सोशल मीडिया और राष्ट्र का विनाश किसी भी राष्ट्र, संस्कृति एवं सभ्यता आदि के अस्तित्व एवं विकास हेतु सर्वाधिक उस राष्ट्र के व्यक्तियों का योगदान होता
सोशल मीडिया और राष्ट्र का विनाश
किसी भी राष्ट्र, संस्कृति एवं सभ्यता आदि के अस्तित्व एवं विकास हेतु सर्वाधिक उस राष्ट्र के व्यक्तियों का योगदान होता है। समाज यदि प्रगति को उत्सुक है, तो उसे राष्ट्र का विकास होगा और यदि समाज दूषित हो तो निसंदेह उस राष्ट्र का पतन निश्चित है।अर्थात समाज ही राष्ट्र, सभ्यता, व संस्कृति के लिये जिम्मेदार है, परन्तु यदि समाज की एक पीढ़ी दुषित से जाये तो स्वभाविकता दूसरी पीढ़ी उसका अनुशरण करेगी।चूंकि की एक पीढ़ी का पाखण्ड दूसरी पीढ़ी की परम्परा का जाता है।
इसी भाँति यदि कोई पीढी नशा, अश्लीलता आदि का अनुशरण करे तो वह अपनी अगली पीढ़ी को वास्तविकता में नशा व अश्लीलता ही प्रदान करेगी, अर्थात एक पीढ़ी पूरे राष्ट्र संस्कृति व सभ्यता के भविष्य को धूमिल करने का सामर्थ्य रखती है।भोगवादियों की सताने भोगवादी, बेईमानी की संतान बेईमान, एवं सभ्य लोगों की संतान, सभ्य ही होने की प्रायायिकता सर्वाधिक होती है।चूंकि उस नादान,अल्पविकसित मस्तिष्ठ को जिस में टाल दें, वह उसी का रूप ले लेगा।
कच्चे मिट्टी से या तो ईश्वर की छवि बन सकती है और उसी के कुरुप राक्षस का निर्माण भी हो सकता है, अर्थात स्वयं के जीवन के साथ-साथ संतान का चरित्र भी आपके विचारों पर पूर्णयत: निर्भर कार्य है ।वैज्ञानिक क्षेत्र में हुई प्रगति समाज के लिये सिद्ध हुई,परमाणु शक्ति के द्वारा जीवन को सुलभ बनाने हेतु विद्युत भी बनी और मानवता की त्रासदी करने हेतु परमाणु बम भी विज्ञान की देन है।
इसी प्रकार टेक्नेलोजी की एक नई देन सोशल मीडिया ने समाज को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों पक्ष प्रदान करे परन्तु नकारात्मक पक्ष समाज में अधिक तेजी से फैलता है चूंकि वह आनन्ददायक, प्रसिद्धिदायक प्रतीत होता है और सकारात्मक पक्ष बिल्कुल आकर्षणहीन प्रतीत होता है। परंतु वही नकारात्मक पक्ष राष्ट्र के विघटन का कारण भी का सकता है एवं जीवन के तात्क्षणिक सुख के बाद दीर्घकालीन पश्चाताप का कारण बनता है।
युवा पीढ़ी भारतवर्ष का भविष्य है, राष्ट्र के संचालन का दायित्व युवा पीढ़ी को ही करना है। संपूर्ण विश्व में राष्ट्र का सर्वांगीण विकास भी युवा पीढ़ी को करना है, किंतु दुर्भाग्य बस भारतवर्ष की राजनीतिक स्थिति में सोशल मीडिया का प्रचार प्रसार अत्यधिक तीव्रता से हो रहा है,क्योंकि राष्ट्र की केंद्रीय शक्ति स्वयं युवाओं को इस नशे के अधीन बनाने को उत्सुक है।क्योंकि सोशल मीडिया से ग्रस्त युवा शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई, इत्यादि मुद्दों पर ना बोलकर फ्री इंटरनेट आदि की मांग करें।दुर्भाग्य बस युवाओं का मानसिक वोद्धिक स्तर सोशल मीडिया द्वारा नष्ट किया जा चुका है।
भारत वासियों का राष्ट्रीय प्रेम सोशल मीडिया तक सीमित रह गया है, मातृभूमि मातृभाषा को दूषित करने वाले नीचे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी बन बैठे हैं उनके फॉलोअर्स भी उनके भारती बन बैठे हैं।सरकार से संबंध इसलिए क्योंकि वह उन एप्लीकेशनों को एक निर्धारित आयु के बाद चलने का नियम भी बन सकती है।भारत के पड़ोसी राष्ट्र चीन द्वारा पश्चिमी एप्लीकेशन पूर्णत प्रतिबंधित है जो शत्रु होने पर भी अपने राष्ट्र के भविष्य को यूरोपियन अमेरिकन आधुनिक षड्यंत्र से बचा रहे हैं हालांकि चीन में चीनी एप्लीकेशन विद्यमान है या उनकी दूरदर्शिता को दिखाता है।
सोशल मीडिया की क्रिया प्रणाली कुछ इस प्रकार है जहां कपड़े उतारना, अश्लीलता करना, आदि को प्राथमिकता दी जाती है।सोशल मीडिया राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है जिसका परिणाम हम आज देख रहे हैं और यह हमारे राष्ट्र के विघटन का कारण भी बन सकती है क्योंकि राष्ट्र में उपस्थित विभिन्न राष्ट्रीय विरोधी दल सोशल मीडिया का उपयोग कर अनेक अनेक युवाओं को अपने साथ जोड़ रहे हैं सोशल मीडिया भारतीय युवा एवं भारत के भविष्य के लिए एक षड्यंत्र है जिससे हमें अपने राष्ट्र एवं भारतीय युवाओं को बचाना है।
- पवन गोला
pawangola2008@gmail.com
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