प्रेम में अनुपस्थिति | अनामिका अनु की कविताएं

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प्रेम में अनुपस्थिति उसकी अनुपस्थिति को मैंने कमल लिखा उपस्थिति को सरोवर अनुपस्थिति को उपस्थिति की सीमा में बांधकर रखना मैंने प्रेम में सीखा

प्रेम में अनुपस्थिति


सकी अनुपस्थिति को मैंने कमल लिखा
उपस्थिति को सरोवर
अनुपस्थिति को उपस्थिति की सीमा में बांधकर
रखना
मैंने प्रेम में सीखा

मैं प्रेम कैसे करती

प्रेम में अनुपस्थिति | अनामिका अनु की कविताएं
मैं प्रेम कैसे करती
हाथ पांव दोनों कटे हुए हैं मेरे
और प्रेम एक लंबी मैराथन है 

मैं प्रेम कैसे करती?
यह रंग और रौशनी का खेल है
और मैं जन्मजात अंधी

मैं प्रेम कैसे करती?
यह आत्मा का सुख है
और देह खा चुकी है आत्मा को…

वह

वह हूक को बिंब
और दुःख को भाषा बना देती है

कड़क कर टूटना चाहती हूँ

मैं थिराना चाहती हूँ
लीची गाछ के नीचे
हरे हरे शिशुओं की रूदन को महसूसते हुए
फटे फलों की चोट से टोचाई हुई सी
बस वहीं जहां जमीन को फाड़ कर निकला है
नन्हा नवोद्भिद कटहल का
जहां बिखरी हैं आंवले की महीन पत्तियां
मैं दुःख में तपकर‌, सीक कर पापड़ होना चाहती हूँ
और कड़क कर टूटना चाहती हूँ
माटी की गोद में

जनाबाई

जो मेरी कविता को 
अपनी हथेली पर लिखकर
बैकुंठ धाम ले जाएगा

जो चुरुक भर तेल चान पर डालकर
मेरे बालों को धीरे-धीरे सहलाएगा
जो मेरे साथ जूठी भात खाएगा
जो मुझको जल ,स्वयं को मछली समझेगा
जो मेरे भजनों में बंधकर मुझमें रम जाएगा

पंढरपुर में मुझसे मिलने जो ख़ाली पाँव ही आएगा
वही जना दासी का असली प्रेमी कहलाएगा

तुम सब शून्य कर दोगे

जब भी मेरे प्रेम पर चर्चा हो
तुम मेरे नाम के बग़ल में अपना नाम लिख देना
मेरे पापों की गणना हो
मेरे नाम के आगे अपना नाम लिख देना

तुम तो शून्य हो न
बग़ल में रहे तो दहाई कर दोगे
आगे लग गए तो इकाई कर दोगे
गुणा भी कर दिया किसी ने तो क्या मसला है
तुम सब शून्य कर दोगे

यह रात उसे कविताओं के साथ गुज़ारनी है

उसकी आँखें कविताओं से भारी हैं
उसके कंठ कविताओं से भरे हैं 
उसके ओंठ कविताओं से हल्के गुलाबी
उसका देह कविताओं के लिए तत्पर और तैयार है
उसकी साँसों में कविताओं की गमक है
मैंने उसे गर्मजोशी के साथ अलविदा कहा
यह रात उसे कविताओं के साथ गुज़ारनी है

हादसा

किताबों के बीच छोड़कर ही अपना सिर 
वह जाती रही बिस्तर पर
उस दिन भी
बेसिर ही मिली वह बिस्तर पर
उसका सिर किताबों के बीच ढूंढ़ा 
ख़ोजी कुत्तों ने

नुक़्ता 

वह अजीब था
कवि ही होगा
धूप की सीढ़ी पर  चढ़ता था
रात ढले
चाँदनी के साथ उतरता था
उस नदी के किनारे
जिसके पेट में थी कई और नदियाँ

वह कहता था
चलो दर्पण के द्वार खोलते हैं
अनुवाद करते हैं
आँखों की भाषा में

वैसे ओठों की लिपि भी बहुत सुंदर है
तुम्हें शायद आती नहीं होगी

मृत्यु के परे
एक सुनसान रात में
उसकी बालों की खुली टहनियों पर
सुगबुगा उठी प्रणय उत्सुक चिड़िया

उसके चेहरे पर जाग उठी मुस्कान
धीमे से नदी की देह में उतरा चाँद
रात के तीसरे पहर कोई राग मालकौंस गा रहा था

उसने कहा

उसने कहा
तुम बहुत प्यारी हो आन्ना
और पृथ्वी सिकुड़ कर
एक शब्द बन गयी

उसने होंठों पर फेरी उंगलियाँ
नदी सिकुड़ कर एक लकीर बन गयी

उसने बालों को सहलाया
सारी पत्तियाँ झड़ कर एक पंक्ति

उसने हाँ कहा
उपेक्षाओं का पूरा आकाश 
एक विलुप्त भाषा बन गयी

फिर एक दिन
उसने उठायी उँगली
उस दिन
सूरज-चाँद 
बादल-आकाश 
सब उठकर ऊपर चले गये

तुम कभी विदा नहीं हुए

तुम्हारा फ़ोन आया
मैंने तुमसे बातें की
तुम्हारे शब्द व्यर्थ हुए

तुम्हारा फ़ोन नहीं आया
मैंने तुमसे बातें नहीं की
'शब्द व्यर्थ नहीं हुए'
यह पंक्ति कितना सुख देने वाली है

तुम मेरे घर आए
मैंने तुम्हें देखा
चाय पिलायी
विदा किया
कुंडी लगायी
ज़ोर से रोयी

मगर तुम मुझसे नहीं मिले कभी
तो तुम मेरे घर भी नहीं आए होगे
मैंने तुम्हें नहीं देखा होगा
तुमने नहीं पीई होगी कोई चाय
'तुम कभी विदा नहीं हुए'
यह पंक्ति कितनी सुंदर है


अनामिका अनु
1 जनवरी 1982 को मुज़फ़्फ़रपुर में जन्मी और के रल में रह रही अनामिका अनु को भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार (2020), राजस्थान पत्रिका वार्षिक सृजनात्मक पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ कवि, प्रथम पुरस्कार, 2021), रज़ा फे लोशिप (2022) और ‘महेश अंजुम युवा कविता सम्मान’ (के दार न्यास, 2023) प्राप्त है। अब तक उनकी प्रकाशित पुस्तकों में सम्मिलित हैं – इंजीकरी (काव्यसं ग्रह), यारेख : प्रेमपत्रोंका संकलन (सम्पादन), के रल से अनामिका अनु : के रल के कवि और उनकी कविताएँ (सम्पादन), सिद्धार्थ और गिलहरी (के . सच्चिदानंदन की इक्यावन कविताओं का हिन्दी अनुवाद) और अर्द्धसत्यों का पूर्ण कवि(अशोक वाजपेयी पर एकाग्र) और मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पर मोनोग्राफ।  उनकी रचनाओं का अनुवाद पंजाबी, मलयालम, तेलुगू, मराठी, नेपाली, उड़िया, गुजराती, असमिया, अंग्रेज़ी, कन्नड़ और बांग्ला भाषाओं में हो चुका है।
 
एमएससी (विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक) और पीएच डी (इंस्पायर अवॉर्ड, डीएसटी) डॉ अनामिका अनु की रचनाएँ देशभर की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं और मीडिया में देखने, पढ़ने और सुनने को मिलती हैं। उनसे सम्पर्क करने के लिए ई-मेल आईडी है : anuanamika18779@gmail.com.

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