गांवों को भी बिजली जैसी बुनियादी सुविधा मिलती रहे

SHARE:

तत्काल और प्रभावी कदम उठाने और इससे जुड़ी योजनाओं को शीघ्र लागू करने की आवश्यकता है, ताकि पिंगलो जैसे देश के दूर दराज़ के गांवों को भी बिजली जैसी बुनिया

गांव से बिजली की किल्लत कब दूर होगी?


पिछले कुछ दशकों में भारत बिजली उत्पादन के मामले में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है. कोयले से आगे बढ़कर अब यह हाइड्रो और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का सबसे मजबूत देश बनकर उभरा है. लेकिन इसके बावजूद देश में बिजली की कटौती ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर समस्या है. यह न केवल जीवन की बुनियादी सुविधाओं को प्रभावित करती है, बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्र भी इससे प्रभावित होते हैं. हालांकि बिजली हमारे जीवन में पीने के साफ़ पानी की तरह बुनियादी आवश्यकताओं में एक है. लेकिन आज भी देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं जहां लोगों को या तो आज भी बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं है या फिर नाममात्र की बिजली सप्लाई मिलती है. इन्हीं में एक है उत्तराखंड का पिंगलो गांव. जहां के निवासी बेहतर बिजली सुविधा से वंचित हैं. गर्मी हो या सर्दी, बिजली की समस्या इस पहाड़ी क्षेत्र में अक्सर देखने को मिल जाती है.

कहने को पहाड़ी क्षेत्र ठंडा इलाका होता है. परंतु बिजली की आवश्यकता वहां भी पड़ती है. ऐसे में बिजली की कटौती स्थानीय निवासियों की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है. इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव बच्चों की शिक्षा पर नज़र आता है. इस संबंध में 18 वर्षीय स्कूली छात्रा कुमारी अंशिका कहती है कि "हमारे गांव मल्ला पिंगलो में आज भी लाइट की बहुत ज्यादा कमी है. अधिकतर समय गांव में बिजली नहीं रहती है. मौसम खराब होने पर तो एक एक सप्ताह तक भी कटी रहती है. हमें स्कूल से आने के बाद घर का काम करना पड़ता है और वह काम खत्म करते करते रात हो जाती है. जिसकी वजह से हमें स्कूल का काम रात में दीपक जला करना पड़ता है. हम रात में पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं. कई बार हमें स्कूल में जाकर ही होमवर्क करना पड़ता है. हमारे घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम अपने घर में इन्वर्टर ले सकें." वहीं एक अन्य किशोरी 17 वर्षीय गुंजन बिष्ट कहती है कि "बिजली की समस्या ने न केवल हमारी शिक्षा बल्कि दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया है. पिंगलो जंगल के करीब आबाद है. हर समय तेंदुआ और अन्य जंगली जानवरों के आतंक का खतरा बना रहता है. ऐसे में जब लाइट नहीं रहती है तो रात में बाहर आने जाने में बहुत ही दिक्कत होती है. कई बार तेंदुए ने अंधेरे का लाभ उठाकर गांव के बच्चों पर अटैक भी किया है. जिसकी वजह से हम रात में घर से बाहर अकेले नहीं निकल सकते हैं."

गांव से बिजली की किल्लत कब दूर होगी?

पिंगलो राज्य के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक का एक गांव है. जिसकी आबादी लगभग 1152 है. यह ब्लॉक से करीब 11.6 किमी की दूरी पर बसा है. गांव में सामान्य जाति की करीब 85 प्रतिशत आबादी निवास करती है. दूर दराज़ गांव होने के कारण यह कई बुनियादी आवश्यकताओं से जूझ रहा है. ऐसे में बिजली की कटौती यहां के ग्रामीणों के जीवन में दोहरी समस्या खड़ी करता है. इस संबंध में गांव की 76 वर्षीय बुजुर्ग गोदा देवी कहती हैं कि "गांव में बिजली बहुत कम रहती है. जिसकी वजह से हम बुज़ुर्गों को बहुत परेशानी होती है. दिन तो किसी प्रकार निकल जाता है परंतु रात का निकलना मुश्किल हो जाता है. इतने घने जंगल से कब कौन सा जानवर निकल आए पता भी नहीं चलता है. यही कारण है कि अधिकतर ग्रामीण अंधेरा होने से पहले ही अपना सब काम खत्म कर लेते हैं." वह बताती हैं कि हमारी रसोई घर के बाहर होती है. जहां बैठकर हम खाना बनाते हैं. ऐसे में रात में बिजली के बिना खाना बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं, फिर जानवरों को घास पानी देना, उनका गौशाला बंद करना आदि ऐसे बहुत से काम हैं जिनमें लाइट की बहुत ही आवश्यकता होती है.

एक और बुज़ुर्ग गावली देवी कहती हैं कि मेरे बेटे शहर में रहते हैं. घर में सिर्फ मैं और मेरी बहुएं रहती हैं. कभी बहुएं भी नहीं होती हैं तो मैं घर में अकेली रहती हूं. मुझे खाना भी बनाना पड़ता है और जानवरों को भी देखना पड़ता है. बिजली नहीं होने से रात में बहुत कठिनाइयां आती हैं. इस उम्र में अंधेरे में काम करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि अंधेरे में काम करना मुश्किल हो जाता है. बहुत मुश्किल से समय कटता है. शाम के बाद से पूरे गांव की गतिविधि ठप हो जाती है. लोगों को घर में रहने पर मजबूर होना पड़ जाता है. वह कहती हैं कि सबसे अधिक कठिनाई तीज-त्यौहारों के समय होती है. जब लोग देर रात तक उत्सव मनाना चाहते हैं लेकिन लाइट की कमी के कारण शाम के बाद ही गांव में सन्नाटा पसर जाता है. बारिश के इन दिनों में एक बार जब लाइट चली जाती है तो कितने दिनों बाद आएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं होती है. जिन घरों में नवजात बच्चे या कोई बीमार होता है, ऐसे समय में रात में बिजली की कितनी ज़रूरत होती है? और नहीं होने से कितनी कठिनाइयां आती हैं? इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है.

इस संबंध में पिंगलों के ग्राम प्रधान पान सिंह कहते हैं कि लाइट के बार बार कटने के पीछे कई कारण है. सबसे प्रमुख कारण इसका व्यवस्थित रूप से नहीं होना है. जगह-जगह बिजली के खंभे टूटे हुए हैं और तारें जमीन पर गिरी हुई हैं. जिससे किसी को भी करंट लगने का खतरा बना रहता है. बारिश के दिनों में टूटी हुई तार सबसे खतरनाक होती हैं. इस संबंध में मैंने पंचायत की ओर से बिजली विभाग के अधिकारियों और जेई के सामने भी गांव की समस्या को उठाया है और लिखित रूप से भी उनसे इस दिशा में जल्द काम करने का अनुरोध भी किया है. लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. विभाग को इस संबंध में जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि पिंगलों के लोगों को भी निर्बाध रूप से बिजली मिल सके.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर 31 मई 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में फिलहाल करीब चार लाख 17 हजार 668 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है. वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना के तहत देश के ग्रामीण इलाकों को रोशन करने का काम भी तेज़ी से किया जा रहा है. हालांकि बिजली की कमी एक गंभीर समस्या है जो सार्वजनिक जीवन के हर पहलू को प्रभावित करती है, खासकर देश के ग्रामीण इलाकों में इसकी कमी जनजीवन के साथ साथ सिंचाई व्यवस्था पर भी असर डालती है. इस पर काबू पाने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने और इससे जुड़ी योजनाओं को शीघ्र लागू करने की आवश्यकता है, ताकि पिंगलो जैसे देश के दूर दराज़ के गांवों को भी बिजली जैसी बुनियादी सुविधा मिलती रहे. (चरखा फीचर)



- हेमा रावल
गरुड़, बागेश्वर
उत्तराखंड

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका