प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना: हर गरीब को पक्का घर,सम्मानजनक जीवन प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, ज
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना: हर गरीब को पक्का घर,सम्मानजनक जीवन
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब और बेघर परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया। इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2016 को हुई, जो पहले इंदिरा आवास योजना के रूप में जानी जाती थी। इसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण भारत में आवास की कमी को दूर करना और सभी पात्र परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ सुरक्षित, पक्के मकान प्रदान करना है। यह योजना "सभी के लिए आवास" के व्यापक मिशन का हिस्सा है, जिसके तहत सरकार ने 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में बेघर परिवारों और कच्चे या जीर्ण-शीर्ण मकानों में रहने वाले परिवारों को आवास उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, जिसे अब 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य उन लोगों को लाभ पहुंचाना है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, विशेष रूप से सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 के आधार पर चिह्नित परिवार, जैसे अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अल्पसंख्यक, विधवाएं, विकलांग व्यक्ति और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवार। योजना का दायरा केवल मकान निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक घर में स्वच्छ पेयजल, बिजली, रसोई गैस कनेक्शन और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके लिए योजना को अन्य सरकारी योजनाओं जैसे उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना और स्वच्छ भारत मिशन के साथ जोड़ा गया है, ताकि लाभार्थियों को एक समग्र जीवन स्तर का लाभ मिल सके।
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पक्के मकान बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। मैदानी क्षेत्रों में प्रति घर 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी या दुर्गम क्षेत्रों में 1.30 लाख रुपये की सहायता दी जाती है। यह राशि तीन किस्तों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से लाभार्थी के आधार से जुड़े बैंक खाते में हस्तांतरित की जाती है। पहली किस्त 40,000 रुपये, दूसरी 70,000 रुपये और तीसरी 10,000 रुपये की होती है। इसके अतिरिक्त, शौचालय निर्माण के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12,000 रुपये और मनरेगा के माध्यम से 95 दिनों की मजदूरी (लगभग 90.95 रुपये प्रतिदिन) प्रदान की जाती है। लाभार्थी 3% कम ब्याज दर पर 70,000 रुपये तक का संस्थागत ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं, जिसका अधिकतम मूलधन 2 लाख रुपये तक हो सकता है।
उन्नत तकनीक का उपयोग
योजना में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाता है। लाभार्थियों का चयन एक कठोर तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जिसमें SECC 2011 डेटा, आवास+ सर्वे (2018) और ग्राम सभा का अनुमोदन शामिल है। इसके अलावा, आवास सॉफ्ट और आवास ऐप जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से निगरानी और जियो-टैगिंग की जाती है, जिससे निर्माण की प्रगति पर नजर रखी जाती है। यह सुनिश्चित करता है कि सहायता केवल पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे और धन का दुरुपयोग न हो।
मकान निर्माण में स्थानीय पर्यावरण, संस्कृति और आपदा-रोधी तकनीकों को ध्यान में रखा जाता है। घरों का न्यूनतम आकार 25 वर्ग मीटर निर्धारित किया गया है, जिसमें रसोई के लिए एक समर्पित क्षेत्र भी शामिल है। यह आकार पहले के 20 वर्ग मीटर से बढ़ाया गया है ताकि परिवारों को अधिक आरामदायक रहने की जगह मिल सके। लाभार्थियों को संरचनात्मक रूप से मजबूत और सौंदर्यपूर्ण डिजाइनों का विकल्प दिया जाता है, जो स्थानीय सामग्रियों और प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों के उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं। योजना के तहत अब तक लगभग 3 लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को आपदा-रोधी निर्माण तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में भी वृद्धि हुई है।
महिला सशक्तीकरण पर विशेष बल
महिला सशक्तीकरण इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू है। लगभग 74% स्वीकृत मकानों का स्वामित्व पूरी तरह या संयुक्त रूप से महिलाओं के नाम पर है, और सरकार का लक्ष्य इसे 100% तक ले जाना है। यह कदम न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है, बल्कि सामाजिक समावेश को भी बढ़ावा देता है। अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी विशेष प्रावधान हैं, जिसमें कुल निधि का 15% उनके लिए आरक्षित है, जो जनगणना 2011 के आधार पर वितरित किया जाता है।
योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। लाभार्थी आधिकारिक वेबसाइट pmayg.nic.in, आवास ऐप, या नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, आय प्रमाण, और वर्तमान मकान की स्थिति का विवरण शामिल है। यदि लाभार्थी का नाम SECC 2011 में नहीं है, तो वे ग्राम सभा के माध्यम से पात्रता के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
हाल ही में सरकार ने योजना का विस्तार करते हुए 2024-25 से 2028-29 तक 2 करोड़ नए मकान बनाने का लक्ष्य रखा है। आवेदन की अंतिम तिथि को 30 दिसंबर 2025 तक बढ़ाया गया है, और सर्वे की समय सीमा 30 अप्रैल 2025 तक निर्धारित की गई है। अब तक 3.67 करोड़ से अधिक मकान स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 1.60 करोड़ SC/ST वर्ग के लिए हैं। यह योजना न केवल आवास प्रदान करती है, बल्कि ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास, स्वच्छता, और सुरक्षा को बढ़ावा देकर समग्र विकास में योगदान देती है।
यह योजना ग्रामीण भारत के गरीब परिवारों के लिए एक आशा की किरण है, जो उन्हें न केवल एक पक्का मकान, बल्कि सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जीने का अवसर प्रदान करती है।


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