिए भी सोचना होगा। एक छोटा-सा प्रयास, जैसे कि पेड़ लगाना, स्वच्छता बनाए रखना, या किसी ज़रूरतमंद की मदद करना, देश के विकास में बड़ा योगदान दे सकता है। हमें 'वोकल फॉर लोकल' की भावना को अपनाना होगा और अपने देश के उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करना होगा, लेकिन साथ ही हमें आधुनिकता को भी गले लगाना होगा।
आज, इस पवित्र अवसर पर, आइए हम संकल्प लें कि हम अपने देश को और मज़बूत, समृद्ध, और एकजुट बनाएंगे। हम उन सपनों को साकार करेंगे, जो हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखे थे। हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान, समानता, और अवसर मिले। आइए, हम अपने तिरंगे को और ऊँचा लहराएँ, न केवल अपने हाथों में बल्कि अपने दिलों में भी।
अंत में, मैं एक बार फिर आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ देता हूँ। आइए, हम सब मिलकर कहें -
भारत माता की जय! वंदे मातरम्! जय हिंद!


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