14 अगस्त विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस Partition Horrors Remembrance Day राष्ट्र की चेतना अर्थात अखण्डता का पतन होना ही राष्ट्र विघटन के लिये उत्तरदायी
14 अगस्त विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस Partition Horrors Remembrance Day
राष्ट्र की चेतना अर्थात अखण्डता का पतन होना ही राष्ट्र विघटन के लिये उत्तरदायी है।आक्रमणकारियों ने मंदिर तोड़े और उनके वंशजों ने राष्ट्र को तोड़ा ।अखण्डता से अभिप्राय: उस स्थिति से है जहाँ सांस्कृतिक, धार्मिक, जातीय, भाषीय आदि में विविधता होने के पश्चात भी सभी व्यक्ति एक अखण्ड रूप में राष्ट्र के प्रति समर्पित हों।'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी एवं माता भुमि: पुत्रोव्यं पृथ्विया' जैसे विचार जन्मभूमि की स्वर्ग से श्रेष्ठ व पृथ्वी को माता व स्वयं को संतान रूप में प्रदर्शित कर राष्ट्र के प्रतिकर्तव्य, प्रेमभाव, आदि को मानव जाति में अलंकृत कर रहे हैं।
भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम ग्रंथ अर्थात वेदों में राष्ट्र के प्रति अलंभुत गीत हैं, जो राष्ट्रीयता को मानव जाति में गीत द्वारा कार्यरत हैं। भारतीय संस्कृति में स्नान के समय भी विद्यमान स्नान मंत्र में अखण्ड भारत भी सभी महत्वपूर्ण नदियाँ विद्यमान है।भारतीय संस्कृति में ईश: बन्दना के समय भी राष्ट्र का नाम गौरवपूर्ण रूप से लिया जाता है।विश्व में केवल भारत ही ऐसा राष्ट्र है जिसमें शिशुओं के नाम राष्ट्र के नाम पर रखे जाते हैं । भारतवासी, भारत के अनेक भौतिक स्वरूपों में भी गहन श्रद्धा भाव रखते हैं, नदियों को माँ की उपमा हा पर्वतों को पिता की उपमा व राष्ट्र को स्वर्ग से भी उच्च मानने वाली 'भारतीय संस्कृति वन्दनीय है।
योरोपीयन चेतनारहित राष्ट्र को भौतिक स्वरूप व खनिज सम्पदा समृद्ध मानकर वस्तु मानना राष्ट्रवाद की विचारधारा है। राष्ट्रवाद व राष्ट्रप्रेम दो अलग विषय है। भारतवर्ष राष्ट्रप्रेमियों की पावन स्थली है। राष्ट्रप्रेम में उन वीरांगनाओं ने राष्ट्ररक्षा हेतु अपने प्राणों व शीशों की आहुति देकर राष्ट्र की रक्षा की है, उन तीरांगनाओं के तेज को आज भी माँ गंगा अपने हृदय में समाये हुये है और ' शिव की भाँति उस तेज को शीतल कर रही है।आज भारतवासी राष्ट्र को चेतनाहीन, निर्जीव, पार्थिव भू-खण्ड समझ बैठे हैं, उन्हें राष्ट्र की भूमि में माँ सीता (भूमि) दिखाई नहीं पड़ती। हानिकारक उर्वरकों से भूमि का दोहन हो रहा है,भारतीय संस्कृति में मन्दिर केवल पूजा स्थल नहीं हैं, मान्दरों में सामूहिक रूप से प्रचार्य हुआ करती थीं जिसमें धर्म, संस्कृति व राष्ट्र के विभिन्न विषयों पर परामर्श किये जाते थे,
राष्ट्र को एकजुटता में बाँधने के लिये मन्दिरों का महत्वपूर्ण स्थान है, सिकंदर भी युद्ध परास्त पोरस के राष्ट्रप्रेम को देखकर गद-गद हो उठा श्रीमदभगवतगीता के निम्नलिखित श्लोक ने साम्राज्यवादी, विश्व विजेता इच्छुक सिकंदर को राष्ट्रप्रेम का बास्तविक अर्थ समझा दिया।
हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिशचयः।।
राज्य विस्तार हेतु सदा से युद्ध होते रहे हैं किंतु भारतीय छोटे-छोटे राज्य भी संगठित होकर गर्भ से स्वयं को भारत वर्ष का अभिन्न अंग मानते थे । राष्ट्र का विभाजन अत्यन्त मार्मिक एवं दुखद घटना है।आक्रमणकारियों ने मन्दिर तोड़े और उनके वंशजी से राष्ट्र को तोड़ डाला, आक्रमणकारियों से राष्ट्र रक्षा हेतु भारतवासी युद्ध करते देह त्याग कर पुन: जन्म कर भारतवासी, भारतवर्ष की रक्षा करते, भारतवासी आज भी गीता का उपदेश न भूले थे। आखिरकार कौन इस संस्कृति व राष्ट्र को मिटायेगा व मिटा सकता है? जिसके रचयिता महाकाल हैं।भारत का वर्णन करते हुये मेगस्थनीज कहते हैं, कि भारतवर्ष एक चतुर्भुजाकार राष्ट्र है। वास्तव में भारतवर्ष का विभाजन में भारतवर्ष का भू-स्थल अत्यधिक टूटा है।
अफगानिस्तात,पाकिस्तान, बांग्लादेश, तिब्बत, नेपाल, भूटान, म्यामांर, श्रीलंका, आदि सभी भारतवर्ष का अनादिकाल से भाग हुआ करते थे। कालचक्र ने भारत के इन सभी गणराज्यों को से विभाजित कर दिया। 14 अगस्त 1947, भारतवर्ष के लिये अत्यन्त दुखद: व मार्मिक दिन है, वासुधैव कुटुम्बकम, सर्वधर्मसदभाव की विचारधाराओं वाले राष्ट्र भारतवर्ष का विभाजन 'धर्म' के आधार पर होने वाला था।
जिस भारतवर्ष ने उन्हें रहने का स्थान दिया, पालन पोषण किया, आज आक्रमणकारियों के वंशज राष्ट्र के विभाजन की माँग कर रहे थे, भारतवर्ष के दो प्रमुख स्थानों जिन्हें 'भारतमाता की भुजायें कहा जाता था आज भारतवर्ष से अलग होकर 'पाकिस्तान' नामक एक इस्लामीक देश बनाने के लिये इच्छुक थीं।भारतवर्ष के दोनों ओर पूर्वी व पश्चिम पाकिस्तान की स्थापना के लिये मोहम्मद अली जिन्ना' बिटिश सरकार से माँग कर रहे थे।
बिटिश सरकार सदा से ही राष्ट्र के विभाजन के लिये षडयंत्र स्व रही थी। भारत का विभाजन 14 अगस्त 1947 को हुआ। पाकिस्तान को भारतवर्ष से विभाजित कर नये देश का निर्माण कराया गया। राष्ट्र के विभाजन में भी अत्यन्त हिंसा हुयी लाखों भारतीय लोगों की मृत्यु का कारण धर्म बन गया।14 अगस्त 1947, पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस नहीं, भारत का विभाजन या विघटन दिवस है।
भारतवर्ष के विभाजन के समय समस्त राष्ट्रप्रेमी अत्यन्त दुखी: थे, भारत में जितना जनसंख्या आदान हुआ उतना प्रदान नहीं हुआ माँ भारती की दोनों भुजायें धर्म' के नाम पर विभाजित हो गयी। आक्रमणकारियों के वंशज राष्ट्र विघटन में कामयाब तो हुये परन्तु एक देश की भाँति कभी उभर नहीं पायेंगे |आज भी पाकिस्तान व बांग्लादेश अस्थिर हैं। आज अनेक भारतवासी अखण्ड भारतवर्ष का संकल्प कर देख राष्ट्र के एकीकरण को जीवन का संकल्प कर कार्यरत हैं।माँ भारती की संतान राष्ट्र के एकीकरण हेतु सम्पूर्ण जीवन न्यौछावार करते हैं।
- पवन गोला, pawangola2008@gmail.com
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