भारतीय सिनेमा का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

SHARE:

भारतीय सिनेमा का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव भारतीय सिनेमा एक विविध और जटिल माध्यम है जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं।फिल्मों

भारतीय सिनेमा का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव


भारतीय सिनेमा, जो अक्सर "बॉलीवुड" के नाम से जाना जाता है, का भारतीय समाज पर गहरा और व्यापक प्रभाव रहा है। इसने मनोरंजन का एक शक्तिशाली माध्यम प्रदान करने के साथ-साथ सामाजिक परिवर्तन को प्रेरित करने और सांस्कृतिक मूल्यों को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय सिनेमा एक विविध और जटिल माध्यम है जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू हैं।फिल्मों का समाज पर प्रभाव व्यक्ति और फिल्म पर निर्भर करता है।समाज के लिए फायदेमंद प्रभावों को बढ़ावा देने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए फिल्मों का महत्वपूर्ण रूप से विश्लेषण और मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है।

भारतीय सिनेमा का समाज पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
चलचित्र का विकास विश्वव्यापी और बहुआयामी है। अर्थात् हम कह सकते हैं कि विश्व- समाज को आधार बनाकर निर्मित चित्र विभिन्न नामों से संज्ञायित किया जाता है। जैसे - जासूसी, धार्मिक, शैक्षणिक, पारिवारिक आदि। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि समाज में रहने वाले बच्चे, बूढ़े, जवान, उच्चवर्ग, मध्यवर्ग और निम्नवर्ग सभी को आधार बनाकर चलचित्र का निर्माण किया जाता है। यही कारण है कि चलचित्र व्यक्ति के बौद्धिक, शारीरिक, आर्थिक और धार्मिक विकास का माध्यम बनकर समाज का सर्वांगीण विकास करता है। जीवन का प्रारम्भिक और महत्त्वपूर्ण अवस्था वाल्यावस्था होती है। उनकी सर्वग्राहिता बुद्धि अपने परिवेश और परिवार से सीखकर ही जीवन की आधारशिला का निर्माण करती है। चलचित्र में वर्णित कथाओं और कार्य व्यापारों का उनकी बुद्धि पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसी प्रकार चलचित्र युवावर्ग के लिए आशा की शक्ति का संचार करता है तथा वृद्धावस्था के सान्त्वना, का वरदान बन जाता है।
 
मानव-जीवन और समाज के लिए चलचित्र का जो योगदान है उसकी लोकप्रियता ही उसके व्यापकता का मूल कारण है। वह व्यक्ति को व्यक्ति से, समाज को समाज से तथा राष्ट्र को राष्ट्र से जोड़कर, सबकी संस्कृति और सभ्यता को एक दूसरे के निकट ला दिया है। ग्राह्य और त्याज्य का अन्तर स्पष्ट कर एक तरफ सुधारमूलक प्रवृत्तियों को विकसित किया है तो दूसरी तरफ क्रियात्मक प्रतिभा का जन्म भी दिया है। आँधी, तूफान और भयावह स्थितियों से भी जूझते हुए मानव की ठोकर खाती जिन्दगी को निर्बाध और निष्कंटक विकास करते हुए दिखलाकर मानव जीवन में एक नवीन आशा का संचार किया है।
 
चलचित्र ने मानव जीवन के लिए न केवल विकास का द्वार ही खोल दिया है बल्कि उसकी हारी थकी जिन्दगी के लिए मनोरंजक और शांतिदायक भी है। मनोरंजन के अन्य साधनों से जहाँ एक ही प्रकार का मनोरंजन होता है वहाँ चलचित्र द्वारा सभी प्रकार के मनोरंजन प्राप्त किए जा सकते हैं। जिन्हें संगीत प्रिय है उनकी भी अभिलाषा चलचित्र द्वारा पूर्ण हो जाती है तथा जिनका नृत्य से अधिक लगाव होता है उन्हें भी निराश नहीं होना पड़ता। चलचित्र द्वारा प्रकृति की अनुपम सुषमा का भी आनन्द लिया जा सकता है, प्रकृति की झर-झर, कल-कल करती नदियाँ, झरने, घाटियों की हरियाली और हरे-भरे खेत, लहलहाती फसलों फलों और फूलों से लदे वृक्षों की शोभा देखकर भला किसका मन-मयूर नाच नहीं उठेगा। मनोरंजन ही नहीं चलचित्र तो शिक्षा का भी उत्कृष्ठ साधन है। विभिन्न देशों में इतिहास, भूगोल, विज्ञान, स्वास्थ्य, जीव विज्ञान आदि विषयों की शिक्षा प्रदान करने में भी चलचित्रों की सहायता ली जा रही है। 

किसी भी देश के लोगों के रहन-सहन, वेश- भूषा, खान-पान, आचार-विचार आदि का ज्ञान भी चलचित्र द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। यह तो निर्विवाद सत्य है कि जितना चलचित्र द्वारा विद्यार्थियों को किसी विषय का ज्ञान सहजता से प्राप्त होता है उतना पुस्तकीय अध्ययन से नहीं। चलचित्र के द्वारा देशहित और समाजहित के भी कार्य किये जा सकते हैं। देश और राष्ट्र के विकास के कार्यों को दिखलाकर जन-जीवन और समाज को समुन्नत बनाया जा सकता है। अतः हम कह सकते हैं कि चलचित्र का मानव जीवन के लिए विविध आयामी उपयोग ही उसकी सामाजिक भूमिका है, अर्थात् विविध प्रकार के उद्देश्यों से युक्त चलचित्र सदा-सर्वदा अपनी सामाजिक भूमिका का निर्वाह करता रहा है और अनवरत करता रहेगा।
 
भारतीय सिनेमा समाज पर शक्तिशाली प्रभाव डालता है, जिसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलू शामिल हैं। यह मनोरंजन, सामाजिक परिवर्तन और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम फिल्मों के संभावित नकारात्मक प्रभावों से अवगत रहें और मीडिया का जिम्मेदारी से सेवन करें।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय सिनेमा विविध और जटिल है, और सभी फिल्मों को एक ही श्रेणी में रखना उचित नहीं है। कई फिल्में सामाजिक रूप से जिम्मेदार होती हैं और महत्वपूर्ण संदेश देती हैं, जबकि अन्य केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई जाती हैं। दर्शकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे फिल्में चुनते समय  विवेक का प्रयोग करें और उनमें दिखाए गए संदेशों पर ध्यानपूर्वक विचार करें।

COMMENTS

Leave a Reply

You may also like this -

Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy बिषय - तालिका