महाकवि केशवदास ने प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया है

SHARE:

महाकवि केशवदास ने प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया है केशवदास काव्यकला के मर्मज्ञ थे, इस कारण उनका कलापक्ष बहुत पुष्ट है अलंकारवादी आचार्य होने के क

महाकवि केशवदास ने प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया है


केशवदास काव्यकला के मर्मज्ञ थे, इस कारण उनका कलापक्ष बहुत पुष्ट है। अलंकारवादी आचार्य होने के कारण उन्होंने इस ओर विशेष ध्यान भी दिया है।
 

केशवदास की भाषा

महाकवि केशवदास ने प्रसंगानुकूल भाषा का प्रयोग किया है
केशव संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे । वे बुन्देलखण्ड के रहने वाले थे, पर उन्होंने अपनी कविताएँ ब्रज भाषा में ही लिखी हैं, परन्तु केशव की भाषा शुद्ध ब्रज भाषा नहीं है, उस पर संस्कृत, बुन्देलखण्डी, अवधी, अरबी-फारसी आदि कितनी ही तत्कालीन प्रचलित भाषाओं का प्रभाव परिलक्षित होता है। इसके साथ ही केशव की भाषा' में अभिधा का ही प्राधान्य है। उन्होंने अभिधा के द्वारा ही अपनी कविता में चमत्कार उत्पन्न करने की चेष्टा की है तथा लाक्षणिक प्रयोगों का कम सहारा लिया है।
 
पाण्डित्य-प्रदर्शन की प्रवृत्ति के कारण केशव की भाषा संस्कृतबहुला हो गयी है। उसमें संस्कृत के ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग मिलता है, जिसे संस्कृत का पण्डित ही समझ सकता है; जैसे—मित्र (सूर्य), हुताशन (अग्नि), शिवा (गीदड़ी), पर्वताप्रभा (दैत्य) आदि ।
 

केशवदास का अलंकार विधान

केशव अलंकारों के विधान में अत्यधिक कुशल थे; क्योंकि वे थे ही अलंकारवादी आचार्य । उनके काव्य में काव्यशास्त्र में गिनाये गये अधिकांश अलंकार मिलते हैं, पर उन्हें विशेष रूप से चमत्कारप्रधान अलंकारप्रिय थे। कहीं-कहीं तो एक ही पद में अनेक अलंकारों को भर देना केशवदास के लिए बायें हाथ का खेल था। आलंकारिक सौन्दर्य 'रामचन्द्रिका' की प्रमुख विशेषता है । केशव काव्य में मुख्य रूप से यमक, श्लेष, अनुप्रास, उपमा, उत्प्रेक्षा, रूपक, सन्देह आदि अलंकार तो कदम-कदम पर मिलते हैं। इनके अतिरिक्त परिसंख्या, विरोधाभास, विभावना, अतिशयोक्ति आदि अलंकार भी यत्र-तत्र भरे पड़े हैं। कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
 
यमक-   पूरन पुरान अरु पुरुष पुरान परिपूरन बतावैं न बतावैं और उक्तिको ।

रूपक - शोक की आगि लगि परिपूरण आइ गये घनश्याम बिहाने । 
            जानकि के जनकादिक के सब फूलि उठै तरुपुण्य पुराने ||
 

केशवदास का छन्दोविधान

पिंगलशास्त्र पर केशव का बड़ा अधिकार था। इस विषय पर उन्होंने 'रामालंकृतमंजरी' नामक एक ग्रन्थ की रचना भी की है। वैसे 'रामचन्द्रिका' भी पिंगलशास्त्र का ग्रन्थ मालूम पड़ता है; क्योंकि उसमें एकाक्षरी से लेकर अनेकाक्षरी तथा मात्रिक एवं वर्णिक दोनों प्रकार के छन्दों का प्रयोग किया गया है। इसमें पग-पग पर छन्द-परिवर्तन दिखायी पड़ता है।
 

संवाद कौशल

केशव के काव्य की यह एक ऐसी विशेषता है जो हिन्दी के किसी भी दूसरे कवि में नहीं मिलती। उनके संवादों. में सबसे बड़ी विशेषता है नाटकीयता की। इसके अतिरिक्त पात्रोचित शिष्टाचार का उन्होंने पूर्ण निर्वाह किया है। इस दृष्टि से परशुराम-राम संवाद और अंगद-रावण संवाद उल्लेखनीय हैं। उनके संवादों की तीसरी विशेषता है उनकी वचन-वैदग्धता (वाक्-चातुरी) एवं व्यंग्यात्मकता । इस दृष्टि से रावण-हनुमान् संवाद का एक उदाहरण द्रष्टव्य है- 

रे कपि कौन तू अक्ष को घातक, दूत बली रघुनन्दन जू को । 
को रघुनन्दन रे, त्रिशिरा-खर-दूषण-दूषण भूषण भू को ॥ 

केशव के काव्य में भावपक्ष

इस प्रकार हम देखते हैं कि केशव के काव्य में भावपक्ष अवश्यहीन है, पर इस कारण हम उन पर हृदय-हीनता का दोषारोपण नहीं कर सकते; क्योंकि उन्होंने अनेक स्थलों पर अपनी भावुकता का भी परिचय दिया है, परन्तु उनका कलापक्ष सर्वाधिक पुष्ट है। 

महाकवि केशव विद्वान् थे, कला-पारखी थे। उनमें रचना-नैपुण्य था, पर उनके पाण्डित्य ने उनके समस्त काव्योचित गुणों को दबा दिया। जिस सिद्धान्त के वे अनुयायी थे, उसको दृष्टि में रखकर यदि हम उनकी रचनाओं का अध्ययन करें तो कह सकते हैं कि केशव अपने क्षेत्र में पूर्ण सफल रहे और उनकी गणना महाकवियों में की जानी चाहिए।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका