साहित्य, संगीत एवं कला का मानव जीवन में स्थान मानव जीवन सदैव से ही रंगों, भावनाओं और कल्पनाओं से भरा रहा है व्यक्तित्व विकास में साहित्य एवं कलाओं की
साहित्य, संगीत एवं कला का मानव जीवन में स्थान
मानव जीवन सदैव से ही रंगों, भावनाओं और कल्पनाओं से भरा रहा है। इन भावनाओं और कल्पनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए मनुष्य ने साहित्य, संगीत और कला जैसे अद्भुत माध्यमों का सृजन किया है। ये माध्यम न केवल मनोरंजन के स्रोत हैं, बल्कि मानव जीवन को समृद्ध और अर्थपूर्ण बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर ही वह अपना जीवन व्यतीत करता है। मनुष्य और समाज का चोली-दामन का साथ है। मनुष्य के बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। जीवन में मनुष्य अपनी दिनचर्या से हटकर कुछ और भी करना चाहता है। वह स्वयं को अपने रुचिकर क्षेत्रों में आगे बढ़ाना चाहता और समय मिलने पर मनोरंजन के तौर पर कुछ साधन भी उसे चाहिए होते हैं।
साहित्य का प्रभाव
प्रत्येक व्यक्ति की रुचि का क्षेत्र अलग-अलग होता है, परंतु साहित्य, संगीत एवं कला का मानव जीवन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। “साहित्य को समाज का दर्पण माना गया है।" कहा जाता है कि समाज में जो कुछ भी घटित होता है, साहित्य के द्वारा ही मानव जीवन की वास्तविकता के दर्शन होते हैं। मानव जीवन का असली रूप साहित्य में ही दिखाई देता है। अच्छा समाज साहित्य की नींव होता है।
संगीत की मधुरता
संगीत एवं कला का हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। संगीत एवं कला मानव जीवन के बुझे हुए तारों को झंकृत कर देते हैं। जीवन में संगीत एवं कला से मनोरंजन तो होता ही है, साथ-ही-साथ जीवन भी रंगीन व खुशहाली से परिपूर्ण हो जाता है। संगीत अर्थात् सात स्वरों की राग-रागिनियों का सम्मिलित रूप। कला के अंतर्गत अनेक विधाएँ हैं; जैसे-नृत्यकला, चित्रकला, नक्काशी आदि इसी के रूप को चित्रांकित करती हैं।
संगीत एवं कला मानव जीवन को आनंदविभोर कर देते हैं। संगीत मानव जीवन को रागयुक्त रखता है। थोड़ा-बहुत गीत-गाना गुनगुनाना किसे अच्छा नहीं लगता? उस गुनगुनाहट में व्यक्ति सदैव अपने मन के विकारों को भूल जाता है और मदमस्त हो जाता है। उस समय वह जीवन की सभी स्थितियों से दूर एक अपने ही जीवन में मस्त होता है।
कला की अभिव्यक्ति
मानव जीवन में कला का भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। चित्रकारी करने वाला चित्रकार जब अपनी तूलिका को हाथ में लिए होता है तब वह केवल अपने कल्पनालोक में ही विचरण कर रहा होता है। अपने मानसपटल पर उभरते हुए चित्रों को वह अपनी तूलिका के द्वारा कागज पर उतारता है। नृत्यकला मानव जीवन को उत्साह व आनंद की ओर प्रेरित करती है। चित्रकला व नृत्यकला मानव जीवन की प्रेरणास्रोत का काम करते हैं।
गीत-संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि मानव जीवन में मनोरंजन के साधन माने गए हैं। ये मानव जीवन की दिन भर की थकान को दूर करने में सहायक हैं। वे मानव जीवन में मनोरंजन के सक्रिय साधन के रूप में माने गए हैं। यदि हम कोई काम करें और साथ-ही-साथ संगीत का लुत्फ़ भी उठाएँ तो काम करने को आनंद दुगुना हो जाता है और काम जल्दी भी होता है।
मानव जीवन आनंद की पराकाष्ठा
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि साहित्य, संगीत एवं कला का हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्व है। इनके सहयोग और तालमेल से ही मानव जीवन आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँचता है। इनके अभाव में मानव जीवन नीरस हो जाएगा। इनके बिना तो मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। संगीत, कला एवं साहित्य मानव जीवन के अनिवार्य अंग हैं। जिस प्रकार मूलभूत आवश्यकताएँ मानव जीवन के लिए जरूरी हैं उसी प्रकार साहित्य, कला व संगीत भी मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण हैं।
साहित्य, संगीत और कला मानव जीवन के अनमोल उपहार हैं। ये न केवल मनोरंजन के स्रोत हैं, बल्कि शिक्षा, प्रेरणा और आत्म-अभिव्यक्ति के भी शक्तिशाली माध्यम हैं। ये हमारे जीवन को समृद्ध बनाते हैं, हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं, और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में योगदान करते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि साहित्य, संगीत और कला मानव सभ्यता की नींव हैं।इनके बिना हमारा जीवन अधूरा और अर्थहीन होगा।
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