शब्दातीत | हिन्दी कहानी

SHARE:

शब्दातीत हिन्दी कहानी वह सन दो हजार था। जीवनयापन हेतु मैं कोचिंग कक्षायें चलाती थी। इनमें पढ़ाई के अतिरिक्त अनेक कार्यकक्रम होते। बसंतपंचमी के दिन सभी

शब्दातीत

ह सन दो हजार था। जीवनयापन हेतु मैं कोचिंग कक्षायें चलाती थी। इनमें पढ़ाई के अतिरिक्त अनेक कार्यक्रम होते। बसंतपंचमी के दिन सभी छात्र भगवती सरस्वती की पूजाअर्चना करते। स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्रदिवस मनाते। साथ ही महापुरुशों की जयंतियाँ भी मनाते। इन कार्यक्रमों मे वादविवाद प्रतियोगिता,तात्कालिक भाशण प्रतियोगिता, कविता प्रतियोगिता आदि प्रमुख आकर्शण होते। छात्र इनमें बहुत उत्साह से भाग लेते। जज के रूप में मैं शहर के गणमान्य नागरिकों के आमंत्रित करती, जो कि प्रायः अवकाशप्राप्त अधिकारी होते। इन अतिथियों में एक थे विश्वकर्मा सर। अवकाशप्राप्त प्राचार्य। नेहरू युग से लेकर सन दो हजार तक का समय उन्होंने देखा था। उन दिनो मैं आये दिन होने वाले स्कैंडल,स्कैमो,बम धमाकों से बहुत विचलित रहती थी। 

विश्वकर्मासर सुंदर, सरल और बेहद स्नेहिल व्यक्तित्व के थे, सो कार्यक्रमों के बाद अक्सर मैं उनसे अपनी बेचैनियाँं कहती। जितना बन सके, वे मेरी जिज्ञासायें शांत करते।  मैं उनके लिये कुछ न कुछ व्यंजन बना कर रखती। थोड़ा सा खाने के बाद वे कहते...इसे पैक कर दो, अपनी पत्नी के लिये ले जाऊंगा। मैं कहती, सर आप पूरा ,खाईये न, मैं मैडम के लिये पैक कर रही हूँ।  सो वे प्रेम से मेरे बनाये व्यंजन खाते जाते और मेरी जिज्ञासायें शांत करने की कोशिश करते।  कहते भी, मैं  जो बता रहा हूँ, वह ”एक सामान्य पढ़े लिखे नागरिक की दृष्टि“ है। मैं कहती, ”सर, मैं खुद ही एक सामान्य नागरिक हूँ और मेरे जैसे सामान्य नागरिक तब क्या देखते, सुनते, समझते रहे हैं, वही जानना चाहती हूँ। सर, मुझे सबसे ज्यादा बेचैनी ”भ्रश्टाचार“ को लेकर है। सन साठ पहुँचते आप ”जिला शिक्षा निरीक्षक“ बन चुके थे, तब ”रिश्वतखोरी“ की क्या हालत थी।“

शब्दातीत
बताते..नौकरी, प्रोन्नति आदि के लिये सिफारिशें चलती थीं। अक्सर लोग भेंट लेकर आते थे । ”कभी थैले भर आम लेकर , ”हमारे पेड़ में फले थे सर, तो कभी,छोटी सी हँडिया में घी लेकर...हमारी गाय का घी है सर।“ कभी काम होने के बाद, कभी पहले ही। गरीबी थी, नगद का चलन नहीं था। रिश्वत लेने की शुरूआत हुई ”अभावों के कारण“। फिर लोभ होने लगा। हर आम और खास शिकार। तब तक ”देशसेवा वाली राजनीति गायब“। सत्तालोलुप राजनीति प्रकट। उसके लोमहर्शक खेल। लचर प्रशासन। चरमराती व्यवस्था। और भी ढेरों व्याधियाँ। सत्तर का दशक पहुँचते नौकरियां बिकने लगीं। नीलामी सी होने लगी। महामारी की तरह हर क्षेत्र में घुस गया भ्रश्टाचार। बेसंभाल। पत्रकारों ने जब ”इंदिराजी“ को घेरा तो उन्होंने कह दिया...”.करप्शन इज अ ग्लोबल फिनामिना।“

हाँ, मैंने ”इंदिराजी का यह वक्तव्य“ पढ़ा था। वैसे जब आप नौकरी में आये तब नौकरियों की क्या हालत थी सर।

दिलचस्प! आजादी मिली ही थी। सद्यः निर्मित स्वदेशी सरकार सदियों की गुलामी से लुटे पिटे देश को विकास की पटरी पर लाने का भरसक प्रयत्न कर रही थी। नये नये विभाग खोल रही थी। पुराने विभागों का विस्तार कर रही थी। शिक्षा का प्रचार हो तो रहा था पर इन विभागों में काम करने लायक कर्मचारी तैयार नहीं हो पाये थे। सो  अधिकारी ही संदेसा भेजते.... ”अमुक अमुक जगह बैंक में बाबू की जगह खाली है। चौकीदार की जगह खाली है, चलो चलो घुस लो भैया...।“ रेल्वे की नौकरी के लिये तो साहब लोग  खुद घर आकर खुशामद करते...”सरकारी नौकरी है। नहीं कोई खतरा नहीं ।  बहाना करने पर मनाते,हम सिखा देंगे, चल न भैया...“

महिलाओं की स्थिति, उनकी शिक्षा?

महिलाओं की शिक्षा पर आजादी के बहुत पहले ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में महापुरुशों ने मुहिम चला रखी थी। गाँधीजी ने और गति दी। आजादी मिलने के बाद सरकार ने जगह जगह स्कूल खोले। आरंभ में सहशिक्षा थी। मातापिता लड़कियों को स्कूल भेजने में हिचकते थे। सो कन्यापाठशालायें खोली गईं। बालिकाओं को शिक्षित करने के लिये बड़े ही मनोरंजक कार्यक्रम किये गए। इनमें मेरी भूमिका बहुत सराही गईं। एक बार रूचि जगने के बाद बच्चियाँ  स्कूल जाने के लिये मातापिता से जिद करने लगीं। शुरू में प्राथमिक कन्यापाठशाला थी।। साठ का दशक आते आते माध्यमिक कन्या पाठशाला,फिर उच्चतर माध्यमिक फिर महाविद्यालय। फिर तो क्वांटमजंप। 

सर महिलाओं में आत्मनिर्भरता की चाहत कब से हुई?

पढ़लिखकर बेटियों के व्यक्तित्व में जो चमक आ गई थी, उससे मातापिता अभिभूत तो थे,पर बेटियों से नौकरी नहीं कराना चाहते थे। पढ़ते पढ़ते लड़कियाँ घर गृहस्थी के सारे काम सीख लेतीं....भोजन बनाना, तरह तरह के व्यंजन बनाना। पापड़ बड़ी अचार। सिलाई कढ़ाई। पूजापाठ। यानी सर्व गुण संपन्न। लड़की बोर्ड परीक्षा का आखिरी पर्चा देकर घर आई कि शहनाई की आवाज गूंजने लगती ..”.बाबुल की दुआयें लेती जा... जा तुझको सुखी संसार मिले... “

पर क्या?

पर सबने देखा कि ईसाई परिवारों की लड़कियाँ तो मजे से नौकरियों में आने लगी हैं!

ईसाई परिवारांं की लड़किया ?

असल में ईसाई मिशनरी तो अँग्रजों के साथ ही यहाँ आने लगे थे। वे दूरदराज के गरीबी, अशिक्षा अंधविश्वास के अँधेरों में डूबे लोगों की सेवा करते। शिक्षा का प्रचार करते। अपने स्कूलों में वे प्रभु ईसा के संदेश तो प्रचारित करते, आत्म निर्भर बनने पर विशेश जोर देते। वे जगह जगह स्कूल, अस्पताल खोल ही रहे थे।  देसी सरकार भी खोले जा रही थी, स्कूल,अस्पताल। इन मिशनरी स्कूलों में पढ़कर निकली लड़कियों को सहज ही स्कूलों, अस्पतालों में नौकरी मिल गईं। सो नौकरियों में पहले ईसाई लड़कियाँ ही आइंर्। फिर हिम्मत करके सवर्ण लड़कियाँ, फिर धीरे धीरे अन्य समाज की लड़कियाँ।

सर जब आप शिक्षक थे तो आपके साथ महिला शिक्षक थीं कि नहीं?ं 

मैं सन तिरपन में ”उच्च श्रेणी का शिक्षक“  था। मेरे साथ तो नही,ंपर प्राथमिक कक्षाओं में कुछेक युवतियाँ शिक्षिका होकर आई थीं। मिशनरी स्कूलों में ही पढी़ थीं। मेरे पास अक्सर नये बने शिक्षक अपनी उलझने समझने आते थे। ये शिक्षिकायें भी आने लगीं। किसको, कैसे आवेदन लिखें, से लेकर रजिस्टर कैसे भरें, छोटी मोटी हर बात पूछतीं। इनमें एक ”मिस लारेंस“ तो बहुत ही सीधी थी। कई बार उसके लिखापढ़ी के काम मैं ही कर देता, कहता, तुम तो बस इसमें दस्तखत कर दो।

फिर वह कुछ सीखी कि नहीं?

सीखी तो, पर उसकी आदत मुझपर निर्भर रहने की ही हो गई। हर बात में। ”माँ को बड़े डॉक्टर के पास ले जाना हो, भतीजे को फुटबाल टीम में भरती कराना हो, तबादला रुकवाना हो, सब मेरे भरोसे।“क्या बताउं मैडम, मैंने ही दौड़धूप कर उन्हें जमीन दिलवाई। मजदूर, मिस्त्रियों से निपटते उनका मकान बनवाया।  कड़ी घूप में महीनो खड़े खड़े मकान बनवाते मुझे लू लग गई। बुरी तरह बीमार पड़ गया। मरते मरते बचा।

सर इस तरह जान पर खेलकर आपने क्यों मकान बनवाया?

मुझे प्रेम हो गया था मैडम।

मैं उनका मुँह देखने लगी। उनका अस्सीपार चेहरा लाल हो गया। अरे क्या बोल गये।

मैं ही बोली...सर आपने उनसे कहा कि आप उनसे प्रेम करते हैं।

अरे नहीं, कभी नहीं।

सर आप उनसे अभी भी मिलते हैं?

हाँ, अभी भी उनके घर आता जाता हूँ जैसे पहले आता जाता था।

 सर उनके घर के लोगों का आपके साथ व्यवहार कैसा रहा?

ऐसा है, उन दिनों के युवा पं.नेहरू के फैन थे। मैं भी। इस बात से तो मैं उनका मुरीद ही हो गया था कि मैडम ऐडविना ने तो उनके प्रति खुलकर अपने जजबात उजागर किये, पर हमारे हीरो बड़ी सहजता से उनके पूरे परिवार के ही मित्र बन गये।

सो आप भी लारेंस मैडम के पारिवारिक मित्र हो गए।

वे मुस्करा दिये।

सर आप जीवन के अंतिम प्रहर में हैं। लारेंस मैडम भी। दुनिया से जाने के पहले उन्हें पता होना चाहिये कि आप उनसे प्रेम करते थे। उन्हें बहुत बहुत अच्छा लगेगा।

वे विचलित दिखे।

सर क्या मैं जाकर उन्हें बता दूं कि आप उनसे प्रेम करते थे।

चौंके,अरे नहीं... एकदम नहीं।

क्यों सर! 

चुप रहे। बोले.....कहने से बात छोटी हो जाती है मैडम।

सर चले गए। मैडम भी। अपने दौर के अनेक सत्यों को तो सर उद्घाटित कर ही गये, इस शाश्वत सत्य को भी पुनः उद्घाटित कर गये कि ”कुछ बातें, कुछ अहसास“  शब्दों के दायरे में नहीं आ सकते। कहने से छोटे पड़ जाते हैं।


- शुभदा मिश्र
14, पटेलवार्ड, डोंगरगढ़(छ.ग.)
मो.नं. 9182695,94598

COMMENTS

Leave a Reply
नाम

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोश,3,अकबर इलाहाबादी,11,अकबर बीरबल के किस्से,62,अज्ञेय,38,अटल बिहारी वाजपेयी,1,अदम गोंडवी,3,अनंतमूर्ति,3,अनौपचारिक पत्र,16,अन्तोन चेख़व,2,अमीर खुसरो,7,अमृत राय,1,अमृतलाल नागर,1,अमृता प्रीतम,5,अयोध्यासिंह उपाध्याय "हरिऔध",7,अली सरदार जाफ़री,3,अष्टछाप,4,असगर वज़ाहत,11,आनंदमठ,4,आरती,11,आर्थिक लेख,10,आषाढ़ का एक दिन,22,इक़बाल,2,इब्ने इंशा,27,इस्मत चुगताई,3,उपेन्द्रनाथ अश्क,1,उर्दू साहित्‍य,179,उर्दू हिंदी शब्दकोश,1,उषा प्रियंवदा,5,एकांकी संचय,7,ऐतिहासिक लेख,5,औपचारिक पत्र,32,कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श भाग 2,17,कबीर के दोहे,19,कबीर के पद,2,कबीरदास,26,कमलेश्वर,7,कविता,1563,कहानी लेखन हिंदी,18,कहानी सुनो,2,काका हाथरसी,4,कामायनी,6,काव्य मंजरी,11,काव्यशास्त्र,45,काशीनाथ सिंह,1,कुंज वीथि,12,कुँवर नारायण,1,कुबेरनाथ राय,2,कुर्रतुल-ऐन-हैदर,1,कृष्णा सोबती,3,केदारनाथ अग्रवाल,4,केशवदास,6,कैफ़ी आज़मी,4,क्षेत्रपाल शर्मा,54,खलील जिब्रान,3,ग़ज़ल,140,गजानन माधव "मुक्तिबोध",16,गीतांजलि,1,गोदान,7,गोपाल सिंह नेपाली,1,गोपालदास नीरज,10,गोरख पाण्डेय,3,गोरा,2,घनानंद,3,चन्द्रधर शर्मा गुलेरी,6,चमरासुर उपन्यास,7,चाणक्य नीति,5,चित्र शृंखला,1,चुटकुले जोक्स,15,छायावाद,6,जगदीश्वर चतुर्वेदी,17,जयशंकर प्रसाद,35,जातक कथाएँ,10,जीवन परिचय,81,ज़ेन कहानियाँ,2,जैनेन्द्र कुमार,8,जोश मलीहाबादी,2,ज़ौक़,4,तुलसीदास,35,तेलानीराम के किस्से,7,त्रिलोचन,4,दाग़ देहलवी,5,दादी माँ की कहानियाँ,1,दुष्यंत कुमार,8,देव,1,देवी नागरानी,23,धर्मवीर भारती,12,नज़ीर अकबराबादी,3,नव कहानी,2,नवगीत,1,नागार्जुन,25,नाटक,1,निराला,41,निर्मल वर्मा,4,निर्मला,42,नेत्रा देशपाण्डेय,3,पंचतंत्र की कहानियां,42,पत्र लेखन,207,परशुराम की प्रतीक्षा,3,पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र',4,पाण्डेय बेचन शर्मा,1,पुस्तक समीक्षा,143,प्रयोजनमूलक हिंदी,43,प्रेमचंद,52,प्रेमचंद की कहानियाँ,91,प्रेरक कहानी,16,फणीश्वर नाथ रेणु,4,फ़िराक़ गोरखपुरी,9,फ़ैज़ अहमद फ़ैज़,24,बच्चों की कहानियां,90,बदीउज़्ज़माँ,1,बहादुर शाह ज़फ़र,6,बाल कहानियाँ,14,बाल दिवस,3,बालकृष्ण शर्मा 'नवीन',1,बिहारी,8,बैताल पचीसी,2,बोधिसत्व,9,भक्ति साहित्य,148,भगवतीचरण वर्मा,7,भवानीप्रसाद मिश्र,3,भारतीय कहानियाँ,61,भारतीय व्यंग्य चित्रकार,7,भारतीय शिक्षा का इतिहास,3,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र,10,भाषा विज्ञान,21,भीष्म साहनी,9,भैरव प्रसाद गुप्त,2,मंगल ज्ञानानुभाव,22,मजरूह सुल्तानपुरी,1,मधुशाला,7,मनोज सिंह,16,मन्नू भंडारी,10,मलिक मुहम्मद जायसी,9,महादेवी वर्मा,22,महावीरप्रसाद द्विवेदी,3,महीप सिंह,1,महेंद्र भटनागर,73,माखनलाल चतुर्वेदी,3,मिर्ज़ा गालिब,39,मीर तक़ी 'मीर',20,मीरा बाई के पद,22,मुल्ला नसरुद्दीन,6,मुहावरे,4,मैथिलीशरण गुप्त,15,मैला आँचल,8,मोहन राकेश,16,यशपाल,19,रंगराज अयंगर,43,रघुवीर सहाय,6,रणजीत कुमार,29,रवीन्द्रनाथ ठाकुर,22,रसखान,11,रांगेय राघव,2,राजकमल चौधरी,1,राजनीतिक लेख,31,राजभाषा हिंदी,66,राजिन्दर सिंह बेदी,1,राजीव कुमार थेपड़ा,4,रामचंद्र शुक्ल,3,रामधारी सिंह दिनकर,25,रामप्रसाद 'बिस्मिल',1,रामविलास शर्मा,9,राही मासूम रजा,8,राहुल सांकृत्यायन,2,रीतिकाल,3,रैदास,4,लघु कथा,129,लोकगीत,1,वरदान,11,विचार मंथन,60,विज्ञान,1,विदेशी कहानियाँ,35,विद्यापति,8,विविध जानकारी,1,विष्णु प्रभाकर,3,वृंदावनलाल वर्मा,1,वैज्ञानिक लेख,10,शमशेर बहादुर सिंह,6,शमोएल अहमद,5,शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय,1,शरद जोशी,3,शिक्षाशास्त्र,6,शिवमंगल सिंह सुमन,6,शुभकामना,1,शेख चिल्ली की कहानी,1,शैक्षणिक लेख,69,शैलेश मटियानी,3,श्यामसुन्दर दास,1,श्रीकांत वर्मा,1,श्रीलाल शुक्ल,4,संयुक्त राष्ट्र संघ,2,संस्मरण,36,सआदत हसन मंटो,10,सतरंगी बातें,33,सन्देश,46,समसामयिक निबंध,35,समसामयिक हिंदी लेख,292,समीक्षा,1,सर्वेश्वरदयाल सक्सेना,19,सारा आकाश,23,साहित्य सागर,22,साहित्यिक लेख,96,साहिर लुधियानवी,5,सिंह और सियार,1,सुदर्शन,3,सुदामा पाण्डेय "धूमिल",10,सुभद्राकुमारी चौहान,7,सुमित्रानंदन पन्त,25,सूरदास,17,सूरदास के पद,21,स्त्री विमर्श,11,स्वामी दयानंद सरस्वती,7,हजारी प्रसाद द्विवेदी,4,हरिवंशराय बच्चन,28,हरिशंकर परसाई,24,हिंदी कथाकार,12,हिंदी निबंध,461,हिंदी लेख,563,हिंदी व्यंग्य लेख,19,हिंदी समाचार,204,हिंदीकुंज सहयोग,1,हिन्दी,7,हिन्दी टूल,4,हिन्दी आलोचक,7,हिन्दी कहानी,32,हिन्दी गद्यकार,4,हिन्दी दिवस,91,हिन्दी वर्णमाला,3,हिन्दी व्याकरण,45,हिन्दी संख्याएँ,1,हिन्दी साहित्य,9,हिन्दी साहित्य का इतिहास,21,हिन्दीकुंज विडियो,11,aapka-banti-mannu-bhandari,6,aaroh bhag 2,14,astrology,1,Attaullah Khan,2,baccho ke liye hindi kavita,70,Beauty Tips Hindi,3,bhasha-vigyan,1,chitra-varnan-hindi,3,Class 10 Hindi Kritika कृतिका Bhag 2,5,Class 11 Hindi Antral NCERT Solution,3,Class 9 Hindi Kshitij क्षितिज भाग 1,17,Class 9 Hindi Sparsh,15,divya-upanyas-yashpal,5,English Grammar in Hindi,3,formal-letter-in-hindi-format,143,Godan by Premchand,12,hindi ebooks,5,Hindi Ekanki,20,hindi essay,453,hindi grammar,52,Hindi Sahitya Ka Itihas,109,hindi stories,701,hindi-bal-ram-katha,12,hindi-gadya-sahitya,8,hindi-kavita-ki-vyakhya,21,hindi-notes-university-exams,104,ICSE Hindi Gadya Sankalan,11,icse-bhasha-sanchay-8-solutions,18,informal-letter-in-hindi-format,59,jeevan-mantra,5,jyotish-astrology,34,kabir-ke-pad-ki-vyakhya,3,kavyagat-visheshta,28,Kshitij Bhag 2,10,lok-sabha-in-hindi,18,love-letter-hindi,3,mb,72,motivational books,14,naya raasta icse,10,NCERT Class 10 Hindi Sanchayan संचयन Bhag 2,3,NCERT Class 11 Hindi Aroh आरोह भाग-1,20,ncert class 6 hindi vasant bhag 1,14,NCERT Class 9 Hindi Kritika कृतिका Bhag 1,5,NCERT Hindi Rimjhim Class 2,13,NCERT Rimjhim Class 4,14,ncert rimjhim class 5,19,NCERT Solutions Class 7 Hindi Durva,12,NCERT Solutions Class 8 Hindi Durva,17,NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan वितान भाग 1,3,NCERT Solutions for class 12 Humanities Hindi Antral Bhag 2,4,NCERT Solutions Hindi Class 11 Antra Bhag 1,19,NCERT Vasant Bhag 3 For Class 8,12,NCERT/CBSE Class 9 Hindi book Sanchayan,6,Nootan Gunjan Hindi Pathmala Class 8,18,Notifications,5,nutan-gunjan-hindi-pathmala-6-solutions,17,nutan-gunjan-hindi-pathmala-7-solutions,18,political-science-notes-hindi,1,question paper,22,quizzes,8,raag-darbari-shrilal-shukla,8,rangbhumi-upanyas-munshi-premchand,2,Rimjhim Class 3,14,samvad-lekhan-in-hindi,12,Sankshipt Budhcharit,5,Shayari In Hindi,18,skandagupta-natak-jaishankar-prasad,6,speech-in-hindi,24,sponsored news,10,suraj-ka-satvan-ghoda-dharmveer-bharti,6,surdas-ke-pad-ki-vyakhya,3,swami-vivekananda,5,Syllabus,7,tamas-upanyas-bhisham-sahni,4,top-classic-hindi-stories,63,UP Board Class 10 Hindi,4,Vasant Bhag - 2 Textbook In Hindi For Class - 7,11,vitaan-hindi-pathmala-8-solutions,16,VITAN BHAG-2,5,vocabulary,19,
ltr
item
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika: शब्दातीत | हिन्दी कहानी
शब्दातीत | हिन्दी कहानी
शब्दातीत हिन्दी कहानी वह सन दो हजार था। जीवनयापन हेतु मैं कोचिंग कक्षायें चलाती थी। इनमें पढ़ाई के अतिरिक्त अनेक कार्यकक्रम होते। बसंतपंचमी के दिन सभी
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_lANtBs684rM0MVF6oEnTYflwDvtnP78fA8hMHeaz3_4TL_DSFWSAH5xwg_67TkmYMOj6U7v4AYMZdO4OdF8BBSflj6QZjtvntjjkavuBA05QT0sX3Ezh5Xoo6H9UCluM5ppN6hNY1P1yq2AayjKUZgETiVCUJ6ATNPmBRrcCfFLtSMIgxDYh-w9lhguK/w256-h320/shabdateet.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_lANtBs684rM0MVF6oEnTYflwDvtnP78fA8hMHeaz3_4TL_DSFWSAH5xwg_67TkmYMOj6U7v4AYMZdO4OdF8BBSflj6QZjtvntjjkavuBA05QT0sX3Ezh5Xoo6H9UCluM5ppN6hNY1P1yq2AayjKUZgETiVCUJ6ATNPmBRrcCfFLtSMIgxDYh-w9lhguK/s72-w256-c-h320/shabdateet.jpg
हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
https://www.hindikunj.com/2025/06/shabdateet-hindi-kahani.html
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/
https://www.hindikunj.com/2025/06/shabdateet-hindi-kahani.html
true
6755820785026826471
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका