बिखरा हुआ घर, टूटा हुआ दिल: परिवार विघटन के दुष्परिणाम

SHARE:

बिखरा हुआ घर, टूटा हुआ दिल परिवार विघटन के दुष्परिणाम आज के युग में, टूटते परिवार एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गए हैं। पहले जहाँ संयुक्त परिवारों का द

बिखरा हुआ घर, टूटा हुआ दिल: परिवार विघटन के दुष्परिणाम


ज के युग में, टूटते परिवार एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गए हैं। पहले जहाँ संयुक्त परिवारों का दबदबा था, वहीं आजकल एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही है। तलाक की दरें बढ़ रही हैं, और घरेलू हिंसा भी आम होती जा रही है।

'जहाँ सुमति तहाँ सम्पत्ति नाना, जहाँ कुमति वहाँ विपत्ति निधाना।' यह पद्यांश गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से उद्धृत है। इसमें जीवन के सारभूत तथ्य का निर्देशन किया गया है। इसका अर्थ स्पष्ट है कि जहाँ सुमति होती है वहाँ सब प्रकार की सुख सम्पत्ति होती है। बात भी सत्य है कि जिस घर में परिवार के सदस्य पारस्परिक प्रेम, सद्भावना और स्नेहपूर्वक रहते हैं, घर में बड़ों का सम्मान होता है, उनकी आज्ञा का पालन किया जाता है, प्रत्येक कार्य सभी की सम्मति से होता है, वहाँ लक्ष्मी निवास करती है, सुख-समृद्धि और शान्ति का साम्राज्य होता है। इसके विपरीत जिस घर में बड़ों का सम्मान नहीं होता, उनकी आज्ञा का उल्लंघन होता है, पारस्परिक प्रेम, उदारता और सद्भावना का जहाँ अभाव होता है, वहाँ दरिद्रता राज्य करती है। निरन्तर कलह परिवारों के टूटने का कारण बनता है।
 
बिखरा हुआ घर, टूटा हुआ दिल: परिवार विघटन के दुष्परिणाम
परिवारों का टूटना टूटे और बिखरे हुए समाज के लिए जिम्मेदार है । जिस देश के निवासी सुबुद्धि से काम लेकर परस्पर प्रेम, सौहार्द और परोपकार भाव से कार्य करते हैं, वह देश दिन प्रतिदिन प्रगति पथ पर अग्रसर होता है, साथ ही विकास के चरमोत्कर्ष को प्राप्त करता है। कुमति में पलता हुआ या बढ़ता हुआ समाज कभी प्रगति नहीं करता। उसका बुरा प्रभाव पूरे देश पर पड़ता है। परिणामस्वरूप उसे युगों तक पराधीनता जकड़े रहती है। यदि सुमति से काम लिया जायेगा तो विभिन्न धर्मों, मतों, जातियों, भाषाओं, रीति-रिवाजों से युक्त देश भी एकता के सूत्र में बंधकर सदैव उन्नत देशों की श्रेणी में गिना जायेगा।
 
बुद्धि तत्व ही ऐसा तत्व है जो मनुष्य को पशुत्व से ऊपर उठाकर देवत्व तक ले जाने की शक्ति रखता है। यूनान के एक विद्वान ने मानव की परिभाषा करते हुए कहा है कि "मनुष्य एक बुद्धिमान जीव है" । बुद्धि के अभाव में मनुष्य मनुष्य की कोटि में नहीं रहता है। वह पशु श्रेणी में चला जाता है। बुद्धि के सदुपयोग में ही विकास और उन्नति निहित है। जिस मानव या समाज के जीवन में राग-द्वेष, कलह आदि रहते हैं उससे सुख और शान्ति सदैव के लिए विदा हो जाते हैं तथा परिवार और समाज जाते हैं तथा कई बार अपना अस्तित्व भी खो बैठते हैं। 

महामन्त्र गायत्री मंत्र में सुबुद्धि के लिए प्रार्थना की गई है, समस्त शुभ कार्य एक मात्र सुमति द्वारा ही सम्पन्न होते हैं। शुभ कार्यों द्वारा मनुष्य उन्नति की ओर अग्रसर होता है। बुद्धिपूर्वक विचार किया गया कार्य ही सफल होता है। 
एक सुमति शक्ति का अक्षय स्रोत है। सुमति से एकता की भावना को बल मिलता है। एकता ही महान शक्ति है तथा शक्ति जीवन है और निर्बलता मृत्यु । एकता से सभी प्रकार की बुराइयों को दूर किया जा सकता है। जिस प्रकार एक सींक से कुछ नहीं हो सकता परन्तु अनेक सींकों को मिलाकर झाडू बना देने पर घर का समस्त कूड़ा बाहर फेंका जा सकता है, उसी प्रकार यदि सुमति से काम लिया जाये, तो देश की एकता की भावना को बल मिलेगा, जिससे शक्ति प्राप्त करते हुए देश के समस्त निवासी मिलकर देश की बुराइयों का उन्मूलन कर सकते हैं। 

महाभारत का युद्ध कुमति का ही उदाहरण है। भारत के पराधीन होने का कारण भी कुमति ही था। कुमति से कलह उत्पन्न हुई। एकता की भावना नष्ट हो गई, स्वार्थ का राज्य सर्वत्र आच्छादित हो गया जिसके परिणामस्वरूप भारतवासियों को कई सौ वर्षों तक दासता की यातनाएँ सहनी पड़ी। सुमति के फलस्वरूप ही हम स्वतन्त्र हुए तथा विविध योजनाओं को क्रियान्वित कर देश को समृद्धिशाली बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं।

सांसारिक या आध्यात्मिक उन्नति सुमति के द्वारा ही हो सकती है।सुमति ऐसी जल-भरी बदली है जिससे शान्ति, ऐश्वर्य, शक्ति, धन- धान्य, सुख और शान्ति की वर्षा होती है। मानव जीवन की सफलता की कुंजी सुमति है, असफलता उससे कोसों दूर रहती है। अतः हम सभी का कर्त्तव्य है कि लोक जीवन में सुमति की ही प्रतिष्ठा करें। देश और समाज को समृद्ध बनाएँ। सुमति के ही आश्रय से हम प्रत्येक सिद्धि का साक्षात्कार कर सकते हैं। परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करें कि वह हमें सदैव सुमति के मार्ग पर अग्रसर करे जिससे हमारा देश नाना सम्पत्तियों का भण्डार बना रहे तथा हमारी संस्कृति और सभ्यता पोषित हो।
 
टूटते परिवार समाज के लिए एक गंभीर खतरा हैं। हमें इस समस्या का समाधान खोजने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे। हमें सामाजिक जागरूकता फैलानी होगी, पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना होगा, और बेहतर संचार और समझ को प्रोत्साहित करना होगा।यह केवल सरकार या सामाजिक संस्थाओं की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह मजबूत और स्वस्थ परिवारों के निर्माण में योगदान दे।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका