भारतीय संस्कृति वर्तमान विकृति की वजह से रोज मरती जा रही

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भारतीय संस्कृति वर्तमान विकृति की वजह से रोज मरती जा रही अब हर घर का चाल चलन और आचरण हर दिन बदलते जा रहा अब ना कोई अतिथि आता और नहीं पूर्व सा आतिथ्य

भारतीय संस्कृति वर्तमान विकृति की वजह से रोज मरती जा रही 


भारतीय संस्कृति वर्तमान विकृति की वजह से रोज मरती जा रही 
अब हर घर का चाल चलन और आचरण हर दिन बदलते जा रहा
अब ना कोई अतिथि आता और नहीं पूर्व सा आतिथ्य किया जाता!
 
पहले तो दूर देश से धूल भरे जूते-चप्पल पहने अतिथि आता था
दरवाजा खटखटाता, दो मुसकुराता हुआ चेहरा गले मिल जाता था
पीछे घर की घरनी लोटा भर जल लाती पैर धुलाती बतियाती थी!

जब से आदमी के हाथ लगे मोबाइल को साथ रखने की जगी प्रवृत्ति 
तब कोई किसी के घर जाने की बात बता देता पहले ही समय तिथि 
और तब वो रिश्तेदार हो या परिचित, रह जाता नहीं है एक अतिथि 
घर का मेजबान जान लेता, आनेवाला है समस्या ग्रस्त मेहमान कोई!
 
पूर्व सूचना पाकर आज का आधुनिक शातिर घरवाला सतर्क हो जाता 
या तो कहीं छुप जाता या घर में नहीं होने का झूठ बहाना बना देता 
फिर भी कोई जरूरतमंद इंसान रिश्तेदार का घर चला जाता थेंथर सा
तो फिर घरवाला मजबूरी में चाय पानी पिलाने की जल्दबाजी करता
और दरवाजे की ओर टकटकी लगाए सोचता, कब टल जाए ये बला!
 
अब घर का मालिक अपने बच्चों को बैठक खाना भी नहीं बुलाता 
आनेवाले अपने रिश्तेदार से बच्चों को पात्र परिचय भी नहीं कराता 
अब छोटे को बड़ों का पैर छूने का संस्कार भी नहीं सिखाया जाता 
अब बच्चों में गूगल एप के बाहर जानने की भी नहीं होती है इच्छा!

भारतीय संस्कृति वर्तमान विकृति की वजह से रोज मरती जा रही
ऐसे कैसे आगे भविष्य में चल पाएगा मानवीय रिश्ता? 
‘कभी किसी से उम्मीद नहीं करना’ कहा तो यही जाता
फिर सगा सम्बंधी रिश्तेदार किस काम के लिए होता?
कैसे कोई किसी से सलाह मशविरा और मदद पाएगा?

कहा तो यह भी जाता है कि बेटी को ब्याह दिया, 
कुआँ में डुबा दिया, गंगा नहा लिया, फिर क्या वास्ता?
यह तो मतलबपरस्ती के सिवा कुछ और नहीं है वाकया
बेटी भार थी जैसे तैसे किसी बंदे के कंधे पर उतार दी!

अब बेटी को भी बेटी हुई वो अकेले कैसे ये भार उतारेगी 
भाई बहन बहनोई साला मामा काका फूफा बन गए मतलबी 
घृणा द्वेष जलन की चल पड़ी परंपरा अपने हो गए स्वार्थी
ये कैसी भयावह स्थिति सबको भोगनी होगी इसे अकेले ही?
ये दस्तूर था बेटी विवाह अंतिम संस्कार में बहाना ठीक नहीं!

इस मोबाइल ने आदमी को झूठ बोलना मक्कार होना सिखा दिया 
इस मोबाइल ने आदमी को कुतर्की और तुनुकमिजाजी बना दिया!

अगर किसी ने किसी को व्हाट्स एप पर हाय हलो मैसेज किया
और दूसरे ने प्रशंसा कर दी, तो अल्पबुद्धि व्यक्ति को खुशी होगी 
और यदि दिन भर अनदेखा किया तो गुस्सा व मायूसी होती होगी 
पर सोच ऐसी हो कि कोई पढ़े न पढ़े खुश होना चिढ़ना है बेवकूफी 
अब तो रिवाज हो गया शादी औ श्राद्ध निमंत्रण भेजा जाता ऐसे ही!
 
इस मोबाइल ने बच्चों से बचपन छीना, असमय उसे युवा बना दिया 
सच पूछिए तो मोबाइल ने मानव से अच्छी नैतिक किताब छीन ली 
और आदमी का चरित्र खराब कर दिया परोस कर कोई विडिओ गंदी 
गंदे एप देखकर देश के भटके युवा हो रहे बलात्कारी बर्वर मनोरोगी
ऐसे एप प्रतिबंधित कर देश के युवा को बनाना होगा उर्वर उपयोगी!

अब हर भारतीय के घर का तौर तरीका बहुत ज्यादा बदल गया 
नेतागिरी ठगी ठेकेदारी घूसखोरी की प्रथा आए दिन चलती रहती
हर घर में कुतर्की आदमी किसी दल के नेता के समर्थन में होता
राजनेता दिन रात झूठ फैलाता, गलत को गलत कभी नहीं कहता
जाति विशेष की हत्या रेप पर चुप रहता, सच को सच नहीं बोलता!

अब सनातनी-सनातनी जन में भी बढ़ गई है भयंकर तनातनी 
एक दूसरे के लिए भलाई करना भी पाखण्डियों ने कर दी मनाही 
हिन्दू को बौद्ध मनुवादी कहते, जबकि सब कोई संतति मनु की,
बौद्ध में बुद्ध नहीं जय भीम होता,क्या बुद्ध से भीम बड़ा होता?

जैनों में जिन की अहिंसा क्षीण हुई, हिंसा की निंदा कम हुई 
अधिक से अधिक जैनियों में बढ़ गई धन कमाने की लिप्सा!
सिखों का पंजाब नशे की लत में जकड़ा, रोज रोज का लफड़ा
किसान राजनीति में पड़ा, जबकि देश हित से कुछ नहीं बड़ा!

क्यों दशमेश पिता गुरु गोविंदसिंह का देश के लिए सर्वंवंशदान  
भगतसिंह उधमसिंह जस्सासिंह हरिसिंह का बलिदान भूल पड़ा?
सही मायने में नेता का झूठ एक घातक हथियार बन चुका 
देश धर्म में खतरा बढ़ा, कुछ छद्म हिन्दू मक्कार बन चुका!

आज वोट के लिए गुंडे आतंकी के साथ ये कैसा है भाईचारा? 
बहन बेटियाँ चीख रही सारे जहाँ फैल गया बलात्कारी हत्यारा!
सनातन धर्म पंथों में भी आज नहीं है एकता और आत्मीयता 
झूठी धर्मनिरपेक्षता के बहाने हिन्दू हिन्दू के काम नहीं आता!

-विनय कुमार विनायक 

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